गाँव के स्कूल मास्टर को चुत की कमी नहीं

गाँव के स्कूल मास्टर को चुत की कमी नहीं


गर्ल स्टूडेंट टीचर चुदाई कहानी में पढ़ें कि एक लड़की ने स्कूल के पास की झाड़ियों में अपनी सहेली को उन्हीं के स्कूल मास्टर से चुदती देखी तो क्या हुआ?
दोस्तो, यह एक वास्तविक सेक्स कहानी है जो एक गांव के स्कूल की है.
हालांकि अब गांव शहर में तब्दील हो गया है.
यह गर्ल स्टूडेंट टीचर चुदाई कहानी बेहद कामुक है और इसे पढ़कर आपका पानी निकल जाएगा.
स्कूल की बारहवीं कक्षा की छात्रा सीमा को पेशाब लग आई थी तो वह बाथरूम में चली गई थी.
ये बाथरूम एकांत में बना हुआ था. उधर फूलों के पेड़ तथा झाड़ियां उगी हुई थीं.
सीमा ने पेशाब लिया और अपनी सलवार से चुत पौंछती हुई बाहर आ गई.
उसका मन आज कुछ चंचल हो रहा था तो वो क्लास में जाने की बजाए कुछ देर झाड़ियों की तरफ देखने लगी.
तभी उसे झाड़ियों में से फुसफुसाहट की आवाजें सुनाई दीं.
उसने सोचा कि क्या हो रहा है, जरा देख तो लूं.
सीमा ने झाड़ियों में ध्यान से देखा, तो उसे हज़ीरा का चेहरा दिखाई दिया.

हज़ीरा थोड़ी झुकी हुई थी और बोल रही थी- आह मजा आ रहा है सर … आह और जोर से धक्का मारिए न सर!
सीमा को उसी पल दूसरी आवाज सुनाई दी, ये ये रमेश सर की आवाज थी.
‘ये क्या सर सर बोल रही है … बोलो रमेश डार्लिंग.’
हज़ीरा- हां रमेश डार्लिंग, मेरी चुत धक्का मार मारके फाड़ दो न … आह बहुत मजा आ रहा है.
रमेश- अब मजा आ रहा है तो कह रही हो कि धक्का मार कर चुत फाड़ दो … साली पहले तो नखरा कर रही थी कि मेरा चुत छोटी है, फट जाएगी … और चुची मत दबाओ … अभी छोटी छोटी हैं.
यह सब सुनकर सीमा का दिल धक-धक करने लगा और उसकी चुत में भी सनसनी होने लगी.
हज़ीरा- मैं गलत थोड़ी कह रही थी यार … पहले मेरी चुचियां कागजी नींबू के समान थीं … वो आपने मसल मसल कर और चूस चूस कर बड़ी कर दी हैं.
रमेश- अब तेरी चुचियां नारंगी के जितनी बड़ी हो गई हैं.
हज़ीरा- यह सब आपकी चुदाई का कमाल है डार्लिंग.
सीमा का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था.
वो सोच रही थी कि तभी मैं सोचूं कि हज़ीरा की चुचियां नारंगी जैसी बड़ी कैसे हो गई हैं, जबकि मेरी चुचियां कागजी नींबू के समान ही हैं.
तो क्या चुदाई करने से चुचियां कागजी नींबू से नारंगी बन जाती हैं.
उधर से हज़ीरा की आवाज आई- आप ठीक कह रहे थे डार्लिग … आह आह सी सी … और तेजी से धक्का मारिए आह मेरी चुत फाड़ दीजिए.
फक फक फचाफच चुदाई की आवाजें आ रही थीं. सीमा से रहा नहीं गया वह और नजदीक चली गई ताकि वो चुदाई का नजारा साफ़ साफ़ देख ले.
अब उसे हज़ीरा की चुत और रमेश सर का लंबा और मोटा लंड दिखाई देने लगा था.
रमेश सर का आधा लंड चुत में घुसा रहने पर भी चार इंच बाहर दिख रहा था.
सीमा सोचने लगी कि उसे पूरा लंड कब दिखाई देगा.
तभी सीमा को पूरा लंड देखने का मौका भी मिल गया.
जब सर ने कहा- चलो हज़ीरा, अब हम जमीन पर लेट कर करते हैं. तुम मेरे ऊपर आ जाओ और लंड को चुत में लो.
हज़ीरा- सही कहा आपने डार्लिंग. उसमें आपका लंड मेरे अन्दर पूरा घुस जाएगा.
रमेश सर लंड को बाहर निकाल कर उठे तो सीमा को उनके कड़े और खड़े लौड़े के दीदार हो गए. सर लेट गए थे तो उनका करीब आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड सीमा की जान सुखाने लगा था.
तभी हज़ीरा अपने दोनों पैर फैलाए और वो चुत में लंड लेने लगी.
पहले लंड का सुपारा थोड़ा सा घुसा, तो सर नीचे से धक्का मार दिया.
धीरे-धीरे पूरा लंड चुत में घुस गया था.
रमेश सर- आह बहुत मजा आ रहा है हज़ीरा … आह क्या तुमको भी मजा आ रहा है मेरी लैला!
हज़ीरा अपनी गांड को ऊपर नीचे करती हुई बोली- हां मेरी जान, एकदम लग रहा है कि स्वर्ग में आ गयी हूँ मेरे मजनूं … और जोर से चोद दो मुझे … आह.
रमेश- हां, मेरी लैला. मेरे लंड की खुजली कम हो रही है … आंह ऐसे लग रहा है कि तेल मालिश हो रही है.
एक बार फिर से फक फक फचाफच की आवाजें गूंजने लगी थीं.
सीमा की चुत भी महसूस कर रही थी कि वो भी लंड से चुदवा रही है. सीमा की चुत आनन्द से किलकने लगी थी.
एक पल बाद सीमा ने अपनी चुत में उंगली डाल दी.
पांच मिनट बाद रमेश सर ने कहा- मेरी लैला, मेरी जान … अब तुम जमीन पर लेट जाओ … तुमको आराम मिलेगा.
हज़ीरा अपनी चुत लंड से निकाल कर बोली- हां, मैं थक गयी हूँ … परन्तु चुत नहीं थकने वाली है. जब तक आप इसको चोद कर फाड़ न दो, तब तक साली रोती रहेगी.
हज़ीरा जमीन पर लेट गई और रमेश सर ने अपना लंड ऊपर से हज़ीरा चुत के छेद में डाल दिया. वो तेज धक्का मारते हुए हज़ीरा की चुत चोदने लगे.
चुदाई की आवाजें गूंजने लगीं.
सर का पूरा का पूरा लंड खाकर हज़ीरा खुशी से चिल्लाने लगी- आह मेरे मजनूं, बहुत मजा आ रहा है … आह और जोर से धक्का मारिए.
रमेश सर- इसमें जोर जोर से धक्का नहीं मारा जाता है मेरी लैला हज़ीरा, लंड को चुत में अन्दर तक महसूस किया जाता है … तुम बताओ … कैसा लग रहा है!
हज़ीरा- ठीक कह रहे हैं मेरे सरताज … आप लंड एकदम से मेरी बच्चेदानी में टक्कर मार रहा है. मुझे बहुत मजा आ रहा है. आंह अब धीरे-धीरे धक्का मारिए न मेरे मजनूं रमेश बाबू.
लैला छात्रा और मजनूं सर की चुदाई की आवाजों को सिर्फ सीमा सुन पा रही थी … क्योंकि यह स्थान सुनसान और दूर था.
वैसे भी स्कूल को गांव से दूर बनाया गया था, जिससे चुदाई में बाधा नहीं हो रही है. अन्यथा कुत्ता कुत्ती की चुदाई में लोग ढेला मारकर बाधा उत्पन्न कर देते हैं.
सीमा भी सोचने लगी कि मैं भी तो उनकी चुदाई देख रही हूँ लेकिन मैं बाधा नहीं बनूंगी सर, बस हमें भी चुदाई का मौका दीजिए न.
तभी रमेश सर की नजर सीमा पर पड़ गई, जो सेक्स के आनन्द में आंख बंद करके आह आह करती हुई अपनी चुत में उंगली कर रही थी.
रमेश सर ने उसे देखा और वो खुशी से बोला- आज का दिन मेरे लिए लक्की दिन है, जब एक और चिड़िया अपने आप आ गयी है.
हज़ीरा नीचे से धक्का मारती हुई बोली- आज आपका लक्की का दिन कैसा … वह तो रोज ही रहता है मजनूं सर जी.
रमेश- तुम मेरे लिए लक्की हो लैला, नहीं तो सोचता था कि इस गांव में मेरे लंड का क्या होगा … मैं इधर किसको चोदूंगा.
हज़ीरा- सबकी किस्मत में तय रहता है कि कौन किसको चोदेगा मेरी जान.
रमेश- गांव में शादी जल्दी हो जाती है और तुम्हारी भी शादी तय हो गई है. जब तुम ससुराल चली जाओगी तो मैं किसको चोदूंगा!
हज़ीरा- अरे मेरे मजनूं सर, वह सीमा है न चोदने के लिए … अभी उसकी चुचियां कागजी नींबू के समान है, वो आपके लौड़े से एकदम मस्त होकर चुदेगी.
रमेश- वो तुम्हारी तरह चुदवाने के लिए थोड़ी मानेगी.
हज़ीरा नीचे से धक्का मारती हुई बोली- अरे जान एक बार साली अपनी चुदाई देख लेगी … तो अपने आप चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी.
रमेश अनजान बनकर बोला- मेरी लैला, जब तुम ससुराल चली जाओगी, तो वह चुदाई कहां से देखेगी!
हज़ीरा नीचे से धक्का मारती हुई बोली-आप बात तो ठीक कह रहे हैं, अच्छा मैं उसे कल लेकर आ जाऊंगी. उसे हम दोनों की चुदाई दिखा दूंगी और वो झट से आपके लौड़े से चुदने के लिए अपनी चुत खोल देगी.
रमेश मुस्करा कर बोला- और हम दोनों की चुदाई देखकर चोदने को बोलेगी, तो तुम क्या करोगी?
हज़ीरा कुछ सोचती हुई बोली- आप मेरे बाद उसको भी चोद देना मेरी जान.
रमेश ने कहा- तेरी बात तो ठीक है. मगर तुम पहले उसको अपनी चूचियां दिखाना, ताकि उसे भी मन हो जाए कि उसकी चूचियां भी मेरे हाथों से मसल कर और होंठों से चूस कर बड़ी कैसे हो गई हैं.
हज़ीरा- आह मेरी जान वो मैं उसे सब बता दूंगी कि कैसे रमेश सर ने मेरी चूची चूसी थीं और इसी वजह से बड़ी हो गई हैं.
रमेश ने हज़ीरा की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे खींच कर चूसने लगे.
हज़ीरा- आह मेरी जान रमेश … कितनी मस्ती से अप मेरी चूची चूसते हो … आह और जोर से चूसो … सच में चूची चुसवाते हुए चुदने में मजा दोगुना हो जाता है.
रमेश- हज़ीरा यदि सीमा इस समय इधर हो, तो उसको कैसे मालूम पड़ेगा कि चूची चुसवाते हुए चुदवाने में कितना मजा आता है.
हज़ीरा- मेरी जान आप तो बस मेरी चूची चूसो … उस साली की चुत में ये सब देख कर ही चींटियां रेंगने लगेंगी. आह दूसरी चूची भी चूसो न … कितना मजा आ रहा है.
रमेश ने हज़ीरा की दूसरी चूची भी चूसना शुरू कर दी.
अब हज़ीरा ने अपने हाथ से अपनी चूची रमेश सर के मुँह में देना शुरू कर दिया और अपनी गांड उठाती हुई चुदवाने लगी.
वो रमेश सर से कहने लगी- आह मेरी जान इनमें दूध नहीं आ रहा है मगर तब भी कितना मजा रहा है … आह जोर जोर से खींचो मेरी चूची को आह मेरी जान चूस लो इसका सारा रस पी लो … आह.
रमेश भी सीमा को दिखा दिखा कर हज़ीरा की चूचियां चूस रहा था. वो एक चूची को चूसते हुए अपने एक हाथ से उसकी दूसरी चूची को मसल भी रहा था.
इससे दूर खड़ी सीमा अपनी चूचियों को मींजने लगी. वो अपने होंठ दांतों से चुभलाने लगी.
रमेश अभी भी सीमा को हज़ीरा की चुत चुदाई दिखाते हुए गर्म कर रहा था.
रमेश ने हज़ीरा से कहा- मेरी जान तुम सीमा को कैसे लाओगी? क्या वो मुझसे चुदवाने के लिए मान जाएगी?
हज़ीरा- सीमा को पटाना आप मेरे ऊपर छोड़ दो रमेश … मैं उसकी पक्की सहेली हूँ. हम दोनों हर तरह की बात कर लेते हैं. मैं उसको अपनी चूचियां खोल कर दिखा दूंगी और उससे कहूँगी कि ये सब रमेश सर के हाथों और होंठों की बदौलत फूल सकी हैं. तब वो मुझसे पूछेगी कि रमेश सर की बदौलत कैसे .. तो मैं उसे बता दूंगी कि बताने से तेरी समझ में नहीं आएगा. तुम मेरे साथ चलो और खुद अपनी आंखों से रमेश सर के हाथों और होंठों का कमाल देख लेना.
रमेश- हां हज़ीरा, तुम बस उसको एक बार अपनी चुदाई दिखा दो … फिर वो गर्म हो जाएगी और मेरे लौड़े से चुदने को मचल उठेगी.
हज़ीरा- हां मेरी जान मैं उसको आज ही गर्म करती हूँ.
रमेश- मगर जब वो चुदने को राजी हो जाएगी तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?
हज़ीरा- डार्लिंग … वो मेरी पक्की सहेली है और हम दोनों हर चीज मिल बाँट कर खाते हैं. आपका लंड भी हम दोनों मिल कर ले लेंगे.
हज़ीरा के मुँह से यह सब सुनकर सीमा खुशी से उछलकर फूली न समाई और उसी समय वो न जाने कैसे गिर गई.
उसके मुँह से एक तेज आह निकली तो उसकी आवाज सुनकर हज़ीरा बोली- लगता है डार्लिंग … कोई हमारी चुदाई देख रहा है.
रमेश- देख रहा नहीं है मेरी जान … देख चुकी है. वो देखो सीमा चुदाई देखकर खुशी से गिर गयी है.
हज़ीरा मुस्करा कर बोली- चलो अच्छा हुआ कि हमें सीमा से कहना नहीं पड़ा. वह स्वयं चुदवाने के लिए आ गयी.
रमेश- अब मैं झड़ रहा हूँ डार्लिंग, अपना पानी कहां गिराऊं?
हज़ीरा बोली- बस मैं भी झड़ रही हूँ … आप अपना पानी मेरी चुत में गिरा दो … आह जल्दी से मेरे अन्दर आ जाओ मेरी जान.
यह सुनकर रमेश सर ने दो तीन तेज झटके मार कर अपना वीर्य हज़ीरा की चुत में ही गिरा दिया.
वो दोनों एक दूसरे से चिपक गए और अपनी तेज चलती सांसों को नियंत्रित करने लगे.
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लौंडियों का लंडराज
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