हिंदी कॉलेज सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पड़ोस का एक लड़का मेरा दोस्त था. एक दिन मैंने उसे कॉलेज टॉयलेट में किसी से गांड मराते देख लिया. मैंने उसकी वीडियो बना ली.
नमस्कार दोस्तो, मैं मानस पाटिल कोल्हापुर से हूँ.
आपने मेरी पिछली कहानी
शब्बो चाची की चुदाई हो गयी
पढ़ी, पसंद की. धन्यवाद.
मैं आज आपके सामने फिर से एक हिंदी कॉलेज सेक्स कहानी लेकर आया हूँ. आशा है आप सब इसको पसंद करेंगे.
यह उस समय की बात है जब मैं अपनी बारहवीं की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर कॉलेज की पढ़ाई चालू कर रहा था.
मेरे साथ साथ मेरे मोहल्ले का एक लड़का, जिसका नाम शिराज था, वो भी मेरे ही कॉलेज में पढ़ रहा था.
पहले मुझे उसके बारे में नहीं मालूम था कि वो भी इसी कॉलेज में है, पर जब वो मुझे दिखाई दिया, तो मुझे जानकारी हुई थी.
वैसे तो मैंने कभी उससे बात नहीं की थी पर एक ही मोहल्ले के और एक ही कॉलेज में होने के कारण अब हमारी कभी कभार बात होने लगी थी.
हमारी पढ़ाई अच्छी चलने लगी थी.
पहले सत्र की परीक्षा में हर कोई लगा हुआ था.
इसलिए मैं भी कॉलेज खत्म होने के बाद पुस्तकालय में बैठ कर पढ़ाई करता था.
इसका फायदा भी था कि एक तो यहां शोर कम रहता था.
दूसरा अगर कोई सवाल का ज़वाब ना आता हो तो आप सीधा शिक्षक रूम में जाकर उनकी मदद ले सकते थे.
ऐसे ही एक दिन जब मैं कॉलेज खत्म होने के बाद पढ़ रहा था तो लघुशंका के लिए मैं पुस्तकालय के ऊपर बने वाशरूम की तरफ जाने लगा.
पर जैसे ही मैं लड़कियों वाले वाशरूम से गुजरा तो मुझे अन्दर से किसी की चुदाई की आवाज सुनाई दी.
चुदाई की आवाज सुन कर मेरे पैर वहीं रुक गए और मैंने इधर उधर देख कर तसल्ली कर ली कि मुझे कोई देख तो नहीं रहा है.
वैसे भी कॉलेज खत्म होने के बाद ज्यादा विद्यार्थी नहीं रहते थे.
पूरी तसल्ली करने के बाद मैंने धीरे से वाशरूम का दरवाजा खोला और दबे पांव अन्दर जाने लगा.
ये वाशरूम बड़ा था और अन्दर एक साथ कई टॉयलेट बने हुए थे.
जैसे जैसे मैं अन्दर गया, वैसे वैसे चुदाई की आवाज तेज सुनाई देने लगी.
कुछ ही देर में मुझे पता चला कि लड़कियों के लिए बने वाशरूम के किसी एक टॉयलेट में चुदाई चल रही है.
तो मैं भी उसके बगल वाले वाशरूम में घुस गया.
आधुनिक शौचालय के कमोड पर खड़े होकर मैंने जैसे ही झांक कर देखा, तो एक बार तो मेरी हंसी छूट गयी और आश्चर्य भी हुआ.
अन्दर शिराज झुका हुआ था और उसका कोई दोस्त उसकी जमकर गांड मार रहा था.
मैंने भी चुपके से अपना मोबाइल निकाला और उन दोनों की वीडियो बनाने लगा.
उस अनजान लड़के के का नाम तो मुझे पता नहीं था पर वो साला पूरी ताकत से शिराज की गांड मारे जा रहा था.
शिराज भी किसी लड़की की तरह झुक कर ‘आह्ह अह …’ करते हुए अपनी गांड मरवा रहा था.
मैं भी चुपके से उन दोनों की सारी बातें और करतूतें वीडियो में कैद कर रहा था.
कुछ देर शिराज की जमकर गांड चोदने के बाद उस लड़के का पानी शिराज की गांड में ही निकल गया.
शिराज ने भी उसका हाथ गांड पर ले जाते हुए उस लड़के का माल हाथ में भर लिया और जीभ बाहर निकाल कर चाटने लगा.
उस लड़के ने भी शिराज को घुटनों पर करके अपना झड़ा हुआ लौड़ा उसके मुँह में दे दिया.
लौड़ा चूसते चूसते शिराज कह रहा था- आह हम्म्म शुक्रिया मेरे मालिक, क्या खूब चोदी अपने मेरी गांड … बड़ा मस्त स्वाद है आपके लौड़े का मेरे मालिक.
शिराज और उस लड़के के हिंदी कॉलेज सेक्स को कैमरे में कैद करके मैं भी चुपके से वहां से निकल गया.
घर आकर मैंने खाना खाया.
तब तक रात के आठ बज चुके थे.
खाना खाकर मैं अपने मोहल्ले में ही घूम रहा था ताकि पेट का खाना जल्दी से पच जाए और रात को नींद जल्दी से आ जाए.
मोबाइल पर गाने सुनते सुनते अब मैं शिराज के घर के बाहर से निकल ही रहा था कि सामने से मुझे उसके घर का दरवाजा खुलता हुआ दिखायी दिया.
दरवाजा खुलते ही एक बीस इक्कीस साल की जवान लड़की ने मेरे लौड़े में आग लगा दी.
मुझे ये समझते देर नहीं लगी कि ये जरूर शिराज की बहन है.
मैं भी जानबूझ कर उसको देखता रहा, उसका जवानी से खिलता हुआ बदन का आकार मुझे रात के अंधेरे में भी अच्छे से दिख रहा था.
घर के बाहर रखे कचरे के डब्बे में कचरा फैंक कर जैसी ही वो मुड़ी तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ गयी.
मैं अपनी ही मस्ती में उसकी कमर और गांड को देख रहा था.
उस लड़की को भी पता चल गया था कि मेरी नजरें कहां कहां घूम रही हैं.
मुझे देख कर वो जोर से मुझ पर चिल्लाई- घूर घूर कर क्या देख रहे हो?
उसके चिल्लाने से मैं होश में आते हुए बोला- अरे, मैं तो बस शिराज से मिलने आया था, आप उसकी बहन हो?
अब तक अंधेरे से मैं उजाले में आ गया था और उस जवान लौंडिया ने मुझे देख लिया था.
उसने जैसे ही मुझे देखा तो उसके सुर बदल गए.
उसने मेरे नादानी भरे सवाल पर हंसते हुए कहा- अरे मियां, उसकी शादी तो नहीं हुई तो मैं उसकी बहन ही हुई ना? आइए जल्दी से अन्दर … आजकल मच्छर बहुत ज्यादा हो गए हैं.
मैं फिर से उसको देख कर उसके पीछे पीछे चलने लगा.
उसकी मटकती गांड देख कर तो मेरा लौड़ा बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
और इस मदहोशी में चलते चलते अचानक में पीछे से उससे जाकर टकरा गया.
दरवाज़े को खोलने के लिए जैसे ही वो रुकी, तो मैं पीछे से उसकी गांड पर जाकर चिपक गया.
वो भी बड़ी हैरानी से मुझे देख कर हल्के से मुस्कुरा दी और बोली- अरे आपका ध्यान कहां है. आज आपकी नजर तो बड़ी इधर उधर भाग रही है?
इतना कह कर वो अन्दर घुस गई.
घर के अन्दर आते ही मैंने उसको देख कर बड़े ताव से कहा- अजी अगर देखने लायक खूबसूरती हो, तो आदमी बस देखता ही रहे … और आप तो चलती फिरती सुंदरता की मूरत हो.
मेरे ऐसे जवाब से शर्माते हुए उसने मेरी तरफ देखा और मेरी तरफ हाथ बढ़ाती हुई बोली- इस खूबसूरत मूरत का नाम साबिरा है … और आप?
मैंने भी उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया.
मुझे तो उस कोमल हाथ को छोड़ने का जरा भी मन नहीं कर रहा था पर तभी उसकी अम्मी ने उसको आवाज देते हुए पूछा- अकेले अकेले किससे बात कर रही है सब्बू?
अपनी अम्मी की आवाज से चौंकते हुए उसने अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया और बोली- जी, भाईजान के दोस्त आए हैं अम्मी.
तब तक उसकी अम्मी भी रसोई से बाहर आ गईं और उन्होंने मुझसे सलाम करते हुए मुझे बैठने को कहा.
साबिरा की तरफ देखते हुए उसने पूछा-अरे पागल लड़की जा, पानी तो लेकर आ.
अपनी अम्मी के कहने पर साबिरा ने मुझे देखा और मुड़ कर रसोई की तरफ जाने लगी.
उसकी गांड का तो मैं अब दीवाना हो चुका था और जैसे ही वो मुड़ कर जाने लगी, मैं फिर से उसकी गांड देखने लगा.
साबिरा की अम्मी को शायद पता चल गया था कि मैं उसकी बेटी की जवानी देख कर मजे ले रहा हूँ.
तो उन्होंने मुझसे मेरे हालचाल पूछना चालू कर दिए ताकि मेरा ध्यान भटक जाए.
जब तक मैं उनके सवालों के जवाब देने लगा तब तक साबिरा ने मेरे लिए पानी का गिलास ले आयी.
पानी का गिलास लेते हुए मैंने जानबूझ कर अपनी उंगलियाँ उसके हाथ की उंगलियों पर घुमाईं और उसको धन्यवाद दिया.
पानी का गिलास ख़ाली कर ही रहा था कि तभी साबिरा की अम्मी का मोबाइल बजा.
उन्होंने मुझसे विदा लेते हुए झट से रसोई की तरफ रुखसती डाल दी.
मैं और साबिरा फिर से अकेले हॉल में थे, दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और धीरे धीरे हंस रहे थे.
मैंने साबिरा का वो शर्मा कर मुस्कुराना देखा और उतने से ही पता लगा लिया कि लौंडिया फंसने के लिए तैयार है.
मैंने भी उसके पास जाते हुए उसका हाथ फिर से अपने हाथ में लिया और उसके बिल्कुल करीब जाकर खड़ा हो गया.
मैं इतना करीब हो गया था कि हम दोनों की सांसें एक दूसरे से टकराने लगी थीं.
उसकी आंखों में देखते हुए मैं बोला- यार कितना कोमल हाथ है तुम्हारा, छोड़ने का मन ही नहीं करता. हाथ इतने कोमल हैं तो तुम्हारे होंठ तो इससे ज़्यादा कोमल होंगे. क्यों … सही कहा ना?
साबिरा भी अब थोड़ी थोड़ी मुझसे खुलने लगी थी.
मेरे हाथ से अपना हाथ उसने छुड़ाने की कोशिश भी नहीं की और उल्टा वो भी मेरे हाथ को सहलाने लगी.
मेरी तरफ देख कर हंसती हुई जैसे वो मुझे आंखों से ही बात कर रही थी.
मेरे स्पर्श से भी वो इतनी गर्म हो रही थी कि उसकी सांसें भी जोर जोर से चल रही थीं.
मैं- कुछ बोलोगी, या मुझे ऐसे ही देखते रहोगी?
साबिरा- जाओ, भाईजान ऊपर अपने कमरे में हैं. यहां अम्मीजान ने देख लिया, तो आफत आ जाएगी.
मैंने भी उसकी बात समझते हुए उसका हाथ छोड़ दिया और उसे भी ऊपर आने का इशारा कर दिया.
तब तक फिर से उसकी अम्मी जान के आने की आहट हुई तो मैं कुछ कदम पीछे जाकर खड़ा हो गया.
बातों ही बातों में पता चला कि शिराज और साबिरा के अब्बू दुबई में काम करते हैं. अम्मी के पास उनका ही फ़ोन आया था और इसीलिए वो भाग कर रसोई में गयी थीं.
मैं थोड़ी बहुत बातें करके ऊपर शिराज से मिलने चला गया.
मेरे साथ ही साबिरा ने भी अपने अम्मी से पढ़ाई का बहाना किया और मेरे पीछे पीछे ऊपर के मंजिल पर आने लगी.
जैसे ही हम ऊपर की तरफ आए, उसने मुझे खींचते हुए झट से गले लगा लिया.
उसकी तेज सांसों ने मुझे बता दिया था कि लौंडिया किस कदर तड़प रही है.
पर मैंने मौके की नजाकत देखते हुए उसे अपने आप से अलग किया.
मैं- सब्र कर मेरी जान, कहीं तेरे अम्मी ने देख लिया तो इधर ही तेरा निकाह पढ़वा देंगी.
मैंने जाते जाते मेरा मोबाइल नंबर उसको दे दिया और कहा- कुछ दिन और मेरी जान … फिर तो मैं तुझे पूरी तरह से अपनी बना लूंगा.
बातों बातों में उसने ये भी बता दिया कि जब से स्कूल में थे, तब से उसका दिल मेरे ऊपर आ चुका था.
कई बार उसने मुझे इशारे भी किए थे पर मैं बुद्धू समझ ही नहीं पाया.
‘चलो, जो भी हुआ ठीक ही हुआ.’
ये कहते हुए उसने भी मेरे होंठों पर चुम्मा धर दिया और अपने कमरे की तरफ भाग गयी.
मैं भी शिराज के कमरे की तरफ बढ़ा और उसके कमरे का दरवाजा खटखटा दिया.
शिराज ने दरवाजा खोल कर मुझे हंसते हंसते अन्दर बुला लिया और हम पढ़ाई के बारे में बातें करने लगे.
मैं- अरे वो सब छोड़ गांडू, पहले ये देख क्या चीज लाया हूँ तेरे लिए!
मैंने मोबाइल उसके सामने रखते हुए धीमी आवाज में उसकी गांड चुदाई का वीडियो चला दिया.
वो देख कर एकदम से डर गया और मेरे पांव पकड़ कर मुझसे भीख मांगने लगा कि मैं ये बात किसी से ना करूं.
मुझे समझ में आ गया कि अगर इस गांडू की बहन को लौड़े के नीचे लाना है तो यही मेरी मदद भी करेगा.
क्यूंकि उसकी असलियत सबूत के साथ मेरे पास थी.
मैं अब उसके बिस्तर पर बैठा था और वो नीचे घुटनों पर बैठ कर मेरे पैर पकड़ कर ‘प्लीज प्लीज …’ करके मुझे मनाने की कोशिश कर रहा था.
मैंने अपना पैर उसके मुँह के सामने किया और उसके मुँह पर एक जोर से लात मारी, तो वो जमीन पर गिर पड़ा.
मैं- चल मादरचोद, तेरी भी बात मान लेता हूँ, पर उसके बदले में तुझे मेरा हर हुकुम मानना पड़ेगा, वरना तेरी सच्चाई पूरी दुनिया को दिखा दूंगा भोसड़ी के गांडू.
शिराज भी गिड़गिड़ाते हुए बोला- यार, तू जो बोलेगा, मैं कर दूंगा. तुझसे भी गांड मरा लूंगा पर प्लीज अम्मी को मत बताना यार … मैं तेरे पैर पकड़ कर भीख मांगता हूँ.
मैं- तेरी मां का भोसड़ा कुत्ते, ये यार यार क्या लगा रखा है मादरचोद. अपने बाप से तमीज से बात किया कर भड़वे गांडू.
शिराज को गालियां देकर अब मैं उसे अपमानित कर रहा था और वो हाथ जोड़ कर मेरे सामने घुटनों पर बैठ कर मिन्नतें करने लगा था.
‘मालिक मालिक …’ कहते हुए फिर से उसने मेरे पैर पकड़ लिए.
मैंने उसको और जलील करने के लिए उसे मेरे तलवे चाटने का इशारा किया तो उसने भी बिना कोई हिचक के मेरे पैर को अपनी जीभ से चाटना चालू कर दिया.
मैं- अब अच्छे से सुन मेरे कुत्ते, आज के बाद मैं तेरी बहन को रोज रात तेरे घर चोदने आऊंगा और तू बिना कोई सवाल किए अपनी बहन को मेरे लौड़े से चुदवाएगा … समझा?
मेरे ऐसे सीधे बात से वो डर गया और फिर से मुझे मनाने की कोशिश करने लगा.
उसको लग रहा था कि उसकी बहन तो शरीफ लड़की है और वो ऐसे काम के लिए कभी तैयार नहीं होगी.
मैंने उसका शक दूर करने के लिए साबिरा को कॉल किया और उसके सामने फ़ोन स्पीकर पर डाल कर मैं साबिरा से चुदाई की बातें करने लगा.
उधर से साबिरा भी किसी बाजारू रंडी की तरफ लंड चूत की बातें करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने साबिरा से बात करके फ़ोन बंद किया और शिराज की तरफ देखने लगा.
वो अपनी गर्दन झुका कर मेरे सामने किसी गुलाम की तरह बैठा रहा, पर उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला.
मैं- सुन लिया हिजड़े, कैसे तेरी शरीफ बहन मेरे लौड़े से चुदने के लिए मचल रही है. अब जो मैं बोला, वो करता जा वरना तेरे घर की इज्जत कचरे के डब्बे में मिलेगी तुझे बहनचोद.
शिराज को सबक सिखा कर मैं वहां से निकल गया.
फिर रात भर मैं ये सोचता रहा कि कैसे मैं कल साबिरा को उसके भाई के सामने चोद सकता हूँ.
ये सब सोच सोच कर मेरे शातिर दिमाग ने प्लान बना ही लिया.
दूसरे दिन कॉलेज में जैसे ही मुझे शिराज मिला, मैंने उसे बता दिया कि मैं आज पढ़ाई का बहाना करके रात भर तेरे घर में रहूँगा और तेरी बहन को आज तेरे सामने चोद कर तेरा जीजा बन जाऊंगा.
उसने भी अपनी इज्जत को बचाने के लिए मेरा साथ देना ही उचित समझा.
कॉलेज खत्म करके मैं सीधा मेरे दोस्त वरुण की मेडिकल शॉप पर गया और उसे नींद की दवाई देने को कहा.
उसने भी दोस्ती में बिना किसी डॉक्टर की पर्ची के मुझे नींद की दवाई दे दी, पर साथ में ये भी बोला कि दो से ज़्यादा एक साथ नहीं लेना.
वरुण को धन्यवाद देकर मैं फटाफट अपने घर आ गया.
खाना खाने के बाद मैंने साबिरा से भी बात कर ली कि आज तू झांटें साफ़ करके सुहागरात की तैयारी कर ले. आज तू अपनी कमसिन बुर को चोदने के लिए अच्छे से तैयार कर लेना ताकि चुदाई का मजा बढ़ जाए.
उसने भी जवानी की आग में मेरे लौड़े से चुदवाने के लिए मेरी सारी बातें मान लीं.
मैं आनन्दविभोर होकर खाना खाने चला गया.
खाने के समय ही मैंने मां को बता दिया कि आज मैं दोस्त के घर जाकर पढ़ाई करूंगा.
दोस्तो, हिंदी कॉलेज सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको एक सीलपैक लड़की की चुदाई की उसके सामने कैसे हुई, ये लिखूंगा.
आप मेल करना न भूलें.
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हिंदी कॉलेज सेक्स कहानी का अगला भाग: गांडू लड़के ने अपनी बहन को चुदवाया- 2