कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा- 2

कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा- 2

लंड चूसना की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने पड़ोस के अंकल से चुदाई की सेटिंग की. उनका बहुत मोटा लंड था. मैंने कैसे उस लंड को चूस कर मजा दिया.

इसी कहानी को सेक्सी लड़की की सेक्सी आवाज में सुने और मजा लें.

कहानी के पहले भाग
लॉक डाउन में चोदमपट्टी की कमी
में अपने पढ़ा कि कोरोना लॉक डाउन के कारण मैं अपने घर में कैद सी हो गयी. मेरी चूत को नित लंड खाने की आदत थी तो मेरी चूत में तलब लगी हुई थी.
मैंने पड़ोस के एक अंकल से सेटिंग की.

वो बोले- मेरी जान अब बर्दाश्त नहीं हो रहा. मन तो ऐसा कर रहा है कि तुझे अभी नंगी करके अपना मूसल लंड तेरी चूत में डाल दूँ!
तो मैंने बोला- थोड़ा सा इंतज़ार करो. इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है.

यह सुनते ही उन्होंने अपना पजामा उतार दिया.
उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना था.

अब आगे की लंड चूसना की कहानी:

पजामा उतारते ही उनका लंड सिर्फ लंड नहीं था, एक मूसल लंड था, वो बाहर आ गया.
जिसे देखकर पहले तो मैं चौंक गयी और सोचने लगी- भारतीय मर्दों का इतना बड़ा और मोटा कैसे हो सकता है?

लेकिन दूसरे ही पल मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैं मन ही मन खुश हो गयी कि चलो मेरे सब्र का फल बहुत मीठा होने वाला है.

मैं उनके पास गयी और अपने हाथ में उनका लंड पकड़ लिया.
तो लंड और ज्यादा उछालने लगा.

उनका लंड हल्का काला था लेकिन लगभग आठ इंच लम्बा और लगभग 3 इंच मोटा मूसल लंड था उनका!

मैं बोली- अंकल, ये लंड कहाँ से लाये हो?
तो वे हंसने लगे और बोले- ये दूध का लंड है. तेरी आंटी की तो चीख निकलती थी इस लंड से!
फिर मैंने कहा- इस लंड से तो किसी की भी चीख निकल जाये!

तो वो बोले- चल मेरी जान चूस न!
मन तो मेरा भी बहुत था मगर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी.
इसलिए उनसे बोली- अंकल, अभी आप जाओ. मुझे घर के बहुत काम है. शाम को करेंगे जो करना है.
तो वो बोले- मेरी जान, 1 बार मेरा लंड चूस दे. फिर मैं चला जाऊंगा.

मैंने उन्हें चिड़ाते हुए कहा- अंकल, अपनी उम्र तो देखो. अगर 1 बार लंड चूस कर पानी निकाल दिया तो 2 दिन तक ठीक से लंड खड़ा भी नहीं होगा.
इस पर वो बोले- अभी तेरी जैसे दस चूतों का भुरता बना सकता है ये लंड! और फिर भी खड़ा रहेगा.

इस बात पर मैं हंस दी और प्यार से उनके लंड पर एक चुम्मा दे दिया.
और फिर उनके होंठों पर जोरदार किस करके उन्हें जाने को बोला.

मगर वो जाने को तैयार नहीं थे और मुझे जबरदस्ती मेरी घुटनों पर बैठा दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया.
उनका लंड मेरे मुंह में पूरा नहीं जा रहा था.
मगर अंकल पूरी जान लगाकर मेरे मुंह में लंड डालने की कोशिश कर रहे थे.

इससे मुझे अब तकलीफ होने लगी तो मैं उन्हें रोककर बोली- अंकल मुझे तकलीफ हो रही है.
तो वो रुके और मुझे बोले- सॉरी बेटा, बहुत दिनों बाद किसी को अपना लंड चुसवा रहा हूँ तो रुका नहीं गया. अब तुम अपने अपने आप करो जैसे करना चाहती हो.

मैं उनको बोली- कोई बात नहीं अंकल!
और मैं फिर से उनका लंड चूसना लगी.

वो रुके, मुझे उठाकर मेरे बिस्तर पर ले गए और मुझे लिटा दिया. अंकल मेरी शॉर्ट्स उतारने लगे तो मैंने फिर से रोक दिया और उन्हें अपने ऊपर खींच लिया और उनके किस करने लगी.
मैं अभी भी ऊपर से नंगी थी.

फिर मैंने नीचे हाथ ले जाकर उनका लंड हिलाना शुरू कर दिया. फिर उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनका लंड फिर से चूसना शुरू कर दिया.
अंकल बस बोल रहे थे- आअह्ह्ह … अआह्ह जान … मेरी रानी, बहुत मज़ा आ रहा है. बस ऐसे ही चूसती रह! तू मेरे लंड को खा जा … आअह्ह्ह.

लगभग 15 मिनट की चुसाई के बाद उनका पानी निकलने को हुआ तो वो बिस्तर पर खड़े हो गये.
अंकल ने मुझे बिस्तर पर घुटनों के बल बैठा दिया और मुट्ठी मारनी शुरू कर दी.
अपना सारा माल उन्होंने मेरे बूब्स पर निकाल दिया और फिर वहीं लेट गये.

मैं बाथरूम गयी और जाकर खुद को साफ़ करके वापस आई.
अंकल अभी भी नंगे बिस्तर पर लेटे हुए थे.

मुझे वापस आती देखकर बोले- मैं तो झड़ गया. यहाँ आ जाओ, तुम्हारा भी पानी निकाल देता हूँ.
तो मैं हंसती हुई बोली- जी नहीं, उसकी कोई जरूरत नहीं है. अब आप जाओ यहाँ से! मुझे घर के काम निपटाकर ऑफिस का काम भी करना है, मैं पहले से ही लेट हो चुकी हूँ.

तो वो अपने कपड़े पहनने लगे और फिर मेरे पास आकर मेरे बूब्स दबाकर बोले- मेरी जान, तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ.
फिर वे मुझे किस करके जाने लगे.

जाते जाते उन्होंने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और बोले- रात को अपनी चूत और गांड चिकनी करने रखना.
फिर वो चले गए.

उनके जाते ही मुझे उनके लंड की याद आने लगी.
मुझे लगने लगा कि चलो इतने दिनों के सब्र का फल बहुत मीठा होने वाला है.
यह सोचकर ही मेरी चूत में आग लगने लगी.

मैंने उनका पानी तो निकाल दिया था.
अब बारी थी कि मैं भी अपना पानी निकालकर अपनी चूत को शांत कर लूँ.

तो मैंने अपनी चूत में मोटा वाला डिल्डो डालकर अपनी चूत को शांत किया.

यहाँ कुछ लोग सोच रहे होंगे कि मैंने उस समय अंकल से अपनी चूत क्यूं नहीं चुदवाई?
तो मैं उन्हें बता दूँ कि मेरा स्टाइल थोड़ा अलग है. मैं पहले मर्द को पूरी तरह से गर्म कर देती हूँ. उससे ये होगा कि वो अंकल अब पूरा दिन तड़पेंगे और रात को सारी हवस मेरी चूत में निकालेंगे जिससे मुझे तो बहुत मज़ा आएगा।

खैर मैंने भी थोड़ी देर डिल्डो डालकर अपना पानी निकला और जाकर वर्क फ्रॉम होम के लिए तैयार हो गयी।

फिर सारा दिन अपना काम ख़त्म किया.

चूँकि गर्मी बहुत थी तो मैंने सोचा की चलो नहा लिया जाये.
तो मैं नंगी ही बाथरूम की तरफ जाने लगी.

इतने में फिर से दरवाजे पर दस्तक हुई.
मैंने सोचा कि इस वक़्त कौन आ गया.

फिर मैंने 1 लम्बी टीशर्ट डाली और गेट खोलने चली गयी.
मैं नीचे से पूरी तरह से नंगी थी, मेरे बदन पर सिर्फ 1 टीशर्ट थी।

मैंने दरवाजा खोला तो देखा फिर से वही अंकल थे.
इन सब बातों में मैंने आपको उनक नाम तो बताया ही नहीं!
उनका नाम धीरेन्द्र प्रताप सिंह था. चूँकि उनका नाम बड़ा है तो मैं यहाँ उन्हें धीरू अंकल के नाम से संबोधित करुँगी।

मैंने उन्हें देखकर कहा- क्या काम है?
तो वो मुस्कुराये और बोले- जान, अब तो चुदाई करने दे!
और वो पजामे के ऊपर से लंड सहलाने लगे.

वो ये सब दरवाजे पर खड़े होकर कर रहे थे तो मैंने उन्हें अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया.
मैं उनको बोली- आपका दिमाग ख़राब है क्या? ऐसे गेट पर खड़े होकर लंड सहला रहे हो? खुद तो पिटोगे ही … और मेरी भी इमेज ख़राब करवाकर मानोगे.

और मैंने ये सब थोड़ा गुस्से में कहा तो वो बोले- जान सॉरी, मगर मुझसे अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा. मुझे तेरी चुदाई करनी है अभी,

तो मैंने उन्हें और ज्यादा तड़पाने के लिए बोला- मुझे अब आप के साथ कोई चुदाई नहीं करवानी. आप जाओ यहाँ से!
उनकी ये सुनकर फट गयी.
वो बोले- मेरी जान, माफ़ कर दे. देख ऐसा मत बोल. वर्ना मैं मर जाऊंगा. मेरा लंड मेरे काबू में नहीं है.

ये बोलकर वो मेरे बूब्स दबाने लगे.
तो मैंने उनका हाथ छिटक दिया और उन्हें जाने को बोला.

वो बहुत उदास हो गए और बोले- अबकी बार माफ़ कर दे. फिर ऐसी गलती नहीं करूँगा.
तो मैं उन्हें पकड़कर गेट तक ले गयी और उन्हें धक्का देकर बाहर करके उन्हें मुंह चिड़ाते हुए बोली- अब तो जो होगा, रात को ही होगा.
और फिर मैं हंस दी.

तो उनकी जान में जान आई.
फिर वो चले गए और मैं भी फिर से नंगी होकर नहाने चली गयी।

उस दिन मैं खूब रगड़ रगड़ कर नहाई.
क्यूंकि मेरी चुदाई भी बहुत दिनों बाद हो रही थी तो मैंने अपनी चूत को भी अच्छे से चिकनी कर लिया.
पूरे शरीर को अच्छे से वेक्स भी कर लिया जिससे मेरा जिस्म एकदम चिकना हो गया था.

अब पार्लर तो जा नहीं सकती थी तो इसलिए जैसे भी वेक्स हुआ घर पर ही कर लिया.

और इस बीच अंकल के लंड को याद करके एक बार चूत में उंगली भी डाल ली और पानी भी निकाल लिया.

फिर आकर 1 लम्बी टीशर्ट डाल ली और अंदर बस 1 पैंटी पहन ली.

अब तक शाम के 6 बज चुके थे.
अंकल को मैंने 8 बजे का समय दिया था तो मेरे पास अभी भी 2 घंटे थे.

तो मैंने सोचा कि चलो थोड़ी देर बालकनी में जाकर किसी लोंडे को ताड़ा जाये।
लेकिन वहां कोई आया नहीं.
थोड़ी देर तक तो इन्तजार किया, फिर मैं जैसे ही जाने को हुई तो धीरू अंकल ने मुझे आवाज देकर रोक लिया.

मैं रुक गयी और उनकी बकचोदी शुरू हो गयी.
वो बोले- जान, अब और इन्तजार नहीं हो रहा. सुबह से 2 बार मुट्ठी मार चुका हूँ.
तो मैंने कहा- अरे इतनी बार क्यों मार ली? अब बिस्तर पर अब खड़ा भी होगा या नहीं?
यह बोलकर मैं हंसने लगी.

तो अंकल झेंप गए और बोले- अभी भी इतनी जान है कि तेरे जैसी दस लोंडियों को अपने लंड की सवारी करवा सकता हूँ.
मैंने कहा- अच्छा जी? वो तो थोड़ी देर में पता चल ही जायेगा.

तो वो बोले- कितना इन्तजार करवाएगी मेरी जान?
मैंने कहा- बस 1.30 घंटे बचे है. फिर तो मैं पूरी आपकी हूँ. जो करना चाहो, कर लेना.

तो वो बोले- मेरी जान, कुछ दिखा ना!
मैंने चौंकते हुए पूछा- यहाँ क्या देखना है आपको?
वो बोले- अपने बूब्स दिखा!

मैंने कहा- आपका दिमाग ख़राब है क्या? यहाँ कैसे दिखा सकती हूँ?
तो वो बोले- कोई नहीं देखेगा. तू जल्दी से दिखा कर टीशर्ट पहन लेना.

मैंने मना कर दिया.
मगर वो मुझे बार बार बोलने लगे तो आखिर मैं मैंने हार मान ली.

मैंने इधर उधर देखा. आस पास तो कोई नहीं था मगर थोड़ी दूर कुछ लोग अपनी बालकनी में बैठे हुए थे.
तो मैंने सोचा इतनी दूर से इन्हें क्या ही दिखेगा.

मैंने झट से टीशर्ट ऊपर कर दी अब मेरे मुलायम चुच्चे उनके सामने नंगे थे.
मेरे चुच्चे देखकर उन्होंने अपने लंड को पकड़ लिया और बोले- मैं अभी आ रहा हूँ तुझे चोदने के लिए!

तो मैंने अपनी टीशर्ट नीचे करके उन्हें मना कर दिया और बोली- अब आप अंदर जाओ. मुझे तैयार होना है.
वो बोले- मस्त तैयार होना और जल्दी बुला लेना!
मैंने उन्हें बोला- आप 8 बजे आ जाना।

ये बोलकर मैं भी अंदर आ गयी.

ऐसे दिन में खुले में अपनी टीशर्ट उतारने का अनुभव मैंने पहली बार किया था.
लेकिन ये बहुत रोमांच पैदा करने वाला था.
मुझे कहीं न कहीं मज़ा भी आया था।

खैर अब मैं तैयार होने लगी. मैंने एक बहुत सेक्सी सी साड़ी निकाल ली और वही पहनने का सोचा. वो साड़ी नीले रंग की जालीदार थी।

मैंने पहले 1 सेक्सी सी ट्रांसपैरेंट ब्रा पहनी. और सिर्फ मेरी चूत का छेद ढकने लायक पैंटी पहनी.
फिर ब्लाउज और पेटीकोट पहने. और फिर साड़ी पहन ली.
इसके बाद बहुत अच्छा सा मेकअप किया मैंने।

चूँकि मैं आज बहुत दिनों बाद ऐसे तैयार हो रही थी तो मुझे तैयार होने मे मज़ा भी आ रहा था और साथ ही होने वाली चुदाई का रोमांच मेरी चूत को बार बार गीला कर रहा था।

मैंने अपने आप को एक माल बना लिया था जिसे देखकर धीरू अंकल का पैन्ट में ही पानी निकलने वाला था.

8 बजने में अभी भी 10 मिनट थे. तो मैं सोफे पर बैठकर उनका इन्तजार करने लगी.
मगर टाइम तो जैसे बीत ही नहीं रहा था. वो 10 मिनट मुझे 10 घंटे के बराबर लगने लगे।

खैर मेरा इन्तेजार ख़त्म हुआ और ठीक 8 बजे अंकल ने दरवाजे पर घंटी मारी.
तो मैंने सोचा कि यह आदमी 8 बजने का ही इन्तेजार कर रहा था क्या?

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला … वो मुझे देखकर जैसे कहीं खो गए और बहुत देर तक मुझे ऊपर से नीचे तक घूरते रहे.

तो मैं उन्हें बोली- अंदर नहीं आना क्या?
तो वो तो जैसे नींद से जागे और बोले- हाँ मुझे अंदर आना है.
और झट से अंदर आ गए.

मैं दरवाजा बंद करने लगी तो उन्होंने मुझे पीछे से बांहों में ले लिया और ब्लाउज के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगे.
और ऐसे ही खड़े खड़े पीछे से धक्के देने लगे.

तो मैंने उन्हें रोका और बोली- ऐसे ही झड़ने का इरादा है या कुछ करके झड़ना चाहते हो?
वो बोले- मेरी जान, अभी कुछ मत बोल बस मुझे जो करना है, बस करने दे!

तो मैं भी चुप हो गयी और देखने लगी कि ये आगे आगे क्या करते हैं।

फिर वो मेरी गर्दन को चाटने लगे. उनके इस तरह चाटने से मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना होने लगी. मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर पहुँच गया और मैं साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को सहलाने लगी.

मेरी यह हरकत धीरू अंकल ने देख ली.
उन्होंने मेरा हाथ मेरी चूत से हटा दिया और मेरे दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उन्हें अपने हाथ से पकड़ लिया.

अब वो जोर जोर से मेरी गर्दन पर काट भी रहे थे. तो मुझे हल्का दर्द भी हो रहा था मगर उनके ऐसे करने से मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था.

फिर अंकल ने मुझे सीधा किया और मुझे होंठों पर किस करने लगे. वो दोनों हाथ से मेरे गाल पकड़कर मुझे किस किये जा रहे थे. कभी उनकी जीभ मेरे मुंह में थी और कभी मेरी जीभ उनके मुंह में थी.

लगभग 5 मिनट की जोरदार चूमाचाटी के बाद हम अलग हुए तो वो मेरी साड़ी मेरे जिस्म से अलग करने लगे.
तो मैंने उन्हें रोका और कहा- अभी इतनी भी क्या जल्दी है. अभी तो पूरी रात बाकी है. आराम आराम से करेंगे!

यह कहकर मैं बेडरूम में चली गयी और धीरू अंकल मेरे पीछे पीछे बेडरूम में आ गये।

प्रिय पाठको, मेल और कमेंट्स करके मुझे बताना कि आपको कहानी अच्छी लग रही है या नहीं?
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लंड चूसना की कहानी का अगला भाग: कोरोना काल में मिला अंकल के लंड का सहारा- 3

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