चचेरी भाभी की रसीली चूत गांड का मजा


देसी भाभी हॉट सेक्स का मौक़ा मुझे मिला जब मैंने अपनी भाभी को उनके बच्चे को दूध पिलाते हुए देख लिया। भाभी की चूची देख मैं बहुत उत्तेजित हो गया।
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूं।
आज मैं आपको अपनी देसी भाभी हॉट सेक्स कहानी बताने जा रहा हूं। यह मेरी पहली कहानी है।
उससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूं। मेरी उम्र 24 साल है और मैं कुंवारा हूं।
मेरी हाइट 5.8 इंच है और रंग सांवला है। मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है।
मुझे चुदाई करने का बहुत शौक है इसलिए मैं चूत के इंतजार में रहता हूं।
अब मैं आपको बताता हूं कि कैसे मैंने अपनी भाभी की चुदाई की।
वो मेरी सगी भाभी नहीं है बल्कि ताऊ के लड़के की बीवी है इसलिए नाते से मेरी भाभी लगती है।
उसकी फिगर के बारे में तो क्या ही कहना … गांड और चूची एकदम से उभरी हुई रहती हैं।
दो बच्चे अपनी चूत से निकाल चुकी है लेकिन फिगर एकदम मस्त है।

भाभी का एक 4 साल का बेटा है और एक बेटा अभी 2 साल का ही हुआ है।
उनके घर में ताऊ-ताई और भैया हैं।
भैया ड्यूटी पर जाते हैं, ताऊ और ताई खेत पर रहते हैं।
मेरा और ताऊजी का घर पास पास में ही है।
एक बार गर्मी का मौसम था। मैं एक दिन किसी काम से ताऊ के घर गया।
दरवाजा खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया।
अंदर मुझे कोई दिखाई नहीं दिया।
फिर भाभी के कमरे का दरवाजा खुला देखा। मैंने सोचा कि भाभी कमरे में ही होगी।
जैसे ही मैं अंदर पहुंचा मैं एकदम से रुक गया।
मेरी आंखों के सामने का नजारा मुझे सन्न कर गया।
भाभी अपने बच्चे को चूची निकाल कर दूध पिला रही थी।
उसकी चूची पूरी की पूरी बाहर थी और वो बच्चा मजे से उसके निप्पल को चूस रहा था।
भाभी की गोरी और मोटी चूची देखकर मेरा तो लंड खड़ा हो गया।
जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो वो घबरा गई; मुझे देखते ही उसने अपनी चूची को ढक लिया।
फिर वो बोली- क्या हुआ … कुछ काम था क्या?
मैंने कहा- हां, ताऊजी से मिलना था, कुछ बात करनी थी।
वो बोली- वो तो नहीं हैं।
मैं बोला- कोई बात नहीं, मैं दोबारा आ जाऊंगा।
फिर मैं जाने लगा तो भाभी हल्की सी मुस्करा रही थी।
घर आने के बाद मैंने भाभी की चूची के नजारे को सोचकर मुठ मारी।
अगले दिन दोपहर के समय में मैं भाभी के घर गया।
घर में भाभी के आलावा कोई नहीं था। दोनों बच्चे सोये हुए थे।
मैंने आवाज़ लगायी तो उसने मुझे कमरे में बुला लिया।
मैंने कल की बात के लिए माफ़ी मांगी कि मुझे अचानक नहीं आना चाहिए था।
वो बोली- कोई बात नहीं, तुम्हारी गलती नहीं थी।
फिर हम दोनों बातें करने लगे।
गर्मी बहुत तेज थी। भाभी के बदन पर पसीना आया हुआ था और पसीने में उसकी चूचियों के निप्पल साफ दिखाई दे रहे थे।
बातों बातों में मैंने भाभी से पूछा- कल मैंने पहली बार किसी औरत को दूध पिलाते देखा था। अगर बुरा न मानो तो एक बात पूछना चाहता हूं … क्या इतनी बड़े साइज के बूब्स में ज्यादा दूध भरा होता है?
वो मेरी बात पर हंसने लगी और बोली- ऐसा तो कुछ नहीं होता। साइज तो सबका अलग अलग होता है। मगर जरूरी नहीं है कि उसमें दूध भी ज्यादा हो।
मैंने कहा- तो आपके इन (बूब्स) से ऐसे ही दूध निकाला जा सकता है जैसे गाय या भैंस आदि के थन से निकालते हैं?
इस पर वो और जोर से हंसने लगी।
तभी मैंने कहा- भैया ने तो निकाला ही होगा।
वो बोली- बेशर्म … कैसी बातें कर रहा है!
अब भाभी मेरे साथ खुलने लगी थी और मेरा लंड तनाव में आ चुका था।
मैंने कहा- भाभी, मुझे भी देखना है कि बूब्स में से दूध कैसे निकलता है?
उसने मेरी पैंट की ओर देखा तो मेरा लंड पूरा तना हुआ था।
अब मैं शर्मा नहीं रहा था बल्कि चाह रहा था कि भाभी मेरे मन की बात समझे।
वो बोली- बहुत बदमाश हो गया है तू! जाकर अपना काम कर! इन बातों में कुछ नहीं रखा।
मैं बोला- नहीं, ये तो आपको कल सोचना चाहिए था। अब तो मैंने सब देख लिया है, अब मुझे अच्छे से जानने दो।
भाभी बोली- ठीक है, लेकिन मैं हाथ नहीं लगाने दूंगी। मुंह से निकाल कर देख लो।
मैं तो यही चाहता था; भाभी के बूब्स मुंह में लेकर चूसने का मौका मिल रहा था।
उसके हां करने के बाद मैंने धीरे से नीतू भाभी की चूची को छुआ तो मेरे अंदर जोश सा आ गया।
मैंने पहले कभी किसी औरत के बूब्स को नहीं छुआ था।
भाभी बेड पर सीधी लेट गयी।
मैं उसके ब्लॉउज के बटन खोलने लगा तो उसने खुद ही अपना एक चूचा बाहर निकाल कर मेरे सामने कर दिया।
बच्चे की तरह मैं उस पर मुंह लगाकर पीने लगा। उसके चूचे से मस्त महक आ रही थी। मैं भी उसकी निप्पल को चूसने लगा।
अब मैं बीच बीच में काटने भी लगा तो भाभी सिसकारने लगती।
मुझे पूरा जोश चढ़ गया था और मैं अब उसकी चूची को हाथ से दबाने भी लगा।
उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया और मैं चूची को जोर जोर से भींचते हुए दूध पीने लगा।
मेरे मुंह में भाभी की चूची से निकल रहे दूध का स्वाद आ रहा था।
अब उसको भी मजा आने लगा था और वो कोई विरोध नहीं कर रही थी।
मेरा हाथ दूसरे चूचे पर पहुंच गया जो अभी भी ब्लाउज के अंदर था। अब मेरे हाथ दोनों ही चूचों पर चल रहे थे।
दो मिनट के बाद भाभी ने खुद ही ब्लाउज उतार दिया और अपनी ब्रा खोलकर ऊपर से पूरी नंगी होकर लेट गयी।
मैं उसकी मनोदशा समझ गया और दोनों चूचों को दबाते हुए बारी बारी से निप्पलों को चूसने लगा।
भाभी की चूची पीते हुए मुझे इतना जोश आ गया कि मैं अब उसको चोदे बिना पीछे नहीं हटने वाला था।
मैंने उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी जांघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया।
वो गर्म होने लगी।
मैं अब उसके बदन को चूमने लगा, उसकी चूचियों को चूमते हुए उसके कंधे और गर्दन को चूमने लगा, उसके गालों के आसपास और कानों के आसपास चुम्बन करने लगा।
फिर मैंने भाभी के हाथ ऊपर की ओर उठा दिए और उसकी बगलें मेरी नाक के सामने आ गई।
मैं उसकी बगलों को चाटने लगा।
मुझे औरतों की बगलों को चाटने का बहुत मन करता है और मैंने वही किया।
मैं मस्ती से जीभ फिराते हुए भाभी की बगलों को चाट रहा था और वो भी इसका मजा ले रही थी।
उसकी बगलों में छोटे छोटे बाल आए हुए थे।
बगल से पसीने की मादक महक आ रही थी जो मेरा जोश और बढ़ा रही थी।
कई मिनट तक मैंने उसके जिस्म के ऊपरी भाग को चाटा और चूसा।
अब मैं उसके पेट पर आ गया, मैंने पेट पर एक हल्की सी किस कर दी।
नाभि के पास किस करने से वो एकदम से काँप उठी।
मैंने उसकी नाभि में जीभ डाल दी और चूसने लगा।
मैंने उसका पेट चाट चाटकर गीला कर दिया।
अब वो बहुत गर्म हो चुकी थी।
मैंने नीतू भाभी की साड़ी उतार कर अलग कर दी।
अब वो मेरे सामने केवल पेटीकोट में लेटी हुई थी।
मैं उसको अपनी गोदी में उठाकर दूसरे कमरे में ले गया। वहां ले जाकर मैंने उसको बेड पर पटक लिया, उसकी गोरी गोरी टांगों को सहलाने लगा, फिर टांगों को जीभ से चाटने लगा।
भाभी मस्त होकर पड़ी हुई सिसकारियां ले रही थी।
मैंने उसके ऊपर लेटते हुए अपने मुँह से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब वो केवल पैंटी में पड़ी थी और मैं धीरे धीरे उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।
भाभी की चूत से काफी सारा पानी निकलने लगा था जो उसकी पैंटी को गीला कर रहा था।
मैंने पैंटी के ऊपर से चूत को किस किया।
चूत के पानी और पसीने की मिली जुली मोहक खुशबू पैंटी से आ रही थी जिससे मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया।
मैंने उसकी पैंटी उतार दी और चूत को जानवरों की तरह चाटने लगा। मैं उसकी चूत में जीभ डालने लगा।
भाभी भी मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी।
हवस में पागल होकर मैं बेतहाशा उसकी चूत को चूस रहा था और काट भी रहा था।
मैं भाभी की चूत के दोनों होंठों को अपने दांतों से काट रहा था।
अब उसकी सिसकारियां बहुत तेज हो गयी थीं- आह्ह … स्स् … आईई … ऊईईई …. ईईई … स्स्स … आह्ह … मेरी चूत … आह्ह अम्म … ओह्ह राहुल … क्या कर रहे हो … मैं मर जाऊंगी।
कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा।
अचानक से उसकी चूत का पानी छूट गया और मैंने वो सारा पानी चाट लिया।
मुझे पहली बार चूत का पानी मिला था।
भाभी की चूत से निकला नमकीन पानी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने उनकी चूत चाट कर साफ कर दी।
फिर भाभी को मैंने उल्टा लेटा दिया और कमर को किस करने लगा।
अब मैं उसकी कमर को चाट रहा था।
चाटते हुए मैं नीचे उसके चूतड़ों पर पहुंच गया और चूतड़ों को चाटने और मसलने लगा।
फिर मैंने अपनी जीभ भाभी के चूतड़ों की दरार में डाली और चूसने लगा।
मैंने भाभी के चूतड़ों को दोनों हाथों से खोला और जीभ उनकी गांड के छेद में डाल दी।
थोड़ी देर तक मैं भाभी को चाटता रहा।
वो दोबारा गर्म होने लगी थी।
फिर मैंने भाभी को उठा दिया और मैं लेट गया।
अब वो मेरे निक्कर के ऊपर से लंड को सहलाने लगी और उसको किस करने लगी।
फिर भाभी ने मेरा निक्कर निकल दिया।
मेरा लंड उसके सामने था।
उसने देर न करते हुए लंड को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
कुछ ही देर की चुसाई में मेरे लंड ने ढेर सारा वीर्य भाभी के मुंह में उगल दिया।
वो मेरे माल को अंदर ही पी गई।
अब हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए।
मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को कमर के बल लेटाया और टाँगें खोलकर उनके ऊपर आ गया।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा।
पूरा लंड एकदम से चूत में चला गया और भाभी चीख उठी।
फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और जोरदार चुदाई करने लगा।
वो पहले तो रोकने लगी लेकिन मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और फिर वो भी मस्त होकर मेरा लंड लेने लगी।
देवर भाभी दोनों चुदाई में खो गए।
मैं उसके होंठों को चूसते हुए उसको चोदता जा रहा था।
वो भी मेरी पीठ को और बालों को सहला रही थी; कभी मेरे मुंह में जीभ डालकर चूसने लगती थी।
आधे घंटे तक मैंने भाभी की चुदाई की और फिर चोदते हुए उसकी चूत में ही खाली हो गया।
जब मेरा वीर्य निकला तो मुझे ऐसा अहसास हुआ कि जैसे मैं स्वर्ग को पा गया हूं।
भाभी को चोदकर मैं बेहाल हो गया था और फिर उनके पास ही लेटकर सो गया।
वो भी नंगी ही मेरे साथ पड़ी रही।
एक घंटे के बाद अचानक से मेरी नींद खुली तो नंगी भाभी मेरे से चिपकी हुई लेटी थी।
मैंने उसकी चूत को छेड़ना शुरू किया तो उसकी भी नींद खुल गई।
मैं उसको किस करने लगा और वो भी मुझे चूमने लगी।
मैंने भाभी के चूत़ड़ों को दबाना शुरू कर दिया।
भाभी की नर्म नर्म गांड दबाने में बहुत मजा आ रहा था।
मैं बोला- मुझे गांड में चोदकर देखना है कि कैसा लगता है।
वो बोली- नहीं, गांड में तो मैं तेरे भैया को भी नहीं करने देती।
मैं बोला- तो मुझे तो करने दो!
वो बार बार मना करती रही। फिर मैंने किसी तरह उसको मना लिया और वो गांड देने के लिए तैयार हो गई।
उसके हां करते ही मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया।
फिर उसकी गांड के छेद पर भी तेल लगाया, मैंने उंगली से अंदर तक भाभी की गांड में तेल पहुंचा दिया।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और कमर से पकड़ कर उसकी गांड के छेद में लंड को घुसाने लगा।
मैंने तेजी नहीं दिखाई और आराम से अपने लंड का टोपा उसकी गांड में उतार दिया।
टोपा अंदर जाते ही वो छटपटाने लगी लेकिन मैंने उसको पकड़ लिया।
फिर मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे गांड में लंड को सरकाना शुरू किया।
वो कराहते हुए चूचियां दबवाने लगी।
धीरे धीरे करके मैंने आधा लंड भाभी की गांड में उतार दिया।
कुछ देर रुक कर फिर मैंने भाभी की गांड चुदाई शुरू की।
चुदते हुए उसको धीरे धीरे मजा आने लगा और फिर वो आराम से गांड में लंड को लेने लगी।
कुछ देर बाद उसके मुंह से मस्त सिसकारियां निकलने लगीं।
अब मैं तेज़ तेज़ धक्के लगा रहा था, भाभी भी मेरा साथ दे रही थी।
मैं काफी देर तक भाभी की गांड की चुदाई करता रहा.
फिर मेरा पानी निकलने वाला था तो भाभी ने मुँह की ओर इशारा किया।
मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड का पानी पीना चाहती है। मैंने अपना लंड सीधा भाभी के मुँह में डाल दिया।
वो मेरा लंड लॉलीपोप के जैसे चूसने लगी।
मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था। मैंने अपना पानी भाभी के मुँह में निकाल दिया।
मेरे लंड से निकला वो सारा पानी पी गयी।
थोड़ा सा वीर्य भाभी के होंठों पर लगा रह गया था तो मैं अपनी जीभ से उसे चाट गया।
उस दिन मैंने भाभी को कई बार चोदा।
जब हम दोनों उठे तो शाम के 5 बज चुके थे।
भाभी मेरे से बोली- अब तुम जाओ, तुम्हारे ताऊजी आने वाले होंगे।
मैंने बोला- चलो नहाते हैं, फिर जाऊंगा।
फिर हम दोनों एक साथ नहाने के लिए चले गए। हम दोनों नहाने लगे तो मुझे फिर जोश आ गया।
मैंने बोला- भाभी आखिरी बार और करने दो।
वो मान गई और मैंने उसको दीवार के सहारे टिका दिया और एक टांग को हाथ से ऊपर उठा लिया। फिर अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया।
मैं अब टांग उठाकर उसकी चूत मारने लगा।
दीवार के सहारे सटी हुई वो मस्ती में चुदने लगी।
बाथरूम में चुदाई करने में और ज्यादा जोश चढ़ गया था।
मैंने भाभी की चूत कई मिनट तक अंदर ही रगड़ी।
चुदाई करने के बाद हम दोनों नहाकर बाहर आ गए।
हमने अपने कपड़े पहने और फिर मैंने भाभी को होंठों पर एक किस किया और मैं वहां से आ गया।
उस दिन के बाद भाभी जब भी अकेली होती तो मुझे बुला लेती थी।
हम दोनों मौका मिलते ही खूब चुदाई करने लगे।
दोस्तो, आपको मेरी भाभी की चुदाई की ये कहानी कैसी मुझे अपने ईमेल में जरूर बताना।
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