मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग
कोलकाता में भाभी ने दिलवाई दो और चूत-1
में पढ़ा कि कैसे मेरी भाभी ने अपनी पड़ोसन कुंवारी लड़की हिमानी की चूत का जुगाड़ मेरे लिए किया. मैंने उसकी चूत में लंड डाला तो उसकी जोर की चीख निकला गई और चूत से खून बहाने लगा.
चीख सुन कर भाभी कमरे में आ गयी और उन्होंने हिमानी को संभाला.
अब आगे:
मैं हिमानी को बेड पर ले आया. बेड की चादर पर भी ब्लड लग गया था जिसे हिमानी ने बाथरूम में ले जाकर तुरंत धो दिया और उसपर टोवल डाल दिया. मैं हिमानी को फिर प्यार करने लगा. उसके मम्मों और चूतड़ों पर हाथ फिराया, उसे गोद में बैठा कर प्यार किया और उसके गालों पर हाथ रखकर पूछा- ज्यादा दर्द हुआ?
उसने हाँ में सिर हिलाया.
मैंने उसके होंठों और मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और साथ ही उसकी जांघों और पटों पर हाथ फिराने लगा.
मैंने उससे पूछा- पूरा मजा लेना है या बाकी कल करें?
उसने मुझे बाँहों में जकड़ लिया, वह दुबारा सेक्स से भर गई थी, उसने कहा- अबकी बार थोड़ा क्रीम लगा कर करो.
टेबल पर वैसलीन की डिब्बी रखी थी जिसे वह डिल्डो पर लगाती थी, उसने वही वैसलीन मेरे लण्ड पर अच्छी तरह लगाई और फिर अपनी चूत के अन्दर तक लगाई.
मैंने दुबारा फिर वही पोजीशन ली और उसकी चूत पर लण्ड टिका कर धीरे धीरे अन्दर करने लगा. हिमानी को हालांकि दर्द हो रहा था परंतु वह कसमसा कर पूरा 8 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा लण्ड ले गई. लड़की शरीर से तगड़ी थी इस वजह से इतना बड़ा लण्ड अपनी चूत में दबा गई वरना कई बार तो मैंने देखा था कि बहुत बार चुदी हुई लेडीज भी मेरे लण्ड को लेते वक्त चीखें मारने लग जाती थी.
मैं हिमानी को प्यार करते हुए, उसके मम्मों और होंठों को चूसते हुए उसे मजे की पोजीशन में ले आया और वह दर्द भूल कर मेरा साथ देने लगी और आनंद जाहिर करने लगी. कुछ देर धीरे धीरे चुदाई होने के बाद उसने स्पीड बढ़ाने के लिए कहा- जोर जोर से करो.
मैंने स्पीड बढ़ा दी.
हिमानी की चूत से ब्लीडिंग बंद हो चुकी थी, वह हर झटके का साथ देने लगी. कुछ झटकों के बाद वह आई… ऊई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आई… करके झड़ गई. मैं भी अपना पूरा जोर लगा कर चुदाई करने लगा और 15-20 झटकों के बाद मैंने उसकी नई चूत को पहली बार वीर्य की गर्म गर्म पिचकारियों से भर दिया.
हर पिचकारी पर वह ऊस… आह… कहती रही और अंत में मैं उसके ऊपर लेट गया और काफी देर तक मेरा लण्ड उसकी चूत का रस सोखता रहा और उसकी चूत मेरे लण्ड का रस पीती रही.
कुछ देर बाद वह बोली- ऊपर से हटो.
तो मैं हट गया और वह बाथरूम जाकर अपनी चूत धोकर आई और कपड़े पहनने लगी.
मैंने पूछा- बस?
तो वह बोली- मम्मी के आने का वक्त हो गया है.
मैंने उससे पूछा- अब पढाई में मन लगेगा?
तो वह बोली- मैं आज दिल लगा कर पढूंगी और मेरा ध्यान अब नहीं भटकेगा.
मैंने भी कपड़े पहने और हिमानी को पहले दिन की ट्यूशन पढ़ा कर भाभी के पास आ गया. हिमानी ने अपना दरवाजा बन्द कर लिया.
भाभी कहने लगी- कैसा रहा?
मैंने कहा- मस्त माल है, शुक्रिया भाभी.
अगले रोज मैं सुबह 10 बजे बैंक चला गया और जब 11 बजे के करीब आया तो भाभी जी के पास हिमानी की मम्मी सुजाता बैठी बातें कर रही थी. वे गजब की सुन्दर तरह से तैयार थी. मैंने उन्हें नमस्ते की और कपड़े बदलने बाथरूम में जाने लगा.
भाभी कहने लगी- राज बैठो, बदल लेना अभी क्या जल्दी है?
दरअसल, मेरी पैंट थोड़ी टाइट थी और उसमें से मेरा लौड़ा अलग से दिखाई दे रहा था, जिसे सुजाता भाभी बड़े गौर से देख रही थी.
कुछ देर बाद सुजाता भाभी जाने लगी तो मधु भाभी ने कहा- राज! जरा नीचे सुजाता भाभी के पास चले जाओ, उन्हें तुम से कुछ काम है.
मैंने कहा- भाभी आप चलिए, मैं आता हूँ.
वे चली गईं.
मैंने भाभी से पूछा- इनको मुझसे क्या काम है?
भाभी ने बताया- इसे पता नहीं था कि तुम्हारे भैया यहाँ नहीं हैं, तो पूछ रही थी कि सोते कैसे हो? क्योंकि दूसरे कमरे में पंखा तो है नहीं. दरअसल, इससे मैं कुछ खुली हुई हूँ तो मैंने बता दिया कि यहीं इकट्ठे सोते हैं. तो यह मजाक करने लगी और पूछने लगी ‘राज के लण्ड का क्या साइज़ है?’ मैंने कहा मैं इसे तुम्हारे पास भेज दूँगी, तुम खुद पूछ लेना.
मैं सारा मामला समझ गया कि एक और चूत मिलने वाली है. मैं लोअर और टीशर्ट पहन कर नीचे चला गया.
ड्राइंगरूम में गया तो भाभी बेड रूम से बोली- बैठो राज, मैं आई.
थोड़ी देर में भाभी एक गजब के पिंक पारदर्शी सेक्सी गाउन में आई. उस गाउन से उनकी प्रिंटेड ब्रा और पैंटी साफ़ नजर आ रही थी. उन्हें देखते ही मेरा लण्ड लोअर में टाइट होने लगा, मैं लोअर के नीचे अंडरवियर पहनता ही नहीं.
जब वे आई तो मैं खड़ा हो गया. उन्होंने मेरा तना हुआ लौड़ा नोटिस कर लिया था. वो बोली- बैठो राज! कल तुमने हिमानी को बहुत अच्छी ट्यूशन दी, वह तुम्हारी बहुत तारीफ़ कर रही थी.
वे बोली- राज! बात ये है कि हिमानी के पापा तो बहुत बिजी रहते हैं और मैं घर में बोर होती हूँ, तुम मुझे कुछ कंपनी दे सकते हो?
मैंने पूछा- भाभी! जैसा आप कहेंगी, मैं करूँगा. बताओ क्या करना है?
सुजाता कहने लगी- दरअसल मुझे आज कुछ पीठ में दर्द है, शायद चनक आ गई है अर्थात झटका लग गया है. अगर तुम बुरा न मानो तो तुम मुझे पीछे से जकड़ कर मेरी चनक निकाल दो जिससे मेरी कमर एक बार चटक जाए तो शायद दर्द ख़त्म हो जाए.
मैंने कहा- ठीक है, आप खड़ी हो जाओ.
भाभी कहने लगी- तुम बेड रूम में आ जाओ.
मैंने पूछा- घर के लोग कहाँ गए?
उन्होंने बताया- दोनों बच्चे स्कूल गए हैं, हस्बैंड शॉप पर गए हैं, काम वाली काम करके चली गई है, अतः घर पर हम दोनों के अतिरिक्त कोई नहीं है.
उनका एक बेटा छटी क्लास में पढ़ता था.
हम बेडरूम के अंदर चले गए. भाभी बेडरूम के अंदर आकर कहने लगी- तुम पीछे से मुझे बांहों में भर कर जोर से भींच कर ऊपर उठा दो.
भाभी की चौड़ी और गुदाज कमर और गाण्ड उनके पारदर्शी गाउन में से साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड, मेरे लोअर में पूरा खड़ा था.
मैंने भाभी को पीछे से उनकी चूचियों के नीचे से पकड़ कर अपनी बाहों में जोर से जकड़ा और अपने लौड़े को उनकी गाण्ड पर टिका कर ऊपर उठा दिया. भाभी मेरी बाँहों में झूल गई और उनकी कमर से चटक की आवाज आई.
भाभी पूरी तरह से सेक्स की उत्तेजना से भरी हुई थी और मजा ले रही थी. मैंने उन्हें नीचे उतारा और पूछा- कुछ आराम मिला?
तो वो बोली- एक बार में नहीं होगा, दो तीन बार करो.
भाभी का गाउन फिसल रहा था, मैंने कहा- भाभी जी! यह गाउन फिसल रहा है.
तो भाभी ने सेक्सी अंदाज में कहा- राज! इसे उतार क्यों नहीं देते.
मैंने गाउन को उनके मादक शरीर से उतार दिया. भाभी अब केवल ब्रा और पैन्टी में खड़ी साउथ की हिरोइन की तरह लग रही थी.
मैंने दुबारा अपना लण्ड उनकी पैन्टी के ऊपर लगाया और अबकी बार लगभग उनके मम्मों के ऊपर अपने हाथ रख कर पहले तो खड़ा खड़ा उनके शरीर को भींचता रहा. भाभी जोर से आई… आई… अच्छा लग रहा है… कहती रही.
फिर मैंने उनको दुबारा उठा लिया और पीछे से लण्ड उनकी गाण्ड में अच्छी तरह से गड़ा दिया.
जब भाभी को नीचे उतारा तो मैंने कहा- भाभी ब्रा भी उतार दूँ?
वे बोली- जो करना है कर लो, बस मुझे दर्द से आराम दिला दो.
मैं समझ गया, मैंने खड़े खड़े भाभी की ब्रा निकाल दी और उनके मम्मों को मसलने लगा. क्या गजब के सख्त और नुकीले मम्मे थे. मैंने भाभी की पैंटी में उंगलियां डाली और वह भी नीचे करके निकाल दी.
भाभी कमरे में मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
मैंने भी अपना लोअर और टीशर्ट निकाल दिए. भाभी आँखें बंद करके खड़ी रही. भाभी थोड़ी प्लस साइज़ थी. मैंने पीछे से उनके चूतड़ों की दरार में अपना 8 इंची लौड़ा टिकाया और उनके मम्मे भींचने लगा.
भाभी ने अपना हाथ पीछे करके लौड़े की लंबाई और मोटाई का जायज लिया और मेरी तरफ घूम गई. मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर बोली- राज! तुम तो वाकई में मर्द हो, इतना बड़ा हथियार. भाभी लण्ड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी और जमींन पर बैठ कर लौड़े को मुंह में भर कर चूसने लगी.
वह इस तरह कर रही थी मानो, पहली बार लण्ड देखा हो.
मैंने पूछा- आपके हस्बैंड नहीं करते हैं?
तो वह मुँह बिचका कर बोली- तुमने उन्हें देखा तो है, कितने नाटे कद के काले मोटे कद्दू से लगते हैं, वे तो बस अपना बिज़नेस संभालते हैं और रात होते ही खर्राटे लेने शुरू कर देते हैं. घर और बच्चे मैं ही संभालती हूँ, तुम उनकी बात करके बोर मत करो, एन्जॉय करो और कराओ.
तब मैंने ध्यान से भाभी के नंगे शरीर को देखा. क्या गजब का हुस्न था. मोटे, गोरे, गोल मम्मे- चौड़ी मांसल कमर, सुन्दर मांसल पेट, अच्छी सुन्दर और मोटी सेक्सी गोरी टांगों और जांघों के बीच बिन बालों वाली पाव रोटी सी गोरी चूत, जिसमें एक छोटा सा चीरे का निशान था, जिसके अंदर चूत का वह हिस्सा था जिसमें मेरा बड़ा और मोटा लण्ड जाने वाला था.
वैसे तो वह हिमानी की मम्मी थी, परंतु सेक्स के हिसाब से हिमानी से इक्कीस लग रही थी.
भाभी मेरे जिस्म से चिपक गई और टाँगें थोड़ी चौड़ी करके मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ कर चूत को थोड़ा खोलकर उस पर टिका लिया और दबा कर खड़ी हो गई. मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों में ले लिया. क्या रसीले होंठ थे! मैं कई देर तक उनके होंठ और गाल चूसता रहा, उनकी चूचियों का मर्दन करता रहा, उनकी कमर और गाण्ड पर हाथ फिराता रहा.
भाभी की चूत ने लण्ड की रगड़ से ही पानी छोड़ दिया और पानी ने मेरे लण्ड को चिकना बना दिया. भाभी पीछे हट गई और बेड पर टाँगें खोल कर लेट गई उनकी टांगें खोलने से चूत का अंदर का थोड़ा गुलाबी हिस्सा दिखाई देने लगा, जिसे मैंने अपनी उँगलियों से अच्छी तरह से खोल कर देखा. भाभी किसी भी तरह से दो बच्चों की माँ नहीं लग रही थी. दोस्तो! मुझे हमेशा कुंवारी लड़की की बजाये 35-40 साल की चुदी हुई लेडीज़ को चोदना ज्यादा पसंद है, क्योंकि वे मजा लेती भी हैं, और देती भी हैं.
भाभी ने कहा- राज! अब ऊपर आ जाओ.
मैंने भाभी की टांगों की और बैठ कर टांगों को थोड़ा और खोला और थोड़ा मोड़ कर लण्ड के सुपारे को चूत के छेद पर टिकाया. भाभी आँखे बंद किये लेटी रही. लण्ड और चूत दोनों अपने अपने जूस से तर हो चुके थे, अतः जैसे ही मैंने जोर लगाया आधा लण्ड भाभी की गोरी, नर्म और गुदाज चूत में समा गया.
भाभी ने एक जोर की सिसकी भरी. मैंने दूसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर फंसा दिया. भाभी ने एक बार आह…ई… ई.. की आवाज निकाली और नीचे से अपने चूतड़ों को थोड़ा हिला कर लण्ड को चूत में एडजस्ट किया और मेरी कमर पर हाथ डाल कर चिपक गई.
सुजाता भाभी ने मुझे चोदने का इशारा किया. मैं चूत की ठुकाई करने लगा. भाभी हर झटके पर आह..आह… बोल कर रिस्पांस देने लगी. कुछ देर सीधा चोदने के बाद मैंने भाभी को घोड़ी बनने को बोला तो वह बेड के किनारे पर घोड़ी बन गई. क्या गजब की चिकनी गांड और चूतड़ थे भाभी के. मैंने पीछे से चूत में लण्ड डाला और धक्के मारने शुरू किये. भाभी हर धक्के को, अपनी गाण्ड मेरे लौड़े से अड़ा कर, सह रही थी.
कमरे में फ़च फ़च की आवाजें आ रही थीं. भाभी पसीना पसीना हो गई थी. कुछ झटकों के बाद उन्होंने अपने चूतड़ मेरे लण्ड पर जोर जोर से मारने शुरू कर दिए और जल्दी ही झड़ गई. उन्होंने अपनी चूची और गर्दन नीचे करके तकिये पर रख ली और मेरे झड़ने का इन्तजार करने लगी. मुझे टाइम लग रहा था.
मैंने भाभी को सीधा किया और बेड से नीचे खड़े खड़े उनकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड उनकी सुलगती चूत के अंदर डाल दिया और लगा धक्के पर धक्का मारने. मैंने भाभी को बिल्कुल मोड़ कर उनकी गठड़ी सी बना ली और लण्ड को बच्चेदानी तक ठोकने लगा. उन्हें थोड़ी असुविधा हो रही थी परंतु वह मजा लेती रही और अंत में 15-20 झटकों के बाद मैंने उनकी चूत में अपने लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ मारनी चालू कर दी.
भाभी ने मेरे वीर्य की आखरी बूँद तक अपनी चूत में ली और मैंने उनकी टांगों को नीचे बेड पर रख दिया. उनकी चूत से वीर्य बाहर बहने लगा जिसे उन्होंने अपने हाथ से रोक कर पूरी चूत और जांघों पर मल लिया. सुजाता भाभी ने मेरा वीर्य और चूत के जूस से लिबड़ा लौड़ा अपने मुंह में भर लिया और उसे जीभ और होंठों से चाट कर साफ़ किया.
सुजाता भाभी ने मुझे 2000 रूपये दिए और बोली- 1000 रूपये हिमानी की महीने की एडवांस फीस और 1000 रूपये मेरी आज की ट्यूशन फीस.
मैं खुश हो गया. यह कलकत्ता में मेरी पहली कमाई थी.
भाभी ने मुझे कहा- राज! जब भी मेरी कमर में दर्द होगा तो मैं तुम्हें बुलाऊंगी और तुम आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
उन्होंने मुझे दुबारा किस किया और मैं ऊपर मधु भाभी के पास आ गया.
मधु भाभी को मैंने सारी बातें बताई.
वे बोली- चलो ठीक है, तुम ऐश करो. तीन तीन चूत एक ही घर में मिल रही हैं.
मैं दोपहर का खाना खा कर सो गया. सांय पांच बजे हिमानी दरवाजा खोल कर अन्दर आई और बोली- सर, ट्यूशन?
मैंने कहा- आता हूँ.
मैं हिमानी के कमरे में गया, मैंने पूछा- कल पढ़ाई में मन लगा?
उसने कहा- मैं रात देर तक पढ़ती रही और ध्यान भी नहीं भटका.
हिमानी ने बहुत ही सुन्दर एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी जिसमें उसकी मांसल और चिकनी टाँगें साफ़ दिखाई दे रही थी. ऊपर एक लूज सा टॉप पहन रखा था. मैंने हिमानी को अपनी बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा. मैंने उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला और उसकी पैंटी को खींच कर उसके पाँव में गिरा दिया.
हिमानी की चूत को मुट्ठी में भींचा तो वह सिहर गई. हिमानी ने मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया और बोली- कल मुझे बहुत अच्छा लगा.
उसने मेरा लण्ड पकड़ा और लोअर नीचे करके उसे सहलाने लगी.
मैंने लोअर निकाल दिया और लण्ड को हिमानी के मुँह में भर दिया. वह चूसने लगी. उसे नहीं पता था कि यही लण्ड दिन में उसकी मम्मी चूस चुकी है. हिमानी लण्ड चूसने लगी और वह चुदास से भर गई.
मैंने हिमानी को बेड पर लिटाया और स्कर्ट को ऊपर करके उसकी टाँगे फैलाई. मैंने देखा हिमानी की चूत कल की अपेक्षा सूजी हुई थी और मोटी लग रही थी. उसकी चूचियों के निप्पल भी चूसने के कारण कुछ बड़े लग रहे थे. मैंने चूत पर लण्ड का सुपारा रख कर अंदर किया. आज वह मजे से आँखें बंद करके पूरा लण्ड अन्दर ले गई. मैं बेड से नीचे खड़े खड़े चुदाई करने लगा. जैसे ही मैंने स्पीड बढ़ाई वह आह… आह… आई… जोर से… किल मी…फ़क मी… आई… हाय… हाय… करने लगी और कुछ देर बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने हिमानी को आज घोड़ी बनने को कहा तो वह पूछने लगी- क्या गाण्ड मारनी है?
मैंने कहा- नहीं, चुदाई तरह तरह से होती है. आज मैं पीछे से तुम्हारी चूत में ही लण्ड डालूँगा.
वह घोड़ी बन गई. मैंने बेड के नीचे खड़े हो कर उसकी चिकनी गाण्ड और चूतड़ों पर प्यार से हाथ फिराया, उसकी चूचियों को पकड़ कर मसला और अपनी उँगलियों से चूत को खोला, उसमें लण्ड का सुपारा रखा, धीरे से जोर लगा कर अन्दर किया तो आधा लण्ड अन्दर चला गया. वह थोड़ा कसमसाने लगी तो मैंने उसके कन्धों को पकड़ कर जोर लगा कर एक ही झटके में पूरा लण्ड अन्दर ठोक दिया. हिमानी की चीख निकल गई.
मैंने थोड़ा उसकी कमर और चूतड़ों को सहलाया और थोड़ा टांगों को खोलने को कहा. उसने टाँगें खोली तो लण्ड और अन्दर तक चला गया. मैंने हिमानी को जांघों से पकड़ा और पीछे से उसकी चुदाई करने लगा, उसे पीछे से अच्छा लग रहा था और हर थाप पर आह… आह… उई… उई… करने लगी. मैंने अपना एक पाँव बेड पर रखा और उसकी चूत में लण्ड सटा सट चलाने लगा. मैंने उसके दोनों कन्धों को अपने हाथों से पकड़ा और चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. फिर उसकी चूचियों को हाथों में भर कर उसकी चुदाई जारी रखी.
हिमानी पसीना पसीना हो गई थी. कुछ देर बाद उसने जोर जोर से अपने चूतड़ों को मेरे लौड़े पर पटकना शुरू कर दिया और झड़ गई. झड़ते ही उसने अपनी छाती नीचे बेड पर रख ली और पूरी चूत मेरे लण्ड की टक्कर में अड़ा दी. मैं भी पूरे जोर से उसकी ठुकाई करता रहा. वह आह… आह… आई… आई… मर गई… मार दिया… आदि बोलती रही.
मैंने भी 15-20 जोर दार शॉट के बाद अपने वीर्य की धार से उसकी चूत को लबालब भर दिया. जब वह खड़ी हुई तो वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसकी जांघों से होता हुआ उसके घुटनों तक बहने लगा. मैं उसे चोद कर अपने कमरे में आगया.
भाभी ने मुझसे हिमानी की चूत दिलवाने का वायदा किया था, परंतु हिमानी की मम्मी सुजाता की चूत भी साथ में मिलने लग गई.
मुझे एक ही कोठी में तीन तीन चूतें मिलने लग गईं.
मजे की बात ये थी कि भाभी को तो दोनों माँ बेटी का पता था परंतु उन दोनों को आपस की बात का पता नहीं था और न ही हमने बताया.
हिमानी के लिए मैंने गर्भ निरोधक आई पिल ला दी थी.
उन तीनों के माहवारी आती रहती थी, जिस कारण मुझे भी रेस्ट मिलता रहता था. हिमानी की मम्मी सुजाता तो बड़े ही प्यार, अदा और सेक्सी तरीके से चूत मरवाती थी, जो आज तक याद है