कुछ भी … येस … कुछ भी … इस कहानी में सब कुछ मनघड़न्त है. ऐसे ही जो मन में आया कुछ भी लिख दिया, हो सकता है काफी लोगों को पसंद आये. आप भी पढ़ कर देखें.
मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आपकी प्यारी रिया राजपूत.
मेरी पिछली कहानी
मेरी चूत के देवर के लंड से नाजायज संबंध
आप सभी ने पसंद की थी.
अब यह नई कहानी मैंने कल्पना से लिखा है.
बस कुछ भी लिख दिया.
इसे आप हल्के में लें और मेरी कल्पना का मजा लें.
सभी लंडधारी और चुतवालियों को मेरे लंड का प्रणाम.
मैंने बहुत सारी सेक्स कहानियां पढ़ी हैं.
आज पहली बार मैं अपनी सेक्स कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ, ये मेरे जीवन की सत्यकथा है.
मेरा नाम सुशांत है. मैं उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से हूँ.
मेरी उम्र 23 साल, उंचाई 6 फुट 4 इंच है.
मैं चौड़ी छाती वाला व गोरा और कसरती जिस्म का मालिक हूँ.
सबसे खास बात मेरे लंड में है. मैं ज्यादा लंबे 9″ और बहुत ही मोटे लंड का मालिक हूँ.
मेरे घर में मेरे 45 साल के डैडी, 42 साल की मॉम हैं. बड़ी बहन 25 साल की हैं, बड़ा भाई 24 साल का और मैं 23 का हूँ.
हम 5 लोग घर में रहते हैं.
यह बात बताने में मुझे कोई गुरेज नहीं है कि मैं उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले एक बड़े योगी की कृपा से पैदा हुआ हूँ.
मुझे मेरी मां ने यह बताया था कि उन योगी बाबा ने उनको एक विशेष अभिमंत्रित फल दिया था, जिसे खाकर मेरी मां ने मुझे जन्म दिया था.
जन्म के समय ही मैं काफी हट्टा-कट्टा पैदा हुआ था और मेरा शारीरिक सौष्ठव एक असाधारण व्यक्ति के जैसा है.
जो भी मुझे देखता है, वह एक बार को तो आश्चर्य चकित हो जाता है.
हम सभी खुशहाल थे, सारे सुख सुविधाएं थीं.
मेरे पिता और माता आयुर्वेद के बड़े ज्ञाता हैं और उन्हीं से हम भाई बहनों को आयुर्वेद का ज्ञान मिला.
सभी लोग अच्छे खासे पढ़े लिखे हैं.
हमारे पास कुछ जड़ी बूटियों का उत्पादन होता है, जिनसे मेरी मां आयुर्वेद की औषधियां बनाती हैं.
उनकी बनाई हुई कुछ औषधियां तो बहुत ही आश्चर्यजनक प्रभाव से इंसान को शक्ति प्रदान करती हैं.
हालांकि मेरी मां ने उनका प्रयोग मेरे पिता जी पर नहीं किया था क्योंकि पिता जी खुद से ही सामान्य बने रहना चाहते थे.
यह बात पिछले साल की है.
मेरे घर का माहौल बिल्कुल बिन्दास है. सब अपने मर्जी के मालिक हैं.
घर में कोई भी निर्णय लेना होता था तो वोटिंग की जाती थी और उसी के आधार पर निर्णय लिया जाता था.
सभी को आयुर्वेद का ज्ञान था इसलिए सबकी सेहत अच्छी थी और सब दिखने में मस्त थे.
जैसा कि मैंने घर के वातावरण के बारे में बताया तो मैं भी बचपन से ही हमारे घर में खुले विचारों में पला और बढ़ा हुआ हूँ.
सबसे छोटा होने के कारण मैं सबका लाड़ला भी हूँ.
मेरी मां बचपन से ही मुझे अपने साथ नहलाती थीं. उस वक्त वे भी नंगी ही मेरे साथ नहाती थीं.
हर रविवार को वे हम सभी के पूरे शरीर को तेल लगाकर मालिश किया करती थीं.
वे मेरे और भाई के लंड की भी मालिश करतीं और हमारे ही सामने हमारी बहन की बुर की भी मालिश करतीं.
खुद भी वे अपनी चूत की मालिश करती थीं.
मैं ध्यान से देखता था कि मेरे लंड और मेरे भाई के लंड में आधे दोगुने का फर्क था.
इस बात को मैंने एक दिन अपनी मां से भी पूछा था तब उन्होंने बताया था कि तेरे ऊपर उन पहाड़ी बाबा की कृपा है. तभी वह सारी बात पता चली थी कि मैं उन्हीं बाबा के प्रसाद का नतीजा हूँ.
मां जब भी मुझे अपना दूध पिलाती थीं तो भाई बहन भी देखते थे.
जिसको भी मन होता था, वह मां के स्तन से मुँह लगा कर पी लेता था.
मां के स्तनों से बहुत ज्यादा दूध निकलता था, तो वे उसे किसी बर्तन में निकाल लिया करती थीं और उसी दूध से वे कभी कभी खीर भी बना देती थीं.
कभी उसी दूध से मावा बना कर पेड़े तो कभी मक्खन निकाल लेती थीं.
मुझे बाद में पता लगा था कि वे किसी औषधि का प्रयोग करती थीं, जिस वजह से उनके स्तनों से इतना अधिक दूध आता था.
मां के दूध की अधिकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमें अलग से दूध लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी.
सबसे ज्यादा दूध मैं ही पीता था.
जब भी मॉम के स्तन भारी हो जाते थे, तो वे मुझे ही अपना दूध पीने के लिए बुलाती थीं क्योंकि भाई को दूध ज्यादा पसंद नहीं था.
मैं और बहन में आपस में कभी कभी दूध पीने पर बहस होती थी.
इसी कारण मैं और बहन बहुत बलशाली बने हैं.
आप आश्चर्य करेंगे कि मेरी मॉम ने मुझे 13 साल तक दूध पिलाया था.
हम सभी को एक दूसरे को नंगे देखने की आदत भी थी. रात को जिसको जैसे सोना है, रहना है … वह रह सकता था.
उसका नतीजा यह निकला कि आज भी हम सभी रात को नंगे ही रहते हैं, नंगे ही खाते-पीते, सोते, नहाते, हगते और मूतते हैं.
हम सभी ने एक दूसरे को हगते मूतते देखा था.
पिता सरकारी नौकरी के कारण बाहर ही रहते हैं. वे हर 3 महीने में घर आते हैं.
ऐसे ही कई वर्ष बीत गए.
बचपन चला गया और अब जवानी आ गयी थी पर अब भी हम ऐसे ही रहते हैं.
अब हम अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई भी घर के किसी भी सदस्य से करवा लेते हैं.
मेरी बहन की चूत की सफाई मैं करता था या मॉम करती थीं.
अब भी हम सभी खुले विचारों के थे. अब भी हम रात को बिना कपड़ों के ही सोते थे.
मुझ पर जवानी आते आते चुदासी छाने लगी थी.
हम दोनों भाइयों के नुनू अब लंड बन गए थे और बहन की चूचियां भी बड़ी हो गयी थीं.
दीदी के स्तन बड़े सुड़ौल बन गए थे. साथ में नहाते वक्त उनके निप्पल तन जाते थे.
चूंकि मॉम मेरे लंड की मालिश करती थीं तो मेरा हथियार एक लंड बड़ा बन गया था. और मोटा इतना ज्यादा कि बड़ी से बड़ी लंडखोर औरत भी पानी मांगने पर मजबूर हो जाए.
मेरे लंड की नसें लौड़े के कड़क होने पर उभर कर साफ दिखती हैं.
एक दिन मॉम ने मेरे लौड़े की मालिश करते वक्त कहा भी था कि अब तू पूरा मर्द बन गया है, पर है तो मेरा ही बेटा. तू किसी भी औरत का पानी निकाल देगा. मैं अगर तेरी मॉम ना होती तो तुझसे जरूर चुदवा लेती.
मुझे जब भी मॉम नहलाती थीं, तो मेरा मन मॉम को और दीदी दोनों को चोदने का होता था.
शायद यह बात मॉम समझ चुकी थीं.
जब भी मॉम मुझे नहलातीं या फिर लंड की मालिश करती थीं, मेरा वीर्य निकल जाता था और उस वक्त मुझे बड़ा सुकून मिल जाता था.
उस वक्त नहाने के दौरान दीदी को या मॉम को नंगी देखते ही अब मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मेरी हालत देख मॉम और दीदी दोनों हंसती थीं.
मेरे लिए वे दोनों काम की देवियां बन गयी थीं.
रात को मैं, दीदी और मॉम तीनों नंगे एक ही कंबल में सोते थे.
अब मैं उन दोनों में से किसी एक की चूत चोदने के फिराक में था.
मुझे अब मॉम का दूध पीने को भी नहीं मिलता था क्योंकि अब उनका दूध निकलना बंद हो गया था.
बिना दूध के मुझे रात में नींद नहीं आती थी. शायद यही हाल दीदी का होता था.
रात को मैं दीदी और मॉम के बीच में सोता था. हम सब नंगे ही सोते थे.
अब मैं, जिसकी भी चूत मिले चोदने को, वैसा बेकाबू था.
रात को सबके सोने के बाद मैं अपना लंड दीदी की गांड में डालने का प्रयास करता था, पर डाल नहीं पाता था.
मैं रात को दीदी के स्तनों को अपने मुँह में लेकर सिर्फ चूस लेता था.
शायद दीदी को भी मालूम था, पर वह कभी जागती नहीं थीं.
उन्हें भी अपने बोबे चुसवाने में मजा आता था तो वे भी मुझे अपने दूध चूसने देती थीं.
कई बार मैं दीदी का स्तन चखते चखते स्खलित हो जाता था.
उस वक्त मेरा लंड एकदम लोहा बन जाता था तो मैं अपने लंड को दीदी की दोनों जांघों में डाल देता था और दीदी के स्तनों को चखकर अपना वीर्य वहीं दीदी की चूत के बिल्कुल नीचे जांघों में गिरा देता था.
बाद में खुद ही अपनी जीभ से वीर्य को चाट कर साफ कर देता था इसलिए कभी पकड़ा नहीं गया था.
ऐसा मुझे लगता था कि मैं पकड़ा नहीं जाता हूँ जबकि वे दोनों भी मेरी इस आदत को समझती थीं.
यह बात मुझे बहुत बाद में पता लगी थी.
कभी दीदी के साथ तो कभी मॉम के साथ मैं यही कर लेता था.
कई साल बीत गए किसी ने कुछ नहीं कहा था.
अब जब भी हम साथ में नहाते थे तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था, उस वक्त मॉम और दीदी मेरे लंड को पकड़ कर मुझे चिढ़ाती थीं लेकिन उन्होंने कभी भी लंड से चुदवाने की बात नहीं कही.
इस तरह से काफी समय बीत गया.
हमने आपस में कभी भी सेक्स नहीं किया था.
हालांकि अब इतना जरूर अलग सा होने लगा था कि मैं अकेले में अपनी मॉम और दीदी के नाम से मुठ जरूर मार लेता था.
एक दिन हम सब एक साथ नहा रहे थे.
तब मैं बेकाबू हो गया.
मैंने दीदी के एक स्तन को मुँह में ले लिया और छोटे बच्चे की तरह पीने लगा.
मॉम ये नजारा देख कर गुस्सा हो गयी थीं पर अब मैं बेकाबू हो चुका था.
मैंने मॉम को ही किस करना शुरू कर दिया.
मैं मॉम के होंठों को पागलों की तरह चबाए जा रहा था.
पहले पहल तो मॉम ने गुस्सा दिखाया पर बाद में वे भी गर्म हो गईं.
अब वे भी मेरी जीभ से अपनी जीभ को चुसवाने लगी थीं.
माहौल अब चुदाई का हो गया था.
कुछ मिनट तक मैंने मॉम को किस किया था.
हम दोनों को सांस भी लेने में दिक्कत होने लगी थी.
इस बीच मॉम की चूत ने कब का पानी छोड़ दिया था, इसका अहसास मुझे हुआ ही नहीं था.
वे झड़ने के बाद मुझे अपने ऊपर ही लेकर उधर फर्श पर ही लेट गई थीं.
मैंने नीचे को सरक कर मॉम की चूत में मुँह लगा दिया था और अपनी जीभ से चूत में अन्दर बाहर करके चाट रहा था.
मेरी इस क्रिया ने मॉम की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया था.
इस बार मैंने उनकी चूत का सारा पानी पी लिया था.
मेरा मन उनकी चूत से मुँह हटाने का हो ही नहीं रहा था तो मॉम की चूत से अब मूत निकलने लगा था.
मैंने मॉम की चूत से निकला हुआ मूत भी पी लिया.
यह दृश्य देख कर दीदी भी गर्म हो गयी थीं.
कुछ देर बाद मैंने अपना 9″ का लंड मॉम की चूत में पेल दिया और अन्दर तक डाल कर धक्का देने लगा.
वे चीखने लगीं.
मेरा लंड असाधारण लंबाई वाला मोटा लौड़ा था.
मॉम को पिता जी के साधारण लंड से चुदवाने की ही आदत थी और उस पर भी वे तीन महीने में ही चुद पाती थीं.
मेरे लगातार कई झटकों के बाद मेरा पूरा लंड मॉम की चूत की जड़ में समा गया था.
उनका दर्द भी कुछ देर में खत्म हो गया था.
मैं लगातार आधा घंटा तक मॉम को चोदता रहा.
फिर मैं भी मॉम की चूत में ही स्खलित हो गया.
तब मॉम के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे.
मॉम के बाद दीदी भी बेकाबू हो गयी थीं और वे भी चुदवाने के लिए मचलने लगी थीं.
हम लोगों में भाई बहन और मां बेटे के रिश्ते खत्म हो चुके थे.
अब सिर्फ लंड चूत की चुदाई का रिश्ता ही रह गया था.
वासना सभी को अपनी गिरफ्त में ले चुकी थी.
दोस्तो, मैं इस सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको बताऊंगा कि मॉम की चुदाई देख कर मेरी दीदी का क्या हश्र हुआ.
इसी के साथ पांच महिलाओं का पति बनने का क्या मतलब है, वह सब आपको आगे के भाग में पढ़ने को मिलेगा.
आपको यह कुछ भी … सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज मुझे कमेंट्स करके बताएं.
[email protected]कुछ भी … येस … कुछ भी … कहानी का अगला भाग: एक अकेला मर्द पांच औरतों का पति बना- 2