गरम कहानी : होली में भीगी चोली टटोली

गरम कहानी : होली में भीगी चोली टटोली

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मैं हूँ मयंक, मैं छत्तीसगढ़ के और मध्यप्रदेश की सीमा में छोटे से शहर में रहता हूँ. मेरा 28 साल की उम्र है, जिम जाने वाला बदन है और लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच के लगभग मोटाई लिए हुए है किसी भी लड़की को पूर्ण संतुष्ट करने के लिए काफी बल रखता है.
बचपन से ही मुझे सेक्स के बारे में जानने और मस्ती करने का शौक रहा है. इस गरम कहानी का दिन का भाग सच्चा है बाकी सपनों की गहराइयों से निकली हुई कहानी है.

यह बात सन 2004 मार्च के महीने की है, पहले मैं और मेरा परिवार जिस कॉलोनी में रहते थे, यह वहां की आखिरी होली थी. इस समय मेरी उम्र 18 साल के लगभग थी. हमारी कॉलोनी में बहुत सी लड़कियां रहती थीं क्योंकि उस कॉलोनी में करीब 15 घर थे और हर घर में एक दो लड़कियां तो थीं ही.

अब असल मुद्दे पर यानि मेरी गरम कहानी पर आते हैं.

होली का दिन था, कॉलोनी के हम सारे लड़के कॉलोनी के छत की सारी नालियों में पन्नी भर के नालियों को बंद कर दिया करते थे, जिससे होली के खेले गए रंग एक जगह जमा हो जाएं और बाद में आने वालों को उसने लेटा कर नहला कर मजे लें.

उस दिन मेरे लिए खास होने वाला था, हमारे मोहल्ले की एक लड़की नीता (निजता भंग ना हो इस लिए लड़की का नाम बदल दिया है मैंने!) जो कि काफी खूबसूरत थी. उसका पतला बदन.. लगभग 32 इंच के चुचे, उम्र लगभग 18-19 के आस पास, चूतड़ भी गोलाई और मोटाई लेने लगे थे. मेरे को नीता कुछ ज्यादा ही पसंद थी और मैं उसको छूने के बहाने ढूंढता था.

होली के दिन सारे लड़के पहले होली खेलना शुरू करते और बाद में लड़कियां और आंटी लोग ज्वाइन करती थीं.
उस दिन भी ऐसा ही हुआ. कॉलोनी के सभी लोग सभी एक साथ होली खेलने लगे और धीरे धीरे मस्ती में मशगूल होने लगे. अचानक मोहल्ले की सभी लड़कियां एक दूसरे को पकड़ के रंग लगाने लगीं.

सब ने जैसे ही नीता को पकड़ा तो मैं भी साथ में जा कर उसके गालों में, गले में रंग लगाते लगाते अपने हाथ उसके कुर्ते के अन्दर डाल दिया. देखा तो उसने ब्रा नहीं पहनी थी. मैं रंग ले कर उसके चुचे में रंग लगाने लगा और मसलने लगा.

मैं चुचे मसलने में इतना मशगूल था कि ध्यान ही नहीं दिया कि नीता मुझे देख रही है. मैंने झट से अपना हाथ बाहर निकाला और उसकी गांड दबाते हुए खिसक लिया. उस हरकत को भी उसने गौर किया. अब मेरी फट रही थी कि कहीं वो किसी को बता न दे.

अब शुरू होता है सपने वाला पार्ट.

दोपहर में खाना खा कर मैं सो गया. होली की थकान के कारण बहुत गहरी नींद आई. सपने में शुरू हुआ चुदाई का खेल.

शाम को हम लोग ऊपर वाली छत में रोज की तरह छु छुअल्ला खेल रहे थे. मैं बार बार नीता की पीठ में, कभी गांड में कभी चुचे में हाथ मार रहा था और सब से नज़र बचा कर उसे आँख मार देता. धीरे धीरे अँधेरा होने लगा और सारे बच्चे जाने लगे.

नीता ने मुझे आवाज लगा कर रोका. ये बात सब के लिए नार्मल थी लेकिन मेरी जान सूख गई कि पता नहीं क्या होने वाला था. मैंने सहज ढंग से पूछा- क्या हुआ?
तो नीता बोली- रुको, कुछ बात करनी है तुम से.
मैंने बाकी सबको कहा- चलो मैं आता हूँ.
यह कह कर मैं वहीं रुक गया.

नीता- सुबह तुम क्या कर रहे थे मेरे साथ?
मैं- सुबह क्या कर रहा था… मतलब?
नीता- तुम को भी मालूम है कि क्या कर रहे थे.
मैं- देख नीता, भूल जा न.. होली का दिन था और तू मेरे को अच्छी लगती है इसलिए आज अच्छा मौका मिला.. तो तेरे दूदू दबा दिए.
नीता- अच्छा दूदू दबा दिए.. कितना दुःख रहा है.. मालूम है तेरे को?
मैंने फिर से उसके दुदू अपने हाथ से दबाते हुए पूछा- अच्छा दिखा तो देखूं कहाँ से दुःख रहे हैं?

पहले तो उसने हाथ पकड़ के हटा दिया. मैंने दुबारा हाथ बढ़ाया और बोला ‘यार ज़रा देखने तो दे..’ और उसके सामने खड़े हो कर दोनों हाथ से दोनों दूदू सहलाने लगा. धीरे से नीता ने आँखें बंद कर लीं और ‘आह..’ की आवाज निकाली.
अंधेरा पूरा हो चुका था, वैसे भी आसपास की छतों पर कोई था नहीं तो कोई और हमें देख नहीं सकता था.

मैंने उसकी शर्ट में हाथ डाल कर ब्रा सहित ऊपर कर के उसे चुचे बाहर निकाल लिए और दबाने लगा.

नीता को कामुकता का सुरूर सा चढ़ने लगा. साथ में ठंडी हवा चल रही थी. नीता ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को टटोला, मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर पकड़ा दिया और उसके होंठ से होंठ मिला दिए. एक बार तो वो हिचकी मेरा लंड पकड़ने में लेकिन फिर उसने लंड पकड़ लिया और उसे अपने नाजुक कोमल हाथ से सहलाने लगी.
ये हम दोनों के लिए पहली बार था और एक अलग ही दुनिया में थे.

उसने नीचे स्कर्ट पहनी हुई थी, मैंने उसकी स्कर्ट ऊपर उठा कर पैंटी को नीचे किया, तो पता चला कि उसकी चूत पनिया गई थी. मैं एक हाथ से उसके चुचे दबाने लगा और दूसरे से उसकी चूत सहलाने लगा. बीच बीच में उसके दाने को छेड़ देता तो वो एक दम से चिहुँक उठती.

इधर वो मेरे लंड से खेल रही थी, खेलते खेलते लंड से प्रीकम बाहर आया तो उसने उसे लेकर लंड पर मसल कर जोर जोर से मुट्ठ मारने लगी. अब मेरी भी हालत ख़राब हो रही थी. हम दोनों दीवार के सहारे टिक कर बैठे हुए थे.
धीरे से उठा कर मैंने नीता को अपनी गोद में बैठा लिया. मेरे लंड का दबाव उसकी चूत में था, उसका चेहरा मेरे सामने था और किसिंग जारी थी.

फिर मैंने उसकी शर्ट और ब्रा उसके बदन से अलग कर दिया और स्कर्ट को पेट के ऊपर सरका दिया, जिससे ऊपर से पूरी नंगी और नीचे से चुदने के लिए तैयार थी.

मैं अपना लोवर और अंडरवियर उतार कर चोदने के लिए तैयार था, पर वो मेरा लंड छोड़ने को राजी नहीं थी. उसे खूब मजा आ रहा था, उसने मेरा लंड अपने मुंह में लिया और चूसने लगी, इससे मुझे गुदगुदी हुई तो मैंने उसे धक्का देना चाहा. पर वो कहाँ मानने वाली थी. उसने लंड चूस चूस कर मुझे झाड़ दिया और मेरा पूरा वीर्य अपने चुचों पर ले लिया.

मैं एकदम थक गया था, पर मैंने नीता को पकड़ा और उसकी चूत में मुँह रख कर उसके चूत के दाने को जीभ से मसलने लगा और चूत की चटाई करने लगा.
दस मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसकी चूत से पानी बहने लगा.

मैंने उसको छोड़ा नहीं, अपने आपको पूरा उसके ऊपर लेटा दिया और लंड उसकी चूत में रगड़ने लगा. नीता सिसकारियां लेते हुए मेरे बालों से खेलने लगी. कुछ मिनट बाद जब वो बोली कि अब सहन नहीं होता, कुछ कर दो, तो मैंने दो उंगली से उसकी चूत का द्वार खोला और किसी तरह लंड को चूत के छेद में सैट करके धक्का लगा दिया.
मेरे लंड का सुपारा थोड़ा सा अन्दर चला गया.

वो दबी आवाज में चीख पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैंने झट से उसके पूरे बदन के ऊपर लेट कर उसके मुँह को हाथ से दबाया और फिर किस करने लगा. इसी के साथ मैं अपने लंड में इंजेक्शन जैसा प्रेशर डालने लगा, तो नीता दर्द से छटपटाने लगी. पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

फिर मैंने उस की चूत पर अपने लंड का दबाव कम किया तो देखा कि नीता अब थोड़ी शांत हुई है तो मैंने बिना हाथ हटाए, अचानक एक जोर का धक्का दिया, जिस से मेरा लंड उस की चूत को फाड़ता हुआ आधा अन्दर चला गया और उसकी बहुत तेज चीख निकलने को हुई लेकिन मेरे हाथ तक आ कर सीमित रह गई. इतना दर्द होने का मतलब था कि नीता की चूत अभी तक कुंवारी थी जिसका शील हरण मैंने अभी अभी किया.

फिर मैंने उसके होंठों से होंठ लगा के धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए. और धीरे धीरे मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर समा चुका था. कुछ मिनट बाद उसकी तरफ से भी जवाब में उसकी कमर हिलने लगी.

तो मैंने कहा- नीता मेरी जान एक किस करो, जैसे ही उसने मेरे होंठों से अपने होंठ मिलाए. मैंने पूरे जोर से धक्का मारते हुए लंड अन्दर तक घुसेड़ दिया. वो अपने ही किस में दर्द की चीखें सिमट कर रह गईं.
इसके बाद करीब 8-10 मिनट चुदाई का खेल चला और वो झड़ गई. मेरा सबसे पसंदीदा स्टेप घोड़ी वाला है, मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत को निशाना बना कर लंड अन्दर डाल दिया. इस अवस्था में मैं उसे 5 मिनट तक चोदता रहा. जब मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने लंड निकाल कर उसकी गांड के ऊपर पूरा माल उड़ेल दिया.

इसके बाद हम दोनों बेसुध होकर गिर गए और मुझे कोई होश न रहा.

इसके बाद जब मेरी नींद शाम को 5 बजे खुली तो मैंने देखा कि मेरी पूरी अंडरवियर ख़राब थी. मैं उसी ऐसे खराब रहते हुए शाम को छत पर गया तो वहां नीता और एक दो बच्चे थे. मैंने नीता से नज़र मिला कर आँख मारी तो उसने भी आँख मारी.

जब सब लोग चले गए तो मैंने उससे सवेरे वाली हरकत की बात की, उसने कहा- होली थी इतना तो चलता है, पर आगे से ये सब दुबारा नहीं होना चाहिए.

फिर हम दोनों नीचे आने लगे तो दूसरे रास्ते से नीचे आने लगे, जहाँ एक गली से हो के आना पड़ता है. उस गली में हमेशा अँधेरा ही होता था. जैसे ही हम गली में घुसे, मैंने नीता के चूचों को हाथ लगाया और उसी वक्त उसने भी मेरे लंड को जोर से दबा दिया.

हम दोनों ने एक साथ ये काम किया और दोनों अपनी करनी पर हंस पड़े. साथ ही हम दोनों बोले कि अगली बार सही में नंगे हो कर मजा करेंगे.

पर कभी मौका नहीं लग पाया.. हम दोनों की आस मन में ही दब कर मर गई. क्योंकि कुछ ही माह बाद मेरे परिवार ने उस कालोनी को ही छोड़ दिया था.

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी आधी अधूरी चुदाई की गरम कहानी.. कहीं पर कोई गलती हुई हो तो अवश्य बताएं.. अगली बार सुधार करूँगा. आशा करता हूँ सभी लड़कियों की चूत में पानी तो आ ही गया होगा और लड़के भी एक बार झड़ गए होंगे. आगे भी मेरे सपनों से निकल कर ऐसी ही मज़ेदार देसी चुदाई की गरम कहानी बाहर आती रहेंगी और आप लोग को लुभाती रहेंगी.

आपके मेल का इन्तजार है.
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