ऑनलाइन चुदाई के चक्कर में खड़े लंड पर धोखा- 2

ऑनलाइन चुदाई के चक्कर में खड़े लंड पर धोखा- 2


रण्डी नेपाली सेक्स की कहानी में पढ़ें कि ऑनलाइन सेक्स के चक्कर में दिल्ली पहुँच कर पता लगा कि कोई मुझे फुद्दू बना गया या बना गयी. तो लंड का जोश मैंने कोठे पर एक रंडी चोद कर निकाला.
फ्रेंड्स, मैं मुहम्मद जैद पठान हूँ और आपको अपने साथ हुई एक घटना को सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा हूँ.
कहानी के पहले भाग
लड़की ने सेक्स के लिए दिल्ली बुलाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं एक लौंडिया से हुई चैट के बाद उसे चोदने लखनऊ से दिल्ली आया था.
अब आगे रण्डी की नेपाली सेक्स की कहानी:
अब तक मैं समझ चुका था कि मेरे साथ एक गंदा मजाक किया गया है.
या तो कोई लौंडा मुझसे अलीशा बनकर बात कर रहा था या फिर ये औरत एक फेक और फ्रॉड औरत है.
ऐसा मुझे लगा मगर जो फोटो उसने मुझे चैट पर भेजी थीं, वो कहीं से भी नेट से डाउनलोड की हुई नहीं लग रही थीं.
वे सारी फोटो किसी घर की या गार्डन की … या कार के सामने की थीं.
मैंने सोचा हो सकता है उसको कोई काम आ गया हो इसलिए लेट हो रही है.
मगर जब रात के साढ़े आठ बज गए तो मैं समझ गया कि वो अब नहीं आने वाली.
मैंने पंजाबी बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर दो के बगल में बनी कार पार्किंग में हर जगह उसकी बीएमडब्लू कार को ढूँढा.
मगर वो मुझे कहीं नहीं दिखी.
मैं गुस्से में तमतमाते हुए एक खाने के ठेले के पास गया और वेज थाली ऑर्डर कर दी.
खाना खाकर मैं वापस पंजाबी बाग मेट्रो स्टेशन में घुसा और कीर्ति नगर की मेट्रो पकड़ ली क्योंकि अगर मैं और इंतजार करता तो पंजाबी बाग में ही फंस जाता.
दिल्ली मेट्रो सेवा सिर्फ़ रात के साढ़े नौ बजे तक ही चालू रहती है और मैं अभी नहीं जाता तो वहीं फंस जाता.

फिर कीर्तिनगर से राजीव चौक और वहां से मैं नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पहुंचा.
उसके बाद गेट नंबर चार से बाहर आकर मैं गुस्से और दुख से भरा वापस अपने लॉज आ गया.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि आख़िर मैंने इस व्यक्ति का मर्द या औरत, जो भी था ये, इसका मैंने क्या बिगाड़ा था … जो इसने मेरे साथ ऐसा किया.
रूम में आकर मैंने कपड़े बदल कर टी-शर्ट और लोवर डाला और बिस्तर पर लेट कर मोबाइल देखने लगा.
अलीशा को पेलने की योजना के साथ साथ मैंने दो कपल्स से भी बात की थी.
वे भी दिल्ली आने को तैयार थे मगर ऐन टाइम पर चंडीगढ़ के कपल जो थे, उनमें पत्नी की तबीयत बिगड़ गई और गाज़ियाबाद वाले बंदे की गर्लफ़्रेंड के पीरियड चालू हो गए, तो वे नहीं आ पाए.
मेरे मोबाइल पर उनका संदेश आया- क्या हुआ, अलीशा की चुदाई चालू हुई?
तो मैंने उन्हें पूरी बात बता दी.
तब उन्होंने भी मुझसे संवेदना जताई.
इससे मेरा दिल थोड़ा हल्का हुआ.
मैंने सोचा कि बहनचोद दिल्ली चुदाई करने आया हूँ तो चूत तो मारूँगा ही.
मैं रूम से बाहर आकर सीढ़ियों से नीचे उतरा और लॉज से बाहर निकल कर एक बार फिर जीबी रोड की तरफ चल पड़ा.
मगर इस बार मैं सावधान था.
मेरे पास तो पांच सौ रुपए ही शेष थे तो मैंने एटीएम से हजार रुपए निकाल लिए और सीधे चौंसठ नंबर कोठे में घुसा.
फर्स्ट फ्लोर पर ही एक आंटी ने जबरन मुझे पकड़ कर दाईं तरफ वाले हॉल में खींच लिया और केबिन में धकेल दिया.
मैंने विरोध किया, पर मेरी एक ना चली.
फिर एक बड़ी बड़ी चूचियों और बड़ी सी गांड वाली औरत केबिन में आई और मुझसे पैसे मांगे.
मेरे पूछने पर बोली- एक शॉट का हजार रुपए और एक घंटा.
मैंने मोलभाव किया मगर वो नहीं मानी और ना ही वो मुझे बाहर जाने दे रही थी.
तब मैंने मन मारकर उसको हजार रुपए दे दिए और वो केबिन से बाहर गई.
फिर दो मिनट बाद ही वापस आकर उसने केबिन का गेट लॉक कर दिया और मेरे पास बिस्तर पर चादर बिछाकर बैठ गई.
उसने अपनी स्कर्ट उतार दी और वो नीचे से नंगी हो गई.
उसने मुझसे बख्शीश मांगी, पर मैंने कह दिया कि मेरे पास और पैसे नहीं हैं.
तो साली बड़बड़ाती हुई अपनी चूचियां टॉप से निकाल कर लेटने लगी.
मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और गाल व गर्दन चूमने लगा.
मगर वह बिल्कुल सहयोग नहीं कर रही थी और मुझे चूमने से रोक रही थी.
मगर मैं उसकी दोनों चूचियों को कस कस कर दबाते हुए उसको चूमने में लगा रहा.
दस मिनट के फॉर पले के बाद वह लेट गई.
वह मेरे लंड पर मेरा अपना लाया हुआ कामसूत्र सुपरथिन निरोध लगाने लगी.
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर लगा दिया.
मैंने उसकी चूत को एक बार सहलाया तो वो चिल्लाकर बोली- ये क्या कर रहा है साले. .. मेरी चूत से हाथ हटा!
मैंने हाथ हटा कर लंड पर दबाव दिया और धीरे धीरे अपना छह इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड उसकी चूत में उतार दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
अपनी दोनों कोहनी के बल उसकी बगलों के अगल-बगल टिका कर आसन लगाया था.
कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और पच पच की आवाज के साथ उसको चोदना चालू कर दिया.
हम दोनों की सांसें बहुत तेज चल रही थीं.
उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेटकर मुझे कसकर अपने से चिपका लिया और चुदवाने लगी.
मैंने उसके होंठों को चूमने और चूसने की कोशिश की, मगर उसने मना कर दिया.
करीब एक घंटे की घमासान चुदाई के बाद मैं झड़ गया और हांफते हुए उसके मम्मों पर सर रखकर लेट गया.
हालांकि जो मजा अलीशा को उसके घर में पेलने में आता, वो तो नहीं आया … पर कुछ नहीं से, तो ये कुछ बेहतर ही था.
फिर हम अलग हुए और अपने कपड़े पहने.
वह पहले केबिन से बाहर गई फिर मैं निकला.
और जाते जाते उससे हंस कर पूछा- मुँह में लोगी?
तो वो भी हंसती हुई बोली- हां लूँगी.
मैंने लंड चूसने का रेट पूछा तो बोली- पांच हजार.
मैंने मुँह बिचका दिया.
फिर मैं कोठे से बाहर आकर लॉज में आकर अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गया और पंद्रह बीस मिनट उस धोखेबाज रंडी अलीशा के मैसेज का इंतजार किया मगर वो अभी भी ऑफलाइन ही थी.
मैं मोबाइल अपने बगल में पटक कर सो गया.
सुबह सात बजे मेरी नींद खुली और फ्रेश होकर मैं सवा दस बजे अपना सामान लेकर नीचे आया और लॉज से चैकआउट कर लिया.
फिर मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आकर वहां के मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर चार के बाहर रेलिंग से लगे पत्थर पर बैठ गया.
मेरा अब सेमिनार में जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था.
दोपहर के बारह बजे मैंने अपने पेटीएम वॉलेट बैलेंस से खाना ऑर्डर कर दिया.
तीस मिनट बाद खाना आ गया और मैंने खाया.
तभी मेरे हैंगआउट ऐप पर एक नए मैसेज का नोटोफिकेशन आया.
मैंने चैट शुरू की.
तो उस व्यक्ति ने खुद को दिल्ली की एक प्यासी शादीशुदा औरत बताया, जिसके पति का लंड जल्दी झड़ जाता है.
वो अपने लिए ऐसे आदमी की तलाश में है, जो उसको रगड़ कर चोदे और उसकी गोपनीयता भी बनाए रखे.
मैंने उससे वायदा किया कि मैं ऐसा ही करूँगा.
तब उसने मेरे लंड का साइज पूछा और लंड की पिक्स मांगी.
मैंने साइज बता दिया और पिक्स भी भेज दीं.
उसका जवाब आया- वाउ नाइस!
तो मैंने उत्तर में ‘थैंक्स. ..’ लिख कर भेज दिया.
मैंने उससे उसका नाम पूछा पर उसने बताया नहीं.
फिर मैंने उसको अपनी लोकेशन दी और कहा कि अगर वो शाम सात बजे से पहले आ सके, तो यहां आकर मुझे पिकअप कर ले.
उसने जवाब दिया कि पति और समय देखकर वो बताएगी.
मैंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लॅटफॉर्म नंबर सोलह पर उसका काफ़ी देर इंतजार किया मगर वो नहीं आई, तो मुझे लगा शायद अभी उसके लिए आना संभव नहीं होगा.
फिर मैं शाम पांच बजे स्टेशन से बाहर आसिफ अली रोड पर बने धार्मिक स्थल पर गया.
वहां से बाहर आकर मेरा फिर से चुदाई करने का मन करने लगा तो मैंने जीबी रोड पर जाकर एटीएम से पैसे निकाले और चौंसठ नंबर पहुंच गया.
वहां ऊपर जाकर दूसरी फ्लोर के बाएं तरफ बने हॉल में मौजूद एक मस्त गोरी चिट्टी औरत से मैंने रेट पूछा, तो बोली- एक शॉट का चार सौ और पूरी रात का बारह सौ.
फिर मैंने बोला- आता हूँ अभी.
मैं नीचे आकर कोठे से बाहर आ गया.
दरअसल मुझे भूख लग आई थी तो मैं जीबी रोड पर थोड़ा आगे जाकर दाहिने तरफ की गली में मुड़ गया.
वहां एक रेस्तरां में जाकर क्रिस्पेर्सस बरगर ऑर्डर करके खाया और अपने पेटीएम वॉलेट बैलेंस से पेमेंट कर दी.
बर्गर खाकर मैंने सामने की दुकान से लस्सी पी और वापस चौंसठ नंबर की तरफ चल पड़ा.
वहां पहुंच कर पता चला कि किसी ने एक रंडी का सर फोड़ दिया है और कोठे के अन्दर पुलिस मौजूद है.
मैंने मन ही मन सोचा कि लो बेटा लग गया काम!
फिर मैं थोड़ी देर और बेमकसद टहल कर चौंसठ नंबर के सामने पहुंचा और सीढ़ियों से सामने लगी पान की दुकान वाले से पूछा कि पुलिस चली गई?
तो वो बोला- हां हां जाओ जाओ. .. अब सब ठीक है.
मैं अन्दर चला गया.
फर्स्ट फ्लोर की एक रंडी ने फिर से मुझे अन्दर हॉल में खींचने की कोशिश की, मगर मैं अपना हाथ छुड़ाकर ऊपर चला गया और सेकेंड फ्लोर पर बाईं तरफ के हॉल के अन्दर जाकर उस गोरी आंटी को ढूँढने लगा.
मगर वो कहीं नहीं दिखी, तो मैं दाहिने तरफ के हॉल में गया.
वहां एक लड़की अपने दो ग्राहकों के साथ केबिन्स से बाहर लगी बेंच पर बैठकर बियर पी रही थी.
दो तीन लड़कियां आपस में बात कर रही थीं और एक लड़की अकेली बैठी थी.
वह नेपालन थी और देखने में बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी.
मैंने उसके पास जाकर एक शॉट का रेट पूछा, तो उसने चार सौ रुपए बताया.
मैंने कहा-चल.
तो वो बोली- चल ला पैसे दे.
मैंने उसको चार सौ रुपए दे दिए और वो एक कमरे में गई पर्ची कटवाने और थोड़ी देर बाद बाहर आकर मुझे एक खाली केबिन में ले गई.
अन्दर आकर उसने बेड पर एक चादर बिछाई और एक कपड़ा निकाला.
फिर सरकारी वाला सस्ता निरोध निकालने लगी.
मैंने उसको रोक दिया और अपने बैग से कामसूत्र सुपरथिन निरोध निकाल कर उसको पकड़ा दिया.
वह अपनी सलवार उतारकर बेड पर दीवार से टेक लगाकर बैठ गई.
उसने कुर्ता और ब्रा उतार कर अपनी चूचियों को नंगा करके हिलाया.
उसकी चूचियों का साइज करीब बत्तीस रहा होगा.
मैं भी अपनी शर्ट, पैंट और जूते उतार कर उसके पास चिपक कर बैठ गया और उसको अपनी बांहों में भरकर कस कसके उसकी चूचियों को दबाने लगा.
उसने सिसकारी लेकर कहा- ऐसे नहीं, धीरे धीरे दबा.
मैं मुस्कुरा कर धीरे धीरे दबाते हुए उसकी गर्दन और गाल चूमने लगा.
उसने भी होंठ नहीं चूमने दिए मगर मुझे अपनी बुर सहलाने दिया. मेरा लंड सहलाकर पूरा लोहे की तरह टाइट कर दिया.
दस मिनट फोरप्ले करने के बाद मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.
उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़कर चूत के छेद के मुहाने पर टिका दिया.
मैंने एक जोर के झटके के साथ लंड उसकी टाइट और चिकनी, गर्म चूत में पेल दिया.
वह सिसक पड़ी और अपनी बांहों से मेरी पीठ और टांगों से मेरी कमर को कस लिया.
पहले धीमे धीमे धक्के लगाकर मैंने उसको पांच मिनट चोदा फिर स्पीड तेज करके जोर जोर से ठोकने लगा.
पूरे केबिन में हमारी तेज सांसों और पच पच थप थप की आवाज़ें गूंजने लगीं, जिनको सुनकर मैं कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया और तूफ़ानी रफ़्तार से उसकी चूचियां दबाते हुए उसको पेलने लगा.
साथ ही साथ मैं उसके गाल और गर्दन, चूचियों की घाटी को भी चूम चाट रहा था.
काफी देर की धकापेल चुदाई के बाद मेरे लंड ने निरोध के अन्दर ही उसकी मस्तानी बुर में वीर्य की वर्षा कर दी.
मैंने उसके बालों और गाल को सहलाकर एक दो बार और उसकी गर्दन और गाल चूमे, फिर अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर उसके ऊपर से उठ गया.
वह भी उठ गई और अपना कुर्ता और ब्रा सही करके उसने सलवार पहन ली.
मैंने भी अपनी शर्ट और पैंट पहनकर जूते पहन लिए और उसको अपनी बांहों में भरकर बोला- रानी, अगली बार पूरी रात लूँगा तेरी!
यह सुनकर वो मुस्कराई और बोली- ठीक है. अगली बार बख्शीश ज़्यादा देना, तो पूरी नंगी हो जाऊंगी.
इसके बाद मैं अपना बैग कंधे पर टांगकर हाथों में जूते चप्पल का थैला लेकर केबिन से बाहर आ गया और सीढ़ियां उतरकर कोठे से बाहर निकल कर रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़ा.
रात आठ बजे मैं प्लेटफॉर्म नंबर सोलह पर पहुंचकर अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगा.
रात साढ़े नौ बजे मेरी ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लग गई और मैं अपनी बोगी में जाकर अपनी सीट के नीचे सामान सेट करके बैठ गया.
ठीक दस बजे ट्रेन नई दिल्ली से रवाना हो गई.
मेरी बोगी में भी कई मस्त माल थे.
एक दो से नैन मटक्का करके मैंने जुगाड़ लगाने की कोशिश भी.
मगर बात नहीं बनी तो मैं मायूस होकर अपनी सीट पर बैठा रहा.
मेरा रिजर्वेशन आरएसी में था तो मुझे एक यात्री के साथ आधी सीट शेयर करनी पड़ी, जिसकी वजह से मैं ठीक से सो नहीं पाया.
सुबह छह बजकर पचास मिनट पर मैं लखनऊ जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर छह पर उतर गया.
अपना सामान लेकर मैं बाहर आया और अपने घर के लिए ऑटो पकड़ लिया.
घर पहुंच कर मैं ऊपर सीधा अपने रूम में गया, बैग और थैला एक तरफ रखकर बिस्तर पर गिरकर सो गया.
दोपहर दो बजे मेरी नींद खुली, तो मैंने हैंगआउट्स मैसेज चैक किए मगर अलीशा अभी भी ऑफलाइन थी और उसने मेरे किसी भी मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया था.
मुझे बेहद गुस्सा आया.
मैंने उसको मैसेज किया कि जो उसने मेरे साथ किया है, उसका दुगुना बुरा उसके साथ होगा.
उसके बाद भी मैंने उसको हैंगआउट्स और एक्सहैमस्टर चैट पर कई मैसेज किए.
वो ऑनलाइन आई भी, मेरे मैसेज भी पढ़े. मगर उत्तर किसी का नहीं दिया.
मैं अभी तक इसी असमंजस में हूँ कि आख़िर मेरी गलती क्या थी, जो उसने मेरे साथ केएलपीडी किया.
आप सभी पाठकों से अनुरोध है कि ऑनलाइन किसी पर भी भरोसा करके मिलने जाने की भूल करके अपना समय और धन बर्बाद ना करें.
मिलने से पहले फ़ोन पर या वीडियो कॉल पर बिना एक दूसरे का चेहरा देखे, बात करके ही जाएं.
आपको मेरी रण्डी की नेपाली सेक्स की कहानी कैसी लगी, कमेंट करके या मुझे मेल या हैंगआउट्स पर अवश्य बताएं.
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