मेरी चुदाई की कहानी आज से 3 साल पहले की है। मैं कॉलेज में एक लाइब्रेरियन हूँ। उस वक्त फर्स्ट इयर में नए-नए एड्मिशन हुए थे। उनमें से एक लड़का था राजवीर…
मेरा नाम राखी है.. मैं दिखने में बहुत गोरी हूँ। मेरा फिगर 32-28-34 का है। मेरे चूतड़ बड़े ही गोल मटोल हैं।
वैसे तो मुझ पर बहुत से टीचर मरते हैं.. उस लडके राजवीर को तो मैं देखती ही रह गई।
उसकी हाइट कम से कम 6 फीट 3 इंच रही होगी। उसका मर्दाना चौड़ा सीना लगभग 48 इंच का रहा होगा। उसके लम्बे हाथ उसके शारीरिक सौष्ठव को बहुत ही आकर्षक बनाते थे। वो ज्यादा गोरा तो नहीं था.. पर काला भी नहीं था।
मेरा तो उस पर दिल ही आ गया था। मैं रोज उसको देखती थी। मेरा मन करता था कि कब ये मुझसे बात करे। वो रोज लाइब्रेरी के सामने से निकल जाता.. मैं उसको देखती ही रह जाती।
फिर एक दिन उसने मेरी तरफ़ देखा, मैंने भी उसको नजर भर के देखा और स्माइल पास कर दी। फिर पता नहीं क्या हुआ वो मेरी बस से रोज आने-जाने लगा। मुझे लगा कि वो मेरे लिए अपने मन में कुछ फील करता है। वो रोज मेरे पीछे वाली सीट पर आकर बैठ जाता था। मैं रोज उसे बस के मिरर में से देखती थी।
एक दिन उसने देख लिया कि मैं उसको देख रही हूँ। उसने मुझे स्माइल पास की, मेरी तो चुत में जैसे आग ही लग गई थी। फिर जैसे ही वो बस से उतरने को खड़ा हुआ.. उसने अपने हाथ से मेरी एक चूची को दबा दिया और स्माइल पास करता हुआ उतर गया.. मैं हैरान रह गई, कुछ बोल ही पाई पा समझ गई कि ये लड़का भी मेरी चूत चुदाई करना चाहता है.
अगले दिन वो मेरे पास आकर बैठ गया। मेरी चुत तो चुदाई की तमन्ना में पानी छोड़ने लगी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.. वो कुछ नहीं बोला। बस पूरी तरह से भर चुकी थी। मैंने उसका बैग अपनी गोद में रख लिया और उसका हाथ अपनी सलवार के अन्दर ले लिया। उसने हंसते हुए मुझे देखा और मेरी चुत में उंगली करना शुरू कर दिया। फिर जैसे ही कॉलेज आने वाला हुआ, उसने हाथ निकाल लिया। उस वक्त मैं चूत चुदाई के लिए तडप रही थी.
फिर वो अगले दिन लाइब्रेरी में आया और बोला- आज आप मेरे साथ बाइक से घर चलोगी?
मुझे लगा कि अब ये मुझे अपने घर ले जाकर मेरी चुदाई करेगा, मैंने भी बोल दिया- ओके..
वो छुट्टी के एक घंटे पहले लाइब्रेरी में आकर बोला- चलो, चलते हैं।
हम लोग घर के लिए निकल पड़े।
मेरे बाइक पर बैठते ही उसने कहा- मुझे कसके पकड़ लो, नहीं तो गिर जाओगी।
मैंने उसको पकड़ लिया, मैं तो खुद यही चाहती थी। फिर मैं धीरे-धीरे अपना हाथ उसके लंड तक ले गई। उसका लंड एकदम लोहे के तरह कड़क हो गया था, उसका लंड कम से कम 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। मुझे पता चल गया कि इस लंड से चूत चुदाई में दर्द भी होगा और चुदाई का मजा भी आएगा.
उसने बाइक एक दोस्त के कमरे पर रोकी और बोला- मैं अभी 5 मिनट में आता हूँ।
मैंने ओके कहा और उसका इन्तजार करने लगी। लेकिन वो अन्दर से देर तक नहीं आया तो मैं अन्दर चली गई।
उसने लंड सहलाते हुए कहा- आओ मैडम, आप पानी पी लो।
उसने मुझे पानी दिया, मैंने पिया और उसने मेरे गले पर हाथ फिराना शुरू कर दिया।
मैंने ड्रामा करते हुए कहा- तुम यह क्या कर रहे हो?
वो बोला- तू ही तो मेरे साथ चुदाई चाहती है.. तो चल आज चुदाई कर लेते हैं।
मैंने उससे कहा- पागल हो तुम.. मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं है।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे दीवार से चिपका दिया।
बोला- साली 2 दिन पहले मेरे हाथ से अपनी चुत में उंगली करवाती है.. और आज बोल रही है कि ऐसा कुछ नहीं है।
मैंने कहा- मैं शादीशुदा हूँ।
वो बोला- तब उस वक्त तुझे ये याद नहीं था… जब तू अपनी चुत में उंगली करवा रही थी।
उसने मुझे धक्का दे दिया और मेरे दुपट्टे को खींच कर फेंक दिया.. फिर मेरे दूध दबाते हुए मुझे अपनी ओर खींच लिया। मेरा मुँह पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मुझे चूमने लगा। उसने कम से कम दस मिनट तक मेरे होंठ चूमे।
फिर उसने मेरे सीने पर और गर्दन पर चूमना शुरू किया। साथ ही उसने मेरी सलवार और कुर्ता को उतार कर फेंक दिया। अब मैं उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी। उसके बाद उसने मेरी ब्रा को उतार कर फेंक दिया और मेरी चुची दबाते हुए चूसने लगा। उसके दूसरे हाथ की उंगलियां भी मेरी पेंटी में हाथ डाल कर मेरी चुत में उंगली करने लगीं। कुछ ही मिनट बाद मैं झड़ गई।
अब उसने अपने कपड़े उतारे और लंड हिलाने लगा। उसका मुस्टंडा लंड देख कर मैं दंग रह गई.. मेरी एक बार तो गांड फट गई कि ये तो साला मेरी चूत की चुदाई करके के चीथड़े उड़ा देगा। सच में उसका लंड कुछ ज्यादा ही बड़ा था।
उसने लंड को मेरे सामने लहराते हुए कहा- आओ रानी.. इसे अपने मुँह में लो।
मैंने बहुत मना किया.. पर उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने हब्शी लंड को लगा दिया। फिर उसने मेरे गालों को दबाया तो मेरे होंठ खुल गए। उसने लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया। मैं उसके सुपारे पर अपनी जीभ घुमाने लगी, उसने लंड मेरे गले तक पेल दिया। मेरा मन हो रहा था कि मैं इसके लंड को काट लूँ, पर अब तक उसका लंड मेरे गले के नीचे तक चला गया था।
फिर उसने मुझे कुतिया बनाया और बोला- साली, तेरी चुत तो बहुत चिकनी और गोरी है।
उसने जैसे ही मेरी चुत पर लंड रखा.. मैं पूरी तरह से काँप गई कि अब क्या होगा मेरा।
उसका लंड मेरी चुत में थोड़ा ही गया था कि मेरी चुत से खून आने लगा। मुझे बेहद दर्द होने लगा था इस चुदाई में.. मैं रोने लगी और बहुत जोर से चिल्ला पड़ी।
इतने मैं उसका दोस्त वहाँ आ गया, उसने कहा- अबे ये क्या कर रहा है.. ऐसी जोरदार चुदाई से तो ये मर जाएगी यार!
पर राजवीर ने उसकी बात नहीं सुनी और उसने एक जोर का झटका दे दिया। इस झटके से उसका लंड मेरी चुत में समा गया। मैं एकदम से लस्त हो गई।
कुछ देर बाद उसने धीरे-धीरे धक्के देना चालू किए। मैं आहें भरने लगी- अहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब प्लीज़..मुझे छोड़ दो.. प्लीज़ज़्ज.. मेरी फट गई.. अह..
पर वो ज़ालिम मुझे और जोर-जोर से मेरी चुदाई करता जा रहा था।
मैं और जोर-जोर से चिल्लाने लगी, उसने म्यूज़िक सिस्टम ऑन करके आवाज फुल कर दी।
तभी उसका दोस्त करीब आया और बोला- भाई इसकी आवाज तो लाउडस्पीकर से भी तेज है.. इसके चिल्लाने के आवाज बाहर तक आ रही है।
राजवीर ने आसन बदला और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरी चुदाई करने लगा। इतनी देर में मैं 3 बार झड़ चुकी थी और वो था कि साला झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
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उसने मुझे बहुत देर तक चोदा। फिर वो झड़ कर मुझसे अलग हो गया। कुछ देर बाद उसने मुझे कपड़े पहनाए.. मुझसे चला भी नहीं जा रहा था, पर मुझे मजा बहुत आया।
मैंने उससे बाइक पर बैठते समय कहा- थैंक्स मेरी प्यास बुझाने के लिए.. मेरा नामर्द पति 3 साल में मेरे सील भी नहीं तोड़ पाया।
उसने पीछे हाथ करके मेरे दूध दबाए और कहा- अब तुम कभी प्यासी नहीं रहोगी।
वो मुझे घर छोड़ कर चला गया।
हम दोनों अभी भी सेक्स करते हैं, उसने मुझे कभी चुदाई के लिए नहीं तरसाया, जब भी मैंने चुदाई की चाह की, उसने मेरी चूत की चुदाई की. इतना होने पर भी मेरी चूत मांगे चुदाई चुदाई और चुदाई!
फ्रेंड्स मेरी ये चुदाई की स्टोरी कैसी लगी.. मुझे मेल कीजिएगा।
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