घरेलू नौकरानी की वासना- 1

देसी मेड हॉट कहानी मेरे घर में काम करने वाली बाई की है. उसका पति शराब पीकर मारपीट करता था. वह मदद मांगने आई थी. पर उसने मौक़ा देखकर मेरा लंड भी मांग लिया.

प्रिय पाठको, नमस्कार,
आपका प्यारा ‘अन्नू’ ‘अनुराग अग्रवाल’, एक बार फिर एक नई कहानी लेकर आपके समक्ष हाजिर हूँ.
आशा करता हूं कि पिछली कहानियों की तरह आपको यह कहानी भी बहुत पसन्द आयेगी.

मेरी पिछली कहानी
हॉट लड़की की गैंग-बैंग वाली फैंटेसी
आप सभी को बहुत पसन्द आई, इसके लिए आप सभी की बहुत बहुत धन्यवाद!

दोस्तो, आजकल के परिवेश में कहीं ना कहीं खासकर औरतें अपनी इच्छाओं को खुलकर नहीं जी पाती, वे अपनी सैक्स इच्छाओं को सही से प्रयोग नहीं कर पाती.
हम मर्द तो कहीं ना कहीं अपनी सैक्स अभिलाषायें पूरी कर लेते हैं लेकिन बहुत सारी औरतें घर परिवार में ही सिमट कर रह जाती हैं और अपनी इच्छाओं को गला घोंट देती हैं.

मेरे पास कई पठिकाओं के मेल आये जिसमें ज्यादातर महिलाओं की शिकायत यही थी कि उनके पति सैक्स तो करते हैं केवल अपने मजे के लिए .. उन्हें हमसे कोई मतलब नहीं होता है.
वे आते और सीधे हमारी फुद्दी पर चढ़ जाते हैं और 2-3 धक्कों में ही उनका काम तमाम हो जाता है और हम प्यासी की प्यासी रह जाती हैं.

फिर अपनी अंगुली या बैगन इत्यादि से अपनी चूत को शांत करना पड़ता है।

मेरी ऐसी औरतों के लिए एक ही सलाह है कि वो अपने आप को जवां रखें और जैसे भी सैक्स का आनन्द ले पायें, लेती रहें.
वैसे आजकल के परिवेश में नई लड़कियों में सैक्स में बहुत खुलापन आता जा रहा है.
इसका कारण शायद कहीं ना कहीं मोबाईल फोन है.

अब हर किसी के हाथ में एन्ड्रोइड मोबाईल फोन है एक ही क्लिक में सब चीजें उपलब्ध हैं.

अभी कुछ दिन पहले कियारा आडवानी की एक सैक्स क्लिप
कियारा अडवानी की चूत में वाइब्रेटर का मजा
जिसमें एक सैक्स टॉय को वह अपनी योनि में डाल लेती है और गलती से उसका रिमोट उसकी सास के हाथ में आ जाता है.
और वह उस रिमोट को टी.वी. का रिमोट समझ कर दबा देती है तो क्या होता आप सभी ने शायद देखा होगा.
नहीं देखा हो तो आप ऊपर दिए लिंक पर जाकर कियारा आडवानी की क्लिप देख सकते हैं कि आज के जमाने में सैक्स को इंजाय करने के कितने सारे तरीकें उपलब्ध हैं.

सैक्स एक प्यारा अहसास है जो हमारे मन को हलका कर देता है … एक अच्छा सैक्स बहुत सारी दवाओं का काम करता है.

मैंने अपनी एक कहानी में सैक्स के फायदे बताये थे.

कई बार हमारे साथ ऐसा महसूस होता है कि कोई लड़की या कोई औरत आपके आस पास ही होती है जो आपको न तो सुंदर लगती है और न ही आपको वो हॉट लगती है और ना ही सैक्सी!
पर फिर भी न जाने क्यूं ऐसी औरत पर जब दिल आ जाता है तो दिल और दिमाग हर वक्त उसे अपना बनाने की ख्वाहिश करने लगता है. उसकी चूत को हर कीमत पर पाने के लिए क्या-क्या जुगाड़ फिट करने लग जाता है.
और जिसे अभी तक आपने कोई भाव नहीं दिया था, वह एकदम से वो आपके लिए खास हो जाती है.
उसे पाने के लिए ये दिल न जाने क्या क्या करवा देता है!

ऐसा ही कुछ मेरी इस देसी मेड हॉट कहानी में है, आशा करता हूं कि आपको पसन्द आयेगी.

कहानी शुरू होती है हमारी घर में काम करने वाली सावंली सूरत की नौकरानी बीना से, कद काठी से एकदम जवान, भरे जिस्म की मालकिन हमारे घर में काम करने वाली बीना!
वो हमारे घर में बर्तन, झाड़ू पौछा इत्यादि का काम करने आती है.

उसे हमारे यहां काम करते हुए लगभग 3-4 साल हो चुके थे.

अब तक मेरे मन में उसकी प्रति कोई भी लगाव नहीं था और न ही कभी मैंने उसकी मटकती गांड ओर उसकी कहर ढाती चाल पर ही ध्यान दिया था.

पर वो कहीं ना कहीं मुझे महसूस करती थी ये मुझे बहुत बाद में मालूम हुई।

हां कभी-कभी मेरी धर्मपत्नि रीतिका मुझे उसके बारे में बताती रहती थी कि बेचारी बीना बहुत काम करती है पर उसका मर्द जुआरी और शराबी है।
वह घर-घर चौका बर्तन करके अपना और अपने बच्चों को पेट भरती है.

बेचारी बीना … मेरी धर्मपत्नि को उस पर काफी दया भी आती थी और समय समय पर उसकी सहायता करती रहती थी.

एक दिन सुबह 6 बजे ही वह हमारे घर आई … उसके बाल बिखरे हुए थी, उसकी आंखों में आंसू थे.
आते ही वह मेरी धर्मपत्नि से लिपट कर रोने लगी.

रीतिका ने उसे किचन में बैठाया और पीने के लिए पानी दिया, फिर उससे पूछा- बीना क्या हुआ?
बीना- दीदी, क्या बताऊँ आपको … उस रमेश ने तो मेरा जीना हराम कर रखा है. वह कल रात ज्यादा शराब पीकर आया और मुझसे पैसे मांगने लगा. मैंने मना कर दिया तो मुझे बहुत पीटा. अब आप ही बताओ दीदी, मैं क्या करूं … मेरा तो मर जाने को जी करता है. पर क्या करूं, मैं तो मर भी नहीं सकती … मेरी जान को ये दो औलाद जो इस कमीने ने मेरी छाती पर रख छोड़ी हैं.

रीतिका- बीना तू रो मत, अपना मन हल्का कर! देखते हैं क्या होता है. मैं इनसे कहती हूं. वे तेरे पति रमेश से बात करेंगे … ऐसे कब तक चलेगा.

तब रीतिका ने मुझे आवाज लगाई और किचन में आने के लिए कहा.

मैं किचन में पहुंचा और रीतिका ने मुझे बिना की समस्या बताई.
तभी वह किसी काम से दूसरे कमरे में चली गई.

मैंने बीना को देखा तो उसकी आंखों से आंसू आ रहे थे.
तो मैंने उसके सिर पर हाथ रख कर उसके बालों को सहलाया और कहा- बीना, तू चिंता मत कर, मैं रमेश से बात करूंगा.

बीना ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
उसके मेरा हाथ पकड़ने से एक करंट सा जैसे मेरे सारे शरीर में उतर गया.
और आज पहली बार बीना को देखकर मेरे अंदर का मर्द जाग गया था।

मैं उसकी ओर ही देख रहा था … उसके चेहरे में एक अजीब सी कशमकश मुझे महसूस हो रही थी.

आज पहली बार मैंने उसके हुस्न को इतनी शिद्दत से महसूस किया था.
उसने मेरा हाथ इस प्रकार से पकड़ लिया था जैसे मैं उसका कोई खास था.

मैंने उसके बालों को सहलाया और अपने हाथ से उसके आंखों के आँसू पौंछे और एक पल के लिए उसे अपने गले से लगा लिया.

उसने भी दोनो हाथ मेरी कमर में डाल दिये और मुझसे चिपक गई.
उसके मोटे मोटे गोल संतरे जैसे मम्मे जो लगभग 34 के तो होंगे ही … ने मेरे दिल में हलचल सी मचा दी थी.

मैंने उससे कहा- बीना … बीना … क्या हुआ?
बीना शायद अपने होशो हवास में नहीं थी.

और मैं डर रहा था कि कहीं रीतिका आ गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे.

मैंने अपने आपको बामुश्किल से उससे अलग किया और धीरे से उसके कान में कहा- बीना, मेरी जान … क्या कर रही हो? मरवाओगी मुझे क्या?
बीना- साहब, आपने तो न जाने कब से मेरे दिल में हलचल मचा रखी है.

मैं- बीना, ये क्या कह रही हो?
देसी मेड हॉट मांग रही थी मुझसे!

“हाँ साहब, अब आपको कैसे बताऊँ … आप तो मेरी ओर देखते ही नहीं हो.
मैंने कहा- पगली, ऐसी कोई बात नहीं है … सब ठीक हो जायेगा … तुम जवान हो, अच्छी हो.

बीना- क्या फायदा ऐसी जवानी का साहब … जब कोई इसे देखे ना!
मैंने बात बदलते हुए उससे कहा- बीना, सब ठीक हो जायेगा.

पर केवल एक पल के लिए उसके आलिंगन ने मुझे झकझोर दिया था, उस एक पल ने मेरे अंदर सनसनी सी मचा दी थी और शायद उसके शरीर में भी ऐसी ही हलचल हो रही थी.

न जाने उस एक पल में कैसे उसका यौवन मुझे घायल कर गया था.

जिस स्त्री को 3-4 साल से मैं रोज देखता आ रहा था, जिसे मैंने आज से पहले कभी नोटिस नहीं किया था, आज उसके हुस्न का जादू मुझे घायल किये जा रहा था।

तभी रीतिका किचन में आई, मुझसे बोली- अनुराग, कुछ करो इसके पति का! हरामजादा एक तो कुछ कमाता नहीं और जा कमाता है उसे शराब और जुए में उड़ा देता है और फिर इस बेचारी अबला नारी पर हाथ उठाता है।
मैं- हां रीतिका, अब बात करनी ही पड़ेगी.

मैंने बीना की ओर देखते हुए कहा- बीना तू चिन्ता ना कर, मैं आज ही तुम्हारे घर आता हूं और उस रमेश से बात करता हूँ।

तब मैंने बीना से पूछा- रमेश घर कब आता है?
बीना बोली- साहब, उसका घर आने को कोई टाईम तो नहीं है. फिर भी 8 बजे तक आ जाता है.
मैं- कोई बात नहीं मैं आज तुम्हारे घर आता हूँ।

बीना के चेहरे पर अब सकून के भाव थे.

रीतिका मुझसे बोली- अनुराग आप जरूर रात को इसके घर होकर आना!

मैं- हाँ, बीना तुम चिन्ता मत करो, आज मैं जरूर आऊँगा. वैसे तुम्हारे घर में और कौन-2 हैं?
“साहब मेरे ससुर तो पिछले साल ही चल बसे थे. एक सासू मां है, वो गांव में मेरे जेठ जी के साथ रहती है. यहां तो मैं और रमेश और मेरी दोनो बेटियां ही रहती हैं.”
“अच्छा चलो कोई बात नहीं, मैं आज आकर बात करता हूँ!”

पर बीना ने आज मेरे दिल और दिमाग को घायल कर दिया था.

और जैसा कि हम मर्दो की आदत होती है, वैसा ही मेरे साथ भी हो रहा था.
एक नया यौवन मुझे में समा जाने को तैयार था.
और बीना भी शायद अपने आपको मुझे सौम्पने के लिए बेकरार थी.

पर मैं न जाने कैसे इस हुस्न को भूला हुआ बैठा था.

मैं नहा धोकर अपने ऑफिस निकल गया और रीतिका से बोला- शाम को आज बीना के यहां होकर आऊंगा.

दिन भर मेरा मन ऑफिस के कामों में नहीं लग रहा था. न जाने क्यूं बीना का कमसिन चेहरा, उसके गोल-गोल मम्मे बार-बार मेरी आँखों के सामने आ रहे थे.
आज वह मुझे किसी अप्सरा से कम नजर नहीं आ रही थी.

और समय जैसे कटने का नाम नहीं ले रहा था.

जैसे तैसे करके ऑफिस का समय समाप्त हुआ, मैंने अपनी गाड़ी उठाई और सीधे बीना के घर की ओर चल दिया.

उसका घर थोड़ी दूर ही था … मजदूरों की बस्ती में!

मैंने बीना के घर पहुंचकर घर का दरवाजा खटखटाया.

थोड़ी देर में बीना ने घर का दरवाजा खोला.

बीना को देखते हुए मेरा मनमौजीराम तुनक कर खड़ा हो गया और मेरी पैंट से बाहर आने के लिए जोर मारने लगा.

जो बीना सुबह एकदम मरी गिरी से लग रही थी, वही अब एक हुस्न की परी लग रही थी.

उसने हल्के लाल रंग की साड़ी पहने हुई थी, माथे पर बिंदिया, होठों पर लिपिस्टक, मानो कह रही हो- आ जाओ मेरे राजा, कब से तुम्हारे इंतजार में थी … आ जाओ, मेरे योवन का रस पी लो।

बीना- साहब नमस्कार, आप आ गये! मुझे पता था कि आप जरूर आओगे.

उसने मुझे अंदर बुलाया और पास पड़ी चारपाई पर बैठने का इशारा किया और मेरे लिए पानी लेकर आई.

मैं पास में ही चारपाई पर बैठ गया.
मेरी नजरें अभी तक बीना की गोलाइयों को ही नाप रही थी.
और उसने भी मेरी नजरों को ताड़ लिया था.

वह मेरे सामने ही नीचे स्टूल पर बैठ गयी और हम दोनों की ही नजरें एक दूसरे में खोई हुई थी।

शायद इस एक दिन में मेरे और बीना के बीच का जो परदा था, वो खत्म हो गया था.

मैंने बीना से कहा- एक बात पूछूं … क्या वास्तव में तुम मुझे चाहती हो?
बीना- हुजूर, औरत क्या करे जब अपना मर्द ही नामर्द हो … तो उसे आप जैसा मर्द ही भायेगा … आप कितने सौम्य, सुशील और हंसमुख हैं. रीतिका दीदी आपके बारे में सबकुछ बताती हैं मुझको! दीदी को आप जैसा कितना प्यार करने वाला पति मिला है और मुझे ऐसा नामर्द … जो साला हर वक्त दारू के नशे में रहता है … रात को शराब पीकर आता और मेरे कपड़े उतारता है अपना लंड मेरी चूत पर लगाता है और 1 धक्के में ही आउट हो जाता है … और मैं हमेशा प्यासी रह जाती हूँ साहब!

मैं- बीना एक बात पूछूं, बुरा तो नहीं मानोगी?
बीना- हां साहब पूछो जो पूछना है … अब क्या बुरा मानूंगी.

मैं कुछ हिचकते हुए- बीना … बीना … तुमने …
बीना- बोलो ना साहब, आप तो शरमा रहे हो. बोलो बिंदास जो भी बोलना है. अब मेरा और आपका एकदम खुला खाता है … बिंदास बोलो साहब जी!

मैं- अच्छा बीना, मैं जानना चाह रहा था कि किसी और के साथ भी तुमने कभी सैक्स किया है क्या?
बीना- साहब, अब आपसे क्या छिपाऊँ … यह कमबख्त जवानी न जाने क्या-2 करवा देती है. हाँ, मेरी मौसी का लड़का है मनोज, जिसके साथ कभी-कभी मैं अपनी प्यास बुझा लेती हूँ साहब. मेरा मर्द तो साला नामर्द है … हरामजादा, बेवड़ा … साले ने मेरी सुहागरात भी खराब कर दी. सुहागरात वाले दिन इस हरामी ने इतनी शराब पी थी कि उससे सही से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. मेरी मां ने भी मुझे इस शराबी के पल्ले बांध दिया … हरामजादे को सुहागरात वाले दिन थोड़ा सा होश आया था बस ना मुझसे बात की और ना और कुछ बस सीधा मेरा पेटीकोट ऊपर किया और अपने लंड को मेरी चूत में बाड़ दिया. इस हरामी पिल्ले ने और साला 2-3 धक्कों में ही मेरे ऊपर गिर गया. साहब, मैं तो उस दिन से ही प्यासी हूँ। हाँ, कभी कभार मनोज जब शहर आता है तो मेरे पास आ जाता है. बस उससे ही अपनी चूत की प्यास बुझा लेती हूँ साहब. अब आप ही बताओ औरत की भी तो कोई इच्छा होती है, उसका भी तो मन करता है कि कोई उसके हुस्न की तारीफ करें, उसे अच्छा कहे, उसे सुन्दर कहे और उसे प्यार करे, उसकी प्यास को पूरी करे, उसे जन्नत का मजा दे। बस मैं यह चाहती हूँ तो इसमें मेरी क्या गलती है साहब, आप ही बताओ?

मैं- हाँ बीना, तुम सही कह रही हो, एक औरत को भी अपनी जरूरतें पूरी करने का पूरा हक है।

प्रिय पाठको, मेरी देसी मेड हॉट कहानी कैसी लग रही है?
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देसी मेड हॉट कहानी का अगला भाग: घरेलू नौकरानी की वासना- 2

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