हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम मनमीत सिंह है. मैं रोहतक हरियाणा से हूँ. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है. कोई गलती हो जाए तो माफ़ कर देना.
यह कहानी आज से सात साल पहले की है, जब मैं दूसरे शहर में अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई करने गया था. मैं वहां पर एक पीजी में कमरा किराए पर लेकर रहता था. उस बिल्डिंग में मेरे अलावा और भी कई लड़के रहते थे.
वहां पर एक आंटी काम करने के लिए आती थी, जिसका नाम सुनीता (बदला हुआ नाम) था. वो आंटी एकदम माल लगती थी. उसका फिगर साइज 38-30-36 का था, जो मैंने खुद नापा था. मुझे उसमें सबसे ज्यादा उसके मोटे मोटे चुचे बहुत पसंद थे. उसके मोटे मोटे चुचे देखते ही मेरा मन करने लगता था कि इन्हें दबा दबा कर चूसने में लग जाऊं.
जब वो आंटी सफाई करने आती थी, तो बस मन करता था कि इसको यहीं पर पटक कर चोद दूं. मगर डर लगा रहता था कि कहीं कुछ हो गया, तो सब इज्जत ख़ाक में मिल जाएगी.
जब वो आंटी सफाई करती थी, तो उसके चुचे आधे बाहर निकले रहते थे और मैं उन्हें घूरता रहता था. ये बात वो आंटी भी नोटिस करती थी.
एक दिन आंटी को काम पर आने में देर हो गई थी. उस दिन हमारे पीजी पर कोई नहीं था. क्योंकि ज्यादातर लड़के सर्विस करने वाले थे, तो वे सब चले गए थे. आंटी मेरे रूम में काम कर रही थी और मैं उसे घूर रहा था.
सफाई करने के बाद आंटी जाते हुए मुझसे बोली- ऐसे ही घूरते रहोगे या कभी कुछ करने का भी इरादा है?
इतना कह कर वो आंटी मुस्कुराते हुए और अपनी गांड मटकाते हुए कमरे से निकल गयी.
मेरा सर घूम गया. मुझे समझ आ गया कि आंटी चुदने को राजी है, बस मुझे ही हिम्मत करना बाकी था.
अगले दिन जब वो आंटी आई, तो वो रसोई की सफाई कर रही थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके चुचे दबाने लगा.
आंटी ने जोर ‘इस्स्स्स..’ की सिसकारी भरते हुए कहा- अभी मत करो.. कोई आ जाएगा.
मैंने कहा कि आंटी अभी कोई नहीं आएगा.. सब लोग काम पर निकल गए हैं.. यहाँ पर मैं अकेला ही हूँ.
इतना कह कर मैंने आंटी को अपनी तरफ घुमा लिया और उन्हें किस करने लगा. कुछ ही देर में आंटी भी गर्म हो चुकी थी, वो भी मेरे किस का जवाब मेरे होंठों को चूस कर देने लगी. मैंने उसका सूट ऊपर करके एक चुचे को ब्रा से बाहर निकाल लिया और चूसने लगा.
तभी बाहर से डोर बेल बजी, तो हम दोनों ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े ठीक किए और आंटी दरवाज़ा खोलने चली गयी.
दरवाजा खुला, तो मैंने देखा कि हमारे पीजी वाले एक सीनियर भैया आए हुए थे. उस दिन तो सारा काम चौपट हो गया.
फिर मैंने भैया से शाम को बात की- भैया, यहाँ कल सुबह एक बजे तक किसी को नहीं आना चाहिए.
उन्होंने पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- हां कोई बात है.
भैया समझ गए कि इसको किसी गर्लफ्रेंड के साथ रोमांस करना होगा. मगर वो ये नहीं समझ पाए कि कामवाली आंटी को चोदने का चक्कर है. यदि उनको ये मालूम हो जाता, तो शायद वो भी आंटी को चोदने के लिए कहने लगते. अभी हालांकि मुझे खुद नहीं मालूम था कि आंटी का चक्कर किस किस से है. हो सकता था कि आंटी पहले ही भैया का लंड ले चुकी हों.
खैर.. पीजी के मेरे सीनियर भैया मेरी बात मान गए और उन्होंने सभी लड़कों को हिदायत दे दी कि कल नौ बजे से एक बजे तक पीजी किसी कारणवश बंद रहेगा. सभी लोग अपने पीजी से सम्बन्धित काम निबटा कर ही जाएं और एक बजे के बाद आने का तय करें.
सभी ने कहा- ठीक है.
ऐसा हमारे पीजी में पहले भी कई बार हो चुका था. कभी कोई बिजली की फिटिंग के चलते या कोई और मरम्मत के काम के चलते ऐसा कर दिया जाता था.
तो उन्होंने मुझसे भी कहा- ठीक है … मैं भी कल बाहर जा रहा हूँ, यहां नहीं रहूँगा. तुम देख लेना कि सब ठीक रहे.
भैया ने ऐसा कह कर पूरे पीजी की जिम्मेदारी मुझे दे दी थी.
मैंने हामी भर दी और उनका धन्यवाद कहा.
फिर अगली सुबह नौ बजे तक सभी चले गए. साढ़े नौ बजे वो भैया भी चले गए.
दस बजे वो आंटी पीजी में आ गई. उसके अन्दर आते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उसको पकड़ लिया. वो मेरे इस खेल को समझ गई. मैंने उसे दीवार के साथ लगा दिया और उसके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी, मैं उसके चुचे दबाने लगा.
पांच मिनट के किस के बाद जब हम दोनों अलग हुए, तो आंटी बोली- कल के जैसे फिर कोई आ गया तो क्या होगा?
मैंने कहा- आंटी जी आज कोई नहीं आएगा. आज इधर सिर्फ आप और मैं ही रहेंगे. मैंने सब सैटिंग कर दी है.
आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे आंटी मत बोल. अब तो मैं सिर्फ तेरी सुनीता हूँ … और तेरी सुनीता बहुत प्यासी है.
इतना बोलकर आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार में डाल दिया. उनकी चुत बिलकुल गरम थी और गीली हो चुकी थी. उसने हाथ नीचे करके पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.
आंटी बार बार बोल रही थी- जल्दी कर लो, जो करना है.
फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुछ ही पलों में बस उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा और पेंटी ही रह गयी थी. आंटी ने भी मेरी पैंट और शर्ट उतार दी और कच्छे के अन्दर से लंड पकड़ लिया.
आंटी मेरे लंड को पकड़ कर बोली- ये तो बहुत बड़ा है. आज मुझे इससे चुदने में बहुत मजा आएगा.
इतना बोलकर आंटी ने मेरा कच्छे से लंड निकाल कर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर कर दिया.
लंड चुसाई से मैं तो सातवें आसमान पर उड़ने लगा था. क्योंकि पहली बार कोई औरत मेरा लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद मेरे लंड से उनके मुँह की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और मैंने उसके मुँह में ही पानी छोड़ दिया.
मेरे वीर्य को आंटी ने बड़े मजे से पिया और दोबारा लंड चूसने लगी. फिर मैं उसको बेड पर ले गया. आंटी को लिटा कर मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा.
आह्ह्ह … कितने मस्त चुचे थे उसके. बड़े मोटे मोटे और भरपूरे रसीले.
आंटी के पूरे शरीर पर किस करते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत पर किस करने लगा.
चूत पर मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही आंटी तो जैसे पागल ही हो गयी. इसके बाद मैंने आंटी की पैंटी भी उतार दी. मैं उसकी नंगी चुत पर किस करने लगा और चुत चाटने लगा. आंटी की चुत एकदम मस्त चिकनी थी और उसमें से रस निकल रहा था, जिसे मैं चाटता चला गया. मैं अपनी जीभ उसकी चुत के अन्दर देकर जीभ से चोदने लगा.
दस मिनट की चुसाई के बाद ही आंटी अकड़ने लगी और लम्बी सिसकारी ‘इस्स्स …’ करते हुए झड़ने लगी.
मैंने असली में किसी चूत को पहली बार झड़ते हुए देखा था.
थोड़ी देर बाद आंटी फिर मेरा लंड चूसने लगी, मेरा लंड अपने आकार में आ गया. मैं भी आंटी को किस करने लगा.
अब आंटी ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा- जल्दी से चोद दे मेरी जान … मुझे चुदे हुए बहुत साल हो गए. आज तू मेरी चुत फाड़ ही दे अपने इस मोटे लंड से … आह … मुझे चोद दे.
सहन तो मुझसे भी नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लंड आंटी की चुत पर लगाया और धक्का दे मारा. मेरा लंड आंटी की चूत के अन्दर नहीं गया … फिसल गया.
इसके बाद आंटी ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चुत पर लगाया और बोली- अब डाल!
मैंने फिर से धक्का मारा, तो इस बार मेरा आधा लंड आंटी की चुत में उतर गया.
लड के अन्दर जाते ही आंटी के मुँह से एक जोरदार चीख निकली. मैं डर गया और रुक गया. मुझे लगा कि मैंने किसी गलत छेद में लंड पेल दिया है.
मगर आंटी बोली- रुक मत .. मैं सह लूंगी .. तू बस पूरा अन्दर डाल दे.
मैंने ये सुनते ही एक राहत की सांस ली और अगला एक और झटका मार कर पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
लंड घुसेड़ कर मैं आंटी के चुचे पीने लगा. आंटी भी नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी.
फिर तो बस चुदाई शुरू हो गयी और दस मिनट बाद आंटी चिल्लाने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से … और जोर से कर … मजा आ रहा है … आह …
मैं भी लगातार आंटी को चोद रहा था और उसके चुचों को भींचते हुए मसल रहा था, चूस रहा था.
आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
उसके साथ पंद्रह मिनट की जोरदार चुदाई के बाद जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूछा- आंटी कहां निकालूं?
आंटी ने कहा- अन्दर ही छोड़ दे … मैं महसूस करना चाहती हूँ. तेरे लंड के पानी को अपनी चुत में लेना चाहती हूँ.
तो मैं तेज तेज झटके मारते हुए झड़ गया. तब तक आंटी भी झड़ गयी.
फिर मैं उसी तरह उसके ऊपर पड़ा रहा आंटी ने मेरे माथे पर चूमते हुए पूछा- मजा आया क्या मेरे जानू को?
मैंने कहा- बहुत मजा आया मेरी सुनीता जान.
मैं उनके एक चुचे को मुँह में भर कर चूसने लगा.
आंटी बोली- क्या अभी मन नहीं भरा मेरे जानू का?
मैंने कहा- हां अभी नहीं भरा.
मैं आंटी के ऊपर से हट कर साइड में लेट गया, तो आंटी उठ कर बाथरूम में चली गयी और चुत साफ़ करके वापस आकर लेट गयी.
उस दिन एक बजे तक हम दोनों ने तीन बार सेक्स किया, फिर वो अपने कपड़े पहन कर चली गई.
अब मौका लगते ही मैं और वो अपनी प्यास बुझाने लगे थे.
फिर कुछ दिनों बाद मुझे प्रक्टिकल्स के लिए दूसरे शहर भेज दिया गया, वहां पर भी एक शादीशुदा लड़की के साथ मैंने सेक्स किया. फिर तो उसके बाद मैंने कई चुत मारी हैं, लेकिन वो फिर कभी लिखूंगा.
मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना.
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