फ्रेंड्स, मैं चन्दन रांची से हूँ. ये मेरी पहली सेक्स कहानी है, अगर कुछ गलती हो जाए तो माफ़ कर देना. इस साईट पर मैं हिंदी में देसी सेक्स स्टोरी तो बहुत दिनों से पढ़ रहा हूँ.. लेकिन मैंने आज सोचा कि मैं भी कुछ अपना अनुभव लिखूं.
रांची में मेरा बिज़नेस है और यहाँ मैं अपनी फैमिली के साथ रहता हूँ. मेरे घर पर मैं, मेरे मम्मी-पापा और एक बहन है. पापा की यहीं सर्विस है तो शुरु से ही हम यहीं रहते हैं.
ये कहानी मेरे और मेरे चाचा की बेटी के बारे में है. मेरे चाचा गाँव में ही रहते हैं और उनकी बेटी मतलब मेरी बहन जो मेरे से दो साल छोटी है. हमारी बात कभी उतनी नहीं हुई केवल किसी की शादी में कोई काम से ही हम गाँव जाते थे. वो भी 2-3 दिनों के लिए तो कभी ज्यादा बातचीत नहीं होती थी.
गाँव मैं तो आप जानते ही है जल्दी शादी हो जाती है. मेरी बहन की भी शादी हो गई थी. शादी में हम लोग भी गए थे. लड़का भी अच्छा था, सब कुछ सही से हुआ और हम लोग वापस रांची आ गए.
कुछ समय बाद मेरी बड़ी बहन की शादी थी, उसमें वो भी आई थी, लेकिन कोई बात नहीं हुई, केवल एक-दूसरे को देख रहे थे.. न उसने कुछ बोला न मैंने!
कुछ सालों बाद उसका एक बेबी हुआ. सारे लोग खुश थे, मम्मी-पापा मिलने भी गए थे. इधर मैं अपने काम में बिजी था इसलिए मेरी कभी उससे बात नहीं हुई थी.
कुछ सालों बाद न्यूज़ मिली कि उसके पति की एक्सीडेंट में डैथ हो गई है. सभी को बहुत बुरा लगा. मम्मी-पापा फिर गाँव गए और वहाँ पता चला कि उसके ससुराल वाले उसे अब रखने को रेडी नहीं हैं तो वो गाँव में ही अपने घर पर ही अपने बच्चे के साथ रहने लगी.
फिर छह महीने बाद गाँव में किसी फंक्शन के मौके पर मम्मी पापा और मैं गया था. मम्मी की क्या बात हुई उन लोगों से, वो तो नहीं पता.. पर आने के एक दिन पहले पता चला कि मेरी बहन भी हमारे साथ चलेगी.
मुझे भी अच्छा लगा कि अब तो कुछ हो ही सकता है. अब वो भी नार्मल हो चुकी थी. दूसरे दिन हम सभी 4 बजे ही गाँव से निकल आए, वो और मम्मी पीछे बैठी हुई थीं. मैं व्यू मिरर से बार-बार उसे देख रहा था. ये बात वो भी नोटिस कर रही थी, लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी.
कुछ देर के बाद मम्मी-पापा दोनों सोने लगे तो मैंने पापा को बोला- अगर सोना है तो आप पीछे बैठ जाओ.
वो पीछे बैठ गए और मेरी बहन आगे आकर मेरे बगल में बैठ गई.
मैंने देखा कि मम्मी-पापा पीछे आराम से सो गए थे, तो मैंने थोड़ा ट्राई करने का सोचा और गियर बदलते समय उसकी जाँघों को टच कर दिया. उसने भी ये नोटिस किया और मुझे देखने लगी. मैं भी उसी को देख रहा था, वो मुझे देख कर मुस्कुरा दी.
मैं समझ गया था कि मेरा जुगाड़ अब घर में ही होने वाला है. अब जब मैं गियर बदलता उसे अच्छे से टच कर देता था, वो बस हंस देती थी और कुछ बोलती नहीं थी.
फिर मैंने गियर चेंज करके हाथों को नहीं हटाया और उसकी जाँघों को टच करके गियर पर ही हाथ रखे रहा. उसने भी अपने पैर को हटाने की कोशिश नहीं की और एक बार मेरी और देख कर आगे देखने लगी. जब मुझे लगा मम्मी-पापा उठ से गए हैं, तो मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसने भी अपना पैर थोड़ा हटा लिया.
कुछ देर बाद मैंने एक होटल पर गाड़ी रोकी और सभी ने फ्रेश होकर चाय और नाश्ता किया और फिर चल पड़े.
इस बार फिर से वो मेरे बगल में आकर बैठ गई. हम लोग थोड़ी देर बात करते रहे, उसके बाद मम्मी-पापा सोने लगे. लेकिन वो जग रही थी और मेरे से बात कर रही थी. जैसे बिज़नेस कैसा चल रहा है और ऐसे ही कुछ-कुछ.. और मैं फिर से गियर चेंज करने के बहाने उसे टच करता रहा.
एक बार मैंने अपने हाथों को उसकी जाँघों पर रख दिया. वो डर कर मम्मी-पापा को पीछे देखने लगी और उसने जल्दी से मेरा हाथ हटा दिया. मैंने भी पीछे देखा कि वो लोग सो रहे थे तो मैंने फिर से हाथ रखा, इस बार उसने नहीं हटाया और मैं उसकी जाँघों को सहलाने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने मेरा हाथ हटा दिया और कार को एक साइड करके रोकने को बोला.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कुछ नहीं बोला और मैंने भी कार नहीं रोकी.. चलाता रहा.
आधे घंटे बाद फिर उसने बोला- प्लीज कार साइड में करो ना!
मैंने पूछा- क्यों?
तब उसने बताया- बाथरूम करना है.
मैंने जानबूझ कर कार नहीं रोकी और चलाता रहा. फिर तीसरी बार उसके बोलने पर मैंने पूछा- मुझे क्या मिलेगा रोकने पर?
उसने बोला- क्या चाहिए?
मैंने बोला- मुझे तुमको बाथरूम करते देखना है.
उसे बहुत जोर से प्रेशर आया हुआ था. उसने तुरंत बोल दिया- ओके..
फिर मैंने कार सर्विस लेन पे ली और साइड करके रोक दिया, जहां बहुत पेड़ और झाड़ियां थीं.. वो उतर कर तुरंत झाड़ियों के पीछे चली गई. मैं भी पीछे से गया. वहाँ जा कर देखा तो वो बैठ कर पेशाब कर रही थी. शायद उसे सही में जोरों से मुत्ती लगी थी.
उसने मुझे देखा और फिर नीचे देख कर सु सु करने लगी. उसकी सु सु की आवाज़ मुझे सुनाई दे रही थी और स्पीड से निकलती पेशाब की धार भी दिख रही थी.
उसकी बुर खुली नहीं थी और उस पर बहुत से बाल थे, इसीलिए क्लियर दिखाई नहीं दे रहा था. पेशाब करके वो खड़ी होकर अपनी पेंटी और सलवार ऊपर कर रही थी.
मैंने फिर बोला- एक बार दर्शन तो करा दो अच्छे से.
उसने बोला- तब से तो देख ही रहे थे.
मैंने बोला- अच्छे से दिखा नहीं..
तो उसने फिर पेंटी थोड़ी नीचे कर दी और खड़ी हो गई.. मैंने पैर फ़ैलाने को बोला तो उसने थोड़ा झुकते हुए अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी चूत के दर्शन दे दिए.
इतने मैं ही मेरा लंड खड़ा हो गया था. चूंकि मुझे भी पेशाब लगी थी सो मैंने उसी के सामने अपनी पेन्ट की ज़िप खोली और लंड निकाल कर पेशाब करने लगा.
वो अपने कपड़े ठीक करके मुझे पेशाब करते देखती रही. मैंने नोटिस किया उसकी नजर मेरे लंड पे ज्यादा थी. मैंने कुछ नहीं बोला. हम दोनों कार में आ गए और वहां से चल पड़े. रास्ते भर मैं उसकी जाँघों को सहलाता रहा और वो कुछ बोली नहीं, बस मजे लेती रही. कभी-कभी मैं अपनी हाथों से उसके पैरों के बीच में ले जाकर उसकी चूत को टच कर देता था. इसी तरह हम मजे करते हुए घर पहुँच गए.
घर पहुँचने के बाद उसे मेरी बहन वाला कमरा मिला. सारे लोग थक गए थे तो सभी सो गए और रात मैं खाना भी बाहर पार्सल से ही आया. खाना खाकर सभी अपने कमरों में चले गए.
मुझे तो नींद नहीं आ रही थी लेकिन कुछ कर भी नहीं सकता था. उसका रूम मेरे पेरेंट्स के रूम के बगल में था. मैंने भी ट्राई नहीं किया और एक बार मुठ मार के सो गया.
अगले दिन सभी अपने काम में लग गए उसने किचन का सारा काम कर दिया.. मम्मी की पूरी हेल्प कर दी. पापा भी नाश्ता करके ऑफिस चले गए और मैं भी निकल गया.
दोपहर में खाना खाने जब मैं घर गया तो सभी ने साथ खाना खाया और फिर मम्मी के मोबाइल से मैंने उसका नंबर निकाल लिया और वापस अपने काम पर निकल गया.
शाम मैंने उसे फ़ोन किया, मुझे पता था इस वक्त वो घर पर अकेली होगी. इस समय मम्मी पड़ोस की आंटी लोग के साथ मंदिर तक घूमने जाती हैं.
फ़ोन उसने उठाया और हैलो बोलते ही उसने मुझे पहचान लिया.
मैंने पूछा- क्या कर रही हो?
वो बोली- अकेली हूँ घर पर और टीवी देख रही हूँ.
मैंने उससे पूछा- रास्ते में आते वक़्त कुछ बुरा तो नहीं लगा था न?
उसने बोला- नहीं बुरा नहीं लगा लेकिन डर लग रहा था कि कहीं अंकल-आंटी न उठ जाएं.
फिर मैंने पूछा- मजा आया न!
बोली- हाँ…
मैंने बोला- फिर कब करने दोगी?
उसने बोला- जब अकेले रहेंगे तब न कुछ हो पाएगा.
मैंने उससे बोला- रात में मैं फ़ोन करूँगा चुपचाप मेरे कमरे में आ जाना.
वो बोली- ठीक है.
मैं तो बहुत खुश था. बहुत दिनों से मुझे भी चूत नहीं मिली थी. वो भी मुझे नहीं लगता था कि पति की डेथ के बाद चुदी होगी.
रात में घर जाकर हमने खाना खाया और फिर थोड़ी देर के बाद अपने-अपने कमरे में चले गए. मुझे तो नींद नहीं आ रही थी, आज क्या-क्या होगा केवल वही सोच कर मेरा लंड एकदम खड़ा था.
रात के करीब 12 बजे मैंने उसे कॉल किया, वो भी लग रहा था मेरे फ़ोन का ही वेट कर रही थी. एक रिंग में ही उसने फ़ोन पिक कर लिया.
मैं बोला- धीरे से गेट खोलना और बंद करना, जिससे मम्मी-पापा की नींद न टूटे और जल्दी से मेरे रूम में आ जाओ.
जल्दी ही वो मेरे रूम में आ गई और मैंने उसे अन्दर करके अपना गेट लॉक कर दिया. फिर मैंने पहली बार उसे हग किया, उसने भी कुछ नहीं बोला. मैंने जोर से उसे अपने से चिपका के रखा था और उसकी गर्दन को किस कर रहा था. वो अपनी हाथों को मेरे पीठ पे चला रही थी. फिर मैं उसे स्मूच करने लगा और वो भी पूरा साथ दे रही थी. कुछ देर एक-दूसरे के होंठों को चूसने के बाद मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया. वो भी मेरी जीभ को चूसे जा रही थी.
फिर हम अलग हुए और मैंने एक-एक करके उसके पूरे कपड़े उतार कर उसे बिस्तर पे लिटा दिया. अब मैं उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा. अपनी चूची को मेरे मुँह में देते ही वो तड़प सी गई. मैं बड़े प्यार से कभी उसके निप्पलों को चूसता, कभी पूरी चूची मुँह में भर लेता. उसे भी मजा आ रहा था. एक हाथ से मैं दूसरे चूचे को सहलाने लगा. वो चुदास से तड़प रही थी. फिर मैं नीचे होकर उसके पेट पे किस करने लगा. उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ से चाटने लगा और फिर उसकी नाभि मैं अपनी जीभ डाल कर अन्दर चूसने लगा.
फिर धीरे-धीरे मैं उसकी चूत को और उसके ऊपर के बालों को सहलाने लगा.
मैंने उसकी बुर को चूसा तो मेरे मुँह में उसके बाल आने लगे थे. मैं उठा और उससे पूछा- झांटें साफ नहीं करती क्या कभी?
बोली- पहले करती थी, अब नहीं करती.
मैंने बोला- अब मेरे लिए कर लिया करो.
वो हंसने लगी, बोली- कल से साफ़ ही रखूंगी.
फिर मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, वो मुझे पागलों की तरह किस किए जा रही थी. उसने मेरी पूरी छाती पे किस किया और खूब सहलाया.
फिर मेरी पेन्ट उतार कर लंड को हाथों में लेकर खेलने लगी. दूसरे हाथ से वो मेरी गोटियों को पकड़ कर दबा देती जिससे मुझे दोहरा मजा आ रहा था. मैंने उसे लंड चूसने बोला तो वो तो जैसे इसी का इंतजार कर रही थी. उसने तुरंत लंड के टोपे को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. कुछ ही देर मैं वो मेरे पूरे लंड को मुँह में अन्दर तक ले कर चूस रही थी. मुझे भी बड़ा अच्छा फील हो रहा था.
फिर मैंने उसे बेड पे लिटा दिया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख कर लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. उसने कंडोम लगाने को बोला, मैं बोला कि अभी तो है नहीं.. कल आ पिल ला दूंगा.
ये कह कर मैंने एक ही झटके उसकी गीली चूत में अपना पूरा लंड पेल दिया. उसकी चूत बहुत टाइट लग रही थी, उसे दर्द भी हुआ लेकिन उसने बर्दाश्त कर लिया. कुछ देर धीरे-धीरे लंड को चुत में अन्दर-बाहर करने के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो अपनी गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगी.
अब मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से उसे पेलना शुरू कर दिया था. हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे. फिर मैंने उसे अपने ऊपर आने को बोला और लंड बिना निकाले पोजीशन चेंज की और ऊपर-नीचे होते हुए लंड पर कूदने लगी. लंड से चुत की चुदाई के साथ ही मैं उसकी चूची भी दबाए जा रहा था.
उसने कुछ धक्कों के बाद अकड़ते हुए बोला- अह.. मेरा निकलने वाला है.
मेरा भी निकलने वाला था, मैं बोला- साथ में निकालेंगे.
मैंने उसे झट से डॉगी पोजीशन में आने को बोला, वो फट से कुतिया बनी और और मैंने तुरंत पीछे से लंड पेल दिया. कुछ ही धक्के लगे कि थोड़ी देर में उसका रस निकल गया और वो ढीली सी पड़ गई. मैंने भी 3-4 बार लंड को और अन्दर-बाहर किया और पूरा पानी उसकी चूत के अन्दर डाल दिया. झड़ने के बाद मैं बिस्तर पर उसके ऊपर ही ढेर हो गया गया. थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और उठ कर किस करने लगी.
उसने बोला- पति के बाद तुम्हीं हो जिसने मुझे चोदा है.
मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो संतुष्ट हो गई थी. फिर उसने कपड़े ठीक किए और बाथरूम में चली गई.
मैं भी उसके पीछे गया और उसे पेशाब करते देखता रहा… फिर हमने एक-दूसरे को हग किया और वो अपने रूम में जाकर सो गए. इसी तरह अब ये हमारा डेली का रूटीन बन चुका था, मैं रोज रात को अपनी चचेरी बहन की चूत चुदाई करता था.
दिन में हम एक-दूसरे से कुछ ज्यादा बात भी नहीं करते थे और रात को मस्त से चुदाई का खेल खेलते थे.
यह खेल आज तक चल रहा है.
कैसी लगी मेरी देसी सेक्स स्टोरी, मुझे मेल जरूर करना.
मेरी ईमेल आईडी है. [email protected]