कामुकता विहीन लड़की का कायाकल्प- 3

कामुकता विहीन लड़की का कायाकल्प- 3

मस्त मस्त सेक्स का मजा मैंने दो लड़कियों के साथ लिया. पहले मैंने उन दोनों को मजा दिया, फिर उन्होंने मिल कर मेरे साथ फोरप्ले करके मुझे आनन्द से भर दिया.

कहानी के पिछले भाग
जवान लड़की को सेक्स का मजा लेना सिखाया
में आपने पढ़ा कि मैंने दो जवान लड़कियों पिंकू और सोनू के साथ एक नशीली शाम की शुरुआत करते हुए पहले पिंकू की तूफानी चुदाई के मजे लिये और फिर पिंकू की मदद से सोनू की भी झिझक मिटवाते हुए उसके साथ भी भरपूर सेक्स के मजे लूटे।
वास्तव में हम तीनों ने ही कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद लिया।

अब आगे मस्त मस्त सेक्स:

जब हमारी सुबह हुई तो दोपहर के बारह बज रहे थे।

मैंने किचन में जाकर वोड्का मिले हुए तीन किंग साइज़ गिलास लस्सी के और कुछ फ्रूट सलाद तैयार करे और ट्रे लेकर बेडरूम में ही आ गया।

वे दोनों ही जग गई थीं और रात की खुमारी से अलसा रही थी।
पिंकू तो खैर सदा की तरह प्रसन्नचित्त थी ही लेकिन सोनू के चेहरे पर एक नई ही ताजगी नज़र आ रही थी।

इतनी ताबड़तोड़ तूफानी चुदाई और डिनर के नाम पर जूस, तीनों के ही पेट में चूहे कूद रहे थे।

हम पिछले सेक्स सेशन का विडियो देखते हुए ब्रेकफ़ास्ट या यूं कहिए कि ब्रंच करने लगे।

मैं मौका देखकर बोला- जानेमन, मेरे दो दो इनाम ड्यू हैं।
““हाँ हाँ बोलो … कितनी किस्सी चाहिए?” दोनों इकट्ठा ही बोलीं।

“जीता मैं हूँ तो इनाम भी मैं ही तय करूंगा ना!” मैंने जिद की।
“चलो एक तरीका बताता हूँ, जिससे तुम दोनों इकट्ठी ही फारिग हो जाओगी.” मैं बोला और उन्हें सैंडविच मसाज के बारे में समझाने लगा।
मैंने उन्हें एक दो ब्लू फिल्म भी दिखाईं।

“लेकिन हमारी भी एक शर्त है कि तुम बीच में अपना कोई हाथ पैर या दिमाग नहीं चलाओगे, और जो हम करेंगी वो करने दोगे!” पिंकू ने शर्त रखी।
मैंने सहमति दे दी.

और जब दोनों ही इंटेरेस्टेड दिखाई दीं तो मैं फ्रिज से एक बड़े जग में रखा हुआ आलोए वेरा का पल्प निकाल कर ले आया।
मैंने अपने घर में आलोएवेरा के कई सारे पौधे लगाए हुए हैं और उनके ताज़ा पल्प से रोज़ अपने बदन और चेहरे की मालिश करता हूँ और शेक बना कर पीता भी हूँ। यह एक अच्छा टेम्परेरी लुब्रिकेंट है और चाटने चूसने से किसी और मसाज ऑइल या पाउडर की तरह नुकसान भी नहीं करता। यह हैल्थ के लिए भी अच्छा होता है इसलिए मेरे फ्रिज में इसका स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है।

अब हम तीनों अपनी स्टैंडर्ड पोजीशन्स लेकर लेट गए।
उन दोनों के सर मेरे सीने पर थे।
मैं स्पर्श सुख में लीन था.

तभी पिंकू ने सोनू के हाथ को हल्के से दबा कर इशारा सा किया और उन दोनों ने ही अपनी टांगों को हूक बनाते हुए मेरी दोनों टांगों को जाम कर दिया।
मेरे हाथ तो पहले ही उनके नीचे दबे थे।

अब पासा पलट गया था।
मैं स्प्रेड ईगल पोजीशन में था और वो दोनों कमांडिंग पोजीशन में!

“कभी नाव गाड़ी पे … तो कभी गाड़ी नाव पे!” पिंकू की खिलखिलाहट भरी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी।
वैसे मैं चाहता तो पूरा ज़ोर लगाने पर उनकी गिरफ्त से आज़ाद हो सकता था लेकिन इससे उनके उत्साह में कमी आ जाती।

इसलिए अपनी मजबूरी का बहाना करते हुए मैं झूठ मूठ कसमसाया और फिर खुद को हालात के हवाले कर दिया।

अब पिंकू ने मेरे सीने पर सर रखे रखे ही मेरे दायें निप्पल को जीभ बढ़ा कर चाटना शुरू करा।
और जैसे इशारा पाकर सोनू ने बाएँ निप्पल का चार्ज सम्हाल लिया।

अब दोनों ही मेरे निप्पलों को कभी चुटकी में लेकर मींजतीं तो कभी पुच्चियाँ लेतीं तो कभी चाटतीं, तो कभी मुंह में ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसतीं।

एक मेरा निप्पल होंठों में जकड़ कर गोल गोल घुमाती तो दूसरी उसी समय दूसरे निप्पल को जीभ फुरफुराते हुए चाट रही होती।
इस समय कौन ज्यादा कुशल थी, कहना मुश्किल था।

उनकी लटें बार बार उनके चेहरे से होते हुए मेरे सीने पर अठखेलियां कर रही थीं।
लेकिन इससे मेरे नयन सुख में बाधा पड़ रही थी और मैं किसी तरह अपने हाथों को लंबा करके बार बार बालों को उनके मुखड़ों से हटाने की कोशिश कर रहा था।

आखिर दोनों ने उठ कर अपने बालों को उमेठ कर जूड़ा सा बना लिया।

अब उन दोनों के चेहरे और होंठ, जीभ वगैरह मेरे निप्पलों पर चलते हुए साफ नजर आ रहे थे।
मेरी उत्तेजना का पारावार ना था।
आज पता लगा कि = मेरे निप्पलों लड़कियों की तरह ही इतने सेंसिटिव हैं।

पिंकू ने मेरे लौड़े को हाथ में ले कर हल्के हल्के दबाना शुरू करा तो सोनू ने भी पीछे ना रहते हुए मेरी बाल्स को सहलाना शुरू कर दिया।
अब आहा आहा उऽऽहू निकालने की बारी मेरी थी।

दोनों निप्पलों पर एक साथ दो दो जीभों का अनुभव निराला था।
“लकी! तुम्हारा लौड़ा तो तन के खंभा बन गया है!” पिंकू ने फिर कमेंट करा।
सोनू की भी धीमी हंसी मेरे कानों में पड़ी।

अभी असली मसाज तो शुरू भी नहीं हुआ था और मैं स्वर्ग की सैर कर रहा था। 

अब उन दोनों ने ऊपर बढ़ कर मेरे चेहरे पर चुम्मियाँ … पुच्चियाँ देनी शुरू करीं।
चाटने में शायद मेरी दाढ़ी उन्हें गड़ती होगी।

मैं भी जब भी मौका मिलता, मुंह बढ़ा कर उनको किस कर लेता।

हमने “टंग वार” का खेल भी खेला।
इस बार सोनू विजयी रही।

धीरे धीरे मजे लेते हुए उन दोनों ने मेरे कानों पर भी धावा बोल दिया।

आज वो दोनों पूरा हिसाब बराबर करने के मूड में लग रही थी।
दोनों बिल्कुल बर्र और ततैया की तरह अपनी अपनी तरफ के मेरे कानों को चूस, चूम रही थीं, चाट रही थीं और जीभ घुसा घुसा के कर्ण चोदन भी कर रही थीं।

उनकी उँगलियाँ लगातार मेरे निप्पलों को सहलाने और उमेठने में लगी थीं।
“अब मसाज भी शुरू होगा या इसी सब में टाइम पास होगा?” मैंने बनावटी गुस्से से कहा.
जबकि असल में तो मैं इसको भी खूब एंजॉय कर रहा था। 

उन दोनों ने हँसते हुए अपनी चूचियों से मेरे चेहरे का मसाज करना शुरू कर दिया।
पिंकू की दायीं और सोनू की बाईं चूची मेरे मुंह पर और आपस में भी रगड़ खा रही थीं।

मैंने पास रखे जग से मुट्ठी भर आलोएवेरा जेल लेकर उनकी चूचियों पर मल दिया।
अब दोनों गेंदें मेरे मुंह पर आसानी के साथ फिसलने लगीं।

उनके निप्पलों बार बार मेरे होंठों को छूते हुए ऊपर नीचे होते तो मैं मुंह खोल कर उनको अपने मुंह में लेने की कोशिश करता, कभी कामयाब होता, कभी नहीं।
कभी कोई तरस खाकर या एक्साईटेड हो कर अपना निप्पल मेरे मुंह में दे देती तो मैं उतावला होकर चूसने लगता।

मस्त मस्त सेक्स के मजा से मेरे मुंह से ओह्ह अह्ह ह्ह जैसी आवाज़ें गूंज रही थीं।

आखिर बेताब होकर मैंने दोनों की चूचियाँ पकड़ कर पहले कुछ देर उनके निप्पल आपस में घिसे और फिर एक साथ ही अपने मुंह में ले लिए और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा।
मेरे मुंह में दो अलग अलग लड़कियों के निप्पल आपस में रगड़ खाते हुए एक साथ चुस रहे थे।

हम तीनों के लिए ही यह एक नया एक्सपिरियन्स था।
“वाह! नींबू और संतरे का स्वाद एक साथ!” मेरे मुंह से निकल गया।

मैंने ढेर सारा और आलोएवेरा जेल उनकी चूचियों और जांघों पर मला और उन्होंने अपनी टांगों की कैंची बना कर मेरी एक एक टांग पर अपनी अपनी चूतें टाइट कर लीं।
दोनों ने मेरी टांगों पर अपनी चूतें और पेट और सीने, पर अपनी चूचियाँ फिसलाते हुए ऊपर नीचे फिसलना चालू कर दिया।

उनकी रस चूआती हुई चूतों को तो वैसे भी किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी।
दोनों बिल्कुल मेरे चेहरे की तरह ही अपनी एक एक चूची से मेरे सीने और पेट की मालिश करती रहीं। दोनों ने अपने अपने निप्पलों को पकड़ कर मेरे निप्पलों पर रगड़ा तो मेरी सीत्कार निकल गई।
फिर मैंने सोनू की तरफ करवट लेकर उसे हल्की पकड़ से अपनी बांहों में भर लिया।
वो मेरी बांहों के घेरे के अंदर ही रहते हुए अपने दोनों बूब्स मेरे सीने और पेट पर रगड़ती रही।

जब भी मुझे ज्यादा दबाव चाहिए होता, मैं अपनी पकड़ टाइट कर लेता और फिर ढीली छोड़ देता।

ज्यादा प्यार आता तो उसे टाइट दबोच कर किस्स करने लगता, होंठों, गालों को चूसने लगता।
मेरी पकड़ ढीली होती तो फिर से ऊपर नीचे हिलने लगती।

उधर पिंकू मेरी पीठ की साइड पर अपना पराक्रम दिखा रही थी; ऊपर नीचे होकर अपनी चूचियों से मेरी पीठ मालिश भी कर रही थी और मेरी पीठ पर चूमा चाटी भी कर रही थी।
कई बार तो उसने शरारत में ज़ोर से काट भी लिया। 

थोड़ी देर बाद मैंने करवट बदली और पिंकू की तरफ मुंह कर लिया।
अब सोनू मेरी पीठ पर और पिंकू मेरे सीने पर अपनी छातियाँ रगड़ने लगीं।

आलोएवेरा जेल जल्दी सूख जाता है।
सोनू पिंकू की छातियों पर बार बार जेल मलना पड़ रहा था।

अब मैंने वही मज़ा पिंकू को अपनी बाँहों के घेरे में ले कर लिया।
वो तो खुद ही उत्तेजना में बही जा रही थी, जोरों से मुझसे चिपक चिपक कर अपनी चूचियां मेरे सीने से और पेट से रगड़ रही थी, मानो मेरा मसाज कम बल्कि अपनी चूचियों की खुजली ज्यादा मिटा रही हो।
साथ ही साथ पूरे जोश से मेरे मुंह में जीभ घुसेड़ घुसेड़ के डीप किसिंग कर रही थी।

सोनू भी अपनी आदत के विपरीत पूरे जोश से साथ देने की कोशिश कर रही थी।
उसकी यह कोशिश देख मुझे उस पर प्यार भी आ रहा था लेकिन सेक्स के खेल में पिंकू का मुक़ाबला कर मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

अब पिंकू ने उठ कर मुझे चित लिटाते हुए मेरे लंड को अपनी चूचियों के बीच में दबा दबा कर उसका मसाज करना शुरू करा।
मैंने भी सोनू को अपने ऊपर खींच कर उसकी चूचियों को पीना शुरू करा; कभी बाईं को चूसता तो कभी दायीं को। कभी दोनों निप्पलों एक साथ मुंह में लेकर चुभलाने लगता।

अब तो सोनू भी अपनी झिझक का लबादा उतार कर काफी फ्रैंक होकर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ पकड़ पकड़ कर मुझे ओफर कर रही थी और ओह्ह अह्ह ह्ह उईई ईईईई जैसी आवाजें निकाल रही थी।

अब जब चूची चुसाई की कमान सोनू ने सम्हाल ही ली थी तो मैंने अपने हाथों का उपयोग पिंकू के बोबों की मदद करने में किया।
अपने हाथों से भींच भींच कर उनको अपने लंड पर रगड़ने लगा।

कुछ देर बाद दोनों ने पोजीशन बदल लीं।
अब सोनू के बोबे मेरे लंड पर तो पिंकू की चूचियाँ मेरे मुंह में थीं।

पिंकू अपनी सदाबहार मस्ती में मेरे मुंह को अपनी चूचियों से रगड़ रही थी।

अपनी चूचियों को मेरे मुंह में ठूँसे दे रही थी और आवाजें निकाल रही थी- उई ईई ईई ईए आह्ह्ह!

उधर सोनू भी भरपूर अपनी तरफ से भरसक अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ रही थी।
मैं उसके भरे भरे उरोजों को अपनी मुट्ठियों में भर के अपने लंड पर रगड़ता रहा।

थोड़ी देर बाद दोनों मेरी साइड्स में बैठ गईं और ब्लाइंड टारगेट गेम खेलते हुए मेरी नाभि का निशाना लगाना चालू करा।
जहां पिंकू निशाना लगते ही पूरे जोश के साथ मेरी नाभि को चूसने लगती और जीभ घुसा घुसा कर रगड़ती, वहीं सोनू अपनी बारी आने पर पूरी नजाकत के साथ पहले अपने होंठों से फीदर टच चुम्बन लेती, फिर हल्के हल्के चाटती और चूमती।

मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था। 

अब दोनों अपनी पोजिशन बदल कर उल्टी लेट गईं।
उन्होंने अपनी चूचियों से मेरी टांगों की और चूतों से मेरे बदन की साइड्स की मालिश शुरू करी।

अब उनकी रस छलकाती चूतों और साथ ही साथ गांड के छेदों का दर्शन मुझे प्राप्त हो रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों की उँगलियाँ अलोवेरा जेल में डूबा कर उनके गुदा द्वारों में प्रवेश करा दीं।

दोनों ने उऽऽहू … सीऽऽई जैसी आवाज़ें निकालीं और थोड़ा ठिठक सी गईं।

मैंने उन्हें अपना काम जारी रखने को बोला और अपनी उँगलियों से उनकी ऐनल फकिंग करता रहा।
थोड़ी थोड़ी देर बाद मैं उनके हिप्स को भी छातियों के समान ही मींजता, मसलता रहता। 

फिर दोनों ने पोजीशन बदलते हुए मेरे लौड़े को अपनी चूचियों के घेरे में ले कर दाएं बाएं हिलना शुरू करा।

उनकी चूचियां अब आपस में भी घिस रही थीं और चार चार बोबों के बीच में मेरा लन्ड कुछ कुछ अज़ीम-ओ-शान शहनशाह के अंदाज़ में खड़ा था।

अब तो एक दूसरे की चूचियों का स्पर्श और साथ ही साथ मेरे लौड़े का घर्षण इन दोनों को ही डबल उत्तेजना दे रहा था।
मेरा तो हाल तो वैसे ही बुरा हो चुका था.

अब तो ‘उह्ह्ह आःह्ह उई ईईए सीईईई आईई’ हम तीनों की ही सिसकारियां माहौल को मादक बना रही थीं।

मेरे लिए अब खुद पर काबू रखना मुश्किल था। मेरे मुंह से आआ ह्ह्ह की तेज आवाज़ के साथ आखिर मेरा लावा एक ज्वालामुखी के समान उबल उबल कर बाहर आने लगा।

जोश इतना ज्यादा था कि बूंदों ने दोनों की चूचियों के साथ साथ मुंह और नाक तक सराबोर कर डाले।

सोनू और पिंकू ने एक दूसरे की चूचियों और चेहरों को चाट चाट कर साफ किया और फिर दोनों ने मेरे लौड़े और बाल्स को भी चाट चूस कर साफ किया।
इस तरह मस्त मस्त सेक्स से मेरी जीत का इनाम वसूल हुआ।

अब तक शाम के चार बज रहे थे।
हम लोगों ने एक साथ शावर लिया और कुछ ही दिनों बाद आने वाली होली साथ साथ मनाने के वादे के साथ एक दूसरे से विदा ली।

प्रिय पाठको, मेरी मस्त मस्त सेक्स कहानी पढ़कर आपको मजा आया होगा. अपने विचारों से मुझे अवश्य अवगत करायें.
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