न्यू चूत सेक्स कहानी मेरे घर में काम करने वाली अल्हड़ जवान लड़की की पहली चुदाई की है. मैंने उसे पहली बार देखा तो मन किया कि अभी दबोच लूं.
मेरा नाम समीर है और मैं उत्तराखंड के एक छोटे से शहर में रहता हूँ.
मेरी पिछली कहानी
कमसिन उम्र में गांड चुदाई का पहला अनुभव
में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने अपने ताऊ जी के लड़के को लंड का मज़ा दिया और उसकी गांड मारी.
ये उसके बाद हुई घटना है.
मैंने हाई स्कूल अच्छे नंबर से पास किया और आगे की पढ़ाई के लिए मेरे घर वालों ने एक बड़े शहर के एक बहुत बड़े स्कूल में एडमिशन करा दिया.
वहां से मैंने इंटर पास किया.
जब मेरे इंटर के एग्जाम के बाद गर्मियों की छुट्टी शुरू हुई, तो मैं घर जाने की तैयारी करने लगा.
मेरा घर, मेरे स्कूल वाले शहर से करीब 200 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर था.
अभी मैं घर वापस जाने की तैयारी में लगा ही था कि घर से पापा का फोन आ गया कि उन्हें एक रिलेटिव के यहां शादी अटेंड करनी है, तो तुम अभी मत आओ. हम लोग तुम्हारे पास आ रहे हैं और अपने साथ ही तुम्हें कार से ले जाएंगे. दोपहर में प्रोग्राम अटेंड करके वापिस तुम्हें लेकर चलें जाएंगे.
मैंने हां कह दी.
उस समय हमारे पास अपनी कार नहीं थी, तो पापा किराये की कार लाए थे.
पापा ने शादी अटेंड की मगर रिलेटिव ने उन्हें जाने से रोक लिया तो पापा मुझसे बोले- कार खाली वापिस जाएगी. तो तुम वापिस ड्राइवर के साथ चले जाओ हम दो तीन दिन में आ जाएंगे.
मैं बोला- मुझे घर खाना कौन देगा?
तो उन्होंने बोला- अपनी नौकरानी पावनी घर पर ही है, वो तुम्हें खाना दे देगी. घर पर वॉचमैन भी है. वो घर की रखवाली करेगा.
उनका कहना मान कर मैं घर वापिस आ गया.
घर पर मैंने पहली बार पावनी को देखा, तो देखता ही रह गया.
बिल्कुल दूध की तरह धुली हुई, कमसिन, बड़े बड़े दूध वाली और मेरी उम्र की ही जवान लड़की थी.
मेरा तो उसका फिगर देख कर ही मूड बन गया और मेरे मुँह से लार टपकने लगी, लंड फूल टाइट हो गया.
वो तो शुक्र है कि मैंने चड्डी पहनना शुरू कर दी थी, तो मैं बच गया वरना तना हुआ लंड बाहर से ही दिखाई दे जाता.
मैंने देखा कि पावनी की नजरों में भी चंचलता थी. वो भी जवानी की मादक हवा में झूम रही थी.
मुझे साफ़ लग रहा था कि यदि मैं जरा सी भी कोशिश करूं तो ये मेरे लंड के नीचे आसानी से आ जाएगी.
शाम को उसने मुझे और वॉचमैन को खाना दिया.
खाना खाकर मैं थोड़ी देर इधर उधर घूमा मगर मेरा दिल घर पर ही था.
मैं पावनी को चोदने का जुगाड़ लगा रहा था कि कैसे कोशिश करूँ.
मगर कोई रास्ता नहीं मिल रहा था.
खैर … रात हुई.
उस समय लाइट बहुत कम आया करती थी और घर पर इन्वर्टर भी नहीं हुआ करते थे तो पावनी ने छत पर हम सबका बिस्तर लगा दिया था.
मेरा और पावनी का पलंग मिला हुआ था और वॉचमैन थोड़ा दूरी पर सो रहा था.
रात हो गई वॉचमैन खर्राटे लेकर सो गया मगर मुझे नींद कहां आ रही थी.
पावनी के पैर मेरी तरफ थे, मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए उसके पैर को सहलाना शुरू कर दिया.
जिसका उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया.
मैं उसके पैरों की उंगलियां सहलाता रहा.
कुछ देर बाद मेरी हिम्मत बढ़ गई थी तो मैं अपना हाथ उसकी पिंडलियों तक ले जाकर सहलाने लगा.
उसने इसका भी कोई रिस्पांस नहीं दिया मगर मुझे लगा कि ये शायद जागी हुई है और मेरा काम बन सकता है.
मगर वहां पर कुछ करना खतरे से खाली नहीं था.
मैंने उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया, जिसे उसने तुरंत हटा कर वापस खींच लिया.
मुझे लगा कि ये राजी है और अगर मैं नीचे वाले कमरे में चला जाऊं, तो ये भी आ जाएगी.
इसलिए मैं नीचे वाले रूम में जाकर लेट गया.
गर्मी बहुत थी मगर मैं इंतज़ार करने लगा.
काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी वो नहीं आयी तो मेरा दिमाग खराब होने लगा.
थोड़ी देर बाद उसके सीढ़ी उतरने की आवाज़ सुनाई दी तो मुझे कुछ सुकून मिला.
मगर वो मेरे कमरे में नहीं आयी.
मैंने कान लगाए तो मुझे किचन में काम करने की आवाज सुनाई दी.
मैंने सोचा शायद वॉचमैन को दिखाने के लिए किचन में काम कर रही है. थोड़ी देर में आ ही जाएगी.
मगर आधा घंटे तक इंतज़ार करने के बाद जब वो नहीं आयी तो मेरा सब्र जवाब दे गया और मैं उठ कर किचन में चला गया.
मैंने देखा कि पावनी बैठी हुई खाना खा रही थी.
मैंने पूछा- अभी शाम में तो खाना खाया था?
वो कहने लगी- हां मगर मुझे दोबारा भूख लगने लगी तो मैंने सोचा कुछ खा लूँ.
साथ ही उसने भी मुझसे पूछा कि तुम ऊपर से नीचे क्यों आ गए?
मैंने बहाना बनाया कि खुली छत पर मेरी पसलियां चलने लगती हैं और मुझे सांस की परेशानी हो जाती है. इसलिए नीचे आ गया.
यह कहकर मैं फिर से रूम में चला गया और फिर से उसका इंतज़ार करने लगा.
मैंने दरवाजा खुला ही रखा था.
थोड़ा इंतज़ार करने के बाद वो कमरे में आ गयी.
कमरे में अंधेरा था, उसने अंधेरे में ही पूछा- तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही?
मुझसे ज्यादा बातें नहीं बनाई जाती थीं, तो मैंने भी पूछ लिया कि तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही?
उसने कहा- मुझे तो भूख लगी थी इसलिए नीचे आ गई और इसी वजह से नींद नहीं आ रही. पर तुम्हें क्या हुआ है?
मैंने कहा- पता नहीं क्यों, नहीं आ रही?
फिर मैंने हिम्मत करके उससे कहा- जब दोनों को नींद नहीं आ रही है, तो चलो बैठ कर बातें ही करते हैं.
उसे पहले ही पता था कि मुझे नींद क्यों नहीं आ रही है. मेरे कहने पर वो मेरे बेड पर बैठ गई और मुझसे मेरे शहर के बारे में पूछने लगी.
मगर मेरी रुचि तो कहीं और थी.
मुझे उसके जिस्म की मादक सुगन्ध आ रही थी, जो मुझे पागल कर रही थी.
बाहर रखे लैंप की हल्की रोशनी में भी वो मुझे दूध जैसी सफ़ेद दिख रही थी.
दिल कर रहा था कि अभी पटक कर अपना खड़ा पूरा लंड इसकी चूत में पेल दूँ और हचक हचक कर चोदूँ.
मैंने हिम्मत करके कहा- थकी हुई होगी, लेट जाओ.
मेरे कहते ही वो लेट गई मगर मेरी फिर भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी.
मैंने फिर से हिम्मत जुटा कर कहा- तुम्हारे दिल में तो कुछ नहीं है?
उसने मुझसे ही सवाल कर लिया- मेरे दिल में क्या है?
मैंने फिर वही चूतिया वाला सवाल किया कि तुम्हारे दिल में क्या है?
उसने फिर कहा- तुम्हारे दिल में क्या है?
मैंने उसे बांहों ने भरते हुए बोला- मेरे दिल में तो ये है.
उसने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे सीने से चिपक गई.
अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी, तो मैंने हल्के हल्के से उसके उसके होठों पर किस करना शुरू कर दिया.
उसे किस करना नहीं आता था, तो उसने किस का कोई रिस्पांस नहीं दिया मगर मेरे सीने से चिपकी रही.
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो उसने मुँह खोल दिया. मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ ठेल दी और उसकी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने लगा.
उसे मजा आने लगा था तो वो भी अपनी जीभ चलाने लगी.
कुछ पल बाद मैंने उसके मुँह से अपनी जीभ बाहर निकाली तो उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में ठेल दी.
वो मुस्कुरा रही थी.
मैं समझ गया कि उसने चूमना सीख लिया है.
अब मैंने अपना हाथ उसके बड़े से दूध पर रख दिया और उसके मम्मे को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया.
उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.
मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर लगा दिए और हल्के हल्के उसकी गर्दन पर किस करने लगा.
उसकी कामुक सिसकारियां बढ़ने लगीं.
मैंने अपना हाथ हल्के से उसके कमीज में घुसा दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
मेरा हाथ पहली बार किसी के दूध पर था.
उसके दूध कसे हुए मगर बहुत सॉफ्ट थे.
मैंने हल्के से उसके मम्मों को दबाते हुए उसके एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों से दबा कर हल्के हल्के से मींजना शुरू कर दिया.
उसकी आह आह भरी सिसकारियां बढ़ने लगी थीं.
मैंने ज़्यादा देर ना करते हुए उसका कमीज ऊपर कर दिया.
अब उसके बूब्स आज़ाद थे.
मैंने उसके राइट साइड वाले दूध को अपने मुँह में भर लिया.
वो एकदम से कराह उठी.
कुछ पल दूध चुसवाने के बाद उसने स्वत: ही अपने दूध को मेरे मुँह में देना चालू कर दिया.
मैं उसके ऊपर आ गया.
उसका एक दूध मेरे हाथ में था और मेरा दूसरा हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर चलने लगा था.
उसकी सलवार गीली हो चुकी थी.
मैंने अपना हाथ उसके नाड़े पर लगा दिया था.
उसकी तरफ से कोई विरोध न पाकर मैंने उसका नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया और अपने हाथ से उसकी सलवार नीचे नीचे कर दी.
उसने भी अपनी गांड उठा कर मदद की.
मेरा हाथ अब उसकी चूत के छेद पर था.
मैंने धीरे धीरे अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में घुसा दी.
उसकी कामुक सिसकारी निकल रही थी और वो अपनी गांड उठा कर मेरी उंगली अपनी चूत में ले रही थी.
मेरा लंड पैंट फाड़ने को तैयार था इसलिए मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर एक तरफ फेंक दिया.
अब मेरा लंड आज़ाद था.
मैंने अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया.
उसने हाथ में लेकर लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और उल्टा होकर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
मैं सातवें आसमान पर था. उसकी चूत मेरे मुँह के पास थी.
मैंने भी देर ना करते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
उसकी तेज तेज सिसकारियां निकलने लगी थीं.
पावनी की चूत से पानी रिस रहा था.
मैंने मुँह हटा कर फिर से उंगली उसकी चूत में घुसा दी.
अब उससे रुका नहीं जा रहा था.
वो मुझसे बोली- अब रुका नहीं जा रहा, तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
हम दोनों ने अपने बाकी के कपड़े भी निकाल कर फेंक दिए.
मैं भी देर ना करते हुए फिर से उसके ऊपर चढ़ गया.
उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी न्यू चूत पर सैट किया.
मैंने हल्के धक्के के साथ अपना आधा लंड पावनी की चूत में उतार दिया.
न्यू चूत सेक्स से उसको बहुत तेज़ दर्द हुआ.
मैंने भी ये सोच कर कि कहीं इसकी चीख ना निकल जाए, अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और एक ज़ोर का झटका मार कर अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया.
वो नीचे से छटपटाने लगी मगर मैंने उसे कस कर दबोच लिया और थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा.
जब उसकी छटपटाहट कम हुई तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर डाल दिया.
कुछ देर अन्दर बाहर करने के बाद पावनी को लंड का मजा आने लगा.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगातार तब तक चोदता रहा जब तक उसका पानी नहीं निकल गया.
मैंने अपना पानी इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि लंड पर कॉन्डोम नहीं था.
कुछ देर बाद पावनी संयत हो गई.
मैंने फिर से धकापेल चालू की और लंड के झड़ने के समय एक झटके से चूत से बाहर खींच लिया.
उसने अपने मुंह में लंड ले लिया और चूस कर मेरे लंड से निकले अमृत को पी गयी.
उस रात हम दोनों ने तीन बार चुदाई का मजा लिया फिर वापस छत पर आकर सो गए.
आपको मेरी न्यू चूत सेक्स कहानी अच्छी लगी या नहीं, अपना फीड बैक ज़रूर दें.
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