चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-3

चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-3

कहानी का पहला भाग : चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-1
कहानी का दूसरा भाग : चाचा ससुर के साथ चुदाई का रिश्ता-2

अब तक की चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा था कि मैं कार की पिछली सीट पर अपने चाचा ससुर का लंड चूस रही थी.

अब आगे..

करीब पन्द्रह मिनट के बाद चाचाजी का कन्ट्रोल छूटा और चाचाजी ने मेरे मुँह में गर्म गर्म लावा छोड़ दिया. मैंने पहली बार वीर्य का टेस्ट किया था, जो मेरे पति का नहीं बल्कि चाचा ससुर का था. मैंने भी चाचाजी के लंड को चाट चाट कर साफ किया.

तभी चाचाजी ने थोड़ा झुक कर मेरे होंठों को अपने होंठों में लॉक कर लिया. मैंने भी उनका साथ देते हुए फ्रेन्च किस किया. चाचाजी की आँखों में मुझे संतुष्टि साफ नजर आ रही थी. मैं अब भी चाचाजी का लंड सहला रही थी. हम दोनों एक दूसरे को देखकर प्यारी सी स्माइल दे रहे थे. चाचाजी ने मेरे कान में धीरे से कहा.
चाचाजी- आई एम वेरी सॉरी!
मैं- क्यों??
चाचाजी- मैंने तुम्हें प्रोमिस किया था.. फिर भी ये सब किया.

मैंने बस शरमाते हुए उनके पेशानी पे किस किया, जिससे वह समझ गए कि मैं भी यही चाहती थी.
चाचाजी- शाहीन मेरी जान मेरी ख्वाइश कब पूरी करोगी?
मैं- कौन सी?
चाचाजी- जान, मैं तुम्हें अपनी दुल्हन बनाना चाहता हूँ और हमारी सुहागरात..

यह कहते हुए चचाजान चुप हो गए. मैं उनकी अधूरी बात को पूरी तरह समझकर शर्माते हुए उनसे चिपक गई. चाचाजी मेरे सर में हाथ घुमा रहे थे, जिससे मुझे कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला.
ऐसे ही हमारा ये सेक्स भरी छेड़छाड़ वाला सफर पूरा हुआ और हम शिमला पहुँच गए जहाँ हमें 3 दिन रुकना था. करीब 7 बजे होटल पहुँचे, जहाँ हमारा कमरा पहले से ही बुक था. हमने वहाँ 3 कमरे लिए थे.

सफर की थकान की वजह से हमने कुछ देर आराम करने का तय किया और दोपहर के खाने के बाद ही घूमने जाने का तय किया. रूम में जाते ही हम सब सो गए. करीब 12 बजे मेरी आंख खुली तो मैंने पहले मेरी बेटी को तैयार किया और मेरी सासू माँ के कमरे में जाकर उन्हें दे आई. फिर खुद तैयार होकर इरफान को जगाया, तभी चाचाजी आ गए.

चाचाजी- अरे शाहीन, अभी तक तैयार नहीं हो?
मैं- चाचा मैं तो रेडी हूँ.. बस इरफान बाकी है.
इरफान- बस चाचाजी, मैं अभी 15 मिनट में रेडी हो जाता हूँ.

वो तौलिया वगैरह लेकर बाथरूम में चले गए. उनके बाथरूम में जाते ही चाचाजी ने पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे मम्मों को दबाते हुए मेरी गरदन को चूमना शुरू कर दिया. मैं भी मस्ती के साथ उनका साथ दे रही थी. मैं मन ही मन कह रही थी “शाहीन… भूल जा सब रिश्ते…”https://www.antarvasna3.com/incest/ghar-me-bhul-ja-sab-rishte/

करीब 2 मिनट बाद मैं घूम गई और चाचाजी के होंठों में होंठ डालती हुई उनकी बांहों में समा गई. चाचाजी ने मुझे बाथरूम की दीवार से चिपका कर खड़ा कर दिया और अब उनके बिना आवाज वाले चुम्बनों की बौछार से मेरे पूरे बदन पर मद हावी हो रहा था.

बड़ा अजीब मंजर था मेरे पति जिस बाथरूम में नहा रहे थे, उसी की दीवार से सटी उनकी जवान खूबसूरत पतिव्रता बीवी के पूरे बदन को उनके चाचाजी किसी कुल्फी की तरह चाट रहे थे.

“सीस्स्स्सस हह्ह्ह्ह सिस्स्स्स..” मेरे मुँह से मद्धम स्वर में मादक सिसकारियां निकल रही थीं. मेरा सारा मेकअप चाचाजी ने बिगाड़ कर रख दिया था. मैं उनको और अपने आपको संभालते हुए अपने आपसे अलग किया और धीरे से कहा- जान.. जान.. बस जान कोई आ जाएगा.

ये पहली बार था, जब मैंने चाचाजी को जान कह कर पुकारा था. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने मुझे बांहों में भर लिया.
मैं- बस कुछ हमारी सुहागरात के लिये बचा कर रखो.
और हम दोनों हंस पड़े.

चाचाजी- जान मैंने पूरा प्लान बना लिया है.
मैं- कैसा प्लान?
चाचाजी- आज जब हम घूम कर वापस आएंगे तो रात को मैं इरफान को ड्रिंक कराने के लिए ले जाऊँगा, जहाँ मैं उसकी ड्रिंक में नशीली दवाई मिला दूँगा.. जिससे वह पूरी रात बेहोश रहेगा और हम..
ये कहते हुए चाचाजी रुक गए. मैं उनकी अधूरी बात को समझ गई थी.

मैंने डरते हुए कहा- मगर उनको कुछ होगा तो नहीं न..!
मैं अब भी इरफान से प्यार करती थी, सो मुझे उनकी फिक्र हो रही थी कि कहीं इस चक्कर में नशीली दवाई के साइड इफेक्ट से उन्हें कुछ हो न जाए. चाचाजी ने मुझे विश्वास दिलाया कि डरो मत कुछ नहीं होगा.
वैसे भी चाचाजी साइन्स से ग्रेजुऐट थे तो इन सब बातों में उनका ज्ञान अच्छा था.

चाचाजी- शाहीन तुम इरफान के सो जाने के बाद रूम नं 208 में आ जाना, जो मैंने अपनी सुहागरात के लिए बुक करवाया है.
मैंने शरमा के अपनी नजरें झुका लीं. चाचाजी ने मुझे लिप किस किया और अपने कमरे में चले गए. मैंने अपने आपको फिर से रेडी किया और हम घूमने निकल गए.

चाचाजी को जब भी मौका मिलता, वो मेरे प्राइवेट पार्टस को छेड़ देते. मुझे डर तो बहुत लगता था, पर मजा भी उतना ही आता था.

रात 10 बजे हम खाना खा कर होटल के रूम पर वापस पहुँचे.

चाचा जी- आप सब लोग आराम कीजिए, मैं और इरफान जरा घूम कर आते हैं.
चाचाजी ने इरफान को आंख मारी.
सासू माँ- जल्दी वापस आना.. ठंड बहुत है.

मैंने अंजान बनते हुए पूछा- कहां जा रहे हो इतनी रात को??
इरफान- बस यहीं आस पास जरा टहल कर आते हैं. तुम सो जाओ और सानिया को भी ठीक से सुला दो.
हम सब अपने अपने कमरों में आ गए. थकान की वजह से थोड़ी ही देर में सास ससुर और चाची दोनों के कमरों की लाइट्स बंद हो गईं, शायद वो सो गए थे.

पर एक्साइटमेंट के मारे मेरी नींद गायब थी. पहली बार मेरे पति के अलावा किसी के लंड से में चुदने वाली थी. मेरे मन में घबराहट और गुदगुदी दोनों हो रही थीं. मैं ट्रान्सपेरेन्ट नाइटी पहन के चाचा जी को चुदाई में पागल करने के लिए बिल्कुल तैयार थी. करीब 12 बजे मेरे रूम की डोरबेल बजी, मैंने डोर खोला तो सामने चाचाजी इरफान को संभाले हुए खड़े थे.

मुझे देखते ही चाचाजी की आँखों में चमक आ गई. मैं पहली बार चाचाजी के सामने ऐसे कपड़ों में खड़ी थी. मुझ भी थोड़ी शर्म आ रही थी.

मैंने इशारे से पूछा, तो चाचाजी ने मुझे आंख मारी, मैं समझ गई कि प्लान कामयाब है. मैंने भी इरफान को संभालते हुए उसकी पीठ में हाथ डाला, चाचाजी ने मेरा हाथ थाम लिया. हम दोनों ने अपनी उंगलियां एक दूसरे की उंगलियों में डाल दीं. हम एक दूसरे को सेक्सी नॉटी स्माइल देते हुए इरफान को बेड तक ले जा रहे थे. इरफान अभी भी पूरी तरह बेहोश नहीं हुए थे, हमने उन्हें बेड पर उल्टा ही लेटा दिया.

मैंने उनके जूते वगैरह निकाल कर कम्बल ओढ़ा दिया. मेरे फ्री होते ही चाचाजी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी गरदन होंठ गाल कान सब पे चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी.
मैंने जैसे तैसे करके चाचाजी को अपने आप से अलग किया और धीरे से कान में कहा- मेरी जान सब्र करो.. प्लीज़ थोड़ी देर और रुको ना.
चाचाजी- ओहहह जान बहुत ही सेक्सी लग रही हो.. मेरी जान सब्र नहीं हो रहा है क्या करूँ अम्म्म्म्मम..
वो मेरे होंठों को चूस रहे थे, मैंने प्यार से उन्हें अलग किया.

चाचाजी धीरे से बोले- जान मैं देखकर आता हूँ कि सब सो गए हैं कि नहीं, तुम इरफान के सोते ही रूम नं 208 में आ जाना.

मैंने हाँ में सर हिला दिया. चाचा जी के जाने पर मैंने इरफान को ठीक तरीके से सीधा सुलाया. उधर मेरी बेटी भी सो चुकी थी. कुछ देर बाद इरफान के खर्राटों की आवाज़ आने लगी. मैं उनके पास बैठी उनसे मन ही मन कह रही थी कि सॉरी इरफान न चाहते हुए भी मैं तुम्हारे चाचा से प्यार करने लगी हूँ. मैं अब चाचाजी के बिना नहीं रह सकती. तुम्हारी जवान बीवी अब तुम्हारी नहीं रही, वो अब पराये मर्द के लंड से ही संतुष्ट होती है. वो तुम्हारे चाचा को ही चुत की भागीदार बनाए बैठी है.

अभी मैं ये सब सोच रही थी कि तभी मेरे मोबाइल पर मिस कॉल आया. रात का 1 बजा था, मैं समझ गई कि वो चाचाजी का ही है. मैंने देखा, तो मैं सही थी.
मैंने अपनी बेटी को गोद में उठाया और कमरे को बाहर से बंद करके रूम नं 208 की तरफ चल पड़ी. ज्यादा ठंड थी, इस वजह से होटल में काफी सन्नाटा था. मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं कोई देख न ले.

रूम नं 208 की लाइट जल रही थी और डोर भी थोड़ा खुला था, तो मैं बिना दस्तक किए ही अन्दर चली गई.
वाआववव क्या रूम था वो!! बहुत ही खूबसूरत.. शायद वो होटल का हनीमून सूईट था… जो चाचाजी ने आते ही बुक करवा लिया था. मुझे देखते ही चाचाजी के चेहरे की रौनक बढ़ गई
चाचाजी- जान, सानिया को क्यों साथ लाईं??
मैं- अगर वो उठ जाती तो मेरे वहाँ न होने पर सब को जगा देती.
चाचाजी- ठीक है मेरी जान.. इसे बेड पर एक तरफ सुला दो.

रूम का बेड हमारे बेड से बहुत बड़ा था. तो मैंने एक तरफ मेरी बेटी को सुला दिया और जैसे ही मैं चाचाजी की तरफ मुड़ी तो वो नजारा देखकर मेरे होश उड़ गए.

चचाजान अपने सारे कपड़े उतारे बिल्कुल नंगे अपना तना हुआ मूसल लंड लिए हुए खड़े थे. मेरी नजरें लगातार उनके लंड को घूरे जा रही थीं.. मेरी हालत खराब थी और मेरा हलक सूख रहा था.
फिर उनके एक इशारे पर मैं दौड़ती हुई जाकर उनकी बांहों में समा गई. हम दोनों एक दूसरे में सिमट रहे थे.

करीब 2 मिनट के बाद चाचाजी ने मेरे होंठों से होंठ मिलाए और हमने अपनी जीभें लड़ा का लम्बा किस किया. इसके बाद आज तो चाचाजी मेरी गरदन को जैसे खाए जा रहे थे. चाचाजी ने किस करते हुए ही मेरी नाइटी को निकाल दिया, जो मेरे बदन पर एकमात्र कपड़ा था.

अब मैं अपने चाचा ससुर के सामने पूरी नंगी खड़ी थी. चाचा जी मेरे पूरे बदन को चूम रहे थे. फिर चाचा जी ने मुझे अपनी गोद में उठाया और बेड पर डाल कर मेरे ऊपर आ गए. मैं उनकी प्यार और हवस भरी आंखों में देखकर शर्म से मरी जा रही थी क्योंकि मैं बिस्तर पर अपने चाचा ससुर के साथ नंगी पड़ी थी.

चाचाजी मेरे होंठ गाल गरदन कान हर जगह चुम्बनों की बौछार कर रहे थे- शाहीन मेरी जान.. आज तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा, जब से तुम्हें देखा है, मैं तुम्हारे नाम की मुठ मार रहा हूँ..
मैं उनसे लिपटती हुई बोली- ओह्हह मेरी जान.. खा जाओ मुझे आह्ह्ह्हह.. मैं भी बस अब तुम्हारी हूँ. जैसे चाहो, जो चाहो.. वो करो, मैं भी आपको याद करके कई बार अपना पानी निकाल चुकी हूँ.. मेरी जान आज मेरे सपनों को हकीकत में बदल दो.. आह्ह्ह्हह!

चाचाजी मुझे पागलों की तरह चूमे जा रहे थे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. चाचाजी ने मेरे मम्मों के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसना काटना शुरू कर दिया.
“आह्ह्ह्हह हह आह्ह्ह्हेहेह इह्ह्ह्इइ..” की मादक आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था. मैं दिल खोल कर पूरी आवाज़ के साथ चूचे चुसाई का मजा ले रही थी.
चाचाजी अपनी उंगलियां मेरी चुत पर सहला रहे थे. मैं अपने हाथ को उनके सर में डालकर चुत की तरफ प्रेशर कर रही थी.

चाचाजी ने मेरी इच्छा को फ़ौरन समझ लिया और नीचे चुत की तरफ चले गए और एक हल्की किस के साथ मेरी चुत को फुल लेन्थ में चाटना शुरू कर दिया.
“ओह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह मम्म्म्म्म्म..”
चाचाजी मेरी चुत चाटते हुए कह रहे थे- ओह जान.. क्या चिकनी और मखमली चुत है तुम्हारी.. म्म्म्मं..
मैं- चाटो जान आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह और चाटो.. खा जाओ इसे आह्ह्ह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह्ह्ह्हह आह्ह्ह्ह..
चाचाजी- इरफान नहीं चाटता??
मैं- नहीं.. उसे ये सब अच्छा नहीं लगता.. मेरी ये एकलौती चीज है जिस पर सिर्फ आपका ही हक है.

फिर चाचाजी घूमकर मेरे ऊपर आ गए. अब हम 69 पोजीशन में थे. चाचाजी का मोटा लंड मेरे होंठों को टच हो रहा था. मैंने उसे अपनी हथेली में लेकर सहलाते हुए मुँह में ले लिया, जिसकी एक्साइटमेन्ट से चाचाजी ने अपनी जीभ मेरी चुत में डाल दी.
“उम्म्म्म्म..” मेरी आंखें बड़ी हो गईं… मैं चाचाजी का पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. चाचाजी भी अपनी जीभ को मेरी चुत में अन्दर तक डाल रहे थे.

करीब पन्द्रह मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही मजा देते रहे. फिर चाचाजी उठे और मेरे ऊपर आ गए और मेरे होंठों को कसके मुँह में लेके चूसने लगे. उनका तना हुआ लंड मेरी जाँघों पे टहल रहा था. मैं उसे अपनी चुत में लेने के लिए तड़प रही थी. आज पहली बार इरफान के अलावा किसी और का लंड मेरी चुत की सैर करने जा रहा था, वो भी मेरे चाचा ससुर का.

मैंने दोनों पैर फैला कर चाचाजी का स्वागत किया. चाचाजी ने अपने मूसल लंड को मेरी चुत पर रख कर रगड़ा.
मैं- ओह जान अब मत तड़पाओ.. प्लीज़.
वैसे भी मेरी चुत काफी गीली हो चुकी थी तो चाचाजी के लिए रास्ता काफी आसान था. चाचाजी ने एक ही झटके में अपना 7 इंच लंबा लंड मेरी चुत में डाल दिया.
“ओह्ह्ह्ह ह्ह आह्ह्ह्ह ह्ह्ह..”

मेरे मुँह से जोर से चीख निकल पड़ी. मुझे बहुत दर्द हुआ, इरफान से 3 साल से सेक्स करने के बावजूद मेरी सील आज ही टूटी हो, ऐसा महसूस हो रहा था. सच में आज मेरी सुहागरात थी.

मेरी हालत देख कर चाचाजी कुछ पल के लिए रुक गए और मुझे लिप किस करने लगे. कुछ देर बाद मेरे ठीक होने पर चाचाजी ने अपना लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया. कुछ ही देर में मेरा दर्द मजा में बदल गया और मैं फुल मस्ती में आ गई.. और कमर उठा उठा कर चाचाजी के हर धक्के को अपने अन्दर तक ले रही थी, जिससे चाचाजी का मजा दुगना हो रहा था.

चाचाजी का लंड मेरी बच्चादानी तक महसूस हो रहा था. मेरी ऐसी चुदाई पहले कभी नहीं हुई. इरफान कभी भी 10 मिनट से ज्यादा टिक नहीं पाते थे, पर चाचाजी आधे घंटे से मेरी चुत को चोद (फाड़) रहे थे. मेरी चुत इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी, पर चाचाजी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे.
पूरा कमरा मेरी “आह्ह्ह आह्ह्ह..” की चीखों और पच पच पच की आवाज से भर गया था.

चाचाजी ने अपने धक्के और तेज कर दिए, जिससे मैं समझ गई कि वो भी अब झड़ने वाले हैं. मैंने उनको कसके अपनी बांहों में समेट लिया. चाचाजी ने मेरे होंठों को चूसते और काटते हुए चार छह धक्कों के बाद अपने गर्म लावा से मेरी चुत को भर दिया.

हम कुछ देर लिपकिस करते रहे, फिर धीरे से चाचाजी ने अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाल लिया.
“ओह्ह्ह्ह..” मेरी किलकारी निकल गई.
चाचाजी- मजा आया मेरी जान??
मैंने शरमाते हुए अपनी नजरें झुका लीं.
चाचाजी- नहीं ऐसे नहीं, सही सही बताओ मजा आया कि नहीं??

वह भी जानते थे कि मुझे कितना मजा आया था, पर वह मेरे मुँह से बुलवाना चाहते थे.

मैंने उनसे नजरें मिलाते हुए एक हल्की सी लिपकिस की.
मैं- बहुत मजा आया, आपने मुझे सच में आज औरत बना दिया, आज से मैं हमेशा के लिए आपकी हो गई.
ये कहते हुए हमने फिर लिपलॉक कर लिए. कुछ ही देर में चाचाजी का लंड मुझे चोदने के लिए फिर तैयार हो गया.

इस बार उन्होंने मुझे अपने ऊपर लेकर चोदा और सुबह पांच बजे तक चाचाजी ने मुझे 3 बार बेड पर चोदा, फिर बाथरूम में नहाते वक्त चाचाजी ने मुझे घोड़ी बना कर चोदा.

गजब का स्टेमिना था चाचाजी में.. मेरी तो हालत खराब कर के रख दी थी.

मैं सुबह 6 बजने से पहले में अपने रूम में आ गई, जहाँ मेरे पति अपनी पत्नी की बेवफाई से बेखबर सोए पड़े थे. मैं भी उनके पास जाकर सो गई.

सुबह दर्द के मारे मुझ से चला नहीं जा रहा था, सबके पूछने पर मैंने पेट में दुखने का बहाना बना दिया. चाचाजी मेरी हालत को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहे थे.

इसी तरह मैंने और चाचाजी ने 7 दिन की टूर में 2 रात चुदाई करते हुए साथ बिताए और घर आकर भी हम दो महीने से जब भी मौका मिलता है.. हम सेक्स का भरपूर मजा लेते हैं, जिससे मुझे आज पता चला ही कि मैं प्रेगनेन्ट हूँ. मेरे इस बच्चे के बाप मेरे चाचा ससुर हैं.

दोस्तो कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी??
अगर आपका भी अपनी फैमिली मेम्बर के साथ कोई नाजायज़ सम्बन्ध बन गया है, तो मुझे जरूर मेल करें.
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