गर्लफ्रेंड की बुर की सील उसके घर जाकर तोड़ी

गर्लफ्रेंड की बुर की सील उसके घर जाकर तोड़ी

दोस्तो, मेरा नाम सुमित है. मेरी उम्र 25 साल है. मैं सिरसा (हरियाणा) में रहता हूं. एक बार फिर से अपनी कहानी लेकर आया हूँ. आशा करता हूँ मेरी पिछली गरम कहानी
जवान पड़ोसन की चूत की सील तोड़ी

आपको पसंद आई होगी. अगर कोई कमी रह गई थी तो माफ कीजिएगा.

आज मैं आपके सामने एक और गरम आपबीती लेकर आया हूँ. यह कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड की है. पहले मैं आपको उसके बारे में बता दूँ, उसका नाम सृष्टि (बदला हुआ) है. उसकी उम्र 24 साल है. वो दिखने में सुन्दर.. एकदम मस्त फिगर की मालकिन है. उसके मम्मों का साइज 36 इंच था.. और मोटी गांड थी. उसको देख कर लंड पर हाथ फिराने का मन होने लगता था.

उसके परिवार में कुल 4 सदस्य थे. उसके मम्मी पापा, उसकी बहन और वो खुद. उसकी बहन उससे एक साल बड़ी थी.

मैं उनके घर अक्सर आता जाता रहता था. उसके परिवार वाले मुझे अच्छे से जानने लगे थे. उसकी बहन का फिगर उससे भी ज्यादा सेक्सी था. मैंने बाद में उसे भी अपने लंड का पानी पिलाया. उसकी कहानी कभी बाद में बताऊंगा.

खैर अभी हम अपनी कहानी के तरफ बढ़ते हैं.

आज से लगभग एक साल पहले की घटना है. वैसे तो हम काफी अरसे से अच्छे फ्रेंड थे, हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी. हम दोनों ने कभी भी एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाया. हम दोनों हर तरह की बात एक दूसरे से शेयर कर लेते थे.

ऐसे ही काफी महीने निकल गए. मैं उसे लाइक करने लगा. परन्तु कभी उसे बताने की हिम्मत नहीं हुई. मुझे डर लगता था कि कहीं मैं उसकी दोस्ती भी न खो दूँ. पर वो कहते हैं न लाइफ में अगर रिस्क नहीं लोगे तो आगे कैसे बढ़ोगे.

एक दिन हम पार्क में बैठे एक दूसरे से बातें कर रहे थे. मैंने हिम्मत करके उसे बोल ही दिया.

मैंने उससे कहा कि अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?
उसने कहा कि कहो.
मैंने कहा कि मैं तुम्हें लाइक करता हूँ.
उसने कहा कि वो भी मुझे लाइक करती है. उसे मेरे साथ टाइम स्पेंड करना अच्छा लगता है.. मैं उसका सबसे अच्छा दोस्त हूँ.
मैंने कहा कि मेरा मतलब मेरी फीलिंग्स तुम्हारे लिए बदल रही हैं.. मतलब मैं दोस्ती की बात नहीं कर रहा हूँ.
वो बोली कि हां बदल तो मेरी भी रही हैं लेकिन हमारी इस फीलिंग्स का कोई फायदा नहीं. हमारा कोई फ्यूचर नहीं हो सकता.
मैंने कहा- क्यों नहीं हो सकता.. तुम साथ तो दो हम दोनों साथ होंगे तो फ्यूचर अपने आप ही बन जाएगा.

फिर उसने कुछ नहीं बोला और हम घर वापस आ गए. रात को हमारी चैट हो रही थी. मैंने उसे आई लव यू का मैसेज किया. उसका रिप्लाई आते ही मैं तो खुशी के मारे कूदने लगा. उसने आई लव यू टू भेजा. ऐसे ही हमारी कहानी शुरू हो गई.

हम हर रोज रात को चैट करते. फिर मैं धीरे धीरे सेक्स की बातें शुरू करने लगा. कभी उसके कपड़ों के बारे में. कभी उसकी ब्रा के बारे में. ऐसे ही हमारी सेक्स चैट शुरू हो गई.

एक दिन मैंने उससे बोला कि हग चाहिए.
उसने बोला कि देखते हैं.
फिर मैं मौके की तलाश में रहने लगा.

मैं एक दिन उसके घर गया तो घर पर सिर्फ वो और उसकी बहन ही थे. उसकी बहन अपने रूम में थी. हम दोनों रूम के बाहर बरामदे में बैठे बातें कर रहे थे.

मैंने उससे हग मांगा तो उसने कहा कि दीदी घर पर हैं, मरवाओगे क्या?
मैंने कहा कि एक हग ही तो करना है उसे कुछ पता नहीं चलेगा.

वो मान गई और मैं खड़ा हो गया, मुझे देख वो भी खड़ी हो गई.

ज्यादा देर न करते हुए मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया. उसका शरीर इतना गर्म था कि उसका स्पर्श पाते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और पेंट फाड़कर बाहर आने को उतावला हो उठा. मेरा लंड उसकी बुर पर टक्कर मार रहा था, जो उसे भी महसूस होने लगा.

वो जल्दी से दूर हो कर बैठ गई. फिर धीरे से बोली- दीदी आ गईं तो दोनों मरेंगे.
मैंने कहा कि यार एक किस तो बनती है.
उसने मुस्कुरा कर मेरे गालों पर किस किया.
मैंने कहा- ये क्या है.. यार इसे कोई किस कहते हैं.. होंठों पर दो.

उसने मना कर दिया. मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया क्योंकि उसकी बहन का भी डर था. कुछ देर बाद मैं वहां से चला आया.

एक दिन उसका फ़ोन आया कि घर वाले सभी मार्केट गए हुए हैं, पता नहीं कब तक आएंगे.

मैं तुरंत ही उसके घर चला गया और जाते ही मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया. उसकी पीठ पर हाथ रगड़ते हुए उसकी पीठ सहलाता रहा. उसने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए. क्या मुलायम होंठ थे उसके.. मैं उसके होंठों को चूसता रहा. वो भी मेरा साथ देती रही. मैंने पीछे से उसके टॉप में हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाता रहा. उसने कुछ नहीं कहा, तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना हाथ आगे करके ब्रा के ऊपर से ही सीधा उसके मम्मों पर रख दिया.

उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था. वो एकदम से सिहर उठी और मेरा हाथ हटाने लगी, पर मैं नहीं माना और उसकी ब्रा हटा कर सीधा उसका राइट चूचे पकड़ लिया.

वो जोर लगा रही थी कि कैसे भी मेरा हाथ बाहर निकल जाए.. पर मैंने उसका टॉप ऊपर करके उसका एक बूब बाहर निकाल लिया. जैसे ही मैं चूसने के लिए मुँह नीचे करने लगा तो उसने कसम दी और रोने लगी. मैंने उसके मुँह की तरफ देखा तो समझ गया कि ये नाराज हो गई.

मैंने उसे छोड़ दिया. उसने रोते हुए अपने कपड़े ठीक किए. मैं उसे मनाने की कोशिश करने लगा.. लेकिन वो नहीं मानी. उसने मुझे जाने के लिए कह दिया.

मैंने जैसे तैसे करके उसे चुप कराया और उदास होकर अपने घर आ गया.

रात को वो थोड़ा नार्मल हुई तो मैं उससे माफी मांगने लगा तो उसने कहा कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं. बस मुझे ये सब पसंद नहीं.
वो मुझसे नाराज नहीं हुई. ऐसे ही कुछ दिन निकल गए.

फिर एक दिन मैं उसके घर गया तो पता चला कि वो अकेली है. आज फिर उसके घर वाले बाजार गए हुए थे.

मेरे मन में फिर से लड्डू फूटने लगे, पर पिछली बार जो हुआ था, उसका डर भी था. आज मेरी कुछ भी करने की हिम्मत न हुई. वो बेड पर पैर लंबे करके बैठी थी. मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेटा बातें कर रहा था. मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रखा, टॉप के अन्दर सरकाया और उसके मुलायम से पेट को सहलाने लगा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी अच्छा लग रहा था. मैं अपना हाथ कभी थोड़ा ऊपर करता ताकि उसके मम्मों पर रख सकूँ. पर मम्मों पर जाने के हिम्मत न हुई.

फिर कभी नीचे, उसने जीन्स पहनी हुई थी, तो उसकी जीन्स पर हाथ लगा कर वापस पेट पर चला जाता.

उसे भी पता चल रहा था कि मैं क्या करना चाहता हूँ. उसने एकदम से खड़ा होने के लिए बोला. मेरी फट गई. मैंने सोचा आज फिर नाराज हो गई.

मैं खड़ा होकर बेड से उतरा और साइड में खड़ा होकर उदास सा मुँह करके उसे देखने लगा. वो मेरे पास आई और मुझे गले से लगा लिया. मेरी जान में जान आई और अपने हाथ उसकी कमर पर रख दिए. उसने खुद मेरा हाथ लिया और अपने मम्मों पर रख दिया. मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.

मैंने सीधा अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए और मम्मों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसने लगा. धीरे से उसके मम्मों को टॉप में से बाहर निकाला और दबाने लगा.

फिर मैंने उसकी आँखों में देखा. वो समझ गई कि मैं उसके बूब्स चूसना चाहता हूँ. उसने कुछ कहा तो नहीं लेकिन अपना एक हाथ मेरे गालों पर रख कर सहलाने लगी.
मैं समझ गया कि उसकी हाँ है.

मैंने अपने होंठों को उसके निप्पल पर रखा और चूसने लगा. वो कभी मेरे गालों पर हाथ सहलाती, कभी मेरे बालों में.

फिर मैं ऊपर को हुआ, उसे हग किया.. और उसके होंठों को चूसने लगा. मेरी खुशी उसे मेरे चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी, जिसे देख कर वो भी बहुत खुश थी. अब मैंने अपने हाथ उसकी गांड पर रखा और उसकी मोटी गांड को दबाने लगा.

मेरा लंड पैंट फाड़ने को उतावला हुआ जा रहा था. पेंट के अन्दर से ही उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था. जब उसने नहीं रोका तो मैंने उसकी जीन्स में हाथ डाला और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी गांड दबाने लगा. उसने फिर भी नहीं रोका तो मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैंने अपना हाथ आगे के तरफ करके सीधा उसकी बुर पर रख दिया.

वो एकदम से सिहर गई.. लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और मुझे और टाइटली जकड़ लिया. उसकी बुर गीली हो चुकी थी.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर में डाली तो उसे दर्द होने लगा तो मैंने बाहर निकाल ली.

इतने में ही वो बोल पड़ी कि फ़क करना है..
मैं तो हैरान हो गया कि आज सूरज कहाँ से निकला.

अब ये तो आपको बताने के जरूरत ही नहीं कि मैंने हां बोला. मैंने बिना कुछ बोले उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी जीन्स और पैंटी नीचे कर दी. हमें डर था कि कहीं कोई आ न जाए तो मैंने उसकी जीन्स पूरी नहीं उतारी.. सिर्फ घुटनों तक कर दी. मैंने अपनी जीन्स और अंडरवियर भी घुटनों तक कर ली.

फिर खड़े खड़े ही उसकी उसकी बुर के ऊपर अपना लंड रखा और अन्दर डालने लगा. जैसे मैं थोड़ा जोर लगाता, वो दर्द के मारे ऊपर हो जाती. ऐसा 2-3 बार हुआ तो मैंने सोचा कि ऐसे काबू नहीं आएगी. मैंने उसकी जीन्स और पैंटी उतार दी और बेड पर लिटा दिया.

उसके पैर मोड़े और अपने लंड को उसकी बुर पर रख कर थोड़ा सा अन्दर किया ही था कि वो मना करने लगी. मैं उसे अभी मनाने में ही लगा था कि घर की डोरबेल बज गई. हम दोनों के होश उड़ गए. उसके घर वाले आ गए थे.

हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और मैं छत पर जाकर छुप गया. बाद में जैसे ही मौका मिला, मैं घर भाग आया.
रात को लंड हिला के ही काम चलाना पड़ा. फिर कुछ दिन यूँ ही बीत गए.

कई दिनों बाद उसके घर वाले सब बाहर गए, उसने न जाने का बहाना बना लिया और रुक गई. इसके बाद उसने मुझे फ़ोन किया. मैं जाते समय चॉकलेट ले गया. सोचा कि मिलकर खाएंगे.

मैं सीधा उसके घर गया जाते ही उसे दीवार के सहारे लगा कर उसपर टूट पड़ा.. उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा. उसे दर्द भी होने लगा. मैंने देर न करते हुए उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद के भी.. और उसे लेकर बेड पर लेट गया.

फिर मैं उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसता रहा. एक हाथ से उसकी बुर में उंगली डाल के अन्दर बाहर करता रहा. उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं. मैं उसके दाने को दो उंगलियों में पकड़ कर दबा देता तो वो तड़प उठती.

फिर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई. उसने चॉकलेट निकाली और कहने लगी कि ये तो खा ले..
मैंने कुछ नहीं कहा तो उसने चॉकलेट मेरे होंठों पर फिराई और बोली कि कैसी है?
मैंने कहा कि मुँह में तो गई ही नहीं.
तो उसने कहा कि देखो अब मैं कैसे खाऊंगी?

इतना कहते ही उसने मेरे होंठों पर लगी चॉकलेट को चूसना शुरू किया. कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालती ताकि मैं भी चॉकलेट का मजा ले सकूँ.

मैं उसकी जीभ चूसता.. कसम से दोस्तो चॉकलेट खाने का उससे बढ़िया तरीका कोई हो ही नहीं सकता. हम दोनों का पूरा मुँह चॉकलेट से भर गया. एक दूसरे को पागलों के तरह चाटने लगे.

फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और उसके मम्मों पर चॉकलेट लगा कर उसके मम्मों को चाटने लगा. उसके मुँह से आह निकलती रही.. और वो मेरे बालों में हाथ फिराती रही. मैंने उसकी नाभि में चॉकलेट लगाई और चाटने लगा. वो तो पागल हुए जा रही थी.

फिर मैंने चॉकलेट के टुकड़ा उठाया और उसकी बुर के दाने पर रगड़ा तो वो मना करने लगी, वो बोली- वहां नहीं.
मैंने कहा कि चुपचाप लेटी रहो.

फिर मैंने अपना मुँह जैसे ही उसकी बुर पर रखा, वो एकदम से सिहर उठी और पागलों की तरह यहाँ वहाँ पर मारने लगी, वो बोलने लगी कि बस अब प्लीज़ कुछ कर दो..

पर मैं बुर में जीभ अन्दर बाहर करता ही रहा. जैसे ही मैं उसके दाने को काटता वो तड़फ उठती. फिर उसने अपने हाथ को मेरे सिर पर रखा और बुर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी, मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. वो मेरे मुँह पर झड़ गई. मैंने उसका सारा पानी पी लिया और चाट चाट कर सारी बुर साफ कर दी.

अब मैं साइड में लेट गया. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया… तो वो लंड को सहलाने लगी.

जब मैंने कहा कि लंड मुँह में लो तो उसने मना कर दिया. मैंने थोड़ा जोर दिया पर वो नहीं मानी. फिर मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया ताकि बुर ऊपर हो जाए. उसकी टांगों के बीच में आकर उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा. अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपना लंड उसकी बुर पर सैट किया और दोनों हाथों से उसे टाइट पकड़ लिया. ताकि ये हिल न सके.

मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो जैसे ही मेरा सुपारा अन्दर गया, उसकी चीख निकलने को हुई, पर मेरे होंठों में ही दबी रह गई. उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे, वो हिलने की पूरी कोशिश करती रही, मगर मैंने उसे हिलने नहीं दिया.

फिर मैंने पूरा जोर लगा कर एक और धक्का लगाया तो मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया. वो बेहोश सी हो गई, मैं डर गया. पर हिम्मत करके उसे सहलाता रहा. उसके मम्मों को सहलाता रहा, चूसता रहा. अपना लंड अन्दर ही डाले रखा.

दो मिनट बाद वो रोते हुए बोलने लगी कि प्लीज़ बाहर निकालो इसे..
मैंने सोचा कि अब निकाला तो ये फिर से नहीं डालने देगी. मैं उसे समझाने लगा कि बस 2 मिनट का दर्द है बाबू, इसके बाद मजा ही मजा.

पर वो कहां मानने वाली थी, वो तो इधर उधर होने लगी. मैंने उसे टाइटली पकड़ा हुआ था, तो वो निकल नहीं पाई.

जैसे ही वो कुछ शांत हुई, मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया. जैसे ही मैं अन्दर करता तो उसकी चीख निकल जाती.. धीरे धीरे ये चीखें आंहों में बदलने लगी.. और अब वो भी अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.

मैं बीच में उसके मम्मों पर काट देता. उसके चूचे लाल हो गए थे. उसकी आहें तेज होती रहीं और वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूसने लगी.

कुछ देर बाद वो ‘तेज और तेज..’ बड़बड़ाते हुए झड़ गई. उसका पानी मुझे अपने लंड पर महसूस हो रहा था. मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और सारा पानी उसके अन्दर ही निकाल दिया. लंड झाड़ने के बाद मैं उसके ऊपर लेट गया.

फिर मैं नीचे हुआ और वो मेरे ऊपर सिर रख कर लेट गई, हम दोनों कब सोए पता ही नहीं चला.

जब उठे तो देखा चादर पूरी खून और मेरे और उसके पानी से भरी हुई थी.

हम दोनों उठे, उससे चला नहीं जा रहा था. मैंने उसको सहारा दिया और बाथरूम में ले गया. वहाँ मैंने उसकी बुर को अच्छे से गर्म पानी से साफ किया. इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैं कुछ बोलता, इससे पहले ही वो बोल उठी कि बस अब और नहीं..!

मैं हँसने लगा और उसे किस करने लगा. एक किस के बाद उसने मुझे अलग किया और बोली- बस..

फिर हम कमरे में आ गए. एक छोटे बच्चे के तरह मैंने उसे कपड़े पहनाए. उसे हग किया और अपने घर आ गया.

दोस्तो मेरी गरम कहानी कैसी लगी, कृपया करके नीचे लिखी गई मेल पर बताएं.. धन्यवाद.
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