टीचर कॉलेज बॉय सेक्स कहानी एक लेडी प्रोफेसर की है जो शौहर से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पायी तो उसने कॉलेज के दो बांके जवान लड़कों के लंड अपनी चूत में घुसवा लिए.
मैं मिसेज ज़ाफिया हूँ, 32 साल की एक मद मस्त, खूबसूरत और बिंदास औरत।
एक मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट में मैं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रही हूँ।
मैं एम. बी. ए. स्टूडेंट्स को पढ़ाती हूँ।
यह टीचर कॉलेज बॉय सेक्स कहानी मेरी चूत की चुदाई की है.
हमारे कॉलेज में को-एजुकेशन है मतलब यह कि लड़के और लड़कियां सब साथ में पढ़ते हैं।
इत्तिफाक से हमारे कॉलेज में जितने लड़के हैं लगभग उतनी ही लड़कियां भी हैं।
ज़ाहिर है कि सभी स्टूडेंट्स एडल्ट हैं, मस्त जवान हैं और सब अपना अपना भला बुरा अच्छी तरह समझते हैं।
मैं चूँकि पढ़ाने में बहुत अच्छी हूँ इसलिए मुझसे लड़के और लड़कियां ज्यादा मदद लेते हैं और मैं सबको अच्छी तरह गाइड भी करती हूँ।
मेरा कद 5′ 5″ है, मैं गोरी चिट्टी हूँ और बड़े बड़े सुडौल मम्मों वाली भी हूँ।
मैं या तो साड़ी और एक छोटी सी ब्रा में रहती हूँ या फिर लो वेस्ट जींस और डीप नेक के टॉप में रहती हूँ।
डीप नेक के कपड़े ही पहनती हूँ मैं … जिससे मेरे उभरे हुए और तने हुए बूब्स के दर्शन लड़कों को होते रहते हैं।
उन्हें मेरे बूब्स के बीच की दरार जिसे इंग्लिश में cleavage कहते हैं, बड़ी दूर तक दिखाई पड़ती है।
मैं बार बार अपने पल्लू को अपने बूब्स से सरकाती रहती हूँ ताकि लड़के मेरे बूब्स के साइज का अंदाज़ा लगा सकें।
साथ ही साथ मैं बालों की लटें भी संवारती रहती हूँ.
पढ़ाते समय मैं इन सब बातों का ख्याल बहुत रखती हूँ।
लड़के जब मुझसे मिलने मेरे केबिन के आते हैं तो मैं उन्हें जी खोल कर अपने मम्मों का उभार दिखाती हूँ और खूब हंस हंस कर बातें करती हूँ।
मैं यह बात दावे से कह सकती हूँ कि मुझसे मिलने पर लड़कों के लण्ड में आग जरूर लग जाती है।
मुझे यह भी पता चला है कि लड़के मेरा नाम ले ले कर अपने लण्ड का मुट्ठ भी मारते हैं।
मैं मुंबई में रहती हूँ लेकिन मेरा हसबैंड नागपुर में रहता है।
वह महीने में एक या दो बार ही आ पाता है। वह जब भी आता है जो मुझे 2 / 3 दिन खूब चोद चाद कर चला जाता है।
बाकी के दिन मैं बिना चुदे ही रह जाती हूँ।
ऐसा मैंने शुरू शुरु में 2 / 3 महीने तो किया लेकिन फिर आगे मुझसे हो नहीं पाया; मुझे लण्ड की जरुरत ज्यादा सताने लगी।
लण्ड के बिना रहना मुझसे हो नहीं पा रहा था तो मैंने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया।
कहते हैं कि हर औरत के अंदर एक रंडी छिपी होती है।
बस मेरे अंदर की रंडी जो अभी तक छिपी बैठी थी वह अचानक बाहर आ गयी और मैं लण्ड की खोज में निकल पड़ी।
आखिरकार मुझे एक लण्ड मिल ही गया।
मैंने उससे उस दिन खूब चुदवाया, जी भर कर चुदवाया और रात भर चुदवाया।
तब कहीं जाकर मुझे थोड़ी बहुत तसल्ली मिली।
फिर मुझे एक के बाद दूसरा लण्ड और दूसरे के बाद तीसरा लण्ड मिला।
एक दिन अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि हमारे कॉलेज में तो लण्ड ही लण्ड हैं; एक से एक बेहतर और हैंडसम लण्ड वाले हैं।
तो फिर कॉलेज के लड़कों के लण्ड का इस्तेमाल क्यों न किया जाये?
बस मैं उसी दिन से लड़कों पर और कुछ लड़कियों पर नज़र रखने लगी।
एक दिन जब मैं बाहर निकली तो देखा कि कुछ दूर पर 3 / 4 लड़कियां खड़ी हुई आपस में कुछ बातें कर रही हैं।
हंसी के ठहाके भी मुझे सुनाई पड़े तो मैं चुपके चुपके वहां पहुँच गई।
मैं छिप कर सुनने लगी उनकी बातें।
पलक नाम की लड़की बोल रही थी- देखो यार, मैं बहनचोद एक हरामी लड़की हूँ, लण्ड की जबरदस्त शौक़ीन हूँ, लण्ड पीती हूँ और मौक़ा मिलता है तो लण्ड पेलवा भी लेती हूँ। यहाँ सब लड़कियों का यही हाल है पर भोसड़ी वाली कोई बताती नहीं है। मैं तो खुल कर कहती हूँ कि लण्ड किसको नहीं अच्छा लगता!
दूसरी बोली- यार, मैं अगर लड़का होती तो लण्ड ज़ाफिया मेम की चूचियों में पेल देती। मुझे उसकी चूचियाँ बड़ी अच्छी लगती हैं। लड़के उसके मम्मों को याद कर कर के अपने लण्ड का सड़का मारते हैं, खूब बातें करते हैं। मेरा मन है कि मैं एक दिन उसे पूरी तरह नंगी देखूं।
पलक बोली- यार, मेरा तो मन है कि मैं एक दिन अपना चूचा उसके मुंह में घुसेड़ दूँ।
इतने में कुछ हलचल हुई तो मैं वहां से भाग निकली।
दूसरे दिन मैंने पलक को बुलाया उससे बात की और कहा- देखो पलक, कल संडे है. कल तुम सवेरे 10 बजे मेरे घर आना, तुमसे कुछ काम है।
वह तो यह सुनकर खुश हो गयी और अगले दिन ठीक समय पर आ भी गयी।
मैं उस समय एक हल्का सा गाउन पहने हुई बैठी थी।
मैंने कहा- तुम ड्रिंक्स लेती हो?
वह थोड़ा झिझकी तो मैंने कहा- यार, मैं यहाँ तुम्हारी टीचर नहीं हूँ, तुम्हारी मैडम नहीं हूँ। मैं घर में तेरी दोस्त ज़ाफिया हूँ। मैं बुरचोदी भोसड़ी वाली ज़ाफिया हूँ और तेरे साथ बैठ कर दारू पीना चाहती हूँ। मुझे कोई मेरे मन का साथी चाहिए। कल मैंने तेरी मस्त मस्त बातें और गालियां सुनी तो मालूम हो गया कि तुम ही मेरी सही साथी बन सकती हो. इसीलिए तुझे यहाँ बुलाया है।
तो वह बोली- अच्छा, तो सच बताऊँ? मैं दारू भी पीती हूँ और सिगरेट भी पीती हूँ, माँ की लौड़ी ज़ाफिया।
मैंने थोड़ा आहिस्ते से कहा- लण्ड भी पीती हो न मेरी बुरचोदी पलक?
वह बिंदास बोली- हां हां, मैं लण्ड भी पीती हूँ यार!
फिर हम दोनों मस्ती से दारू पीने लगीं।
मैंने कहा- यार देखो, असली बात यह है कि मेरा शौहर यहाँ रहता नहीं है। मैं अकेली रहती हूँ और बहुत चुदासी रहती हूँ। मैं खुल कर बोलना चाहती हूँ, गन्दी गन्दी बातें करना चाहती हूँ. लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा सब खुल्लम खुल्ला बोलना चाहती हूँ। मैं सबसे बेशर्म बेहया होना चाहती हूँ। लेकिन मेरे साथ कोई और हो तब न! मैं बुरचोदी ये सब कॉलेज में कर नहीं सकती। बस मन मसोस कर रह जाती हूँ। अपनी चूत को कहाँ तक समझाऊँ? उसे तो बस लण्ड चाहिए लण्ड और कुछ नहीं!
वह बोली- वॉवो, तुम तो बिल्कुल मेरी ही तरह को ज़ाफिया! लेकिन ये सब कॉलेज में नहीं तो क्या …. घर में तो कर सकती हो न? अपनी कुछ दोस्त बनाओ और उनके साथ मज़ा करो.
मैंने कहा- तो मैंने तुम्हें क्या अपनी माँ चुदाने के लिए बुलाया है? अरी पगली, मैंने तुम्हें अपनी चुदक्कड़ दोस्त बनाने के लिए ही बुलाया है। मैं सच कह रही हूँ कि मैं लड़कों के सामने नंगी होना चाहती हूँ। लड़कों को नंगा करना चाहती हूँ। उनके लण्ड हिलाना चाहती हूँ, लण्ड चूमना, चाटना और चूसना चाहती हूँ। सच्चाई यह है पलक कि मैं लड़कों के लण्ड अपनी चूत में पेलवाना चाहती हूँ। बोलो तुम मेरा साथ दोगी? मेरी मदद करोगी तुम?
वह बोली- हाय दईया, कहो तो एक दर्जन लड़के नंगे नंगे तेरे आगे खड़े कर दूँ। तब तुम सबके लण्ड हिला हिला कर मज़ा ले लेना। बोलो कितने लण्ड चाहिए तुम्हें?
मैंने कहा- फिलहाल तो दो ही भेज दे, वही बहुत हैं मेरे लिए? मगर लण्ड मरदाने हों, जनाने नहीं!
वह बोली- ठीक है, मैं अपने कॉलेज दो एक्स स्टूडेंट्स भेज देती हूँ। जग्गा और टोनी. बड़े मस्त लौड़े हैं दोनों के! दोनों मिलकर मेरी चूत फाड़ते हैं मादरचोद। दो दिन तक मेरी चूत में दर्द होता है पर मज़ा बहुत आता है। मैं तो उन्हें बहुत पसंद करती हूँ।
मैंने कहा- हां हां, मैं उनको जानती हूँ। वो दोनों मेरे ही स्टूडेंट्स थे। मुझे नहीं मालूम था कि उनके लण्ड इतने बड़े बड़े हैं बहनचोद?
ऐसा कह कर वह चली गयी.
फिर मैं ब्यूटी पार्लर चली गयी और वहां से मेकअप करवाकर और अपनी झांटें वगैरह बनवाकर वापस आ गई।
मैंने चूत के ऊपर की जगह पर लण्ड का एक टैटू बनवा लिया।
बड़ा खूबसूरत लग रहा था साला लण्ड का टैटू … एकदम असली लण्ड लग रहा था।
शाम को मैं पेटीकोट और ऊपर एक छोटी सी ब्रा पहन कर बैठ गई।
मैंने अपने बाल खोल रखे थे।
ब्रा में मेरे केवल निप्पल ही छिपे हुए थे बाकी सब कुछ दिख रहा था।
मैंने ड्रिंक्स का सेट लगा लिया था और उन लोगों के आने का इंतज़ार करने लगी।
बस कुछ देर में ही डोर बेल बज उठी तो मेरे भी मन की घंटियाँ भी बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने सच में वे दोनों खड़े थे।
दोनों ही पैंट और टी शर्ट में थे।
मैंने मुस्कराते हुए कहा- अरे यार टोनी और जग्गा, आओ अंदर आ जाओ। मैं तुम्हारा इंतज़ार ही कर रही थी।
दोनों को मैं बड़े प्यार से बैठाया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
फिर मैं जल्दी से अंदर गई और पानी के दो गिलास लाकर झुक कर उनके आगे टेबल पर रखे।
मैं इस तरह से झुकी कि मेरे बूब्स की गोलाई और गहराई दोनों को अच्छी तरह दिख जाए।
उन्होंने देखा भी और मज़ा लिया फिर पानी पिया।
मैं उनके सामने अपने बालों की लटें बार बार ठीक करती हुई बैठ गयी।
मैंने कहा- तुम लोग तो बड़े हैंडसम लग रहे हो। मैं तुमको आज एक साल के बाद देख रही हूँ।
वे बोले- अरे ज़ाफिया मैडम, आप भी तो पहले से ज्यादा खूबसूरत और हॉट लग रही हैं।
मैंने बियर का प्रोग्राम रखा था तो फिर हम तीनों बियर पीने लगे।
मैं बड़े गौर से दोनों को देख रही थी और वे दोनों भी मुझे और मेरे पूरे जिस्म को आँखें गड़ाए हुए देख रहे थे ख़ास तौर से मेरे मम्मों को।
मेरे मम्मो का उभार उन्हें बिचलित कर रहा था।
कॉलेज में तो मैं इस तरह रहती नहीं थी।
तो आज ये दोनों मुझे कम और तंग कपड़ों में देख कर बड़े हैरान भी थे और उत्तेजित भी!
मैंने बात शुरू की और पूछा- तुम लोग पलक को कब से जानते हो?
टोनी ने कहा- हम दोनों बारी बारी से पलक को मोटर साइकिल कर बैठा कर घुमाते थे। उसे खिलाते पिलाते थे, सिनेमा दिखाते थे और उसका सारा खर्च उठाते थे। इसीलिए हम दोनों उसके नजदीक आ गए और एक दिन सिनेमा हाल में ही हम दोनों ने उसे अपना अपना लण्ड पकड़ा दिया। वह बीच में बैठी थी और हम दोनों अगल बगल। हम लोगों ने अपने अपने पैंट की जिप खोलकर लण्ड बाहर निकाल लिया था। वह हम दोनों के लण्ड सहलाती रही और हम दोनों उसकी चूचियाँ दबाते रहे। बीच बीच में वह झुक झुक कर हम दोनों के लण्ड चाटती रही. वह हमारा पहला मौक़ा था।
उसने आगे बताया- बस उसी दिन से हम एक दूसरे से एकदम खुल गए। फिर एक दिन हम लोग एक होटल में ठहर गए। अलग अलग कमरा लेकर! मैंने अपने कमरे में रात में दोनों को बुला लिया। फिर क्या शराब पिला कर हम दोनों ने मिलकर उसके साथ सेक्स किया। मैंने भी उसे खूब चोदा और जग्गा ने भी चोदा। रात में हम दोनों में तीन तीन शॉट लगाए और सवेरे फिर चेक आउट करके वापस चले गए।
मैंने कहा- तो फिर उसके बाद भी चोदा होगा?
जग्गा बोला- उसके बाद भी हम दोनों ने दो बार और चोदा उसे!
इन सब बातों से माहौल गर्म हो गया और हम लोग भी बियर पी कर मस्त हो चुके थे।
मैं उठी और सोफा पर दोनों के बीच में बैठ गयी।
उन दोनों की जांघों पर मैं अपना हाथ फिराने लगी।
वे दोनों मेरे गाल चूमने लगे, मेरे होंठ चूमने लगे और मेरे बदन पर ऊपर से ही हाथ फिराने लगे।
मैं चाहती थी कि वे लोग मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर दें; मेरे नंगे जिस्म से खेलें। मैं भी उन्हें नंगा कर दूँ और उनके लण्ड से खेलना शुरू कर दूँ।
मन से वासना में डूब चुकी थी मैं!
मेरी चूत गीली हो गई थी और मेरे सारा बदन एकदम गर्म हो चुका था।
मैंने गाउन का फीता खोल दिया तो मेरी दोनों बूब्स एकदम नंगे हो गए।
उन्हें देख कर उनके लण्ड अंदर ही अंदर कसमसाने लगे।
मैंने भी उनकी पैंट खोलना शुरू किया।
पहले टोनी की पैंट खोली फिर जग्गा की पैंट।
मैंने दोनों को अपने सामने खड़ा कर दिया। दोनों की चड्डी एक एक हाथ से पकड़ कर झर्र से नीचे खसका दिया।
दोनों बहनचोद मेरे आगे नंगे हो गए।
दोनों के लण्ड तन कर मेरे सामने खड़े हो गए।
मैंने एक हाथ से जग्गा का लण्ड पकड़ा और दूसरे हाथ से टोनी का लण्ड।
मुझे दोनों ही लण्ड एक ही नज़र में भा गए।
मेरे मुंह से निकला- पलक बुरचोदी ठीक ही कह रही थी. क्या मस्त लौड़े हैं तुम दोनों के बहनचोद … मज़ा आ गया। आज मुझे दो दो मर्दाने लण्ड के दर्शन हो रहे हैं।
टोनी ने शरारत करते हुए मेरे पेटीकोट नाड़ा खोल डाला।
उसने मुझे खड़ी किया तो पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं बिल्कुल नंगी हो गयी।
अब हम तीनों एकदम नंग धड़ंग एक दूसरे के सामने खड़े थे।
मुझे इसी नजारे का बहुत दिनों से इंतज़ार था।
मैं फिर दोनों लण्ड पकड़े पकड़े अपने बेड पर पहुँच गई, दोनों को चित लिटा दिया और मैं बीच में नंगी नंगी बैठ कर दोनों लण्ड एक एक मुट्ठी में लेकर आगे पीछे ऊपर नीचे करने लगी।
यानि मैं दोनों लण्ड बड़े प्यार से मुठियाने लगी और वे दोनों मुझे नंगी देखकर मज़ा लेने लगे।
टोनी ने कहा- ज़ाफिया यार, तेरी चूत पर बना लण्ड बड़ा सेक्सी लग रहा है.
मैंने कहा- हां यार, मुझे लण्ड से बेहद प्यार है तो मैंने लण्ड का टैटू ही बनवा लिया अपनी चूत पर!
मैं झुक झुक कर बड़ी मस्ती से दोनों लण्ड बारी बारी से चाटने और चूसने लगी।
मैंने कहा- यार टोनी, तेरा तो लण्ड भोसड़ी का बड़ा मोटा है. और जग्गा, तेरा तो लण्ड मादरचोद मेरी चूत क्या … मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा।
यह सुनकर दोनों और तन कर टनटनाने लगे।
टोनी मेरी चूत चाटने लगा और मैं उसका लण्ड!
जग्गा मेरी चूचियाँ मसलने लगा और मैं दूसरे हाथ से उसका लण्ड मुठियाने लगी।
मुझे दो दो लण्ड का मज़ा मिलने लगा, मैं दोनों के पेल्हड़ भी चूमने लगी.
उन दोनों को मेरे नंगे जिस्म का मज़ा भरपूर मिल रहा था।
दोनों चिकने चिकने लण्ड बड़े सेक्सी और प्यारे लग रहे थे।
मैंने मन में कहा कि पलक ने सच में इनके लण्ड का मज़ा खूब लूटा होगा.
कुछ देर बाद जग्गा मेरी चूत चाटने लगा, जबान पूरी पूरी घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगा।
मतलब यह कि वह अपनी जुबान से मेरी चूत चोदने लगा।
उसका ऐसा करना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
मैं तो सातवें आसमान पर थी … सारी दुनिया भूल चुकी थी मैं!
मेरे जहन में सिर्फ ये दो लण्ड ही थे और कुछ भी नहीं!
इतने में जग्गा ने पेल दिया अपना लण्ड गच्च से मेरी चूत में!
मैं तो बड़ी जोर से चिल्ला पड़ी- उई माँ … मर गई मैं! फट गयी मेरी बुर … साले कुत्ते ने एक ही बार में पेल दिया पूरा लण्ड। बड़ा कमीना है तू भोसड़ी का जग्गा। मुझे नहीं मालूम था कि तू साला हरामजादा इतना बेशर्म होगा. तेरी माँ की चूत … आहिस्ते आहिस्ते चोदना नहीं आता तुझे? मेरी चूत कहीं भागी जा रही है क्या माँ के लौड़े!
थोड़ी देर में जब मुझे मज़ा आने लगा तो मैं बोली- अरे यार मर्दों की तरह चोदो मुझे! पूरा लौड़ा पेल पेल के चोदो, फाड़ डालो मेरी ससुरी बुर … चीर डालो मेरी चूत … मैं रंडी हूँ यार … मुझे रंडी की तरह चोदो, अपनी बीवी की तरह चोदो. हाय रे … तू बड़ा हरामी आदमी है यार … तेरा लण्ड हरामी है।
कुछ देर बाद टोनी मेरी चूत चोदने लगा और मैं जग्गा लौड़ा चूसने लगी।
बड़ा मज़ा आता है दोस्तो … जब एक लण्ड चूत में हो और दूसरा मुंह में!
मैं इन्हीं दोनों लण्ड लूट रही थी। इन दो दो मुस्टंडों से चुदा चुदा कर चूत बहनचोद ढीली हो गयी।
बस उसके बाद ही दोनों लण्ड भी खलास होने लगे।
मैंने दोनों झड़ते हुए लण्ड बड़े प्यार से चाटे और खूब एन्जॉय किया।
फिर लगभग एक घंटा तक हम सब नंगे नंगे ही बातें करते रहे और मस्ती करते रहे।
हमने खूब गन्दी गन्दी बातें की और सबके लण्ड सबकी चूत की बातें की।
तब मैंने देखा कि दोनों के लण्ड फिर से फुद्दी चोदने के लिए अपनी अपनी ताल ठोकने लगे हैं।
इस बार मैंने दोनों से पीछे से डॉगी स्टाइल में चुदवाया और फिर लण्ड पर बैठ बैठ कर चुदवाया।
इस तरह मैंने रात भर उन दोनों के साथ थ्रीसम की चुदाई का पूरा मज़ा लिया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची टीचर कॉलेज बॉय सेक्स कहानी!
आपको कैसी लगी?
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