एक सुहागरात ऐसी भी- 2

एक सुहागरात ऐसी भी- 2


लाइफ फर्स्ट फ़क ऑन हनीमून के लिए पति और उसकी नवविवाहिता पत्नी दोनों बेचैन थे क्योंकि दोनों ने ही कभी सेक्स नहीं किया था. मजा लें पढ़ कर आप भी!
कहानी के पहले भाग
जवानी कर दी पति के नाम
में आपने पढ़ा कि शादी से पहले ना कामिनी ने सेक्स किया था, ना कल्पेश ने!
दोनों की शादी के बाद आज उनकी सुहागरात की पूरी तैयारी हो गयी थी.
दुल्हन सुहाग शैया पर बैठी थी.
अब आगे लाइफ फर्स्ट फ़क ऑन हनीमून:
कल्पेश उनके पीछे वापस आया और सीढ़ियों का दरवाजा अंदर से लाक कर लिया।
वापस अपने कमरे में आया और दरवाजे को लॉक करके एक नजर कमरे में घुमाई.
कमरा पूरा फूलों से सजा था, रंग बिरंगी रोशनी से चमक रहा था और तरह तरह की खुशबू से महक रहा था।
सुहागसेज़ गुलाब के फूलों से सजी थी और बीच में कामिनी घूंघट में सजी धजी प्रथम मिलन के इंतजार में बैठी थी।
कल्पेश ने कामिनी का घूंघट उठाया तो एक मिनट तक एकटक कामिनी को देखता रहा.
इतनी खूबसूरत लग रही थी कामिनी!
कल्पेश को ऐसे देखकर कामिनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसकी निगाहें खुद झुक गयी।

तब कल्पेश ने अपनी जेब से सोने की अंगूठी निकालकर कामिनी की उंगली में पहना दी।
कल्पेश ने पूछा- कैसी लगी?
तो कामिनी बोली- बहुत सुन्दर है. पर इसकी क्या जरूरत थी?
कल्पेश बोला- तोहफा नहीं, प्यार है हमारा आपके लिए!
यह कहते हुए गुलाब का फूल एक घुटना जमीन पर टिकाते हुए कामिनी की तरफ बढ़ाया और कहा- आई लव यू सो मच कामिनी।
कामिनी ने बडी नज़ाकत स फूल लिया और कहा- थैंक यू डियर … आई लव यू टू।
कल्पेश ने एक गजरा लिया और कामिनी को घूमने के लिए कहा.
कामिनी घूम गयी।
कल्पेश ने गजरा उसके जूड़े में लगा दिया और गजरे की खुशबू एक लम्बी सांस खींचकर अपने नथुनों में भरने लगा।
कल्पेश का यह व्यवहार कामिनी को रोमांचित कर रहा था।
अब कामिनी ने दूध का गिलास उठाया और कल्पेश के होठों से लगा दिया.
उसने थोड़ा दूध पीकर कामिनी को अपनी गोद मैं बिठा लिया और गिलास कामिनी के होठों से लगा दिया.
ऐसे ही दोनों ने पूरा दूध पिया।
कल्पेश ने कामिनी से कहा- एक पान उठाओ!
कामिनी ने ट्रे से एक पान उठाकर कल्पेश को दे दिया.
कल्पेश ने आधा पान अपने दांतों में दबाकर मुंह कामिनी के सामने कर दिया।
कामिनी समझ गयी. कल्पेश का इशारा और कल्पेश की गोद में बैठे हुए शर्माते हुए दांतों से काटने लगी.
जैसे ही पान काटा, दोनों के होंठ आपस में जुड़ गये और चुम्बन करने लगे.
उन दोनों ने जैसे ही चूमना शुरू किया, दोनों के शरीर में करंट सा दौड़ गया और एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.
उनके होंठ खुल गये और जीभ आपस में टकराने लगी.
पान और होठों का स्वाद मिश्रित होकर अलग ही आनन्द की अनुभूति दे रहे थे।
कामिनी की आंखें आनन्द से बंद हो गईं और दोनों की साँसें तेज चलने लगीं थी।
कल्पेश ने हाथ बढाकर एक चॉकलेट उठाई और पान की तरह ही अपने दातों में दबा ली.
इस बार कामिनी ने तुरंत अपना मुंह लगा दिया और चॉकलेट के साथ चुम्बन का आनन्द लेने लगी.
अब कामिनी भी धीरे -धीरे सहज हो रही थी और भरपूर साथ दे रही थी।
करीब 10 मिनट तक इसी तरह एक दूसरे की जीभ को चूसते रहे, कभी गले को चूमते, कभी माथे को, कभी गालों को तो कभी एक दूसरे की जीभ को!
पूरा कमरा पुच्च पुच्च … चुप्प चुप्प … सलर्प … की आवाजों से गूंज गया।
अब कल्पेश ने उठकर धीमी आवाज में संगीत चला दिया और रसगुल्ले का कटोरा ले आया.
इस बार कामिनी ने रसगुल्ला मुंह में दबाया और कल्पेश की गोद मैं बैठ गई और दोनों फिर उसी तरह चुम्बन करने लगे।
दो रसगुल्ले इसी तरह खाने के बाद दही और आइसक्रीम भी एक दूसरे को मुंह से खिलाई।
दोनों को ही असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था।
वे सांस लेने के लिये रुक जाते फिर चुम्बन करने लगते।
अब कल्पेश और कामिनी के हाथ भी एक दूसरे के बदन को नापने लगे थे और एक दूसरे की पीठ और छाती पर घूम रहे थे।
कामिनी की चूड़ियों की आवाज संगीत के साथ मिलकर नया संगीत पैदा कर रही थी।
तब कामिनी ने महसूस किया कि बहुत समय से उसके नितम्बों में कुछ चुभ रहा है।
कल्पेश का लिंग एकदम सख्त हो गया था।
कामिनी लिंग के अहसास से सिहर गई.
साथ ही उसने अपनी योनि में गीलापन महसूस किया।
कल्पेश ने सहलाते हुए कामिनी के कुछ जेवर उतार कर रख दिये।
अब केवल पैरौं में पायल, गले में हार और कुछ छोटे जेवर बचे थे।
कमर में हाथ डालकर साडी़ को खोल दिया और कामिनी को बैड पर लिटाकर खुद भी लेट गया।
कामिनी पर शर्म हावी हो रही थी और इसकी प्रतिक्रिया में कामिनी ने भी कल्पेश का कुर्ता निकालकर एक तरफ रख दिया।
अब कामिनी टाइट पेटीकोट और बैकलेस ब्लाउज में थी।
उसके भारी नितम्ब पेटीकोट में साफ झलक रहे थे और स्तन भी अपने आकार को दर्शा रहे थे।
कल्पेश कामिनी को चूमते हुए उसके अंगों को सहला रहा था और कामिनी भी लंबी सांसें छोड़ते हुए कल्पेश की सुडौल चौड़ी छाती और पीठ सहला रही थी।
कभी कभी उसका हाथ कल्पेश के तने हुए कठोर लिंग से टकरा जाता तो वह तुरंत हाथ खींच लेती।
कल्पेश ने कामिनी के ब्लाउज के हुक खोल दिए।
ब्लाउज को निकालकर उसने एक तरफ रख दिया।
कामिनी ने अपने दोनों हाथ शर्म के मारे अपने वक्ष स्थल पर रख दिये और अपने स्तनो को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।
फिर दूसरे ही पल उसने कल्पेश का नाड़ा खोल दिया.
कल्पेश ने भी पायजामा निकालने में कामिनी की मदद की।
अब कल्पेश उसके स्तनों को ब्रा के उपर से हल्के हल्के दबा रहा था।
कामिनी की नजर कल्पेश के तंबू बने वी आकार के कच्छे पर पड़ी.
कामिनी की आखें उस जगह जैसे थम गईं।
कल्पेश ने कामिनी का मन पढ़ लिया, उसने कामिनी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।
एक बार तो कामिनी ने हाथ खींच लिया, फिर खुद ही अंडरवियर के ऊपर से कल्पेश का लंड पकड़कर सहलाने लगी।
कल्पेश कभी कामिनी के स्तन दबा रहा था तो कभी नितम्ब और कभी चुम्बन करते हुए ऊपर से नाभि में जीभ घुमा रहा था।
जब नाभि में जीभ लगाता तो कामिनी गुदगदी से छटपटा जाती।
कल्पेश ने कामिनी का पेटीकोट खोलकर रख दिया.
जब कल्पेश की नजर नंगी जांघों, नितम्ब और थोंग पर पड़ी तो कल्पेश खुद को रोक नहीं सका वह अपनी जीभ नितम्ब और जांघों पर घुमाने लगा।
कामिनी ने भी कल्पेश की बनियान उतार दी और कल्पेश के निप्पल पर उंगलियां घुमाने लगी।
कल्पेश ने कामिनी की लाल रंग की ब्रा के ऊपर से उसके उरोजों को निहारा.
बहुत सुन्दर लग रहे थे.
मानो कह रहे हों कि हमें भी आजाद कर दो।
कल्पेश ने पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को एक तरफ रख दिया।
कामिनी ने अब शर्म का दामन छोड़ दिया था, वह भी अब केवल आनन्द लेना चाहती थी।
उसके मध्यम आकार के सख्त उरोज उनके ऊपर छोटे छोटे गुलाबी चूचुक एकदम सख्त हो रहे थे।
कल्पेश ने उनके ऊपर हाथ फेरा और हाथ में लेने की नाकाम कोशिश की.
पर कामिनी के उरोज कल्पेश की मुट्ठी से काफी बड़े और सख्त थे।
कल्पेश ने जब उरोज दबाए तो उनसे यौवन रस की छोटी बूंदें झलक आई.
कामिनी के मुंह से एक आह … हहह निकल गयी.
कल्पेश ने चूचुकों पर जीभ लगा दी और धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया।
कामिनी की आंखें मदहोशी में बंद होने लगी और मुंह से सीसीई … आह … हम्म … की आवाजें निकलने लगी.
उत्तेजना से उसका चेहरा लाल हो गया और कान गर्म होने लगे.
जनवरी की सर्दी में भी उन दोनों को गर्मी लगने लगी।
कल्पेश एक उरोज को चूस रहा था तो दूसरे को दबा रहा था.
फिर दूसरे चूसता पहले को दबाता.
कामिनी और कल्पेश के हाथ एक दूसरे के बदन पर घूम रहे थे और एक दूसरे को सहला रहे थे।
कल्पेश का लंड अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आना चाहता था।
कामिनी को लंड की ठोकर कभी कमर कभी पेट कभी जांघ तो कभी चूत और गुदा द्वार पर महसूस हो रही थी।
तभी कामिनी ने कल्पेश की चड्डी को खींचकर उतार दिया.
जब कामिनी ने कल्पेश का लंड देखा तो वह सहम गई.
कल्पेश का कुँवारा लंड काफी तगड़ा था.
लंड की लम्बाई 6″ के करीब थी और मूसल जैसा मोटा था.
कामिनी ने किसी मर्द का लंड पहली बार देखा था।
कल्पेश ने कामिनी के मन को समझते हुए उसका हाथ पकड़कर लंड पर रख दिया।
कमिनी कुछ सेकंड संकोचवश हाथ रखे रही, फिर लंड को सहलाने लगी।
लंड प्रीकम से पूरी तरह भीगा हुआ था और उसकी त्वचा पीछे नहीं खिसक रही थी।
कामिनी ने हाथ तेज चलाया तो कल्पेश की आह निकल गयी.
इससे कामिनी समझ गयी कल्पेश ने भी कभी संभोग नहीं किया होगा।
कामिनी को खुद पर गर्व महसूस हुआ कि उसका पति भी उसकी तरह कुँवारा है।
कल्पेश ने भी कामिनी की थोंग निकाल दी.
कामिनी का एक हाथ अनायास ही अपनी योनि को ढकने लिए बढ़ गया फिर खुद ही अपना हाथ हटा लिया।
कल्पेश ने जब कामिनी की चूत को देखा तो देखता ही रह गया.
बिल्कुल चिकनी फूली हुई, गुलाबी होंठ एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए, बीच में एक लकीरनुमा दरार रंग बिरंगी रोशनी में किसी फूल की तरह लग रही थी.
कल्पेश ने जब कामिनी की चूत पर हाथ फेरा तो कामिनी के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई.
कामिनी के रोम खड़े हो गये और हाथ लंड को सहलाने लगा।
कल्पेश का हाथ कामिनी के योनिरस से भीग गया।
कामिनी की चूत काफी समय से खुशी के आंसू बहा रही थी जिससे उसकी जांघें, नितम्ब और गांड भीग गये थे।
कल्पेश ने चूत के होंठों को खोलकर देखा तो बहुत बारीक सा योनि छिद्र दिखाई दिया जैसे किसी ने सुई से छेद किया हो.
वह समझ गया कि कामिनी बिल्कुल कुंवारी है.
कल्पेश मन ही मन बहुत खुश हुआ।
कल्पेश अपनी जीभ से उसको चाटना चाहता था पर कामिनी ने उसे रोक दिया.
बहुत कहने पर वह केवल एक चुम्बन के लिए तैयार हुई।
कल्पेश ने योनि का एक जोरदार चुम्बन लिया।
कल्पेश के नथुनों में एक अजीब सी गंध भर गई जो उसने कभी महसूस नहीं की थी.
पर उस गंध से उसे उत्तेजना होने लगी।
कामिनी के पूरे शरीर में योनि चुम्बन से एक करंट सा दौड़ गया।
जवाब में उसने भी कल्पेश के लिंग पर एक चुम्बन दिया।
कल्पेश के लिंग की मादक महक ने कामिनी को मदहोश कर दिया और कल्पेश को सिरहन से भर दिया।
कल्पेश समझ गया था कि कामिनी अभी मुखमैथुन में सहज नहीं है.
तो उसने भी जबरदस्ती करना उचित नहीं समझा।
कामिनी काफी समय से उत्तेजित थी जिसकी बजह से उसको पेशाब लग रही थी.
जब कल्पेश से उसने कहा तो कल्पेश ने कामिनी को गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर गया।
कल्पेश ने कामिनी को किसी फूल की तरह उठा लिया जिससे कामिनी को कल्पेश के कसरती, बलिष्ठ और मजबूत शरीर का अंदाजा हो गया।
दोनों ने पेशाब किया।
कल्पेश के लंड को पकड़कर कामिनी ने पेशाब कराया और खुद के और कल्पेश के कामरस से सने अंगों को पानी से साफ करके पौंछ दिया।
कल्पेश ने उठाकर वापस कामिनी को बैड पर लिटा दिया चुम्बन करते हुए एक दूसरे के अंगों मर्दन करने लगे और सहलाने लगे।
अब कामिनी और कल्पेश दोनों ही उत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे.
कामिनी की चूत और लंड कामरस से फिर भीग गये।
कल्पेश ने कामिनी से कहा- क्या प्रथम संभोग के लिए तुम तैयार हो?
कामिनी ने ‘हां’ में सिर हिलाया।
कल्पेश ने कामिनी को छेड़ते हुए कहा- और तुम्हारा लंड?
कामिनी शर्माती हुई मुस्कुराई और फिर धीरे से कहा- हां वो भी तैयार है।
कल्पेश ने कहा- वो कौन?
कामिनी धीमे स्वर में कल्पेश के कान में कहा- मेरा लंड!
और कल्पेश के लंड को थोड़ा जोर से दबा दिया.
कल्पेश की दर्द से आह निकल गई।
फिर कामिनी ने कल्पेश से पूछा- क्या तुम्हारी ‘वो’ भी तैयार है?
कल्पेश ने कहा- ‘वो’ कौन?
कामिनी ने धीरे से कहा- ‘बुर’
कल्पेश ने जानबूझकर कहा- मैं कुछ समझा नहीं, साफ साफ कहो।
कामिनी ने शर्माते हुए कहा- तुम्हारी चूत!
कल्पेश ने चूत के दाने को सहलाते हुए कहा- मेरी चूत तुम्हारे लंड के स्वागत के लिए बांहें फैलाकर खड़ी है.
और उसने चूत की फांकें खोल दी।
उत्तेजना दोनों पर हावी हो गई थी, दोनों एक दूसरे में समा जाने के लिए बेकरार थे।
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