कंपनी के टूर पर ऑफिस की दोस्त को पेला

कंपनी के टूर पर ऑफिस की दोस्त को पेला


Xxx ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि एक बार कंपनी का टूर गया तो मेरे ऑफिस की मेरी एक दोस्त और मैं एक दूसरे की ओर आकर्षित हो गए। बात कहां तक पहुंची?
सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार!
मेरा नाम सोनू है और मैं गुजरात से हूं।
मेरी पिछली कहानी थी: ऑफिस वाली भाभी की चुदासी चुत
आज मैं आपको अपने जीवन की एक यादगार घटना बताने जा रहा हूं।
यह Xxx ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी आज से 6 पहले की है जो मेरे साथ जॉब करने वाली दोस्त के साथ घटी थी।
पहले मैं आपको उसका परिचय दे देता हूं।
उसका नाम है रंजू।
वो और मैं पिछले 8 सालों से एक साथ जॉब कर रहे हैं।
जॉब के दौरान ही मेरी शादी हुई और इसी बीच उसकी भी शादी हुई।
उसकी शादी को 5 साल हो चुके हैं और मेरी शादी को 6 साल हो चुके हैं।

हम दोनों अपनी-अपनी लाइफ अपने तरीके से जी रहे थे।
मगर कहते हैं कि दाने-दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम।
हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
एक बार हमारे ऑफिस में एक दिन के टूर का प्रोग्राम बना।
सभी को टूर पर जाना जरूरी था, यह सबके लिए लागू था।
रविवार के दिन सब लोग सुबह 6 बजे के लगभग दिव शहर की ओर निकल पड़े।
हम सब एक 12 सीट वाली गाड़ी में सवार थे। रंजू और मैं दोनों पास पास बैठे थे।
सड़क खराब थी तो बार बार लग रहे झटकों से हम आपस में एक दूसरे के बदन से बार बार टकरा रहे थे।
मेरा हाथ बार बार उसके बूब्स को टच कर रहा था लेकिन उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं थी।
हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिए उसके मन में भी शायद ऐसी वैसी कोई बात नहीं आ रही थी।
ऐसे बातें करते हुए हमारा सफर दिव शहर जाकर खत्म हुआ और सब लोग अपने अपने ग्रुप में बंट गए लेकिन सब साथ ही चल रहे थे।
घूमने की जगह पर पहुंचकर सब लोग मस्ती करने लगे और समुद्र में नहाने लगे।
भीग जाने के बाद उसका गाउन उसके बदन से चिपक गया; उसका हर एक अंग अब भीगे गाउन में साफ साफ चमकने लगा।
उसको ऐसी हालत में देखकर पहली बार मेरी नियत बिगड़ने लगी।
मेरा लंड भी हल्का तनाव में आने लगा था।
मैंने उससे कहा- बहुत खूबसूरत लग रही हो!
लेकिन उसने मेरी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
उसकी चूचियों के निप्पल साफ उभरे दिख रहे थे।
मेरा लंड पूरे तनाव में आ गया और शॉर्ट्स में डंडे के जैसे तनकर अलग से ही निकला हुआ दिखने लगा।
रंजू की नजर मेरे शॉर्ट्स पर पड़ी तो वो भी चोरी-चोरी मेरे लंड को घूरने लगी।
शादी के बाद रंजू काफी निखर आई थी।
उसका फिगर 34-30-34 का था।
उसको देखकर लगता था कि उसका पति शायद उसको खूब चोदता होगा।
बार रंजू मेरे लंड की ओर देख रही थी और मैं उसकी चूचियों के उभरे निप्पलों को देख रहा था।
पता नहीं क्यों मन कर रहा था कि उसको वहीं गीली रेत पर लिटा लूं और उसकी भीगी हुई चूत में अपना गर्म-गर्म लंड डाल दूं।
शायद उसके मन में भी सेक्स की इच्छा प्रबल थी।
वो बोली- अरे जनाब … कंट्रोल करो … सबको दिख जाएगा आपका सामान। यहां कोई गुफा नहीं है जो आपके सामान को संभाल सके। हाथ से ही ठंडा होना पड़ेगा।
मैं बोला- तुम्हारी गुफा है तो फिर हाथ से क्यों काम चलाना। ऐसी गुफा में भला कौन नहीं जाना चाहेगा!
वो बोली- हम्म … सीधे पॉइंट पर!
मैं बोला- जैसी आपकी मर्जी … जबरदस्ती हमें आती नहीं और प्यार में हम कुछ कमी रखते नहीं।
वो बोली- लेकिन जगह?
मुस्कराते हुए मैंने कहा- बस मुझे 15 मिनट का टाइम दो।
मैंने जल्दी से पास के होटल में रूम बुक कर लिया।
मैंने उसको बताया तो बोली- पहले तुम जाओ, मैं सबकी नजर बचाकर बाद में आती हूं।
उसके कहने पर मैं जल्दी से होटल पहुंच गया।
दस मिनट के बाद वो भी होटल में आ पहुंची।
उसके आते ही हम दोनों सबसे पहले बाथरूम में घुस गए।
हम दोनों समुद्र में नहाकर आए थे तो पहले खुद को साफ करना जरूरी था।
दोनों साथ में नहाए और फिर नंगे ही बाथरूम से बाहर निकले।
दोनों अपनी-अपनी बाहों में एक दूसरे को समाने को बेताब थे।
हम बेड पहुंचे और एक दूसरे से लिपट गए।
मगर नंगे होने के बावजूद उसका सिर मेरी छाती पर रखवाकर मैंने पहले उसके माथे पर किस किया, उसके हाथ को सहलाया और फिर उसके होंठों को चूमने लगा जिसमें वो भी मेरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने उसे नीचे लिटा लिया और खुद उसके ऊपर आ गया।
अब मैं उसके बूब्स पर होंठ रखकर चूमने लगा और फिर एकदम मुंह में लेकर बूब्स को चूसने लगा।
उसके हाथ धीरे धीरे मेरे सिर पर आ चुके थे।
वो मेरे सिर को बूब्स पर दबाने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी उत्तेजना का पता मुझे लगा रहा था।
मैं उसकी चूचियों को पीते हुए अब जोर जोर से दबाने भी लगा उससे उसकी चूचियों में और ज्यादा कसाव आ गया।
अब मेरा मन उसकी चूत छूने का कर रहा था और मैं एक हाथ को नीचे ले गया।
नीचे से मैंने चूत पर हाथ फिराना शुरू कर दिया, उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे।
पूरी क्लीन शेव चूत नहीं थी और मुझे उसकी चूत को सहलाने में बहुत मजा आ रहा था।
उसकी चूत की फांकों के बीच से जब मेरी उंगली रगड़ कर गुजर रही थी तो उसके बदन में जैसे आग लग जाती थी और वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ा देती थी।
धीरे धीरे मैंने चूत में उंगली डालना भी शुरू कर दिया।
अंदर से उसकी चूत में गीलापन आने लगा था जो मेरी उंगली पर भी मुझे महसूस हो रहा था।
अब शायद उससे भी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
नीचे से हाथ ले जाकर उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी।
अब मैं नीचे से उसकी चूत में उंगली दे रहा था और वो मेरे लंड के टोपे पर त्वचा को आगे पीछे कर रही थी।
मेरा मुंह अभी भी उसके निप्पलों पर लगा था जो तनकर मटर के दाने जैसे हो चुके थे।
उसकी चूचियों में लाली आ गई थी जिससे अब वो और ज्यादा रसीली लगने लगीं थीं।
फिर अचानक उसने मेरे सिर को चूचियों पर से हटाया और मेरे होंठों से होंठ मिलाकर चूसने लगी।
हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह में जाने लगीं। मेरा लंड नीचे से उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था और वो भी चूत को लंड पर रगड़वाने की पूरी कोशिश करते हुए बार बार अपनी गांड को गोल-गोल हिला रही थी।
फिर मैं होंठों से हटकर उसकी गर्दन को चूमते हुए, चूचियों और पेट पर किस करते हुए उसकी चूत पर होंठों को ले गया।
जैसे ही मैंने चूत को होंठों से चूसना शुरू किया तो वो जोर से सिसकार उठी- आह्ह!
उसने टांगों को घुटनों से मोड़ लिया और अब मैं उसकी दोनों जांघों को हाथों से दबाते हुए उसकी चूत में मुंह से चाटते हुए अंदर तक जीभ देने लगा।
वो मेरे सिर को पकड़ कर चूत में दबाने लगी।
उसकी चूत से अब रस की धार बहनी शुरू हो गई थी।
उसने मुझे चुदाई के बाद बताया था कि उसका पति कभी कभी ही उसकी चूत को चाटता था इसलिए उसको मेरे साथ बहुत मजा आ रहा था।
मुझे चूत चाटते हुए चार-पांच मिनट हुए और एकदम से उसकी चूत झड़ गई।
उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
फिर भी मैं उसकी चूत में मुंह मारता रहा और पानी भी चाटता रहा।
कुछ देर के बाद मैं उठा और उसके बूब्स में लंड देकर रगड़ने लगा।
वो भी दोनों हाथों से बूब्स को भींचकर मेरे लंड की मुठ मरवा रही थी।
फिर मैंने अपना चिकना हो चुका लंड उसके मुंह में दे दिया।
वो भी बड़े मजे से मेरे लंड को चूसने लगी।
कई मिनट तक उसने लंड चूसा और अब तक उसको फिर से जोश आ गया।
वो बोली- बस अब चोद दो।
मैंने भी जरा देर नहीं की; मैंने उसके दोनों पैरों को ऊपर किया और लंड उसकी चूत पर रख दिया।
वो बोली- कॉन्डम?
मैंने उसकी समझदारी की कद्र की और कॉन्डम चढ़ा लिया।
कॉन्डम लगाकर मैं लंड के टोपे को उसकी चूत पर घुमाने लगा और उसको खूब गर्म करने लगा।
कुछ देर तक वो बर्दाश्त करती रही लेकिन फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
शायद उसकी चूत में अब खुजली बहुत तेज हो गई थी।
रंजू ने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखवा दिया और खुद भी नीचे से उठकर मेरे लंड को अपनी चूत में ले लिया।
लंड अंदर जाते ही मैंने भी आगे पीछे होते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया; उसकी चूत में लंड देकर मैं तो जैसे स्वर्ग का सुख पा गया।
धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में डाल देने के बाद उसे और मजा आने लगा।
उसके पति के लंड और मेरे लंड के साइज में ज्यादा अंतर नहीं था।
वो खुद बता रही थी कि उसको लंड लेने में कोई तकलीफ नहीं हुई।
मगर मैंने जब उसको अलग-अलग पोज में चोदना शुरू किया तो कई जगह उसको दर्द भी महसूस होने लगा।
उसका पति केवल 10 मिनट ही उसे चोदता था और आज रंजू 20 मिनट से ज्यादा समय से मेरे लंड से चुद रही थी।
मैंने कई पोज में उसकी चुदाई की।
फिर वो मुझे नीचे लिटाकर खुद मेरे लंड पर बैठ गई और चुदने लगी।
मुझे भी बड़ा मजा आया.
पर अब मैं भी थकान महसूस करने लगा था।
दस मिनट तक उसने मेरे लंड की सवारी की।
उसके बाद मैंने उसको दीवार के साथ सटा लिया और टांग उठाकर उसकी चूत में लंड पेला।
फिर मैं उसको बेड के कोने पर लेकर आया और वहां भी उसे चोदा।
इस तरह मैंने उसको अलग-अलग पोज में चोदा और कमरे के लगभग हर कोने में चोदा।
अब तक उसकी चूत फूल चुकी थी और पूरी लाल हो गई थी।
फिर मुझे लगा कि मैं अब और नहीं रुक पाऊंगा तो मैंने उसको बेड पर पटक लिया और मिशनरी पोज में चूत मारने लगा।
अब हम दोनों के होंठ फिर से मिल गए थे।
उसने अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लिया था। उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ा हुआ था और मैं भी नीचे से उसकी चूत में लंड की रेलम-पेल करने में लगा था।
उसके पांच मिनट बाद वीर्य का ऐसा आवेग उठा कि लगा जैसे कई सालों का भरा हुआ वीर्य एक ही बार में निकल गया।
लगभग 15-20 सेकंड तक मेरा स्खलन होता रहा।
मैंने उसकी चूत को वीर्य से भर दिया।
उसकी चूत इस एक घंटे की चुदाई में कई बार झड़ चुकी थी।
चुदाई थमी तो उसकी चूत में पच-पच की आवाज हो रही थी।
हम दोनों बुरी तरह हांफ रहे थे और बस एक दूसरे से चिपके हुए निढाल पड़े थे।
कुछ देर के बाद जब सांसें सामान्य हो गईं तो हम उठे और एक दूसरे को सहलाने लगे।
मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को सहलाने लगी।
थोड़ी ही देर में दोनों फिर से गर्म हो गए, मेरा लंड पूरा तन गया था।
मैं फिर से उसको चोदना चाहता था लेकिन उसकी चूत की हालत नाजुक थी तो वो मना करने लगी।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे को जी भरकर चूसने लगे।
वो भी मेरे लंड को मस्त तरीके से चूस रही थी।
मैं उसकी चूत को अंदर तक जीभ से चोद रहा था।
इस तरह से हम दोनों एक दूसरे के मुंह में अपना कामरस निकाला।
फिर हम बाथरूम में गए और नहाने लगे। फिर तैयार होकर बाहर निकल गए और टूर के बाकी लोगों के साथ शामिल हो गए।
उस टूर में हमें दो बार चुदाई का मौका मिला।
अभी भी जब भी मौका मिलता है हम दोनों सेक्स जरूर करते हैं।
उसको भी मेरे साथ चुदाई करवाना बहुत अच्छा लगता है।
इस तरह से मैंने पहली बार अपनी ऑफिस की दोस्त की चुदाई की।
आशा है आपको मेरी आपबीती पसंद आई होगी और आपका मन भी चुदाई के लिए करने लगा होगा।
आप अपना रेस्पोन्स जरूर भेजें। मुझे आप सब पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। Xxx ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी पर अपने कमेंट भी अवश्य करें।
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