हॉट मैरिड गर्ल सेक्स कहानी में रात में मुझे रेलवे स्टेशन पर एक सेक्सी लड़की दिखी. वह कुछ परेशान सी थी. मैंने उसकी मदद की और होटल में कमरा दिलवा दिया.
प्यार भरा नमस्कार मित्रो,
मैं एक सत्य अपनी बीती बता रहा हूँ.
कहानी पढ़ने से पहले आप एक बात जान लीजिए कि मैंने कहानी को बड़े विस्तार से बताया है.
आप इत्मिनान से आराम से मेरी भावना और कहानी को महसूस करेंगे तो मेरा वादा है कि आपका लिंग में पानी आना स्वभाविक है.
हिंदी में कमजोर हूँ तो थोड़ा समझ लेना कि क्या कहना चाहता हूँ.
जैसा आपने पिछली कहानी
दिल्ली से मुजफ्फरनगर के सफर में सेक्स
में पढ़ा कि मैं अब ट्रेन पकड़ने निकल चुका था.
स्टेशन पर गया ट्रेन आयी मैं जरनल डब्बे में सवार हो मुज़फ़्फ़रनगर पहुँच गया.
मौसम का मिज़ाज बताऊँ तो एकदम घना कोहरा हड्डियाँ कपाने वाली ठंड और शीत लहर … लण्ड सिकुड़ कर छोटा हो चुका था.
स्टेशन के बाहर अलाव (लकड़ियाँ) जल रही थी, उनके सहारे मैंने कुछ सर्दी से राहत पायी.
और वही गर्म चाय का सेवन कर घर जाने का निर्णय लिया.
जैसे मैंने कदम बढ़ाए तो एक स्त्री के दर्शन हुए … उसका लम्बा महरून गर्म कोट पहने बड़े जूते गोल टोप और टोपे से निकले लम्बे रेशमी बाल जो कि उसके कोट पर बिखरे थे, चेहरे पर काला मास्क मास्क और टोपे के बीच दो बड़ी आँखें जिनको खूबसूरत बनाने के लिए काजल और आई शेडों का बेहद बारीक प्रयोग करा गया था.
कोट पौन आस्तीन का था.
अंगुलियों में अंगूठी और अंगूठे में अंगूठी, कलाई में एक बारीक मोती का ब्रासलेट, दूसरे हाथ में एक सलीके से बंधी घड़ी.
लम्बे व खूबसूरत नाखून उसके हाथों का रंग से पता लग रहा था कि अगर ये मास्क ना लगाती तो शायद कोई अब तक इसे सफ़र में पटा चुका होता.
उसके चहरे पर असमंजस की स्थिति दिखाई दे रही थी.
मैं उसके सौंदर्य से अपनी आँखों को सेंक कर आगे चल पड़ा.
यह हॉट मैरिड गर्ल सेक्स कहानी इसी लड़की की है.
भूख बहुत ज़ोरों पर थी, घर पर कुछ मिलने की उम्मीद नहीं थी.
तो सोचा की चाय की दुकान से कुछ खाकर घर जाऊँ.
रात के बारह बज चुके थे, ठंड बहुत थी दुकान से पकौड़े और बिस्कुट चाय के साथ खाकर मैंने पेट भरा.
जैसे ही मैं बाहर आया तो देखा कि वही स्त्री विपरीत दिशा से पुनः स्टेशन की ओर जा रही थी.
उसके पास दो असामान्य बैग थे जो साधारण से अलग थे.
मैंने अपने कदम बढ़ाए और उससे आगे निकल गया.
फिर तेजी से थोड़ा और आगे निकल गया, फिर वापस मुड़ कर आया.
मैं दूर से ही आँखों में आँखें डाल कर आ रहा था.
जब हम दोनों चंद कदम की दूरी पर आए तो पूछा- आप कहीं जाने का रास्ता खोज रही हैं क्या?
सामने से उत्तर आया- नहीं, मैं ठहरने की जगह देख रही हूँ.
मैंने कहा- आपको सामने से दायें जाकर आराम घर व गेस्ट हाउस मिलेंगे.
वह बोली- अच्छा शुक्रिया!
मैं मन ही मन खुश हो रहा था बात करके!
अब मैं अपने घर की तरफ़ मुड़ गया और वह आरामघर की ओर!
मैं घर पहुँचा ही था कि याद आया कि ‘अबे यार, मैं अपना हैंड बैग तो दुकान पर भूल आया हूँ.’
तभी मैं वापस स्टेशन गया.
घर आने जाने में मुझको तक़रीबन एक घंटा लगा.
दुकान से जाकर अपना बैग लिया, दुकान वाले को शुक्रिया अदा कर मैं वापस घर की ओर मुड़ा.
वक़्त की नज़ाकत देखिए ज़नाब … जैसे ही मैं घर की ओर चला, वह स्त्री पुनः मेरे आँखों के सामने अपने सामान के साथ दिखी.
मैंने सोचा कि इसे कमरा नहीं मिला क्या?
मैंने पहल की और पूछा- मैडम, क्या बात … आपको रूम नहीं मिला क्या?
वह बोली- नहीं ऐसा नहीं. कुछ गेस्ट हाउस में तो माहौल सही नहीं लगा. और होटल बहुत महँगे हैं. तो मैं रेलवे वेटिंग हाल में ही रह लूँगी.
मैंने पूछा- जाना कहाँ है आपको?
वह बोली- हस्तिनापुर!
मैंने कहा- ओफो … इस समय कोई साधन नहीं है! और आप जो सोच रही हैं कि स्टेशन सही है रात गुज़ारने के लिए … ऐसा नहीं है, यह और ज्यादा ख़तरनाक है.
तब मैंने कहा- आप मेरे साथ आइए, एक होटल में चलो. मैं वहाँ बात कराता हूँ. वहाँ के मालिक से दोस्ती है मेरी!
वह बोली- कौन सा?
मैंने नाम बताया.
वह बोली- मैं हो आयी हूँ, रेट ज़्यादा बताए हैं.
मैंने कहा- आओ तो … मैं चल रहा हूँ साथ में!
पाठको, मैं उसके साथ बतलाते हुए होटल में गया.
काउंटर पर एक व्यक्ति मिला.
मैंने अपना परिचय दिया, बोला- मैं आपके मालिक अंकुर (बदला नाम) का दोस्त हूँ.
वह नहीं माना.
फिर फ़ोन पे बात करा के यक़ीन दिला कर मैं आधे से भी कम रेट पर उसे कमरा दिल कर गुड नाइट बोलकर घर आकर सो गया!
पाठको, अभी तक कोई सेक्स नहीं आया कहानी में!
पर अब आपका सब्र पूरा होने को है … अगर मैं यह भूमिका ना बनाता तो कहानी मनगठित लगती.
अगले दिन सुबह 6 बजे मेरे फ़ोन पे एक कॉल आयी अजनबी नम्बर से!
हैलो!
हैलो!
कौन?
आप विनय बात कर रहे हैं?
जी हाँ बोलिए?
जी मैं होटल से बोल रहा हूँ. आपने कल रात एक रूम बुकिंग कराई है.
हाँ … कराई है!
वे आपसे बात करना चाहती हैं. लीजिए!
उधर से आवाज़ आयी- हैलो!
“हाँ बोलो?”
“गुड मोर्निंग … आप अभी कहाँ हैं?”
मैं बोला- बताइए, अपने घर हूँ.
“इफ़ यू दोंट माइंड … एक बार होटल आ सकते हो?”
मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा!
मैंने कहा- अभी आता हूँ!
मैं होटल गया ओर रूम नम्बर पूछ के अंदर गया.
दोस्तो, वह आइने के समक्ष खड़ी अपने आप को सँवार रही थी.
मेरा ध्यान उसकी जवानी की ओर खिंचता चला गया.
और तभी मैंने वह देखा जो सोचा ना था.
उसके पैरो में बिछुए थे.
मैंने हाय ना हेलो … बस यह पूछा- तुम शादीशुदा हो!
वह मुड़ते हुए बोली- ह्म्मम? क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी शादी हो गयी?
वह बोली- हाँ … पर क्यों?
मैंने कहा- नहीं … वह तुमको देख कर लगा नहीं कि तुम्हारी शादी हो गयी हो.
दोस्तो, उसने काले रंग की चुस्त जींस पहन रखी थी जो उसकी गांड की गोलाइयों को खूबसूरत बना रही थी. उसमें भूरे रंग की पतली सी बेल्ट और सेक्सी लग रही थी.
ऊपर उसने एक ओफ़ वाइट रंग की शर्ट पहन रखी थी जिसमें से उसकी सफ़ेद रंग की ब्रा का साफ़ पता लग रहा था.
शर्ट को उसने जींस में दबा रखा था जिसकी वजह से उसके सपाट पेट और पतली कमर का नाप मैं अपनी आँखों से ले रहा था.
उसके बाल बेहद रेशमी और लम्बे थे जिनको उसने लपेट के जूड़ा बना रखा था.
इन सभी आकर्षण में खोया मैं उससे कुछ यूँ बातें कर रहा था- तुम यहाँ कैसे … क्या करती हो?
वह- मैं यू ट्यूब पर ब्लागिंग करती हूँ, प्रोफ़ेशनल हूँ.
मैंने पूछा- घर कहाँ है आपका?
“मुरादनगर”
मैं- आपके पति क्या करते हैं?
“वे अपने पारिवारिक दुकान को संभालते हैं.”
मैं बोला- अच्छा, ये सब तो ठीक है. पर मुझे यहाँ बुलाया क्यों?
वह अपना पैर स्टूल पर रखते हुए अपने फ़ीते बांधते हुए बोली- शुक्रिया अदा करना है तुम्हारा! और एक कष्ट और देना है!
फ़ीते बांधते हुए उसके शर्ट के बटन के बीच से उसकी ब्रा के बीच स्तन की लाइन के दर्शन हुए.
उफ़ बेहद गोरा रंग था उसका!
इस बीच उसने मुझे ताड़ते हुए देखा और बोली- तुम्हारी शादी नहीं हुई क्या?
मैं ध्यान हटाते हुए बोला- नहीं नहीं … हो गयी है!
वह बोली- तो फिर क्या देखते हो?
ऐसा बोल कर वह हंसने लगी.
मैंने कहा- कुछ नहीं … ख़ूबसूरती अपने आप दिख जाती है, देखनी नहीं पड़ती!
वह बोली- अच्छा अच्छा! बाय द वे … हेल्प के लिए शुक्रिया. और मेरा एक काम और कर दो कि मुझे हस्तिनापुर के लिए बस या टैक्सी कहाँ मिलेगी, वह पकड़वा दो.
मैंने कहा- मैडम, अभी बहुत सुबह है. नौ बज जाने दो. तब दिन निकलेगा, फिर आपको साधन मिलेगा.
वह बोली- मैं मैडम नहीं, मेरा नाम नलिमा है. ‘नीलू’ मेरा निक नेम है.
“अच्छा … नाइस नेम!”
वह बोली- फिर तो अभी बहुत वक़्त है. मैं बोर हो जाऊँगी!
मैं बोला- अरे मैं तो हूँ. बोर नहीं होने दूँगा!
वह इठलाते हुए बोली- अच्छा!
मैं ‘हाँ जी’ बोलते हुए बिस्तर पर बैठ गया और अपने जूते निकालते हुए कम्बल पैरों पर डाल लिया.
और मैं मन ही मन सोचने लगा कि यह सेक्सी लेडी रात इसी कम्बल में लिपटी थी!
हय …
वह कोट पहने और टोप लगाए तैयार थी.
मैं हंसते हुए बोला- तुम कहाँ तैयार हो जाने को? अभी दो घंटे हैं. ये कोट टोप निकाल दो और आओ बैठ जाओ. कुछ अपने बारे में बताओ और मेरी भी सुनो. तब तक वक़्त कट जाएगा!
“यह शहर मुझे अनजान लगा था पर अब नहीं.” ऐसा बोलते हुए वह कोट ओर टोपा निकाल के बिस्तर पर बैठ गयी.
मैं बोला- नीलू जी, अपने पैरों को कम्बल में रख लो. ठंड बहुत है हमारे शहर में!
वह अपने पैरों को कम्बल में डालते हुए बोली- अगर आपकी वाइफ़ को पता लग गया कि ऐसे तुम एक अनजन लेडी के साथ बैठे हो. तो क्या होगा?
मैं बोला- अनजान लेडी नहीं अनजान सेक्सी लेडी!
‘अच्छा जी’ बोलती हुई वह कम्फ़र्ट होते हुए बैठी.
अब मेरा और उसका कंधा आपस में छूने लगा था.
मैं बोला- मैं तो रात में तुमसे बात करने के लिए ही वापस मुड़ा था. नहीं तो मैं घर जाने वाला था.
वह बोली- ऐसा क्या देखा मुझमें कि वापस मुड़ कर आना पड़ा?
मैं बोला- नहीं … ऐसा नहीं. बस अपने आप अंदर से लगा कि तुम अकेली हो और इस जगह में अनजान भी … तो सोचा कि पूछ लूं कोई मदद चाहिए क्या? मैं तो तुमको कुँवारी समझ रहा था. फ़िगर और कपड़ों से लगता नहीं कि तुम्हारी शादी हो गयी है.
वह बोली- शादी नहीं हुई होती तो?
“तो क्या … तो कुछ नहीं!”
वह बोली- शादी से कुछ नहीं … बस दिल जवान होना चाहिए!
मैं बोला- दिल का क्या … जहाँ तुम जैस सुंदर लड़की देखी, अपने आप जवानी दोगुणी हो जाती है.
वह बोली- अच्छा … ऐसा कितनी जवानी है? घरवाली बूढ़ी हो गयी है क्या?
मैं बोला- घरवाली तो जवान है पर मेरे से ज़्यादा नहीं!
तभी वह अपनी कोहनी मेरे कंधे पे रख के बोली- जवानी को शांत रखा करो. नहीं तो ये जवानी भटक जायेगी.
मैंने अपना कंधा झटक के उसकी कोहनी को हटाया ओर अपने दोनों हाथ उसके कंधों पर रखे.
अब उसकी आँखों के सामने मेरी आँखें थी.
मैं बोला- जवानी कैसे शांत करूँ जब आग तुमने लगा रखी है!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे किस करने की इच्छा से उसके ऊपर झुका.
पर वह हंसती हुई पीछे को हट गयी और बोली- इतना भी अनजान नहीं है ये शहर!
मैंने कहा- आओ तो एक बार हम मिलकर रिश्ता बना लेते हैं.
ऐसा बोलते हुए मैंने एक हाथ से उसके सर को थाम के उसके लबों पे अपने लबों को छुआ दिया.
उसके होंठों में से मोहक गंध आ रही थी जो उसकी लिपस्टिक की थी.
उसका नाम मात्र का अवरोध मुझे उसकी ओर धकेल रहा था.
उसके बालों में हाथ डालने से उसकी मोरनी सी पतली गर्दन का अहसास हुआ.
अब हम दोनों अपने अपने बदन एक दूसरे को समर्पित कर चले थे.
जो हथेलियाँ ठंडी थी, वे अब उत्तेजना के वशीभूत होकर गर्म होती जा रही थी. हॉट मैरिड गर्ल सेक्स के लिए तैयार होती दिख रही थी.
चुम्बन अब होंठों से होते हुए जीभ में भी सम्मलित हो रहा था.
उस को किस करने के बाद मैंने कहा- नीलू, अब साथ देना पड़ेगा. ऐसे काम नहीं चलेगा!
इतना बोलते ही वह उत्तेजना से भरकर मेरी ओर आयी, मुझे बिस्तर पर धकेलकर मेरे ऊपर बैठ गयी.
उसकी चूत और मेरे लण्ड के बीच बस मेरी पैन्ट और उसकी जींस का फ़ासला था.
उसने अब अपनी ओर से मेरे को किस करना आरम्भ कर दिया.
मेरे हाथ उसकी नर्म गांड पर चल रहे थे और उसकी मादक कमर पर मेरी अंगुलियां अब फिसलने लगी थी.
जब तक उसकी इच्छा पूरी ना हुई, वह किस करती रही.
उसकी घड़कन और बदन की गर्मी को मैं अब महसूस करने लगा था.
वह उठ कर बैठी और मेरी जैकेट की चैन खोलने लगी.
मैं झट से सारे कपड़े निकाल कर कच्छे व बानियान में आ गया और पैर लटकाकर बैठ गया, बोला- माई डियर, तुम अपने कपड़े मत निकालो, मैं अपने आप निकालूंगा. मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ.
मेरे प्यारे दोस्तो, आपको अब तक की हॉट मैरिड गर्ल सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा?
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हॉट मैरिड गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: एक विवाहित महिला के साथ सम्भोग का मजा- 2