मैंने खुला सेक्स किया अपने पड़ोसी अंकल से कोरोना लॉकडाउन के दौरान. चूत गांड में लंड लेकर लॉकडाउन की बोरियत ख़त्म होने लगी. एक दिन अंकल के दोस्त आये तो …
यह कहानी लड़की की आवाज में सुन कर मजा लें.
आप सबने मेल के जरिये अपना बहुत सारा प्यार मुझे दिया इसके लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
आप सभी मेरे बारे में जानते तो हैं ही!
मगर अपने नये पाठकों के लिए मैं फिर से अपना परिचय दे देती हूँ।
मेरा नाम फेहमिना इक़बाल है। मैं 27 साल की एक खूबसूरत लड़की हूँ। मेरा फिगर 34 28 36 है।
आप लोगों ने मेरी पिछली खुला सेक्स कहानी
कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा
में पढ़ा था कि कैसे मैंने अपने पड़ोसी धीरू अंकल के साथ बिस्तर गर्म किया था.
अब मैं आपको लोगों को उसके आगे की कहानी बताती हूं कि की मैंने खुला सेक्स का मजा लिया.
तो हुआ यूं कि धीरू अंकल के साथ मेरी चुदाई चल रही थी. हम लोगों को 3 – 4 दिन हो गए थे कि हम दिल खोलकर चुदाई कर रहे थे.
फिर एक दिन जब हम चुदाई कर रहे थे; तभी धीरू अंकल के फोन पर एक फोन आया तो उन्होंने वे फोन उठाया और बात करने लगे.
उनकी बातों से लग रहा था कि वे अपने दोस्त के साथ बात कर रहे हैं.
तभी उन्होंने फोन पर कहा- चलो तुम लोग रुको. मैं थोड़ी देर में आता हूं.
यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया.
उनके फोन काटने के बाद मैंने धीरू अंकल से पूछा- किसका फोन था?
तो वे बोले- मेरे दोस्त का फोन था वे लोग मेरे घर आए हुए हैं मुझे जाना होगा.
हमारी चुदाई लगभग पूरी हो गई थी; बस धीरू अंकल का झड़ना बाकी था.
तब इन्होंने जोर-जोर से मेरी चूत में धक्के देने शुरू कर दिए. वे इतनी जोर जोर से धक्के दे रहे थे जैसे कि अभी अपना लंड मेरी चूत से फाड़कर मेरे मुंह से बाहर निकाल देंगे.
उनके झटकों से मुझे भी दर्द हो रहा था लेकिन मैं बस ‘आअह्ह आआह उफफ … जानू धीरे चोदो ना!’ ही कर पा रही थी.
2 मिनट के बाद धीरू अंकल ने अपना सारा पानी कंडोम में ही मेरी चूत में निकाल दिया और मेरी चूत में से अपना लंड निकाल कर मेरे बगल में लेट गए.
दो मिनट बाद उनके फोन पर फिर से घंटी बजी.
उनके दोस्तों का ही फोन था.
तो उन्होंने फ़ोन उठाकर कहा- मैं बस आ गया हूं; 2 मिनट में पहुंच रहा हूं.
यह कहकर धीरू अंकल जल्दी से बिस्तर से उठे और अपने कपड़े पहनने लगे.
मैं उनको नंगी ही बिस्तर पर पड़ी हुई कपड़े पहनते हुए देख रही थी.
उन्होंने अपने कपड़े पहने और मेरे पास आकर मुझे किस करके बोले- मैं थोड़ी देर में आता हूं.
और वहां से चले गए.
मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी तो मुझे नींद आ गई और मैं सो गई.
शाम को लगभग 4:00 बजे के करीब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मैं नंगी ही बिस्तर पर लेटी हुई हूं.
मैं उठकर बाथरूम गई और जाकर नहाने लगी.
फिर मैंने आकर थोड़ा सा नाश्ता बनाया और खाने बैठ गई.
मैं थोड़ी देर बाद बालकनी में जाकर बैठ गई तो देखा कि धीरू अंकल के दोस्त बालकनी में ही बैठे हुए थे.
धीरू अंकल के किसी दोस्त ने मेरी तरफ इशारा करके धीरू अंकल से कुछ पूछना चाहा.
तो धीरू अंकल ने कुछ जवाब दिया.
लेकिन मेरी समझ में नहीं आया.
धीरू अंकल ने जो भी कहा, उससे बाकी के उनके सारे दोस्त हंसने लगे.
इससे मेरे मन में एक शंका सी पैदा हुई कि कहीं इन्होंने मेरे बारे में अपने दोस्तों को तो नहीं बता दिया है.
यह कशमकश मेरे मन में रहने वाली थी. क्योंकि यह कशमकश तभी पूरी होती जब मैं धीरू अंकल से बात कर लेती.
लेकिन उनसे तो बात अब रात को ही हो सकती थी.
मैं थोड़ी देर और वहां खड़ी रही.
वे लोग लगातार मुझे देखकर हंसते रहे.
मुझे शर्म आ रही थी तो मैं अंदर चली गई.
रात को 9:00 बजे के करीब धीरू अंकल फिर से मेरे घर आ गए.
उनके आते ही मैंने उनसे पहला सवाल यही किया कि आपके दोस्त मुझे देख कर हंस क्यों रहे थे.
तो वे बोले- कुछ नहीं … रहने दो.
लेकिन मैंने बहुत ज्यादा फोर्स किया तो वे बोले- वे तुम्हारी जवानी देख कर फिसल रहे थे. उनमें से एक बोल रहा था कि काश ये लड़की चोदने को मिल जाए तो मजा आ जाएगा.
मैंने कहा- तुम साले सारे बुड्ढे इतनी ठरकी कैसे हो सकते हो?
यह कहकर मैं हंसने लगी.
तो मेरा जवाब सुनकर धीरू अंकल थोड़े से रिलैक्स हुए और बोले- मर्द की जवानी कभी खत्म नहीं होती. तुम भी उनके साथ चुद कर देखो. तुम्हें भी मजा आ जाएगा.
यह सुनकर मुझे थोड़ा सा गुस्सा भी आ गया.
तो मैंने कहा- आप अपनी फालतू बकवास अपने पास ही रखो. और आइंदा से मुझसे ऐसे कभी मत कहना. मैं कोई सड़क की रंडी नहीं हूं जो किसी से भी चुदाई करवा लूंगी.
यह सुनकर धीरू अंकल थोड़ा सा डर गए. फिर वे आगे कुछ नहीं बोले.
फिर मैंने उन्हें थोड़ा सा रिलैक्स करने के लिए उनको किस करना शुरू कर दिया.
मैं उनको लगातार किसके लिए जा रही थी.
धीरू अंकल की मूँछें देखकर मुझे ऐसा एहसास हो रहा था जैसे मैं किसी असली मर्द की बांहों में हूं.
मुझे बहुत मजा भी आ रहा था.
तभी धीरू अंकल ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए और हाथ पीछे ले जाकर मेरी गांड को सहलाना शुरू कर दिया.
फिर वे शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरी गांड पर थप्पड़ भी मार रहे थे.
मुझे बहुत मजा आ रहा था; मैं भी उन्हें गालियां दे देकर उनका जोश चढ़ा रही थी.
मैं उनको कह रही थी- हां मादरचोद … मार … मुझे चोद दे. मुझे बहुत मजा आ रहा है साले … हरामी मार ना! रुक क्यों गया मादरचोद?
यह सुनकर अंकल को भी जोश आ गया. अब वे जोर से मेरी गांड पर थप्पड़ मारने लगे.
फिर उन्होंने मेरे पीछे हाथ ले जाकर मेरे शॉर्ट्स को मेरे बदन से अलग कर दिया और मेरी टीशर्ट को भी मेरे बदन से अलग करके मुझे पूरी तरीके से नंगी कर दिया.
मैंने भी उनके बदन से उनकी टीशर्ट और लोअर को उतारकर उन्हें नंगा कर दिया.
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने पूरे नंगे थे.
धीरू अंकल का लंड मेरे पेट पर चोट मार रहा था. मुझसे जितना हुआ जा रहा था मैं उनसे और ज्यादा चिपकना चाहती थी जैसे मैं उन्हें अपने अंदर ही समा लेना चाहती थी.
फिर धीरू अंकल ने मेरे पीछे जाकर मेरी गांड में दो उंगलियां एक साथ डाल दी, जिससे मैं चिहुंक उठी.
लेकिन धीरू अंकल वहां नहीं रुके; 2 उंगलियों से मेरी गांड के अंदर उंगली करना जारी रखा और अपनी दूसरे हाथ की 2 उंगली मेरी चूत में भी डाल दी.
अब वे दोनों हाथों से मेरी चूत और गांड में उंगली अंदर बहार कर रहे थे.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे 2 लंड मुझे एक साथ चोद रहे हों.
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद धीरू अंकल खड़े हुए और मुझे नीचे बैठा कर अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया.
पहले तो वे धीरे-धीरे धक्के दे रहे थे; फिर उन्होंने मेरे बाल पकड़े और जोर-जोर से लंड मेरे मुंह में घुसाने लगे.
वे बहुत देर तक ऐसा करते रहे. मेरे मुंह में भी दर्द होने लगा और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
लेकिन धीरू अंकल नहीं रुके और वे जोर-जोर से मेरे मुंह में धक्के देने ही लगे.
फिर मुझे लगा कि अब शायद मेरी जान निकल जाएगी क्योंकि मुझे सांस लेने में बहुत परेशानी हो रही थी.
तभी धीरू अंकल झड़ने वाले थे तो उन्होंने अपने लंड को मेरे मुंह में जोर से दबा दिया और फिर धीरे-धीरे धक्के देकर वे उन्होंने अपना सारा पानी मेरे मुंह में निकाल दिया.
मैंने सारा पानी निगल लिया.
और तब जाकर धीरू अंकल ने मेरे मुंह से अपने लंड को बाहर निकाला.
मेरे आंसू पौंछकर वे बोले- मेरी जान, कैसा लगा?
तो मैंने कहा- बहन के लोड़े … अगर मैं मर जाती तो तेरी मां चोद देती! बहन के लंड … मादरचोद … ऐसे भी कोई करता है क्या? साले मैं भागी थोड़ी ना जा रही थी कहीं! तू मुझे चोदने ही तो आया था. और मैं भी आज चुदने के लिए ही तो बैठी हूं. तो आराम से नहीं कर सकता था. क्या रंडी का बच्चा साला मादरचोद!
यह सुन कर धीरू अंकल बोले- मेरी जान, जब भी तू मेरे सामने ऐसे नंगी होकर आती है तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होता. मन करता है तेरी मां चोद दूँ! टू मुझसे शादी करके मेरी बीवी बन जा. रोज तेरी ऐसी ही खातिरदारी किया करूंगा.
मैंने कहा- साले, बिना बीवी के तुझे तो मज़े से देती हूं जो तेरी बीवी भी तुझे कभी नहीं दे पाती होगी.
इस बात पर धीरू अंकल बोले- हां, यह बात तो तूने सही कही. मेरी बीवी कभी भी लंड नहीं चूसती थी; और ना ही कभी गांड मरवाती थी. मैं हमेशा से किसी की गांड मारना चाहता था. यह तमन्ना तूने मेरी पूरी कर दी. और इसके लिए मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूं. बोल क्या मांगती है? मांग ले आज!
तो मैंने कहा- नहीं, अभी मुझे कुछ नहीं चाहिए. अभी बस जल्दी से अपना लंड खड़ा करके मेरी चूत की आग को थोड़ा शांत कर दो.
धीरू अंकल बोले- लंड खड़ा करना तो तेरे हाथ में है!
मैंने यह सुनते ही उनके लंड को फिर से मुंह में ले लिया और उनके खुट्टे चाटने शुरू कर दिए.
धीरे धीरे वो मेरे बाल सहला रहे थे.
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए. धीरू अंकल नीचे थे मैं उनके ऊपर थी.
धीरे धीरे धीरू अंकल मेरी चूत भी चाट रहे थे. वे कभी मेरी चूत चाटते थे कभी मेरी चूत पर काटते थे.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
लगभग 15 मिनट लंड चुसाई के बाद वे खड़े हुए और मुझे वहीं पर घोड़ी बना दिया.
फिर पीछे से मेरी चूत में लंड डालकर एक जोर का धक्का दिया और पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया.
मैं थोड़ा सा चीख उठी और बोली- आराम से करो ना जानू!
मगर वे तो जैसे किसी बेलगाम घोड़े की तरह मेरी चुदाई कर रहे थे; बहुत जोर जोर से मेरी चूत में झटके दे रहे थे.
झटके देते देते ही वे बोले- सोच … अगर तेरी चूत में एक साथ दो लंड हों. और एक लंड तेरे मुंह में हो तो कैसा लगेगा?
मैंने कहा- मैं 3 लंड भी एक साथ अपनी चूत में ले सकती हूं. मगर अभी तो तू मेरी चूत को अच्छे से चुदाई करो.
तो वे बोले- तू कहे तो मैं अपने दोस्तों को भी बुला लेता हूं. वे साले भी एक नंबर के चोदू हैं. तेरी चूत का अच्छे से भोसडा बना देंगे.
मैं उस समय पूरी चुदाई के नशे में थी तो मैंने कहा- हां, जिसको बुलाना चाहो, बुला लो. मुझे मेरी चूत और गांड में एक साथ लंड चाहिए. और मुझे एक लंड चूसना भी है.
तभी वे झटके मारते मारते एकदम रुक गए और अपना फोन उठाने लगे.
तो मैंने उनसे पूछा- क्या कर रहे हो?
वे बोले- तेरी हवस मिटाने का इंतजाम कर रहा हूं.
मैंने उन्हें इशारे से पूछा- क्या मतलब?
तो वे बोले- अपने दोस्तों को बुला रहा हूं. वे भी तेरी चुदाई अच्छे से कर देंगे.
मैंने मुस्कुराकर कहा- तुम नहीं सुधरोगे.
तभी उन्होंने फोन लगाया उन्होंने किसी रिजवान नाम के आदमी को फोन लगाया और बोले- जल्दी से सुनील और प्रवीण को साथ लेकर मेरे घर पर आ जा.
फिर उन्होंने लगभग 2 मिनट बात करी और फोन रख दिया.
मैंने उनसे कहा- वे लोग कितनी देर में आएंगे?
तो बोले- वे लोग बस आधे घंटे में आ जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है, इस आधे घंटे में तुम मेरी जमकर चुदाई करो.
फिर उन्होंने अपने पजामे में से एक गोली निकाल कर खा ली.
और फिर मेरी चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी.
वे बहुत जोर जोर से मेरी चूत में झटके मार रहे थे; मुझे बहुत मजा आ रहा था.
फिर उन्होंने पोजीशन बदल के मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और आकर मेरे ऊपर चढ़ गए.
मेरी दोनों टांगें उन्होंने अपने कंधों पर रख ली और मेरी गांड के छेद में अपने लंड को डालकर धीरे धीरे अंदर करने लगे.
मैंने उनको कहा- मेरी गांड बाद में मारना. पहले मेरी चूत की प्यास बुझाओ!
फिर उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में से निकाल कर सीधे मेरी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से धक्के देने लगे.
लगभग 15 मिनट उन्होंने मेरी चुदाई करी.
फिर उन्होंने मुझे बिस्तर से ऊपर खड़ा कर दिया और मुझे पकड़ कर दीवार के सहारे टिका दिया.
मेरी एक टांग को अपने हाथ में उठाकर मेरी चूत को नुमाया कर दिया.
अंकल फिर अपने लंड को मेरी चूत में घिसने लगे और एक झटके में लंड चूत में डाल दिया. और जोर-जोर से वहां भी धक्के देने लगे.
उनके इस स्टाइल पर मुझे बहुत मजा आ रहा था.
वे मुझे लगातार किस भी किए जा रहे थे; एक हाथ से मेरे बूब्स भी दबा रहे थे और नीचे से मेरी चुदाई भी कर रहे थे.
फिर उन्होंने मुझे उल्टा दीवार पर लगा दिया और पीछे से मेरे गांड पर थप्पड़ मारने लगे और नीचे बैठकर मेरी गांड को चाटने लगे.
तब उन्होंने मेरी गांड को फैला कर उसके छेद पर अपने लंड को रखा और बोले- मेरी जान, अब तेरी गांड की बारी है.
तो मैंने भी अपने हाथ पीछे ले जाकर अपने चूतड़ों को फैला दिया और अपनी गांड का छेद धीरू अंकल के सामने नुमाया कर दिया.
मेरे गांड का छेद ही जैसे धीरू अंकल के लंड को न्योता दे रहा था कि मेरी आ लंड और मेरी गांड फाड़ दे.
तभी धीरू अंकल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और धक्का देना शुरू कर दिया.
थोड़े से परिश्रम के बाद उनका लंड मेरी गांड में पूरा उतर चुका था.
मुझे थोड़ा सा दर्द हो रहा था लेकिन उससे ज्यादा कहीं मजा मुझे आ रहा था.
अब धीरू अंकल ने 5 मिनट तक लगातार मेरी गांड मारी और फिर उनके झटके बहुत तेज हो गए.
मैं समझ गई कि धीरू अंकल पानी छोड़ने वाले हैं.
तभी मैंने उनसे पूछा- कहां झाड़ना चाहते हो?
तो उन्होंने कहा- मैं तो तेरी गांड में ही झड़ना चाहता हूं.
यह कहते हो उन्होंने दो-तीन और तेज झटके मारे फिर धीरे-धीरे उनके झटके हल्के हो गए.
उन्होंने आखिरी दो तीन झटके में अपना सारा पानी मेरी गांड में निकाल दिया; जिसे मैंने महसूस किया.
फिर वे मुझसे अलग होकर बिस्तर पर जाकर लेट गए और मुझे अपने पास बुलाया और अपने मुंह पर मेरी गांड का छेद रख दिया; मेरी गांड को चाटना शुरू कर दिया. मेरी गांड से उनका वीर्य निकल रहा था जिसे वे चाट रहे थे.
मुझे लगा कि ये कैसी हरकत कर रहे हैं?
लेकिन मुझे क्या था … मुझे तो इसमें भी मजा आ रहा था.
मैंने भी जोर लगाकर अपनी गांड से सारा वीर्य उनके मुंह में निकाल दिया.
फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे.
तब उन्होंने अपनी मरी हुई बीवी और बच्चों के बारे में बताया. जिसे मैं यहां लिखना नहीं चाहती हूं. वरना कहानी बहुत लंबी हो जाएगी.
[email protected]
खुला सेक्स कहानी का अगला भाग: कोरोना काल में सामूहिक चुदाई- 2