… और मैं सोनम बन गयी

… और मैं सोनम बन गयी

गे क्रॉसड्रेसिंग इन पब्लिक स्टोरी में पढ़ें कि मैं लड़कियों जैसा दिखता हूँ. मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने का शौक लगा. जब मैं कॉलेज में गयी तो मेरे साथ क्या हुआ?

दोस्तो, मैं दुबला पतला सा गेहुंआ रंग का लड़का हूं और एक सामान्य परिवार से हूं.
मेरा नाम अनिल है. मैं छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 33 वर्ष है और मेरी हाइट 5.11 फीट है.

मैं एक क्रॉस ड्रेसर हूं. मुझे क्रॉस ड्रेसिंग करना बहुत अच्छा लगता है.
पिछले 15 सालों से मैं ये सब करता आ रहा हूं.

लड़कियों के कपड़ों में मैं खुद को बहुत सहज महसूस करता हूं. अपना नाम भी मैंने सोनम रखा हुआ है.

इसके पीछे भी एक कहानी है.

बदनामी और बेइज्जती के डर से मैं कभी अपनी फीलिंग किसी को नहीं बता पाता हूं.
यही डर रहता है कि लोग क्या सोचेंगे?

मगर हम सबकी जिन्दगी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जहां पर हम दिल की बात खुलकर रख सकते हैं.
अन्तर्वासना मेरे लिये ऐसा ही मंच है इसलिए मैंने इसको चुना.

मेरे साथ भी एक ऐसी ही घटना हुई. वही गे क्रॉसड्रेसिंग इन पब्लिक स्टोरी मैं आपको बता रहा हूं.
आपको मेरी ये दास्तां पसंद आये तो मुझे बाद में बताना जरूर. ये मेरे साथ रियल में हुई थी.

अब मैं सोनम बनकर आपको अपनी स्टोरी बताऊंगा. इसलिए अब आप मुझे सोनम ही समझें.

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पहुंची ही थी. मैं नई थी. काफी डरी हुई और बहुत नरवस भी थी क्योंकि मैंने काफी सुना था कॉलेज में रैगिंग के बारे में.

मैं डरती हुई अपने कॉलेज पहुँची!

मैं एक लड़के के रूप में ही थी. मैंने बिल्कुल क्लीन शेव करवाई हुई थी. मेरे होंठ एकदम से गुलाबी थे. मेरी जीन्स भी टाइट थी.

मुझे डर सता रहा था कि न जाने कॉलेज की रैगिंग कैसी होती होगी!
पर मैं आगे चलती रही.

मैं कैंपस में घुसी तो एक लड़का सामने से आया और मुझे घूर रहा था.
मैंने नजर झुका कर ही रखी.

वो जैसे ही मेरे पास से गुज़रा तो उसने एक हाथ से मेरा बैग पकड़ लिया और बोला- क्या लाया है इसमें?
मैंने आराम से जवाब दिया- जी, किताबे हैं.

उसने पूछा- फर्स्ट ईयर?
मैंने गर्दन हिलाकर हाँ में जवाब दिया.
वो बोला- पहली बार आये हो कॉलेज?
मैंने फिर से हाँ कहा.

वो बोला- रूम कौन सा है तुम्हारा?
मैंने कहा- पता नहीं.
वो बोला- तो ऐसे ही मुंह उठाकर चल दिये?

मैंने कहा- आप कौन से ईयर में हो?
उसने कहा- मैं स्टूडेंट नहीं, तुम्हारा टीचर हूं. तुम पीछे वाली बिल्डिंग में 11 नम्बर के रूम में चले जाओ.
मैंने उसको थैंक्यू बोला और वहां से चली गयी.

जैसे ही मैं 11 नम्बर के रूम में पहुंची तो मैंने देखा कि स्टूडेंट्स बेंचों पर बैठे थे और एक लड़की बारी बारी सबको अपने पास बुलाकर परिचय ले रही थी.

मैं जाकर बैठ गयी.
उसने मुझे ही बुला लिया और मुझसे सवाल जवाब करने लगी.
मैं नजरें झुकाकर खड़ी थी.

वो बोली- लड़कियों की तरह क्यों शर्मा रहा है?
मैं कुछ नहीं बोली.

उसने कहा- बाकी सब चले जाओ. इसे ही रहने दो.
उन्होंने मुझे रोक लिया.

उसके बाद वही लड़का (जो आते समय मिला था) और उसके साथ 2 और लड़के व एक लड़की भी आ गये.
मैंने उसको पहचाना और कहा- सर, यहां तो कोई भी नहीं पढ़ा रहा है.
वो बोला- अब मैं पढ़ाऊंगा.

उसने मुझे टेबल पर खड़ी होने के लिए कह दिया.
मैं खड़ी हो गयी.

तो वो बोला- शर्ट उतारो.
मैं चौंक गयी.
लेकिन कुछ विरोध नहीं कर सकती थी.
मैंने शर्ट उतार दी.

मेरी बॉडी पर एक भी बाल नहीं था.
वो मुझे गंदी नजरों से देखने लगे.

फिर मेरी जीन्स भी निकलवा दी. फिर मुझसे डांस करने को कहा.

मैं लड़कियों की तरह डांस करने लगी.

वो बोले- अब लड़कियों के कपड़े पहन.
मैंने मना किया तो वो गुस्सा होने लगे.
फिर वो लड़की जिसका नाम रूपाली था, वो मेरे पास ब्रा लेकर आई और मुझे पहनने को बोला.

मैंने ब्रा पहनी लेकिन मेरे बूब्स नहीं थे. छोटी छोटी चूची थी.
फिर उन्होंने मेरी ब्रा में रुमाल डाल दिये.

फिर लड़की की जीन्स मैंने पहनी जो रूपाली की थी.
वो बहुत टाइट थी.

फिर दूसरी लड़की निशा के ही फुटवियर पहने.

लड़के बोले- वाह … क्या कमाल का फिगर है.

फिर वे मेरे सिर पर स्कार्फ बांधने को कहने लगे.

मैंने वैसा ही किया.
लड़का बोला- बस लिपस्टिक की कमी रह गयी है.
निशा ने अपनी सीट से लिपस्टिक और ग्लो क्रीम भी निकाली.

उसने मुझे लिपस्टिक और क्रीम लगा दी.

मुझे अब सेक्स चढ़ने लगा था.

फिर वो मुझे डांस के लिए कहने लगे.
मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा था हील्स में!
फिर रूपाली जो केवल पैंटी और फुटवियर में थी, वो मेरे पास आयी और मुझे चलाने लगी.

मेरी तो चाल ही बदल गयी थी.
फिर राहुल नाम का लड़का मेरे पास आया और मेरे साथ डांस करने लगा.

दूसरा लड़का करण हंस रहा था. राहुल ने मेरी कमर में हाथ डाल लिया और मेरी ब्रा की स्ट्रिप को मसलने लगा.

मैं उसकी आंखों में देख रही थी. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं उसकी बॉडी पर हाथ फिराने लगी.

पता नहीं कब मेरा हाथ उसकी पैंट तक पहुंच गया.

राहुल ने निशा को कहा कि तुम दोनों बाहर चली जाओ.
रूपाली के पास पैंट नहीं थी तो उसने राहुल के कपड़े पहन लिये.

इतने में दो लड़के और आ गये.
निशा बोली- इतनी देर क्यों लगा दी?

वो बोले- ये आइटम कौन है?
उन्हें भी नहीं पता था कि मैं लड़का हूं.

फिर निशा और रूपाली चले गये.

अब रूम में मैं, राहुल, करण और विशाल हम चार ही थे.

विशाल की बॉडी बहुत जबरदस्त थी और करण थोड़ा दुबला था.
करण ने विशाल को बताया कि ये जूनियर है.

विशाल ने कहा- जूनियर है तो निशा के पास भेजो. इस लड़की के साथ कुछ गलत हो गया तो पता नहीं क्या हो जायेगा.

करण हंसकर बोला- ये लड़की नहीं, लड़का है.
विशाल भी फिर हमारे पास आ गया.

उसने पीछे से मेरी पीठ पर हाथ फिराया और बोला कि कमाल है ये तो. उसने मेरे कंधों को पकड़ लिया.
मुझे भी मदहोशी सी होने लगी. मुझे ऐसा पहले कभी फील नहीं हुआ था.

विशाल मेरी पीठ से सटा हुआ था.

मैंने अपनी एक टांग पीछे मोड़ी और हील को उसके लंड तक ले गयी.
विशाल ने एक हाथ मेरे पेट के आगे से ले जाते हुए मेरे पेट पर हाथ रख लिया और दूसरा हाथ पीछे गर्दन पर रखते हुए मुझे झुका दिया.

अब मेरा मुंह राहुल की पैण्ट के पास था.
मैंने उसकी पैण्ट की चेन खोल दी और उसका लन्ड बाहर निकाल लिया.

ओह्ह … इतना बड़ा लंड था … मैं तो देखकर खुश हो गया.

मैं खड़ा हुआ और राहुल के मुंह की ओर देखकर मुस्करा दिया.
राहुल ने मेरे गाल पर किस किया.

मैंने भी चाहा कि उसके होंठों को चूम लूं लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.

फिर उसने मुझे नीचे बैठने को कहा. टाइट जीन्स होने की वजह से मुझसे बैठा नहीं गया.

मैं राहुल से बोली- तुम ऐसे ही खड़े रहो.
फिर मैं राहुल का लंड पकड़ कर सहलाने लगी.

मगर विशाल बोला- जल्दी करो, अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा.

करण बोला- पहले मैं चुसवाऊंगा अपना!
विशाल बोला- तो साइड में बैठ ना … और चुसवा ले.
इतने में उन्होंने मुझे नीचे बिठाया और राहुल मेरे होंठों पर अपना लंड घिसाने लगा.

मेरा ऐसा मन कर रहा था कि एक झटके में इसका पूरा लन्ड मुह में ले जाऊंगी.
राहुल के दोनों हाथ मेरे सिर के पीछे चले गये थे.

इतने में ही मैंने मुंह खोल दिया और राहुल का लंड मेरे मुंह में चला गया.
मेरे मन की मुराद पूरी हो गयी.

मैंने राहुल का पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसको जीभ से सहलाने लगी.
उसके लंड का स्वाद बहुत अजीब था. मगर मुझे अच्छा लग रहा था.

इतने में वो बोला- यार, ये तो बिल्कुल सोनम की तरह चूस रहा है.
बस वहीं से मुझे ये सोनम नाम पसंद आ गया था और मैंने अपना नाम भी सोनम रख लिया था.

अब विशाल से नहीं रुका जा रहा था.
राहुल बोला- तू इसके हाथ में दे दे.

विशाल ने अपना लंड निकाला तो मैं हैरान रह गयी.
उसका लंड बहुत ही मस्त और मोटा-लंबा था.

मेरा लंड उनके सामने बच्चे की लुल्ली जैसा था.
मैंने विशाल का लंड पकड़ लिया. उसके टोपे को पीछे कर लिया.

एकदम से गुलाबी सुपारा था उसके लंड का.
मैं उसके लंड को सहलाने लगी.

इतने में ही राहुल बोला- जीन्स निकाल ले.
मैं समझ गयी कि मेरी चुदाई होने वाली है.
ये तीन मुश्टंडे अब मेरी गांड को फाड़ देंगे.
मगर मैं भी हवस में थी और चुदवाना चाहती थी.

मैंने जीन्स नीचे कर दी.
मेरे गोरे चूतड़ बाहर चमक उठे.
मेरी गोरी चिकनी गांड पर एक भी बाल नहीं था.

विशाल ने पीछे से गर्दन पर हाथ ले जाकर मुझे झुका लिया. उसने एक हाथ से लंड मेरे मुंह में डाल दिया.

उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुंह में नहीं आ रहा था.
मैंने धीरे धीरे गर्दन लम्बी करके उसको गले में उतार लिया.
उसका मोटा लंड मुझे गले में महसूस हो रहा था; मुझसे सांस भी नहीं लिया जा रहा था.

इधर राहुल मेरी गांड के छेद पर थूक कर उस पर उंगली फिरा रहा था. दूसरी तरफ करण मुझसे मुठ मरवा रहा था.
मुझे पंखे के नीचे भी पसीना आ रहा था.

इतने में राहुल ने मेरी गांड में उंगली डाल दी.
मैंने एकदम से विशाल का लन्ड गले से निकाला और सांस भरने लगी.

मेरी सांस काफी देर से रुकी हुई थी. मैं तेजी से सांस लेने लगी.
मगर फिर से विशाल ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुंह में लंड दे दिया.

इतने में राहुल ने उंगली डालते डालते इकट्ठी 2 उंगली मेरी गांड में डाल दीं.

मैंने हल्का सा आह … किया और विशाल का लन्ड पकड़कर मुंह में पूरा ले लिया और करीब 5 मिनट तक विशाल का लंड जोरदार तरीके से चूसा.

तभी विशाल ने कहा- राहुल तू आगे आ जा. मैं आता हूं पीछे!
विशाल पीछे चला गया.

इतने में करण ने राहुल से पहले आगे आकर लन्ड मेरे मुंह में डाल दिया.
उसका लन्ड पानी छोड़ गया था. उसके लंड से मुझे नमकीन स्वाद मिला जो बहुत अच्छा था.

मैं मदहोशी में करण के लंड को चूसने लगी.

विशाल ने टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा और एक झटका दे मारा.
मेरी तो चीख निकल गयी जैसे किसी ने मेरी गांड में चाकू घुसा दिया हो.

मेरी आँखों में पानी आ गया और मुंह से आवाज निकलनी तो बंद ही हो गयी.

मुझे चक्कर आने लगा लेकिन विशाल रुका नहीं.
मैंने एक हाथ पीछे ले जाकर उसे हटाना चाहा पर उसकी ताकत मुझसे कई गुणा ज्यादा थी.

उसने एक शॉट और मारा और आधा लन्ड मेरी गांड के अंदर था.
मैं एकदम से खड़ी हो गयी.

विशाल ने कहा- कुछ नहीं होगा, आराम से करेंगे. मगर मेरे पैर कांप रहे थे.

उसने फिर से मुझे झुकाया और टाँगें चौड़ी करने को बोला.
मैंने वैसे ही किया.
मेरी हाइट उससे काफी कम थी मगर निशा की हील मेरा साथ दे रही थीं.

मेरी गांड का छेद बिल्कुल उसके लन्ड की सीध में था.

उसने आराम से फिर से टोपा घुसाया और मेरे मुंह से आह्ह निकल गयी.
मगर करण ने इतने में ही मेरे मुंह में फिर से लंड घुसा दिया.

मैंने भी ठान लिया. अगर फटती है तो फट जाये. मैं करण के लंड को चूसने लगी.

विशाल का लंड मेरी गांड में पूरा घुस चुका था. अब दर्द छेद में नहीं बल्कि मेरे पेट में हो रहा था.
मेरी आंखों से आंसू आ रहे थे.

अब मैंने लंड को मुंह से निकाल लिया और मदहोशी में अपना सिर बेंच पर रख लिया.
मेरे दोनों हाथ माथे के नीचे थे और विशाल जोर से झटके मार रहा था.

मुझे विशाल के लंड से चुदते हुए बहुत मजा आने लगा.
कमरे में विशाल और मेरे मुंह से ओह्ह … आह्ह … आईई… आअहह … यस … आह्ह … फक … जैसी आवाजें निकल रही थीं.

मैं बोली- कोई आ जायेगा!
तो विशाल ने कहा- नितिन बाहर ही बैठा है, यहां कोई नहीं आ सकता.

मैं थक चुकी थी और मेरी टांगें भी मुड़ने लगी थीं.

इतने में विशाल ने लन्ड निकाल दिया और पीछे से पकड़कर मेरा मुंह आगे कर दिया.
मैं गिर गयी थी लेकिन विशाल ने मेरा मुंह पकड़े रखा और अपना पानी मेरे मुंह में निकाल दिया.

उसका वीर्य बहुत गर्म था. आधा वीर्य मेरे मुंह में और आधा नाक और गालों पर लग गया था.
मेरी गांड में हवा भर गयी थी. मैं उठने लगी तो एकदम से आवाज करके हवा निकली.

वो तीनों हंसने लगे और मैं बेंच पर जा बैठी.
तो वो बोले- बैठ मत, खड़ी हो जा.

मैं हाथ जोड़ने लगी- अब मत करो, बहुत दर्द हो रहा है.
मगर राहुल ने मेरी बात नहीं सुनी.
उसने मुझे बेंच पर लिटा दिया; लिटाकर मेरी टांगें ऊपर कर दीं.

मेरी टांगें उस टाइट जीन्स में फंसी हुई थीं. उसने मेरी टांगें पकडीं और अपने कंधों पर ले लीं.
मुझे ये पोजीशन अच्छी लगी.
मैंने अपनी टांगों को उसकी गर्दन पर लॉक कर दिया.

उसने मुझे नीचे से खींचा और लन्ड के आगे गांड कर दी. एक ही झटके में उसका लंड पूरा मेरी गांड के अंदर था.
मैं एकदम से चिल्लाई- अहह … नहीं … आईई … ऊह्ह … निकालो प्लीज।

मगर वो तो मेरी चुदाई शुरू कर चुका था और बस चोदता जा रहा था.
मैं तो जैसे बेहोश ही होने वाली थी.

पूरे कमरे में फच … फच की आवाज होने लगी थी.
चार पांच मिनट तक वो स्पीड में मेरी गांड को चोदता रहा और फिर मेरी गांड में उसने वीर्य भर दिया.

इस बीच मेरा वीर्य दो बार निकल चुका था.

फिर करण बोला- अब मैं भी करूंगा.
मैं तो अब उठ भी नहीं पा रही थी. मैंने कोई विरोध नहीं किया.

करण ने भी मेरी टाँगें उठाईं और लन्ड अंदर डाल दिया.

अब लन्ड अंदर जाने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी. उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और मेरे ऊपर लेट गया.
इससे मेरी गांड का मुंह ऊपर आ गया.
ये पोजीशन थका देने वाली थी.

वो मेरे नकली बूब्स दबाने लगा और मेरे जिस्म को चूसने लगा.
काफी देर तक वो मेरी चूम्मियां लेता रहा.

फिर उसने मुझे उठाया और लंड बाहर निकाल लिया. मैंने देखा कि अब तीनों के ही लंड खड़े थे.

मैं तो बहुत घबरा गई थी कि अब ये फिर से मुझे चोदेंगे.
उन्होंने मुझे नीचे बैठने को बोला.
मैं बैठ नहीं पाई इसलिए घुटनों के बल बैठ गयी.

अब वो तीनों बारी बारी से मेरे मुंह में अपने अपने लंड घुसाने लगे.
बारी बारी से मैं एक एक लंड चूसती जा रही थी. कभी कभी दो लंड एक साथ भी आ जाते थे.

फिर एकदम से तीनों झड़ गये. मेरा मुंह पूरा वीर्य से भर गया. मैंने वो सारा रस पी लिया.

इतने में करण ने फोन किया और कहा- आ जाओ.
मेरे तो होश उड़ गये कि अब कौन आना बाकी है?

फिर वहां रूपाली और निशा आये. रूपाली के कपड़े गंदे हो गये थे.

वो तीनों मुझे देखकर खुश हो रहे थे लेकिन रूपाली अपने कपड़े देखकर परेशान हो रही थी.

उसके बाद मैंने अपना मुंह साफ किया. पानी पीया और फिर घर की ओर आने लगी.

मुझसे चला भी नहीं जा रहा था. मैं लंगड़ा रही थी.

मैं घर पहुंची और वॉशरूम में गयी. मैं टॉयलेट सीट पर बैठी तो अंदर से बहुत सारा खून और चिकना सा पानी निकला.

उसके बाद मैं नहाई और थकी होने के कारण सो गयी. वहीं से मेरी सोनम बनने की कहानी शुरू हो गयी.
ये मेरे साथ हुई पहली सेक्स घटना थी. उसके बाद भी मेरी जिन्दगी में बहुत कुछ हुआ.

फ्रेंड्स, आपको मेरी गे क्रॉसड्रेसिंग इन पब्लिक स्टोरी कैसी लगी मुझे जरूर बतायें. मेरी ईमेल पर मैसेज करें और अपनी राय दें.
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