हैलो, मेरी इस चुदाई की कहानी में आपका स्वागत है।
मैं एक सीधी-सादी महिला हूँ, मेरी शादी को 3 साल हुए हैं। मेरे पति रिक्शा चलाते हैं.. मैं सांवली और लंबी हूँ। मेरे उरोज काफी बड़े हैं, पर मैं एक पतिव्रता महिला हूँ। जब भी मैं बाहर जाती हूँ तो काफी लोग मुझे और मेरे मम्मों को घूरते रहते हैं और कई तो मेरे सामने ही अपने लंड पर हाथ फेर कर आहें भरने लगते हैं।
मेरा घर काफी छोटा है, जिसमें मेरे सास-ससुर, एक छोटा देवर और मेरे पति रहते हैं। मेरे पति मेरी काफी चुदाई करते हैं.. लेकिन घर छोटा होने के कारण मैं पूरी नंगी हो कर चुदाई नहीं कर पाती हूँ.. बस मेरे पति मेरा घाघरा ऊंचा करके ही लंड पेल देते हैं और मम्मों को सिर्फ ऊपर से मसल लेते हैं।
मैं काफी सेक्स के मामले में संतुष्ट महिला हूँ.. इसलिए किसी भी पराये मर्द की तरफ आकर्षित नहीं हो पाती हूँ। मेरी लाइफ ऐसी ही चल रही थी, पर मुझे क्या पता था कि मेरी लाइफ में एक नया मोड़ आएगा।
मेरे घर के पास ही एक थानेदार रहता था, वो मुझे काफी गन्दी निगाह से देखता था। वो साला मुझे आँखों से ही चोद देता था। मुझे उससे काफी डर लगता था। मुझे वो दयावान फ़िल्म का अमरीश पुरी नजर आता था.. लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी किस्मत में उससे भी चुदाई लिखी है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी किसी गैर मर्द से चुदाई की कहानी बन जाएगी.
हुआ यूं कि एक दिन हमारे पड़ोस के थाने से फ़ोन आया कि पुलिस ने मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया है। किसी ने छोटी बच्ची को गाड़ी से टक्कर मार दी है और पुलिस ने शक के आधार पर इनको धर लिया है।
मैं थाने भागी.. वहाँ वो ही थानेदार इंचार्ज था, उसने मेरे सामने ही मेरे पति को 2 चाटें मारे और सच-सच बोलने को कहा।
मेरे पति और मैं बहुत गिड़गिड़ाए, पर हमारी एक नहीं सुनी गई। मैं थक-हार के चुपचाप बैठ गई.. थोड़ी देर बाद एक काली मोटी पुलिस वाली मेरे पास आई और बोली- अगर तुझे अपने पति को छुड़ाना है तो मैं मदद कर सकती हूँ।
मैंने कहा- आप जो पैसा बोलोगी, मैं दूंगी।
ये सुनकर वो जोर-जोर से हँसने लगी और बोली- देख री.. चुपचाप मेरी बात ध्यान से सुन, अगर पति को बचाना है.. तो थानेदार के साथ सोना पड़ेगा, नहीं तो तेरे पति की वो धुलाई करेंगे कि जिंदगी भर तुझे चोद नहीं पाएगा.. और 2 गवाह खड़े करके उसको जेल की हवा अलग खिलवा देंगे, सोच के बता दे कि क्या करना है?
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। अब मुझे सब बात समझ में आ गई थी कि थानेदार ने मुझे चोदने के लिए ये सब किया है। मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था। थोड़ी देर सोच कर मैंने सरेंडर कर दिया।
उसने कहा- रात को 7 बजे जीप आएगी.. उसमें बैठ जाना, सुबह तेरा पति घर आ जाएगा।
मैं चुपचाप घर चली आई। मैंने अपनी सास और ससुर को कुछ नहीं बताया। उनको बोल दिया- मेरी सहेली का भाई अच्छा वकील है.. मैं शाम को उसके घर जाऊंगी.. और सुबह इन्हें छुड़ा लाऊंगी।
रात को 7 बजे मैं पुलिस जीप में बैठ गई। इस जीप को वो ही मोटी चला रही थी।
वो बोली- तू डर मत.. साब तुझे खूब मजा देंगे।
पर मैं मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि कैसे भी इस चुदाई से बच जाऊँ।
वो मुझे एक सुनसान गेस्ट हाउस में ले गई और मुझसे बोली- चल अच्छे से नहा ले।
मैं उसको कातर भाव से देखने लगी।
वो मुझे रेज़र देकर बोली- नीचे के बाल साफ कर लेना.. साहब को झांटें पसंद नहीं हैं।
मैं चुपचाप बाथरूम में चली गई। मैंने शावर लिया और चूत के बाल साफ़ किए।
फिर मोटी बाहर से बोली- अन्दर एक गाउन रखा है.. उसी को पहन के आना।
मैंने देखा कि एक रेड कलर की नाईटी रखी थी। उसको पहन कर मैंने वहाँ लगे एक आईने में देखा। मैं बहुत ही मादक लग रही थी।
तभी मोटी की आवाज आई- चल री!
मैं चुपचाप बाहर आ गई। मोटी ने मुझे एक रूम की तरफ जाने का इशारा किया।
रूम में थानेदार टॉवल वाला गाऊन पहने बैठा था और शराब पी रहा था। ये शायद उसकी अय्याशी करने की जगह थी। उस रूम में एक पलंग 2 सोफ़ा और बीच में एक टेबल रखी थी.. जिस पर एक दारू की बोतल रखी थी और कुछ नमकीन और ड्राई फ्रूट्स रखे थे।
उसने मुझे एकदम पास बैठने को कहा और मेरे कंधे पर हाथ रख दिया।
मैं रोने लगी कि प्लीज मुझे छोड़ दो।
वो बोला- थोड़ी देर के बाद तू बोलेगी मुझे चोद दो।
मैं चुपचाप उसे देखती रही।
वो हँसने लगा और बोला- मैंने इस जग़ह पर कईयों को पेला है, ये काली औरत जो तू तुझे लाई है.. इससे पूछ.. अब ये मुझे गांड उछाल-उछाल कर चुत देती है। साली ये भी शुरू-शुरू में भी रोई थी।
उसकी बातों से मुझे पता लग गया था कि ये राक्षस मुझे आज पेल के ही रहेगा। उसने फिर एक पैग बनाया और मुझे दिया- लो ये पी लो।
मैंने मना किया, पर उसने मुझे पिला दी और बोला- इसे पीने के बाद बहुत मजा आएगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरे होंठों को चूमने लगा और बोला- तुम बहुत ही सुन्दर हो और सेक्सी हो।
वो मेरे होंठों का रसपान किए जा रहा था। फिर उसने धीरे-धीरे मेरा गाउन खोल दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में रह गई थी।
फिर उसने मुझे उठा लिया.. पलंग पर लेटा दिया और मुझे हर जग़ह चूमने लगा। अब पैग का नशा मुझ पर भी चढ़ने लगा। मुझे अजीब सी सिहरन होने लगी और मजा आने लगा।
फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे मम्मों को चूसने लगा। मैं पागल सी हो गई.. मेरे पति ने भी कभी इन्हें इस तरह नहीं चूसा था। मेरी चूत शायद एकदम गीली हो चुकी थी। फिर उसने मेरी पेंटी भी उतार दी, मैं पूरी नंगी हो चुकी थी।
पहली बार मैं किसी मर्द के सामने पूरी नंगी हुई थी। अब मेरी शर्म एकदम खत्म हो चुकी थी। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। ऐसा होते ही मैं कामुक सिसकारियां भरने लगी। ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं आया था।
वो दोनों हाथ से मेरे बोबे दबा रहा था और मेरी दोनों टाँगों के बीच मुँह डाल कर मेरी सफाचट चूत चाट रहा था। मुझे समझ आ गया कि क्यों झांटें साफ करवाई थीं। मैं चुदास से पागल हो रही थी।
अब उसने अपना टॉवल हटा दिया और इस तरह हो गया कि उसका लंड मेरे मुँह में आ जाए और चूत उसके मुँह में लग जाए। पता नहीं मुझे क्या हुआ मैं उसका लंड पागलों की तरह चूसने लगी। वो भी मेरी चूत एक कुत्ते की तरह चाट रहा था।
अब उसने मेरी टांगें चौड़ी करके अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं चीख उठी.. अह.. ऐसा मोटा कड़क लंड था।
क्या बताऊं साथियो.. मैं तो मस्त हो चुकी थी। वो मुझे दनादन पेले जा रहा था। मुझे सेक्स में इतना मजा कभी नहीं आया।
मैं भूल गई थी कि मैं शादीशुदा हूँ। मैं बस अपनी गांड उछाल-उछाल कर उससे चुदवा रही थी।
मेरा पति तो 2 मिनट तक ही मेरी चुदाई कर पाता था। पर ये थानेदार तो मुझे पेले ही जा रहा था। मेरी चूत ऐसी गीली और मस्त पहले कभी नहीं हुई थी। ये अमरीशपुरी अब मुझे सलमान खान लग रहा था।
करीब 15 मिनट मेरी चुत को पेलने के बाद उसने लंड की धार मेरी चूत में ख़ाली कर दी।
मैं एकदम निढाल हो गई थी।
सुबह होने तक उस कमीने ने मुझे 3 बार पेला।
सुबह जब नींद खुली.. तो सुबह के 8 बज चुके थे, थानेदार जा चुका था। मोटी पुलिस वाली वहीं खड़ी थी। फिर कपड़े पहन कर मोटी मुझे थाने ले गई। पूरी कहानी पहले से ही सैट थी। मेरे पति को छोड़ दिया गया था।
घर आकर पति ने मुझसे बोला- तूने अच्छा वकील किया था।
उसे क्या पता था कि उसकी रिहाई की कीमत मैंने अपनी चुत में थानदार का लंड पेलवा कर चुकाई थी। मेरा सारा बदन दुख़ रहा था। मेरी चाल ऐसी हो गई थी जैसे किसी ने चूत में कीला ठोक दिया हो। मैंने आईने में देखा कि मेरी इस तरह चुदने की खुशी अलग ही दिख रही थी।
कुछ दिनों बाद मुझे घर से बाजार में थानेदार दिखा.. मैं उसे देख कर मुस्करा उठी। वो समझ गया था कि मैं और पेलवाने को तैयार हूँ।
मेरी ये आपबीती अच्छी लगी हो तो मुठ जरूर मारना.. और मुझे इस चुदाई की कहानी पर अपने मेल लिखना।
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