अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. दोस्तो मैं 5 सालों से अन्तर्वासना का पाठक हूँ, इस वेबसाइट पर मैंने बहुत कहानियां पढ़ी।
अब सोचता हूं कि मुझे भी अपनी स्टोरी यहाँ पोस्ट करनी चाहिए।
मेरा नाम शिबू है (बदला हुआ नाम) और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 32 साल है। मेरे लण्ड का साइज 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है और मेरे लंड पर नसें उभरी हुई हैं।
मैंने बहुत भाभियों और आंटियों को चोदा है वो सभी मेरे लंड से खुश हुई।
अब आते है मेरी एक आप बीती पर।
दोस्तो, मेरे पड़ोस में मेरी एक चाची रहती है जिसका नाम सुमन है और चाचा अफ्रीका में रहते हैं. उनका एक बेटा है। चाची की उम्र 35 साल है और उनका फिगर 34-28-36 है और वो एकदम मस्त माल गोरी चिट्टी है कोई भी देखे तो उसे चोदने का मन करेगा।
सुमन (चाची) को मैं शादी के टाइम से चोदना चाहता था. शादी के कुछ समय बाद से ही मैं उनसे मज़ाक मस्ती करने लग गया. ऐसा काफी समय तक चलता गया. उसके बाद मैं सेक्स से सम्बन्धित मज़ाक भी उनसे करने लग गया।
सुमन चाची शायद पहले से बहुत चालू औरत थी, एक दिन मज़ाक मज़ाक में सुमन ने मुझसे कहा- मज़ाक हमेशा धीरे धीरे और उंगली से इशारा करके बोली- ऊपर से नीचे करना चाहिए।
मैंने हिम्मत की और बोला- चाची मैं मज़ाक धीरे धीरे ही करता हूं लेकिन मैं मज़ाक में नीचे से ऊपर की बढ़ता हूँ।
सुमन चाची बोली- वो कैसे?
इस वक़्त मैं उनके कमरे में बेड पर लेटा हुआ था और वो मेरे पास कुर्सी पर बैठी हुई थी।
मैंने कहा- मैं कर के बताता हूं. आप बस मुझे 2 मिनट के लिए रोकना मत!
अपना एक हाथ मैंने चाची के पैर को टच करते हुए उनकी साड़ी में दे दिया और उनकी जांघ सहलाते हुए चूत तक ले गया. चाची ने चड्डी पहन रखी थी, उसे मैंने बगल से थोड़ा हटा कर उनकी चूत को थोड़ा सहला दिया।
जैसे ही उनकी चूत को छुआ, चाची ने आनंद से अपनी आँखें बंद कर ली.
उसके बाद मैंने अपना हाथ निकाल लिया.
दोस्तो, ये सब करते समय मेरी फट भी रही थी. सोचा कि चाची की चूत चोदनी है तो हिम्मत करनी ही पड़ेगी.
हाथ निकलने के बाद मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाला जो बहुत गर्म हो गया था. मैंने चाची को मेरा लंड पकड़ने को बोला और उन्होंने मेरा अपने हाथ में पकड़ लिया।
मैंने पूछा- कैसा लगा?
चाची- एकदम फोम की तरह।
इतने में घर में उनके ससुर की आवाज़ सुनी तो हमने अपने कपड़े ठीक किये और मैं वहां से उठकर चला आया।
दोस्तो, ये सब चाची की शादी के 2 साल बाद तक की बात है। बहुत कोशिशों के बाद भी मैं चाची को चोद नहीं पा रहा था, कोई मौका ही नहीं मिल पा रहा था। थोड़ी चूमाचाटी, चूत की थोड़ी मालिश और लंड की थोड़ी मालिश … बस ये सब ही होता रहा।
उसके बाद हालात कुछ ऐसे आये कि एक बंगलूरू की एक कंपनी में मेरी नौकरी लग गई और मैं चला गया बिना सुमन चाची को चोदे।
इसी बीच चाची को एक बेटा भी हो गया. मैं फ़ोन से चाची के संपर्क में था. हम दोनों बहुत बार फ़ोन पर ही चुदाई कर लेते थे। मैं अपने घर पे भी आता रहता था पर चुदाई का मौका नहीं मिलता था. बस मैं चाची के साथ चूमा चाटी, चूत में उंगली करके चला जाता।
6 महीने पहले में जॉब छोड़कर आ गया, अपना खुद का काम करने.
मेरे आने के कुछ दिन बाद ही चाचा अफ्रीका चले गए।
मुझे लगा कि अब मेरा काम हो ही जायेगा, चाची भी तो मेरा लंड लेना चाहती थी।
चाचा के जाने के दूसरे ही दिन चाची ने मुझे फ़ोन कर के रात को 10 बजे आने का बोला. उनका कमरा घर में अलग सा है तो रात को जाने में कोई दिक्कत नहीं थी।
मैं रात को गया. उन्होंने अपने बेटे को दादाजी के पास सुला दिया था।
मैंने जाते ही कमरे का दरवाजा बंद किया और चाची को अपनी बाँहों में लेकर खा जाने वाले तरीके से चाची को चूमने चाटने लगा।
चाची बोली- मेरी जान, पूरी रात पड़ी है. आज मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, जैसे चाहो मुझे चोदो।
चाची को चोदने का मेरा जूनून भी पुराना था तो मैंने जल्दी से चाची की चड्डी और ब्रा को छोड़कर सारे कपड़े खोल दिए और मैंने मेरे भी कपड़े खोल दिए.
अपनी सेक्सी चाची को बेड पर लिटाकर मैं टूट पड़ा उन पर … मेरून रंग की ब्रा और पेंटी मेरे बोलने पर ही उन्होंने उसी दिन खरीदकर पहनी थी।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते चाटते रहे जैसे बरसों के बिछुड़े प्रेमी मिले हों।
उसके बाद मैंने चाची की ब्रा और पेंटी खोल दी. चूत पर एक भी बाल नहीं था, मस्त फूली हुई चूत थी।
मैंने उनके बूब्स को चूसना शुरू किया … मैं जैसे टूट पड़ा चाची के बूब्स पर … मेरी चाची बस आहें भर रही थी.
उसके बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए. दोस्तो, एक बात बताना भूल गया कि मैं चूत चूसने का बहुत शौकीन हूं, चोदना छोड़ सकता हूँ चूत चूसना नहीं छोड़ सकता।
69 में आने के बाद चाची मेरा लंड और मैं चाची की चूत चूसने लगा. हम दोनों चाची भतीजा को बहुत मज़ा आ रहा था. चाची भी भूखे की तरह मेरा लंड पूरा का पूरा मुंह में लेके चूस रही थी।
और मैं अपनी जीभ पूरी चाची की चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था, चाट रहा था.
चाची की चूत धीरे धीरे पानी छोड़ती जा रही थी। इतने में चाची उठकर बगल में लेट गई और बोली- मेरी जान बहुत तड़पी हूँ इस लंड के लिए … अब और नहीं, मुझे जल्दी चोद दो।
चाचा का लंड मेरे लंड से बहुत छोटा था, ये उन्होंने बहुत पहले ही मुझे बता दिया था.
चाची ने अपनी टांगें चौड़ी की और मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया और धीरे धीरे जोर लगाता रहा.
मैंने उनके चेहरे की ओर देखा तो लगा कि जैसे चाची को कुछ तकलीफ है.
चाची से मैंने पूछा भी … पर वे बोली- जानू इस लंड के आगे दर्द कुछ भी नहीं! तू डाल तो मेरी चूत में!
मैंने हल्के हल्के पूरा लंड घुसा दिया और शुरू हो गया. मैं अपना लंड चाची की चुत के अंदर बाहर करने लगा, वो सिसकारी की आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी. मुझे तो जन्नत की सैर होने लगी और चाची आहें भरती जा रही थी. मैं घचाघच चाची की चूत चोदे जा रहा था.
चाची बोली- जानू, ऐसे ही चोदते रहना मुझे … आज से में सिर्फ आ आया या या श श … आह आ … आज से मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ … मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए एएए स्सस … मुझे जब चाहे चोदो रगड़ो जब तुम्हारी मर्ज़ी हो।
इधर मैं दनादन मेरा लंड उनकी चूत के अंदर बहार कर रहा था. बीच बीच में मैं उनके बूब्स को भी चूस लेता, मसल देता.
काफी देर ऐसे चोदने के बाद मैंने चाची को घोड़ी बनने को बोला. तो वो तुरंत ही घोड़ी बन गई जिससे उनकी चूत बाहर की तरफ हो गई.
चाची ने हाथ पीछे लाकर मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया. मैंने उनकी कमर पकड़ कर फचा फच फचा फच चोदना शुरू किया. चाची तो बस सिसकारियां ‘आं ऊँ ऊं शस्श्ह ससस आआ आह आह … और तेज चोदो मुझे … बस चोदते रहो … काश तुम मेरे पति होते … आह आआआ … कोई बात नहीं आज से तुम मेरे चोदू भतीजे हो!
इधर मुझे तो बस पूछो मत … मुझे चाची को चोदने में आनन्द आ रहा था। बीच बीच में रुक कर मैं चूत से लंड बाहर निकाल लेता और चाची को चूसने को बोलता. वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह सपड़ सपड़ चूसती रहती।
उसके बाद मैं फिर अपना लंड चूत में घुसा देता, फिर जोरदार चुदाई!
चाची की चूत से पानी झड़ रहा था. चूत में मस्त चिकनाई बनी हुई थी, लंड चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था.
मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. मैंने चाची से पूछा- कहाँ निकालूँ?
चाची- चूत में निकाल दो, मैं इसके पानी से तृप्त होना चाहती हूँ. ऊहम ऊऊँ स्स्सया!
मैं पूरा जोर लगाकर धक्के मार रहा था आआआ …
और हम दोनों एक साथ झड़े.
चाची ऊऊऊँ आआआय्ययाआ सससस … करते हुए मेरे साथ झड़ गई।
मैंने लंड चूत से बाहर खींचा और चाची के बगल में लेटकर उनके लिपट गया और चाची के पूरे नंगे शरीर पर हाथ फेरने लगा।
चाची- यार तुम से मेरी शादी हो जाती तो मेरी पूरी लाइफ रंगीन होती।
मेरा लंड मस्त गीला था, लंड के सुपारे पर मेरा थोड़ा सा वीर्य लगा हुआ था. मैंने अपने अंगूठे से वीर्य को उठाया और चाची की माँग और उनकी चूत की माँग भर दी जैसे सिंदूर से माँग भरते हैं।
और बोला- लो मेरी जान … अब हो गई मुझसे और मेरे लंड से तुम्हारी शादी।
इसी खुसही में चाची ने मेरा लंड चाट चाट कर साफ किया।
चाची मेरे लंड से चुद के पूरी संतुष्ट थीं, वो उनके चेहरे पर नज़र आ रहा था।
इसके बाद तो मैं जब चाहे चाची को चोद देता हूँ. जब मन करे सुमन चाची भी पूरी शिद्दत से अपनी चूत मेरे लंड से चुदवाती हैं।
यह मेरी सच्ची कहानी है कोई माने या ना माने!
हाँ, मनोरंजन के लिए बस थोड़ा मसाला डाला है।
दोस्तो, मैंने पहली बार कहानी लिखने की कोशिश की है, कोई गलती हो तो माफ़ करना।
चाची और मेरी चुदाई की कहानी पर आप मुझे कमेंट करें। आपके कमेंट मुझे और कहानी लिखने का हौसला देंगे।
मेरी मेल आईडी और फेसबुक आईडी दोनों एक ही है। दोनों पर आप सभी आमंत्रित है।
धन्यवाद
[email protected]