फ्री फेमिली सेक्स कहानी मेरी चचेरी बहन की चुदाई की है. मैं उनके घर रहने गया तो चाची के साथ उनकी बेटी भी मेरे साथ चुदाई के लिए सेट हो गयी थी.
दोस्तो, मेरा नाम टोनी है. मैं नागपुर से हूँ, पर अभी पुणे में रहता हूं.
मेरी उम्र 26 साल है और मैं मध्यम आकार के शरीर वाला युवक हूं. मैं न ज्यादा मोटा हूं और न ही ज्यादा दुबला हूं.
मेरा लंड किसी भी महिला या लड़की को सम्पूर्ण आनन्द तक पहुंचाने के लिए काफी है.
यह मेरी पहली और सच्ची फ्री फेमिली सेक्स कहानी है, तो कहीं कुछ गलतियां हो जाएं, तो माफ कर देना भाई.
हमारा परिवार बहुत बड़ा है, पर सब यहां-वहां अलग अलग रहते हैं.
मेरा बचपन तो गांव में गुजरा था पर पढ़ाई के लिए मुझे मन मार कर शहर में पापा के दोस्त के जाना पड़ा.
पापा के दोस्त को मैं चाचा कहता था.
उस वक्त मैं 19 साल का था और अपनी 11वीं की पढ़ाई करने के लिए शहर आया था.
उन दिनों नयी नयी जवानी आना शुरू हुई थी और शरीर के यौनांग उस समय कुछ ज्यादा ही ध्यान खींचते थे.
तो मैं शहर आया और जैसे ही मैंने चाचा जी के घर का दरवाजा खटखटाया, तो सामने से चाचा की लड़की दरवाजा खोलने आई.
उसे मैं बहन मानता था.
उसका काल्पनिक नाम रानी रख लेते हैं.
रानी के 28-26-30 का फिगर देखते ही मेरा गला सूख गया. आंखें पथरा गईं.
बचपन में जिसे हम सब मोटी मोटी कह कर चिढ़ाते थे, वो आज हुस्न की परी लग रही थी.
तभी उसने मुझे आवाज दी और सपने से जगा दिया.
रानी- भैया कहां खो गए, अन्दर आईए न, मैं कबसे आपके आने का इन्तजार कर रही थी. मां पापा अभी बाहर गए हैं, वो मुझसे आपके आने की कह कर गए हैं. चलो आप अन्दर आकर बैठो, मैं अभी नहाकर आती हूँ. तब तक आप भी फ्रेश हो लीजिए.
मैं अब हॉल वाले बाथरूम में गया और वो अन्दर वाले बाथरूम में चली गई.
फ्रेश होकर मैं रूम में जाकर बैठने वाला था, तभी मुझे उसके बाथरूम से मादक सिसकारियों की धीमी आवाजें सुनाई देने लगीं.
मेरे दिमाग में रानी का हुस्न बस गया था. मैं बाथरूम में अन्दर झांकने के लिए आतुर हो उठा.
अन्दर का नजारा देखने के लिए कहीं कोई सुराख देखने लगा, पर जब नसीब गांडू हो तो और क्या हो सकता है.
तभी मुझे उसकी ब्रा पैंटी और टॉवेल बेड पर दिखी, मैं झट से उसकी पैंटी को उठा कर सूंघा.
आह … उसकी पैंटी की वह मादक खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी, इसलिए पैंटी को सूंघ कर मैं उसे पागलों की तरह चूमने लगा और वहीं अपने खड़े लंड को उसकी ब्रा पर रगड़ने लगा.
उस समय मेरा हाल बहुत बुरा हो गया था.
मुठ मारकर मैंने वो ब्रा साफ करके वहीं रख दी.
मुझे डर तो लग रहा था क्योंकि मेरे चूमने की वजह से पैंटी और मुठ मारने की वजह से ब्रा गीली हो गयी थी.
तभी वो दरवाजा खोल कर कपड़े लेने के लिए नंगी ही आगे बढ़ी और मुझे देख कर चौंक कर वापस बाथरूम में चली गयी.
पर तब तक मेरा काम हो चुका था.
उसके वो मखमली संतरे जैसे चुचे और बालों से घिरी हुई चुत की एक झलक मुझे मिल गयी थी, जो उसने ट्रिम की हुई थी.
तभी बाथरूम से उसकी आवाज आई.
रानी- भैया, जरा वो कपड़े मुझे थमा दो.
मैं- कौन से कपड़े?
रानी खिलखिला कर बोली- अरे भैया, वही कपड़े … जो आपकी गर्लफ्रैंड कपड़ों के अन्दर पहनती है.
उसका यह जवाब सुन कर मैं थोड़ा हड़बड़ा गया.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी दरवाजा खोल कर रानी को चोद दूँ, पर जल्दबाजी में काम उल्टा न पड़ जाए … इसलिए मैंने उसे कपड़े थमा दिए.
एक अजीब से डर के मारे मेरी फटी पड़ी थी क्योंकि मुठ का थोड़ा गीलापन कपड़ों पर था.
कुछ पल बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मुझे नकली गुस्से से देख कर स्माइल देती हुई बोली- चलो खाना खाते हैं.
वो खाना गर्म कर रही थी और मैं टेबल पर बैठ कर सोच रहा था.
मेरे तो एल लग गए थे क्योंकि वो अभी भी मुझे घूर रही थी.
तभी चाचा चाची आ गए और फ्रेश होने के लिए चले गए.
यहां मेरी बहन मुझे खाना परोसने के लिए जैसे ही झुकी तो मुझे उसके चुचे साफ दिखने लगे.
दूध से सफेद दूध परोसने के कारण हिचकोले खा रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
मैं समझ गया कि शायद उसने पैंटी भी नहीं पहनी होगी.
मेरा लंड खड़ा होने लगा था, पर गांड भी उतनी ही फट रही थी क्योंकि उसे मेरे मुठ मारने का पता चल गया था.
फिर सबने खाया और इधर उधर की बातें हुई.
दिन कैसे निकल गया, पता ही नहीं चला.
सोने के समय पर चाचा ने कहा- मुझे रात में कुछ ऑफिस का काम है, तो तुम तीनों चाची और रानी बेडरूम में सो जाओ.
ये कह कर वो चले गए.
चाचा के कमरे का बिस्तर काफी बड़ा था क्योंकि ये 3 लोग एक ही बिस्तर पर सोते थे.
बस आज चाचा की जगह मैं था.
दाईं तरफ मैं, बीच में चाची गाउन पहन कर लेटी थीं और बाईं तरफ रानी टॉप स्कर्ट पहनकर सोने लगी.
मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
मुझे सुबह देखी हुई रानी की चूचियां और बालों से भरी चूत दिखाई देने लगी, जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा.
अभी बीस मिनट ही हुए होंगे कि तभी चाची की करवट ली.
कुछ मखमली जैसा मेरे लंड को प्रतीत हुआ और मैं होश में आ गया.
मैंने आंखें खोल कर देखा तो चाची का हाथ रानी की चूचियों के थोड़ा नीचे था और उनका गाउन घुटनों के थोड़ा ऊपर सरक गया था.
चाची की 36 की गांड पर मेरा लंड हिचकोले खा रहा था.
ये मखमली सा लगने वाला अहसास चाची की गांड का स्पर्श था.
अब मैं चाची की गतिविधियों को देखने लगा.
मैंने धीरे से उनके हाथ को टच किया तो उनकी हार्ट बीट को नार्मल पाया.
अब मैं निश्चिन्त हो गया था कि चाची सो गई हैं.
मैं धीरे धीरे करके उनसे चिपक गया.
हालांकि मेरे मन में डर था कि कहीं चाची जाग न जाएं.
वो कहते हैं ना डर के आगे जीत है. तो मैं आगे बढ़ता गया.
जैसे ही मैं चाची से पूरी तरह चिपक गया, तभी चाची ने थोड़ी हलचल की.
मैं झट से सीधा होकर लेट गया.
फिर चाची ने करवट बदली और उनका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया था.
मैंने सोचा कि शायद चाची को ऐसे ही सोने की आदत हो, पर उनके हिलने से मैं सहम गया था और मेरा लंड मुरझा गया था.
फिर रानी की चूचियों को सोचते हुए मुझे कब नींद आ गयी, कुछ पता ही नहीं चला.
शायद आधी रात हुई होगी, तब चाची अपने हाथ से मेरे पेट को सहलाने लगीं, जिससे मेरी नींद टूट गई.
पर मैं वैसे ही चुपचाप लेटा रहा.
चाची धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जा रही थीं. जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को छुआ, मैं सिहर गया.
उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाना जारी रखा और मेरे पैंट से मेरा लंड बाहर निकाल लिया.
फिर कुछ देर बाद चाची उठ कर रूम से बाहर चली गईं.
चाची की इस हरकत ने मुझे परेशान और हैरान कर दिया था.
पहले मुझे लगा कि चाची बाथरूम गयी होंगी, पर बाथरूम की लाइट बंद थी.
मैं उठा और चाची को ढूंढने के लिए बाहर आ गया.
चाचा जिस रूम में काम कर रहे थे, मैं उस रूम के पास गया तो फुसफुसाने जैसी ध्वनि में कामुक आवाजें आ रही थीं.
मैं समझ गया कि चाची ने मुझे नींद में अंकल समझ लिया होगा और लंड को हाथ लगाने के बाद ध्यान में आया होगा कि मैं कोई और हूँ, तो लंड छोड़ कर बाहर आ गई होंगी.
मैं दरवाजे के की-होल से उनकी चुदाई देखने लगा.
ये सेक्स कहानी चाची की जुबानी मैं जल्द ही पोस्ट करूंगा.
अन्दर चुदाई का सीन देख कर मैं गर्मा गया और मुठ मारने लगा. मुझे अभी मजा आना शुरू हुआ ही था कि चाचा निढाल हो गए और चाची चाचा को कोसते हुए गाउन पहनने लगीं.
मैं जल्दी से वापस रूम में चला गया. मैं रूम में आया तो देखा कि मेरी बहन बिस्तर के बीच में किसी चुदासी रंडी की तरह टांगें फैला कर ऐसी सोई थी, जैसे न्योता दे रही हो, आओ और चोद दो.
जगह बदलने की वजह से उसका स्कर्ट और टॉप थोड़ा उठा हुआ था.
चाची के आने के डर से मैंने खुद को संभाला और चुपचाप अपनी जगह जाकर सो गया.
कुछ मिनट बाद चाची आईं.
मैं मुंदी हुई आंखों से देख रहा था.
उन्होंने आते ही सबसे पहले मुझे चैक किया, फिर रानी के कपड़े ठीक किए और एक किनारे सो गईं.
अब रानी मेरे बाजू में आ गई थी.
मैं भी सोने की कोशिश कर रहा था, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं वहीं लेटे लेटे मुठ मारने लगा.
जब मेरा काम हुआ तो मैं बाथरूम में चला गया.
जब मैं वापस आया तो देखा कि चाची का गाउन कुछ ज्यादा ही ऊपर ऐसे उठा हुआ था, जैसे कह रही हों कि बेटा आ जा मेरी गांड मार ले.
फिर मैंने जैसे ही मैंने रानी को देखा, मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
उसकी स्कर्ट पहले से कुछ ज्यादा ही उठी हुई थी, जिससे उसकी ग्रे कलर की पैंटी मुझे साफ दिखाई देने लगी.
मैं डिम वाली लाइट बंद करके अपनी जगह आ गया और धीरे से बिस्तर में घुस गया.
मुझे लेटे अभी एक ही मिनट हुआ होगा, तभी रानी ने करवट बदली और वो अपनी गांड मेरी तरफ करके लेट गयी.
मेरा दिमाग पहले ही खराब था क्योंकि चाची खड़े लंड को धोखा देकर चाचा से चुदने चली गई थीं.
रानी जानबूझ कर नखरे कर रही थी.
मैंने भी चांस लेकर उसकी चुदाई करने की सोची और अपना हाथ सीधे ले जाकर उसकी चुत पर रख दिया.
मेरे इस हमले से वो सिहर सी गयी, पर उसने वैसे ही लेटे रहना सही समझा.
उसकी पैंटी गीली थी तो मैंने काम में देरी करना ठीक नहीं समझा और एक चादर उसके और अपने ऊपर डाल दी.
मैं उससे सट गया तो पता चला कि उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थीं.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रखा तो पाया उसकी चूची खुली थी और टॉप पूरा ऊपर तक सरका हुआ था.
मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लग गई थी पर चाचा की लड़की शर्म के मारे वैसे ही लेटे लेटे मजा ले रही थी.
मैंने मजा किरकिरा न करते हुए उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया और साथ ही जीभ से उसके कान के पीछे चाटने लगा.
अब वो कसमसाने लगी.
मैं थोड़ी देर ऐसे ही मजा लेता रहा, फिर मैंने उसका हाथ मेरे लंड पर रखा तो वो डर गई और उसने अपना हाथ हटा लिया.
फिर क्या था … मैंने भी उसको सताने के लिए अपना हाथ वापस ले लिया और करवट लेकर सोने की एक्टिंग करने लगा.
अभी दो मिनट ही बीते होंगे कि उसने करवट बदल कर अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और लंड सहलाने लगी.
उसके हाथ का स्पर्श अपने आप में ही एक कमाल था.
साथ ही उसके निप्पल मेरी पीठ में गड़े जा रहे थे जिससे मेरा लंड और भी सख्त हो गया.
फिर मैंने करवट बदली तो पाया उसने अपनी पैंटी निकाल दी थी जिसकी वजह से मेरा लंड ठीक उसकी चुत पर टच हो गया था.
हम दोनों के शरीर में एक अलग ही लहर दौड़ उठी. हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे दो जिस्म एक जान हों.
मैं उसे किस कर रहा था और वो पागल हो रही थी.
हम दोनों नादान थे पर कुछ अलग ही मजा आने लगा था.
मैं उसकी गांड जोर जोर से दबाने लगा तो मेरा लंड उसकी चूत पर दस्तक देता हुआ उसकी चूत से रिसता पानी मेरे लंड को नहलाने लगा था.
काफी देर हो चुकी थी और अब वो अपनी चुत मेरे लंड पर धकेल रही थी.
मुझे लगा अब देरी करना ठीक नहीं, भट्टी गर्म है … लंड डाल देना चाहिए.
पर हर कोशिश में लंड फिसल रहा था कि तभी उसने अपने हाथ से मेरा लंड सैट किया और झटके से नीचे को खिसकी, पर यहां भी कामयाबी हाथ नहीं लगी.
मगर शायद इन झटकों से उसकी मां की नींद टूट गयी.
चाची ने करवट बदली तो हमारी फट गयी पर हम दोनों हिले नहीं.
अब तक मैं समझ गया था कि रानी अभी तक वर्जिन है.
बीस मिनट के बाद मैं वैसे ही उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा और अपना मुरझाया हुआ लंड उसकी चुत पर रगड़ रहा था.
थोड़ी देर बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए.
इस बार मैं जान गया था कि फिलहाल बहन की चुदाई मुमकिन नहीं है क्योंकि दिन निकलने को आ गया था. बाजू में चाची भी थीं.
इसलिए मैंने उसको घुमाया और उसकी चुत में उंगली करते हुए उसकी गांड पर अपना लंड घिसने लगा.
थोड़ी ही देर में हमारा कामरस निकल गया.
इसके बाद सुबह जब हम सब चाय नाश्ता कर रहे थे तो चाची की नजरों में मुझे एक कामवासना से भरी हुई आग दिखाई दी.
कुछ देर बाद चाचा ऑफिस चले गए और रानी का फोन बजने लगा तो वो कमरे में चली गई.
अब मेरे सामने चाची ने अपने पल्लू को ढलका दिया और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं.
मैं अवाक था कि ये क्या हो गया.
तभी चाची ने मुझे अपने मम्मे दिखाते हुए कहा- दूध पियोगे?
मैं हक्का-बक्का था कि एक ही दिन में मां बेटी दोनों चुदने को राजी हो गईं. मैं अभी कुछ कहने ही वाला था कि चाची ने अपना पल्लू ठीक कर लिया.
पीछे से रानी की फोन पर बात करने की आवाज आ रही थी.
मैं समझ गया कि चाची ने अपनी बेटी के सामने खुद की वासना को दबा लिया था.
तब भी मैंने चाची को आंख दबा कर संकेत दे दिया कि हां चाची दूध गर्म कर लो, मैं पियूंगा.
चाची ने एक वासना से भरी मुस्कान मेरी तरफ बिखेर दी और मैं सोचने लगा कि साली दोनों मां बेटी लंड की प्यासी हैं.
नाश्ते के बाद चाचा अपने आफिस निकल गए.
मुझे भी कुछ काम था तो मैंने चाची से कहा- मैं कुछ काम से बाहर जा रहा हूं, थोड़ी देर में आ जाऊंगा.
उसी समय मेरी बहन ने आवाज लगाई- मैं भी आपके साथ चल रही हूं भैया.
मैं समझ गया कि ये पक्का चुदने के लिए साथ चल रही है.
दस मिनट बाद मेरी बहन एक स्कर्ट और टॉप पहन कर आ गई.
मैं उसे देख कर उत्तेजित हो गया और वो भी होंठ दबा कर बोली- चलो मुझे मेरी सहेली के घर छोड़ देना.
हम दोनों बाहर निकल आए और वो मुझसे बोली- साले जल्दी से किसी होटल में चल, मेरी चुत भभक रही है.
मैंने झट से मोबाइल से एक ओयो रूम बुक किया और कुछ ही देर में होटल के कमरे में आ गए.
अगले दस मिनट में हम दोनों नंगे हो गए थे और हमारे बीच चुदाई की मस्ती शुरू हो गई थी.
मेरी बहन चुदी चुदाई थी और मुझे भी उसे चोदने में बहुत मज़ा आया.
चुदाई के बाद मैंने उससे चाची के बारे में बात की, तो वो आंख दबा कर हंसने लगी.
मैं समझ गया कि ये दोनों मां बेटी पक्की लंडखोर हैं और अब इन दोनों को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदना है.
फिर रानी और चाची की चुदाई कैसे हुई, ये मैं आगे की सेक्स कहानी में लिखूंगा.
दोस्तो, आपको मेरी ये फ्री फेमिली सेक्स कहानी कैसी लगी. प्लीज मुझे मेल करना न भूलें.
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