चुत मिलने से ट्रेन का सफर सुहाना हुआ

चुत मिलने से ट्रेन का सफर सुहाना हुआ


टॉयलेट सेक्स कहानी में पढ़ें कि ट्रेन के स्लीपर बोगी में मुझे एक जवान देसी लड़की मिली. इशारों में ही उससे बात हुई और बात बाथरूम में चूत चुदाई तक पहुँच गयी.
मेरे प्यारे दोस्तो, कैसे हैं आप सभी?
उम्मीद करता हूं आप सभी स्वस्थ और खुशहाल होंगे.
मैं आपका सरस एक बार फिर आपके सामने अपनी एक नई टॉयलेट सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं.
पहले मैं आप सभी से माफी मांगना चाहता हूं कि इतने लंबे वक्त के बाद मैं आपके सामने हाजिर हुआ हूं, लेकिन आप जानते हैं काम की व्यस्तता के कारण आजकल वक्त बहुत कम मिल पाता है.
मैं अन्तर्वासना पर अपने सभी मित्रों की रचनाएं नियमित रूप से पढ़ता रहता हूं. मुझे आप सभी पाठकों से बहुत प्यार मिला है.
आप सभी के द्वारा मेरी कहानियों को बहुत पसंद किया जाता है और ढेर सारे ईमेल भी मुझे मिलते हैं जिन्हें पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगता है.
आप मेरी पिछली रचना
मेरे दोस्त की पत्नी और हम तीन
पर जाकर पढ़ सकते हैं.
दोस्तो, बात उस समय की है जब मैं बेरोजगार था और अपने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था.
मैं बैंक की प्रतियोगी परीक्षा देकर गुजरात से वापस अपने घर आ रहा था.
सूरत से मैंने अपनी ट्रेन पकड़ी. मुझे ऊपर वाली बर्थ मिली थी, जिस पर जाकर मैं बैठ गया.
मैं अकेला इंसान ट्रेन में मौजूद सभी खूबसूरत युवा जोड़ों को देख कर खुद को बोर महसूस कर रहा था.
मैं कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि मैं इस वक्त किस्मत का मारा था.

सब कुछ ऐसे ही चलता रहा. कभी मैं अपनी सीट पर सो जाता, कभी उठ जाता, कभी अपनी पुस्तकें पढ़ने लगता, कभी कुछ खा लेता, कभी इधर-उधर टहलने लगता.
ट्रेन अपनी रफ्तार से चलती जा रही थी, वक्त गुजरता जा रहा था.
सभी युवा जोड़ों को देखकर मन में ख्याल आने लगा कि काश कोई मेरे साथ भी होता. लेकिन एक तो बेरोजगारी और दूसरे लड़कों की तरह हैंडसम ना होना, मेरे अकेलेपन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार थी.
हालांकि आप सभी दोस्त जानते हैं कि आपका सरस दिल से बहुत ही अच्छा इंसान है तथा जिस इंसान के साथ में दोस्ती करता है या प्यार करता है, उसे अपनी पूरी शिद्दत के साथ उस वक्त तक निभाता है, जब तक कि सामने वाला मुझे छोड़कर ना चला जाए.
इस सफर में भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था.
वह नहीं चाहते थे कि मैं यह सफर तन्हाई और अकेलेपन के साथ बिताऊं, इसलिए उन्होंने मेरे लिए एक साथी भेज ही दिया.
ट्रेन रतलाम रेलवे स्टेशन पर रुकी. वहां से एक ज्यादा खूबसूरत तो नहीं, लेकिन बहुत ही अच्छे फिगर की मालकिन एक बंजारन लड़की अपने कबीले के साथ ट्रेन में चढ़ गई.
उन लोगों को शायद जानकारी नहीं थी इसलिए वो सब रिजर्वेशन डब्बे को खाली देख कर उसमें चढ़ गए थे.
मेरी सीट के नीचे वाली तथा आसपास की सीटों पर वो सब लोग बैठ गए.
पहले तो वह लड़की मेरे नीचे वाली सीट पर बैठी हुई थी, बाद में उठकर लोअर साइड बर्थ पर आ गई.
उसे मैं बड़ी देर से गौर कर रहा था.
वह लड़की भी मुझे देखे जा रही थी … लेकिन मेरी हिम्मत उससे बात करने की नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर थोड़ी देर बाद वह लड़की ऊपर वाली साइट बर्थ पर आ गई तथा उस पर सो गई.
उस लड़की का फिगर शायद 34-32-34 का रहा होगा.
अगले स्टेशन से कुछ लोग चढ़े, जिनमें से एक छोटा बच्चा मेरे सामने ऊपर वाली सीट पर आकर बैठ गया.
मैं उस लड़की को देखे जा रहा था तथा अब वो लड़की भी मुझे कभी कभार देख लेती थी. वह लड़का हम दोनों को देखे जा रहा था.
उस लड़के को हम दोनों भी नोटिस कर रहे थे, जिसे देखकर मैं मुस्कुरा गया.
मेरे मुस्कुराने के साथ ही वह लड़की भी मुस्कुरा गई.
तब मैं समझ गया कि अब इस लड़की से बात करना आसान है.
मैंने इशारे से उसे अपनी सीट पर आने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया.
उसके बाद इशारों इशारों में ही उसे अपना नंबर देने के लिए कहा.
वह लड़की कभी इशारे से कभी धीरे धीरे बोलकर कर अपना नंबर बोलने लगी लेकिन ट्रेन की आवाज और लोगों के शोरगुल में कुछ समझ नहीं आ रहा था.
मैंने एक कागज पर लिखकर अपना नंबर उसकी तरफ फेंक दिया तथा उसे फोन करने के लिए कहा.
उसने तुरंत मुझे फोन किया और हम दोनों धीरे-धीरे बातें करने लगे जिससे किसी को सुनाई नहीं दे और कोई शक भी न कर सके.
बातों ही बातों में उसने मुझे अपना नाम सुनीता बताया और बताया कि वह कहां जा रही है.
हम दोनों की बातें काफी देर तक होती रहीं. इशारों में ही हम एक दूसरे से प्यार का इजहार कर रहे थे और दूसरे की तरफ मुस्कुरा भी रहे थे.
मैंने सुनीता को एक फ्लाइंग किस दिया तो बदले में सुनीता ने भी मुझे मुस्कुराते हुए फ्लाइंग किस दे दिया.
इशारे में ही मैंने सुनीता से सेक्स के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और कहा- मैं तुम्हें फिर कभी बुला लूंगी.
मैंने उसे कहा- ठीक है, लेकिन जब अंधेरा हो जाए और सब लोग सो जाएं तो बाथरूम में आ जाना. जिससे मैं तुम्हें जी भर कर किस कर सकूं और उन सुनहरे पलों को अपनी यादों में समेट कर अगली मुलाकात तक हिफाजत से रख सकूं.
पहले तो उसने मना कर दिया.
लेकिन काफी देर तक मेरे मनाने के बाद वह मान गई और हम रात होने का इंतजार करने लगे.
हम दोनों आंखों ही आंखों से एक दूसरे की जवानी का रसपान कर रहे थे.
हम दोनों कुछ मीटर की दूरी पर थे लेकिन हमारे जिस्म एक दूसरे में समा चुके थे.
मैंने इशारा करके उसे एक और किस देने के लिए कहा.
एक दूसरे को आंखों से भोगते भोगते कुछ ही देर बाद अंधेरा हो गया. सब लोग नींद की गिरफ्त में आ चुके थे.
लेकिन हम दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी. हम दोनों प्यासी निगाहों से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.
रात के लगभग 11:00 बजे जब पूरा कंपार्टमेंट नींद के आगोश में था तो मैं बाथरूम में गया और सुनीता को बाथरूम में आने के लिए कह गया.
लगभग 5 मिनट बाद सुनीता भी बाथरूम में आ गई.
उसके आते ही मैंने उसको अपने आगोश में जकड़ लिया.
वह कसमसा दी.
मैं उसे किस करने लगा.
उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे.
मैं उसके होंठों को और उसकी जीभ को जबरदस्त तरीके से चूस रहा था.
सुनीता अपने आपको छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन मेरे हाथों की मजबूत पकड़ उसकी कमर के चारों तरफ से होते हुए उसके चूतड़ों तक थी जो उसकी कोशिश को नाकाम कर रही थी.
मैं उसके चूतड़ों को जोर जोर से दबा रहा था तथा उसके होंठों का रसपान कर रहा था.
बीच बीच में उसकी मुलायम कोमल जीभ को भी चूस लेता था जिसके आनन्द के वशीभूत होकर उसने अपना आत्मसमर्पण कर दिया और मुझे किस करने लगी.
हमने एक दूसरे को मजबूती से जकड़ रखा था. मैं कभी उसके चूतड़ों को दबाता, कभी उसके बड़े बड़े मम्मों को मसलता, जो ठीक से मेरी हथेलियों में आ भी नहीं रहे थे.
वह कसमसा रही थी और मुझे अपने अन्दर खींच रही थी. सुनीता मुझे जोर जोर से किस करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने आप से अलग किया और उसका चेहरा अपनी हथेलियों के बीच लेकर उसकी आंखों में देखने लगा.
उसकी आंखें वासना के जाल में फंस गई थीं और मुझे अपनी चूत की चुसाई के लिए आमंत्रण दे रही थी.
मेरा लंड फनफना रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पैंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर सुनीता के मुँह में घुसा दिया.
थोड़ी नानुकर करने के बाद वह मेरा लंड चूसने लगी.
मैं सुनीता के मुँह को लंड से चोद रहा था.
मेरा लंड सुनीता के मुँह में उसके गले तक घुसा हुआ था, जिससे उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी.
इस मुख चोदन में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
2 मिनट तक सुनीता का मुखचोदन करने के बाद उसने मुझे जल्दी से चोद देने के लिए कहा जिससे कोई आकर हमारी रासलीला में विघ्न न डाल सके और हम अपनी तृप्ति को पा सकें.
मैंने उसे वाशबेसिन को पकड़कर झुकने के लिए कहा.
वो तुरंत कुतिया बन गई.
मैंने सुनीता की सलवार के साथ साथ उसकी चड्डी को जल्दी से निकाल दिया और पीछे से उसकी चूत को चूसने लगा.
मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था तथा उसके दाने को काट लेता था, जिससे वह बहुत कामुक सीत्कार करने लगी थी.
वह वासना के वसीभूत होकर चिल्ला रही थी. उसकी ‘आह्ह आह्ह्हह्ह ओहाहह हम्म्म हम्म्म ..’ की कामुक सीत्कार मुझे भी उत्तेजित कर रही थी.
अब तक सुनीता इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकी चूत पूरी तरह से चूतरस से गीली हो चुकी थी और वह बड़बड़ाने लगी थी.
‘आह सरस … मुझे चोद डालो … अब मुझे और मत सताओ सरस. मैं तुमसे तुम्हारा लंड भीख में मांग रही हूं … आह मुझे चोद दो, फाड़ दो मेरी कमीनी चूत को … जल्दी से चोद डालो मेरी चूत को … फाड़ डालो प्लीज मुझे चोद डालो.’
थोड़ी देर और उसकी चूत को चाटने के बाद जब उसकी चूत पूरी तरह से पानी से गीली हो गई.
तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.
सुनीता ने आगे होकर मेरे लंड के अचानक हुए हमले से बचना चाहती थी लेकिन मेरी पकड़ के मजबूत होने की वजह से वैसा नहीं कर सकी और मेरा पूरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी गहराई में समा गया.
सुनीता अचानक हुए इस हमले को सहन नहीं कर पाई और चिल्ला उठी.
उसे थोड़ा आराम देने के लिए मैं रुक गया और उससे पूछने लगा- क्या हुआ?
सुनीता ने थोड़ी दर्द भरी आवाज में कहा- सरस, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है और बहुत दिनों से मेरी चूत छुट्टी मना रही है.
मैंने उसे शांत होने के लिए कहा.
थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो वह अपनी गांड चलाने लगी और उसने मुझे चोदने के लिए स्वीकृति दे दी.
अब धीरे धीरे मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू किया.
उसके मुँह से ‘आह्ह आह्ह ऊहह हम्म्म ओह आह्ह्मम म्महा म्म्म आह ..’ की कामुक आवाजें निकल रही थीं.
उसकी मदभरी ‘आह्ह अःह्ह अहहह ..’ की आवाज मुझे तेजी से चोदने के लिए मजबूर कर रही थी.
मैं उसकी चूत को तेजी से चोदे जा रहा था.
सुनीता मेरे लंड के ज्यादा धक्के नहीं झेल पाई और कुछ ही देर बाद झड़ गई.
मैं अब भी उसे चोदता जा रहा था, चोदता जा रहा था.
ट्रेन के हिलने से मेरे लंड के धक्कों में कभी कभी अप्रत्याशित तेजी भी आ रही थी.
अब सुनीता की चूत से आने वाली फच्च फच्छ की आवाज और भी तेज हो गई थी.
सुनीता की चूत के रस की चिकनाई ने मेरे उत्तेजना और टाइम को ज्यादा देर तक बढ़ाने में मदद की.
उसके मुँह से आह आहआह आःह्ह हम्म्म महाह आह की कामुक आवाजें फिर से तेज हो रही थीं.
मैंने अपने लंड के झटके और भी तेज कर दिए थे.
सुनीता फिर से गर्मा गई और चिल्लाने लगी- आह मुझे चोद डालो सरस आह्ह ह्ह हम्मम. आज इस चूत को फ़ाड़ दो पूरा आह्ह आआह्ह साली फिर कभी किसी लौड़े की ये परवाह ना करे … आह्हह ऊह मेरी मुनिया को अपने लौड़े के लिए बना लो सरस … आह मुझे चोदो अह … आह्ह हहाह आम्म्म जोर से चोदो आह्ह अःह्ह अहहम्म महाह हआहह.
मैं उसकी इतनी लम्बी बड़बड़ाहट सुनकर खुद चकित था और ताबड़तोड़ लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद सुनीता फिर से निढाल हो गई.
ये दूसरी बार था जब उसकी चूत का गर्म रस मेरे लंड को भिगोते हुए उसकी जांघों से होता हुआ बहने लगा था.
मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था.
अब सुनीता शायद थक चुकी थी लेकिन मेरा लंड अभी तक सर उठाए खड़ा हुआ था और अपनी विजय पताका फहराने के लिए लालायित था.
अब मैंने सुनीता को सीधा किया और उसे हाथों के पीछे करके वाशबेसिन को पकड़ने के लिए कहा जिससे मैं उसकी सामने से चुदाई कर सकूं.
सुनीता घूम गई और उसने अपनी पोजीशन ले ली. मैंने अपना विकराल लंड उसकी फूली हुई गीली चूत में घुसा दिया.
चूत गीली होने की वजह से अब सुनीता को कोई परेशानी नहीं हो रही थी.
मैंने अपने धक्के लगाना शुरू किए, जिसमें ट्रेन के हिचकोले भी मेरी मदद कर रहे थे.
थोड़ी देर चुदाई करने के बाद अबकी बार मैं और सुनीता दोनों ही अपने मुकाम पर पहुंचने वाले थे.
उसके मुँह से फिर से आह्ह अःह्ह आहह ओहह आःह्हा हम्ममा ममहा की आवाज माहौल को कामुक और उत्तेजित करने लगी.
अब तक सुनीता दो बार अपने रस से मेरे लंड को भिगो चुकी थी.
मैंने सुनीता से पूछा- तुम मेरे लंड के रस को कहां लेना चाहती हो?
सुनीता ने कहा- लंड का रस बहुत कीमती होता है, इसे मेरी चूत में डाल दो.
मैंने अपने लंड के रस से सुनीता की चूत को भर दिया.
सुनीता की चूत से अब हम दोनों का मिश्रित गर्म लावा बहने लगा था.
टॉयलेट सेक्स के बाद हम दोनों एक दूसरे को जकड़ कर थोड़ी देर खड़े रहे, अपनी सांसों को संभालने के बाद हमने एक दूसरे को अलग किया और हांफने लगे.
फिर मुस्कुराते हुए जम दोनों ने अपनी अपनी सफाई की और वापस आकर अपनी-अपनी सीटों पर लेट गए.
हम एक दूसरे को देखे जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद थकान की वजह से सुनीता को नींद आ गई.
सुबह 3:00 बजे मेरा स्टेशन आ गया और मैं सुनीता के पास विदा का एक पत्र रख आया जिसमें मैंने उसे उसके प्यार के लिए शुक्रिया लिखा था.
मैं स्टेशन पर उतर गया.
जब सुनीता जागी तो उसने मुझे फोन किया और रोने लगी.
सुनीता कह रही थी कि वह मेरे बिना नहीं रह पाएगी.
उसने कहा कि इतना मजा उसे पहले कभी नहीं आया.
वह चाहती थी कि हम दोनों फिर मिलें और पूरे इत्मीनान से जिस्म के मजे लूटें.
मैंने उससे कहा कि अगर वक्त ने चाहा और किस्मत ने साथ दिया तो हम दोनों फिर जरूर मिलेंगे और एक दूसरे को सुकून देंगे.
वह रो रही थी.
मैंने उसे फोन पर ही किस किया, समझाया तथा वादा किया कि मैं उसे फिर मिलने आऊंगा.
दोस्तो, यह थी मेरी टॉयलेट सेक्स कहानी!
शायद आप में से बहुत से पाठकों को यह काल्पनिक लगेगी या बहुत लोग इस पर विश्वास नहीं कर पाएंगे … लेकिन आप सभी जानते हैं कि मैं केवल वास्तविक कहानियां ही आपको पढ़ने के लिए अंतर्वासना पर अपनी लेखनी के माध्यम से रुचिकर बनाकर आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं.
सभी पाठकों और पाठिकाओं का मुझे जैसा प्यार पहले मिलता रहा था, वैसे ही प्यार मेरी इस कहानी को भी मिलेगा, इस बात का मुझे पूरा यकीन है.
आपको मेरी टॉयलेट सेक्स कहानी कैसी लगी, यह भी आप अपनी ईमेल के जरिए मुझे बताएं.
जिससे कि मैं आपके सामने और अच्छी अच्छी कहानियां लेकर हाजिर हो सकूं.
आप सभी के सुझाव मेरी मेल आईडी पर आमंत्रित हैं.
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