हॉट देसी भाभी सेक्स कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली गोरी चिट्टी चिकनी सेक्सी भाभी की है. उनके घर हमारा आना जाना था. मैंने कैसे उनकी चूत में अपना लंड डाला?
मैं आरुष पुणे का रहने वाला हूँ और मैं यहां अपने मम्मी और पापा के साथ रहता हूं.
मेरी उम्र चुत चोदने लायक हो गई है.
मैं आज आपको मेरी साथ कुछ दिनों पहले घटित हॉट देसी भाभी सेक्स कहानी बता रहा हूँ.
दो साल पहले हमारे पड़ोस में एक नया नया शादीशुदा जोड़ा आया था.
मैं उन्हें भैया भाभी कहकर बुलाया करता था.
मनोज भैया 31 साल के थे और एक आईटी कंपनी में जॉब करते थे.
इस कहानी की हीरोइन मीना भाभी 25 साल की एकदम माल थीं. उनका गोरा-चिट्टा बदन बड़ा ही हॉट था.
भाभी की हाइट कुछ 5 फिट 7 इंच होगी. उनके लाल सुर्ख होंठ नेचुरल ही थे, मतलब उनको लिपस्टिक की जरूरत ही नहीं थी.
भाभी का शरीर सही आकार का था … मतलब ना ज्यादा पतली, ना ज्यादा मोटी, वो एकदम सुडौल माल थीं.
आप ऐसे समझ लो, जैसे तमन्ना भाटिया के जैसे मस्त और चिकना बदन था.
भाभी इतनी सुंदर थीं कि उन्हें मेकअप की जरूरत ही नहीं थी. पतली कमर पर उनके तने हुए चुचे सबसे जबरदस्त थे.
चूचे 34 साइज के रहे होंगे.
भाभी की स्किन एकदम बच्चों जैसी नर्म मखमली थी और वो हमेशा साड़ी ही पहनती थीं.
उनका बैकलेस और स्लीवलेस ब्लाउज उनकी सेक्सी फिगर में चार चाँद लगा देता था.
भाभी हमेशा नाभि के नीचे साड़ी पहनती थीं.
चूंकि भैया भाभी हमारे पड़ोसी थे तो इस वजह से हमसे काफी अच्छे संबंध हो गए थे.
भाभी पढ़ी-लिखी थीं, पोस्ट ग्रेजुएट थीं, पर वो हाउसवाइफ थीं.
साथ ही मीना भाभी एकदम चंचल और हंसमुख स्वभाव की थीं.
जब वो लोग हमारे पड़ोस में रहने आए थे, तभी पहले ही दिन से भाभी को देखकर मेरे दिल ने सीटी मार दी थी.
कुछ ही दिनों में भाभी और मेरी अच्छे से दोस्ती हो गयी थी क्योंकि भैया ज्यादातर टूर पर होते थे.
मेरी पढ़ाई घर पर रह कर ही होती थी, कॉलेज जाना भी बस नाम मात्र का था.
मम्मी पापा भी दिन भर जॉब पर होते थे तो दिन में मैं और भाभी अकेले ही होते थे.
मेरी मम्मा के कहने पर भाभी मुझे पढ़ाई करा देती थीं.
फिर खाली टाइम में मैं उनके साथ ही होता.
हम दोनों बात करते, गेम खेलते और मैं उनके कामों में मदद कर देता.
मैं तो जैसे स्वर्ग मैं था क्योंकि सुबह नौ बजे से शाम के सात बजे तक हम लोग अकेले ही होते थे.
मुझे बहुत मजा आता था क्योंकि मैंने जवानी में नया नया कदम रखा था, ऊपर से इतनी हॉट जवान भाभी मेरे साथ होती थीं.
पढ़ते वक्त बहुत बार इधर उधर हाथ टच हो जाता था.
मैं जब पढ़ रहा होता तो वो पीछे से आकर झुक कर देखतीं, तब मुझे भाभी के चूचे टच हो जाते.
भाभी ऐसा बहुत बार करती थीं.
वो कई बार टीवी देखते टाइम मेरे हाथ को अपने दो हाथों में ले लेती थीं.
ऊपर से उनकी बदन की मादक खुशबू, मीठी सॉफ्ट सी आवाज़ मुझे एकदम पागल बना देती थी.
घर के काम करते वक़्त जब वो रसोई में रहतीं, तब मैं उनकी पिछाड़ी को देखता.
एकदम गोरी और मक्खन सी कमर देख कर मेरा मन करता कि बस जाकर उन्हें पीछे से जकड़ कर चूम लूं और उनके मम्मों को निचोड़ दूँ.
जब वो झुक कर झाड़ू लगातीं या साफ सफाई करतीं, तब मुझे गहरे गले वाले ब्लाउज में से उनके बूब्स के दर्शन हो जाते थे.
उस वक्त मुझे मेरे लंड को संभालना मुश्किल हो जाता था.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि भाभी ये सब जानबूझ कर करती हैं या मुझे ही ऐसा लगता है.
मगर मैं विवश था, कुछ करने की हिम्मत नहीं होती थी.
बस ऐसे ही दिन कट रहे थे.
एक दिन हुआ यूं कि खबर आई कि मेरी नानी की तबियत अचानक बिगड़ गयी है तो मेरे मम्मी पापा नानी के गांव चले गए.
चूंकि मेरे पेपर्स भी नजदीक थे तो मैं अपनी नानी को देखने नहीं गया.
मेरे खाने और सोने का सबकुछ भाभी के घर पर ही तय हो गया था.
भैया पहले से ही शहर से बाहर थे.
ये मेरे लिए एक अच्छा मौका था क्योंकि भैया पिछले एक महीने से बाहर थे, तो मैं समझ रहा था कि भाभी जरूर ही लंड की प्यासी होंगी.
फिर अब तो मम्मा पापा भी कम से कम एक सप्ताह नहीं आने वाले थे.
मम्मा पापा रात को ही निकल गए.
मैं भाभी के यहां उनके बेड पर ही सो गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी, पर मेरा प्लान आज रात का नहीं था, ये कुछ अलग था.
सुबह मेरी नींद खुली, तब भाभी बेडरूम में ही थीं और वो अभी नहाकर आयी थीं.
उस समय उन्होंने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट ही पहना हुआ था. मेरी आंख खुली तो सामने भाभी का ये मस्त रूप सामने आया.
मैंने झट से आंखें अधखुली कर लीं और सोने का ड्रामा करते हुए भाभी को निहारने लगा.
क्या नजारा था यार … सोचा यार भैया कितने लकी आदमी हैं. मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था.
फिर भाभी ने साड़ी पहनी और मुझे आवाज देकर उठने की कह कर बाहर नाश्ता बनाने चली गईं.
भाभी के बाहर जाते ही मैं उठ गया और फ्रेश हो गया.
मैं उस वक्त मुठ मारना चाहता था मगर फिर सोचा आज कैसे भी करके कुछ करना है.
मैं- भाभी मैं जरा बाहर जाकर आता हूं.
भाभी- जल्दी आ जाना, नाश्ता रेडी है.
मैं भाभी से हां बोलकर मेडिकल शॉप पर चला आया. मैं वहां से कंडोम और सेक्स की गोली लेकर वापस आ गया.
घर आया तो नाश्ता करते वक़्त मैंने भाभी से कहा- भाभी, आज मुझे पढ़ाई नहीं करना, लैपटॉप पर कोई मूवी देखते हैं.
भाभी ने भी हामी भर दी और कुछ लाने के लिए रसोई में चली गईं.
मुझे लगा कि यही सही मौका है इसलिए मैंने भाभी के गिलास में दवा मिला दी और नाश्ता करने लगा.
थोड़ी देर बाद भाभी आईं और उन्होंने वो पानी पी लिया.
मैं मन ही मन खुश हो गया.
फिर भाभी ने मेज को साफ किया और मैं बेडरूम में मूवी देखने की तैयारी करने चला गया.
पंद्रह मिनट बाद मैंने भाभी को आवाज लगाई- आ जाओ जल्दी से.
उन्होंने ‘हां आयी …’ कहा.
मेरे मन में इधर लड्डू फूट रहे थे.
मैं अभी सोच ही रहा था कि उधर से कुछ गिरने की आवाज आई और साथ ही भाभी की आवाज भी आई.
मैंने जल्दी से जाकर देखा, तो भाभी गिर गयी थीं.
उनकी कमर में मोच आ गयी थी.
मैंने उन्हें उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया.
भाभी- आआह … पता नहीं कैसे गिर गयी आरुष … बहुत दर्द हो रहा है. तुम जरा बाम लगा दोगे क्या?
मेरा दिमाग ऐसे हालात मैं बहुत तेज दौड़ता है.
मैं- भाभी बाम से कुछ नहीं होता. रुको मैं आपकी अच्छे से मालिश कर देता हूं.
भाभी- अरे नहीं, ऐसे ही ठीक हो जाएगा … रहने दो.
मैं- भाभी यार क्या इतना सोचना. तेल कहां है बताइए, आप बस लेटी रहिए.
भाभी- वो वहां मेज पर रखा है.
शायद भाभी पर भी गोली का असर दिख रहा था. उनकी आंखें बोल रही थीं.
मैंने झट से वो बोतल से तेल लिया और भाभी से कहा- आप पेट के बल हो जाओ.
वो गांड ऊपर करके औंधी हो गईं.
फिर जैसे ही मेरे हाथ भाभी के कमर को जाकर लगे, उनके मुँह से ‘आह …’ निकल गयी.
मैंने मालिश करते हुए उन्हें कहा- भाभी, आपका ब्लाउज तेल से खराब न हो जाए.
इसके पहले की भाभी कुछ कह पातीं, मेरा हाथ ब्लाउज के हुक्स तक जा पहुंचा और मैंने एक झटके में तीनों चिटकनी वाले हुक खोल दिए.
भाभी के सांसें तेज हो गयी थीं.
मैंने फिर भाभी की ब्रा का हुक भी खोलने के लिए पकड़ लिया पर वो बहुत टाइट था.
लेकिन भाभी के सहयोग से वो भी खुल गया.
मैंने ब्रा को साइड में किया. सामने मस्त चिकनी पीठ थी.
तब मैंने सोचा कि वाह क्या किस्मत है यार … इतनी सुंदर जवान भाभी, टॉपलेस मेरे सामने पड़ी हुई हैं.
मैंने तेल की बोतल से तेल लिया और भाभी की नंगी पीठ पर डाल दिया.
मैं भाभी की नंगी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा.
मैंने भाभी की मक्खन सी चिकनी पीठ पर अपने हाथ रगड़ने शुरू कर दिए.
भाभी सिसकारियां लेने लग गयी थीं और सिहरने लगी थीं.
इधर मेरे छोटू का भी बहुत बुरा हाल था इसलिए मैंने अपन जिप खोली और लंड बाहर निकाल लिया.
मेरा सात इंच का लंड एकदम टाइट हो गया था.
भाभी की आंखें बंद थीं.
मेरा हाथ पीठ पर चारों तरफ घूम रहा था.
मैं इतने दिनों की आज सारी कसर निकाल रहा था.
भाभी पर गोली का भी असर था और उन्हें चुदाई किए महीना हो गया था.
वो भी बहक रही थीं.
अब लगभग पंद्रह मिनट हो गए थे.
मेरा प्रीकम निकला और दो बूंद भाभी की कमर पर गिर गईं. मैंने उसे भी पीठ पर रगड़ दिया.
मैं सच में बहुत नसीब वाला था कि मुझे जवानी की शुरुआत में ही ऐसा मजा मिल रहा था.
भाभी को भी मजा आ रहा था पर वो अपनी मस्ती दिखा नहीं रही थीं.
मैंने कहा- भाभी, अब आप पलट जाओ. मैं आपकी आगे से भी मालिश कर देता हूं.
वो तो जैसे मुझसे सम्मोहित हो गयी थीं.
जो मैं बोल रहा था, वो बस उसे सुन रही थीं.
वो बिना कुछ सोचे या कहे एकदम से पलट गईं.
मेरे सामने भाभी का अधखुला ब्लाउज उनके मम्मों पर अटका हुआ था.
मैंने भाभी की आंखों में देखा तो वो आंखें मूंदे लेटी हुई थीं.
अपने हाथ से मैंने उनके ब्लाउज को हटाया तो मेरे सामने जन्नत की हूर के दो कसे हुए स्तन थे.
मैं अपनी जिन्दगी में पहली बार भाभी के उन नंगे बूब्स को देख रहा था जिनकी वजह से मैंने इतनी बार मुठ मारी थी.
मेरे सामने भाभी का गोरा सपाट पेट भी था.
मैंने भाभी के पेट पर, मम्मों पर तेल डाला और उनकी तरफ देखने लगा.
मगर उनकी आंखें बंद थीं और होंठ सूखे थे.
मैं उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव देख पा रहा था.
उन्हें देखकर मुझे यकीन हो गया था कि अब मेरा यह सप्ताह काफी मस्ती के साथ कटेगा.
मैंने अपने हाथ बढ़ाए और भाभी के दोनों मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.
एकदम आम को पिलपिला करने समान जैसा अनुभव मिल रहा था.
मैं भाभी के सख्त चुचे दबा रहा था.
भाभी की हल्के स्वर में ‘आह आह उई माँ निकलने लगी थी.
उनकी मस्ती भरी कामुक आवाजें सुनकर मैं भी एकदम से बिंदास हो गया और उनके मम्मों पर लगभग टूट पड़ा.
मैंने भाभी के आमों को दबा दबा कर लाल कर दिया, फिर मुँह आगे बढ़ा दिया और दोनों चूचुकों को बारी बारी से अपने मुँह में लेने लगा.
अब भाभी ने आंखें खोलीं और मेरे सिर को पकड़ लिया.
मैं भाभी के ऊपर लेट गया और उन्हें होंठों पर किस करने लगा.
इसी के साथ मैं भाभी के मम्मों को भी दबा रहा था, उन्हें निचोड़ रहा था.
तभी भाभी ने दूध चूसने का इशारा किया, तो मैंने भाभी के एक निप्पल को अपने होंठों में दबाया और चूसने लगा.
भाभी जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं, मुझे डर था कोई सुन ना ले.
मैंने एक एक करके भाभी के दोनों मम्मों को खूब चूसा.
वो भी मेरे सर को अपने मम्मों पर दबा कर दूध चुसवाने का मजा ले रही थीं.
मैंने भी भाभी के दोनों बूब्स को जी भरके चूसा.
करीब दस मिनट बाद भाभी कातिलाना हंसी बिखेरती हुई बोलीं- आरुष, मेरी जान अब थोड़ा रुको, मुझे पानी पीना है.
यह बोल कर भाभी ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और वैसे ही टॉपलेस उठकर जाने लगीं.
नीचे भाभी ने पेटीकोट पहना हुआ था.
भाभी की पीठ पर, मम्मों पर, निप्पलों पर, पेट पर मेरे दांत के काटने के निशान बने हुए थे.
यह देखने में मुझे काफी मजा आ रहा था.
कुछ ही देर में भाभी एकदम नंगी आईं और मेरे खड़े लंड को चूसने लगीं.
एक मिनट में ही वो मेरे लंड के ऊपर सवार हो गईं और कमर उचकाती हुई लंड की सवारी गांठने लगीं.
मैं उनके दोनों आमों को मसल कर अपनी गांड उठाते हुए भाभी की चुत बजाने लगा.
दस मिनट बाद भाभी झड़ गईं और मेरे सीने पर निढाल होकर गिर गईं.
मैंने उन्हें अपने नीचे लिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा.
कुछ मिनट बाद मैं भी भाभी की चुत में ही झड़ गया और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर अपनी सांसों को नियंत्रित करने लगे.
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