न्यू गर्ल फ्री देसी सेक्स का मजा मुझे मेरे से 3 साल बड़ी हमारी किरायेदार लड़की ने दिया. मैं उसे पसंद करता था और उसके बारे में सोच कर मुठ मारता था. मैंने उसे कैसे चोदा?
दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मैं आपको एक अपने साथ घटी एक कामुक घटना बताने जा रहा हूँ.
यह न्यू गर्ल फ्री देसी सेक्स कहानी 2018 की है.
मेरे घर में मेरे परिवार के अलावा एक और भाई बहन किराए पर रहते थे.
वे लोग ऊपर वाले कमरे में रहते थे. वे दोनों बहुत पहले से ही रहते आए थे.
भाई का नाम मुकेश था और बहन का नाम पुष्पा था.
पुष्पा को मैं दीदी कहता था और वे मुझसे उम्र में 3 साल बड़ी थीं.
मैं भले ही उन्हें पुष्पा दीदी कहता था पर मुझे वे पसंद आने लगी थीं क्योंकि वे जब रूम में रहती थीं तो दुपट्टा उतारी हुई रहती थीं.
पहले मैं दिन भर उनके रूम में ही रहता था.
फिर एक दिन पापा से डांट सुन कर अब मैं उनके रूम में कम जाने लगा था.
दो महीने ऐसे ही चले गए.
लंड को हिलाते हिलाते बस कभी कभार दीदी को देख लिया करता था.
फिर एक बार मौका मिला.
तब घर के सारे परिवार को शादी में शहर से बाहर जाना था.
उन सभी लोगों को जाना था, ये बात मुझे नहीं मालूम थी. किसी ने मुझे बताया ही नहीं था.
उनकी ट्रेन अगली सुबह 5 बजे की थी.
रात में सब बात कर रहे थे तब मैंने पूछा कि किधर की बात हो रही है?
तब पापा बोले- तुमको किसी ने नहीं बताया?
मैंने बोला- नहीं.
पापा बोले- कल सुबह जाना है, तुम भी अपने कपड़े पैक कर लो.
मुझे जाने का मन नहीं था तो मैंने मना कर दिया.
पापा भी मान गए.
फिर उसी समय ऊपर से मुकेश भईया आए.
वे बोले- मुझको भी एग्जाम देने जाना है, साथ में ही चलते हैं.
मैंने सोचा कि यह मस्त मौका है.
पापा बोले- हम लोग 5 दिन बाद आएंगे. फिर यहाँ क्या पुष्पा अकेली रहेगी?
मुकेश भैया कुछ सोचने लगे फिर उन्होंने पूछा- क्या आप सब लोग जा रहे हैं?
पापा बोले- नहीं, राहुल नहीं जा रहा है.
मुकेश भैया बोले- तो कोई दिक्कत नहीं है, पुष्पा भी अकेली कहां है?
बात जम गई.
मुकेश भइया ने 4 दिन बाद आने का कहा.
मैंने बोला- ठीक है.
सब सो गए.
मैं बहुत ही ज्यादा खुश था.
सुबह सब लोग चले गए.
मैं और पुष्पा दीदी ही घर में बचे थे.
उनको स्कूल जाना था, वे चली गईं.
मैं भी स्कूल चला गया.
स्कूल से वापस आया तो देखा कि घर में कोई नहीं था.
वे 2 बजे वापस आईं.
मैंने पूछा- इतनी देर कैसे हो गई?
वे बोलीं- एक सहेली के घर चली गयी थी.
उसके बाद वे ऊपर कमरे के गेट बंद करके पढ़ने लगीं.
कुछ देर के बाद दीदी नीचे आईं और टीवी देखने लगीं.
उसके बाद उन्होंने खाना बनाया और मुझसे खाना खाने के लिए कहा.
मैं उनके साथ बैठ कर खाना खाने लगा.
वे चुप चुप सी थीं.
मुझे ये सब बोरिंग लगने लगा.
वे कुछ थक गयी थीं तो जल्दी ही सोने के लिए ऊपर अपने कमरे में जाकर लेट गईं.
मैं भी उनके कमरे में आ गया.
उन्होंने कहा- क्या काम है?
मैंने बोला- मैं यहीं सो जाऊं?
उन्होंने भी बोल दिया- हां सो जाओ.
मैं उनसे दूर हट कर वहीं आंख बंद करके सो गया.
मुझे सोता हुआ देख कर वे भी आंख बंद करके सो गईं.
मेरा मन तो दीदी के साथ सेक्स करने का था.
मैं धीरे धीरे उनके पास को सरक गया और अपना केला उनके तरबूजों की दरार में सटा दिया.
मेरा केला कड़क हो गया और मन करने लगा कि दीदी का पजामा उतार कर अपना केला इनकी दरार में डाल कर सो जाऊं.
हालांकि मुझे बहुत डर लग रहा था पर मैंने बड़ी आहिस्ता से उनके पजामे को नीचे सरका दिया.
पजामा में इलास्टिक थी तो उसे नीचे सरकाने में बड़ी आसानी हुई.
लेकिन जिधर को करवट लेकर वे लेटी थीं, उस साइड से पजामा नीचे नहीं हो रहा था.
मैंने सोचा यदि ज्यादा दम लगाऊंगा, तो हो सकता है कि दीदी उठ जाए.
तब मैंने उस तरफ से पजामा खिसकाना छोड़ दिया और अपने केले को सटा दिया.
मुझे बहुत रोमांच लग रहा था, गांड भी फट रही थी, पर मजा भी आ रहा था.
अब मेरा मन हुआ कि दूसरी तरफ से दबा हुआ पजामा भी नीचे खिसका दूँ तो मजा आ जाएगा.
मैंने हिम्मत करके थोड़ी दम लगाया, तो वह नीचे हो गया.
अब दीदी के तरबूजे मेरे केले के सामने थे.
मेरा केला धीरे से दीदी के तरबूजों के बीच की खाई में अन्दर चला गया.
आह … मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला था.
यह मेरा पहली बार था.
मैं वैसे ही लौड़े को रख कर धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा.
कुछ देर बाद वही हुआ, जिसका डर था. दीदी जाग गईं और पीछे मुड़कर गुस्से से बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैं बिना किसी टेंशन के बोला- केला पेल रहा हूँ.
आज भी मुझे अपनी उस बात पर हंसी अती है.
वे मुझे तरेरती हुई बोलीं- पीछे हटो.
मैंने उन्हें और जोर से पकड़ लिया और कस कस के कमर हिलाने लगा.
वे खुद को छुड़ाने लगीं, पर नहीं छूट पाने पर बोलीं- पीछे नहीं, आगे से करो ना. वह गलत छेद है.
मुझे यह सुनकर मानो छप्पर फाड़ कर दौलत मिल गई हो, ऐसा लगा.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
फिर मैंने उनके पूरे कपड़े उतारे और सीधा करके दीदी के ऊपर चढ़ गया.
दीदी ने भी अपनी टांगें फैला कर छेद खोल दिया.
मैंने दीदी की फूली हुई फ़ुद्दी में अपना केला डालना शुरू किया.
पर वो अन्दर जा ही नहीं रहा था.
पुष्पा दीदी को दर्द भी हो रहा था.
मैंने इधर उधर बेबसी से देखा तो सामने डाबर आंवला तेल रखा दिखाई दिया.
मैंने शीशी उठाई और उसकी फूल सी कोमल चुत के अन्दर डाल दिया.
उसके बाद मैंने अपना कड़क केला पेल दिया.
चिकनाई के कारण मेरा लंड आधा घुसता चला गया.
एकदम से हमला हुआ था तो पुष्पा दीदी रोने लगीं और कराहती हुई बोलीं- आह मर आई … उफ्फ़ बाहर निकालो.
मैं एकदम से डर गया और मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया.
वे दर्द से कराहती हुई बोलीं- छोड़ … कल करना.
मैं लंड सिकोड़ कर रह गया.
उसके बाद मैं नंगा ही दीदी की गांड की दरार में अपना केला फंसा कर सो गया.
फिर मैं रात को 2 बजे उठा.
मैंने लाइट चालू की और पुष्पा दीदी को देखा.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैंने सोचा कि यदि आज ही फिर से करूँगा, तो ये करेगी नहीं. मगर लंड को पागलपन सवार था.
मैंने कुछ देर सोचा कि ये चुदने को तो राजी है ही, बस दर्द की वजह से नाटक कर रही है. साला दर्द तो कल भी होगा. ऐसे तो लंड पेल ही नहीं पाऊँगा.
बस अब मैंने पुष्पा दीदी के दोनों हाथ पलंग से जोर से बांध दिए.
फिर मैंने धीरे से उनकी टांगें फैलाईं और उन्हें भी बांध दिया कि कहीं वे मरखना सांड न बन जाएं और मेरी गांड तोड़ दें.
उसके बाद मैंने शीशी से धार बना कर उनकी चूत में तेल डाला और लंड सैट करके जोर से अन्दर धकेल दिया.
वे एकदम से हुए इस हमले से थर्रा उठीं और जाग गईं.
दीदी बोलीं- हटो … दर्द हो रहा है.
मैंने और जोर से पेल दिया.
इस बार पूरा हथियार अन्दर चला गया.
वे रोने लगीं.
मैं रुका हुआ था.
फिर धीरे धीरे मैंने अन्दर बाहर करना शुरू किया तो वे शांत हो गई थीं.
कुछ ही देर के बाद वे मादक आवाज में बोलीं- आह करते रहो.
मैं भी करता रहा.
उसके बाद मेरे लौड़े को कुछ गर्म गर्म जैसा महसूस हुआ.
मैंने निकाल कर देखा तो खून दिखाई दिया.
साथ ही लिसलिसा सफेद सफेद जैसा भी कुछ था.
मैं जानता था कि वे क्या है.
उसके बाद वे बोलीं- अब सो जाओ.
मैंने कहा- अभी मेरा नहीं हुआ है.
वे बोलीं- मेरे हाथ पैर खोलो.
मैंने खोल दिए.
वे उठ कर मेरी गोद में बैठ गईं और अपनी चूचियों की दरार में मेरा केला डाल कर हिलाने लगीं.
कुछ ही देर में मेरा काम तमाम हो गया.
वे बोलीं- अब सो जाओ.
मैं सो गया.
जब मैं सुबह 9 बजे उठा तो दीदी खाना बना चुकी थीं.
मैंने कहा- रात को मेहनत ज्यादा हो गई, तो भूख लग आई है.
वे बोलीं- तो खा लो. खाना रेडी है.
फिर हम दोनों ने खा लिया.
मैंने कहा- चलो फिर से करते हैं.
वे बोलीं- मुझे कपड़े धोना है.
वे कपड़े जमा करने लगीं.
उन्होंने मेरे सामने अपने कपड़े भी उतार दिए.
उन्होंने धोने के लिए ऐसा किया था.
मैंने उनकी नंगी जवानी को देखते हुए कहा- मेरे कपड़े भी धो दो!
वे बोलीं- हां दे दो.
मैंने अपने कपड़े उतार कर उन्हें दे दिए और लंड हिलाने लगा.
वे हंस दीं तो मैंने उन्हें उठाया और कसके पकड़ कर किस करने लगा.
तो वे भी चुदासी हो गईं.
उसके बाद मैंने दीदी को पलंग पर लाकर लेटाया और उनकी चूत में तेल डाल कर अपना लौड़ा पेल दिया.
लंड अन्दर गया तो तुरंत ही मैं जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा.
वे बोलीं- जल्दी क्या है … धीरे धीरे पेलो.
मैं धीरे धीरे करने लगा.
कुछ देर बाद मेरा सारा पानी उनकी चूत के अन्दर टपक गया.
अब वे उठीं और कपड़ा धोने चली गईं.
उसी दिन वे अपनी सहेली के साथ घूमने चली गईं.
मैं अकेला घर बोर हो रहा था, मैं भी घूमने चला गया.
मैं शाम में 6 बजे आया और आकर सो गया.
वे 8 बजे घर आईं.
मैंने पूछा- कहां चली गयी थीं?
वे बोलीं- आज सहेली के साथ थोड़ा दूर चली गई थी और फिल्म भी देख आई.
मैंने पूछा- कोई लड़का भी साथ में था क्या?
वे बोलीं- अगर कोई होता, तो तुम्हारे साथ सेक्स क्यों करती?
मैंने बोला- चलो ना फिर से करते हैं.
दीदी ने मना कर दिया.
वे बोलीं- आज बहुत नींद आ रही है. कल करेंगे, आज काफी थक भी गई हूँ.
मैंने कहा- तुम सो जाओ, मैं कर लूँगा.
उन्होंने मना कर दी और वे सोने चली गईं.
मैं गेट बंद करके उनके रूम में सोने के लिए आ गया.
मैंने पुष्पा दीदी से कहा- कपड़े खोल कर सोओ ना! मैं जब तक खाना खाकर आता हूँ.
वे अच्छा बोल कर नंगी हो गईं और सो गईं.
मैं खाना खाना खाकर उनके बगल में चिपक कर सो गया.
मैंने उनकी गांड की दरार में अपना केला डाला और सो गया.
सुबह 6 बजे उठा.
तब मुझे सेक्स का सिर्फ सपना आया था और करने का मन भी कर रहा था.
मैं तेल लेने के लिए उठा, पर तेल तो खत्म हो गया था.
पुष्पा दीदी नंगी सो रही थीं.
फिर मैंने सोचा कि घी ले आता हूँ. उससे और भी चिकना हो जाएगा.
मैंने नीचे से आधा कप घी लाया और उनकी टांगों को फैला कर उनकी चुत के छेद में बाहर से डाल दिया.
वे सो ही रही थीं.
मैंने अपना पैंट नीचे किया और उनकी चूत में केला सरका दिया.
वे उठ तो गयी थीं लेकिन बोलने लगीं- सोने भी नहीं देते.
मैंने कहा- मैं धीरे धीरे करूँगा.
वे कुछ नहीं बोलीं.
मैंने धीरे धीरे अन्दर किया.
उनको थोड़ा दर्द हो रहा था पर कुछ देर बाद वे मजा देने लगीं.
दस मिनट बाद उनका पानी निकल गया.
फिर मेरा पानी भी निकल गया.
मैंने अपना केला निकाला, तो माल लगा था.
वे उठ कर रेडी हुईं और स्कूल चली गईं.
इसके बाद हमने बहुत बार सेक्स किया.
एक बार तो वे प्रेगनेंट भी हो गयी थीं.
फिर मैंने गूगल से एक गोली खोजी और दुकान में गया.
उसे मोबाईल में दवा का नाम दिखाया.
दुकान वाले ने पूछा- किसको खाना है?
मैंने बोल दिया कि बगल की एक आंटी ने मंगाई है.
मैंने टेबलेट ले ली.
उसके बाद मैंने उनको दवा खिला दी.
वे ठीक हो गईं.
अब मैं कंडोम लगा कर चुदाई करता हूँ या माल चूत से बाहर छोड़ता हूँ.
आपको मेरी न्यू गर्ल फ्री देसी सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे बताएं.
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