देसी लवर सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे ऑफिस में मेरा पुराना चोदू यार मेरा बॉस बन कर आया तो मैं खुश हो गयी. मेरी चुदासी चूत के लिए एक और लंड आ गया था.
हैलो साथियो, मेरा नाम रूपा है और मैं आपको सेक्स कहानी में सुना रही थी कि मैंने अपनी चुत की आग कैसे बुझाई.
इस कॉलेज लवर सेक्स कहानी के पिछले भाग
गर्म चूत वाली लड़की के कारनामे
में अपने अब तक पढ़ा था कि मेरा पुराना सहपाठी मनोज मेरे बॉस के रूप में मेरे ऑफिस का हेड बन कर आ गया था.
उससे मिलने के बाद मुझे अपनी पहली चुदाई की याद आ गई थी. मनोज ने ही मेरी चुत की सील तोड़ी थी.
उसको मैंने अपने घर डिनर पर बुलाया था कि मौका मिलेगा तो मनोज से एक बार फिर से चुदवा लूंगी.
अब आगे कॉलेज लवर सेक्स कहानी:
इस कहानी को लड़की की मधुर आवाज में सुनकर मजा लें.
फिर मैंने पति से कहा- सुनो इनके लिए कोई घर किराए पर ढूँढ दो ना. अभी तो होटल में ही रह रहे हैं.
अशोक ने मुझसे उनकी फैमिली के बारे में पूछा, जिससे उसे पता लगे कि उनकी जरूरत कितने बड़े घर की है.
मैंने बताया कि वो अकेले ही हैं और उनकी वाइफ किसी एक्सिडेंट में गुजर गई है. अभी कोई बच्चा भी नहीं है. मगर दो बेडरूम का फ्लैट चाहिए क्योंकि कभी ना कभी कोई रिश्तेदार या पेरेंट्स आएंगे ही इसलिए इतना तो चाहिए ही होगा.
शाम को मेरे बॉस मेरे घर डिनर पर आए.
हम तीनों कुछ देर बाद इधर उधर की बातें करते रहे.
इसके बाद मेरे पति ने उनसे पूछा कि आप कितने किराए तक का मकान लेना पसंद करेंगे.
बॉस ने कहा- मुझे 10000 तक तो ऑफिस से ही मिल जाएगा इसलिए इससे अगर कुछ ज्यादा भी हुआ, तो चलेगा … मगर लोकॅलिटी सही होनी चाहिए, जैसी आप लोगों की है.
मेरे पति ने कुछ सोच कर अपने किसी दोस्त को फोन किया और उससे पूछा कि तुम जिस मकान की देखभाल मुझ पर छोड़ गए हो, उसको कुछ किराए पर दे दूं?
उसने कहा- मुझे किराए की कोई चिंता नहीं है मगर इसका फैसला तुम पर है कि वहां की कोई वस्तु खराब ना हो.
पति ने जवाब दिया कि उसकी तुम चिंता ना करो, वो सब मेरी ज़िम्मेदारी है.
फिर पति ने बॉस की तरफ देखकर कहा- लीजिए जनाब आपका काम हो गया. आपको कुछ भी खरीदना या अपने पुराने घर से कुछ भी लाना नहीं होगा. आपको दो बेडरूम का मकान चाहिए था ना … मगर आपकी किस्मत में ड्यूप्लेक्स मकान है. वो भी 4 बेड रूम वाला है. घर पूरी तरह से सभी तरह की सहूलियतों के साथ है … मतलब फुल्ली फर्निश्ड, टीवी, फ्रिज, एसी आदि सब है. मगर आप चिंता ना करें, आपसे किराया 10 या 11 हज़ार ही लिया जाएगा. मकान इसी सोसाइटी में पीछे वाली रो में है. आप जब चाहो शिफ्ट कर सकते हो क्योंकि उसकी चाबी मेरे पास ही है. चाहो तो अभी चल कर देख लो.
बॉस ने कहा- हां चलिए.
तभी पति का कोई फोन आ गया और उसने मुझसे कहा- इनके साथ जाकर इनको वर्माजी का मकान दिखा दो. मुझे अब एकाध घंटे का टाइम लगेगा.
मैं खुशी खुशी बॉस को लेकर वर्माजी के मकान पर ले आई और अन्दर होते ही दरवाजा बंद कर दिया.
मकान में बेड रूम्स में गद्दे लगे हुए थे. मैं झट से मनोज को बेड पर बिठा कर उसको उकसाने लगी ताकि उसका लंड हरकत में आ जाए.
पता नहीं कितने दिनों से उसका लंड चुत का प्यासा था, जो एकदम से तैयार हो गया. मनोज ने मुझे कस कर भींच लिया. अब वो मेरे कपड़े जल्दी में उतारना चाहता था.
मैंने उसे मना किया कि इस तरह से कपड़े खराब हो जाएंगे और पति को शक़ हो जाएगा. मैं खुद ही आराम से अपने कपड़े उतार देती हूँ ताकि खराब ना हो जाएं.
मैंने कपड़े बहुत धीरे धीरे उतारे ताकि उसके लंड को कुछ और चुत की गर्मी सताए.
जब पूरी तरह से नंगी होकर मैं उसके पास बैठी, तो उस मे मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और मेरे मम्मों की ऐसी तैसी करने लगा.
मैंने उससे कहा- आज इतना टाइम नहीं है … तुम अपने लंड को मेरी चुत से जल्दी से मिलवा दो ताकि तुम्हारी प्यास शांत हो जाए. बाकी का काम फिर कभी आराम से कर लेना.
उसे भी समझ में आ गया और उसने कुछ देर चुत को चूम चाट कर अपने भूखे लंड को मेरी चुत में पेल दिया.
लंड चुत में घुसा कर वो झटके पर झटके मारने लगा.
कुछ देर बाद लंड अपना काम करने के बाद चुत से जुदा हो गया, तो हम दोनों ने बाथरूम में जाकर पूरी सफाई ऐसे कर ली, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
पूरी तरह से कपड़े ठीक करके मैंने उसको पूरा मकान दिखला दिया और वापिस आ गए.
पति अभी भी फोन पर लगा था. कुछ देर बाद उसने फोन पर कहा- मैं अभी आपको फोन करता हूँ, कोई फ्रेंड आया है.
इसके बाद उसने मनोज से पूछा, तो मनोज ने कहा- सर, मैं आपके इस अहसान को कभी नहीं भूल सकता. इतना बड़ा मकान वो भी सभी तरह की फेसिलिटीज के साथ मिल भी सकता है. मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि इतना बढ़िया मकान रहने को मिल जाएगा. बताइए मैं कब शिफ्ट हो सकता हूँ?
अशोक- मेरी तरफ से आप अभी से शिफ्ट हो जाओ और यह चाबी आपको रूपा दे देगी.
बॉस ने कहा- ठीक है, मैं कल ही शिफ्ट करता हूँ.
अशोक- हां मनोज जी, एक बात सुनिएगा. मैं कई बार कुछ दिनों के लिए आउट ऑफ स्टेशन रहता हूँ क्योंकि बिजनेस ही ऐसा है. उम्मीद है उस समय आप मेरी रूपा का ख्याल रखिएगा.
मनोज- जी बिल्कुल, यह भी कोई कहने वाली बात है.
बॉस अगले दिन शिफ्ट हो गया और उसने शायद अपने पेरेंट्स को कुछ दिनों के लिए बुला लिया था.
अशोक की एक सिस्टर, जो 30 साल की थी. वो एमबीए कर चुकी थी. उसका कैम्पस सिलेक्शन किसी कंपनी में हो गया था, जिसमें वो अब मैनेजर है.
उसकी शादी होने के कुछ दिनों बाद ही उसके पति का एक्सिडेंट हो जाने से उनकी डेथ हो गई थी और वो विडो का मेडल अपने ऊपर लगा बैठी.
अपने पति की मृत्यु के बाद उसकी सारी खुशियां ही शायद उससे दूर हो गई थीं. मेरे हज़्बेंड ने बहुत कोशिश की, वो दुबारा मैरिज कर ले, मगर वो कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं होती थी.
कुछ दिनों बाद मेरे सास ससुर और ननद हमारे यहां आ गए.
एक दिन मेरे पति ने मनोज को लंच पर इन्वाइट किया और उससे अपनी फैमिली से इंट्रोड्यूस करवाया.
मुझे लगा कि मनोज मेरी ननद की तरफ कुछ ज़्यादा ही आकर्षित हुआ था.
मेरी ननद का नाम अनन्या है … वो खुद भी मज़े से उससे बातचीत कर रही थी.
तभी मेरे पति ने मनोज से पूछा- आपकी इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में कोई पहचान है?
मनोज- हां, वहां का डायरेक्टर मेरा बैचमेट है. आपको क्या काम है?
अशोक- मेरे बिजनेस राइवल ने किसी को कह कर मेरी फाइल को उधर दबवाया हुआ है, जिससे मुझे बहुत नुकसान हो रहा है. उस फाइल के रुकने से मेरा काम रुका पड़ा है.
मनोज ने उसी समय किसी से फोन किया और उसको सारी बात बताई.
उसने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है, मैं कल ऑफिस जाकर तुमको बताता हूँ.
इस पर मनोज ने कहा- ठीक है मैं कल तुम्हें रिमाइंड करूंगा.
इस पर उसने कहा- जी नहीं, मैं तुम्हें कल लंच से पहले बताऊंगा.
फोन बंद करने के बाद मेरे पति ने मनोज का थैंक्स किया.
अगले दिन मेरा पति बहुत खुश था क्योंकि उसका काम, जो बहुत दिनों से अटका पड़ा था, मनोज के एक फोन से हो गया.
मेरे पति ने उसका शुक्रिया करते हुए कहा कि अगर मैं आपका कोई काम कर सकूँ, तो मुझे बहुत खुशी होगी.
मनोज की आंखों और दिमाग पर मेरी ननद छाई हुई थी. मगर इस बारे में वो अपने मुँह से कुछ भी बोलना नहीं चाहता था.
कुछ देर बाद मेरी ननद और मनोज ने एक दूसरे के मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर लिए थे.
मगर पता नहीं मनोज उससे फोन करने में झिझक रहा था.
अगले दो दिनों बाद अशोक को 10 दिनों के लिए सिंगापुर जाना था और इसी बीच मेरे सास और ससुर भी वापिस जाने की तैयारी करने लगे.
मेरी ननद ने अपने मम्मी पापा से कहा कि वो दो तीन दिनों बाद आएगी.
दो दिनों बाद मुझे और मेरी ननद को छोड़ कर बाकी सब चले गए.
अशोक के जाने के बाद अनन्या ने मनोज से फोन करके कहा- आपका बहुत थैंक्स कि आपने मेरे भाई की प्राब्लम दूर कर दी, वो बहुत परेशान था.
इस पर मनोज ने कहा- आप क्या बात करती हैं … थैंक्स तो मुझे उसका करना चाहिए, वरना मैं अभी तक किसी होटल में ही पड़ा रहता. वैसे एक बात पूछूँ कि क्या आप बिना थैंक्स के भी कभी फोन करती हैं.
तब अनन्या ने कहा- आपने ही कौन सा फोन किया, जो मैं करती.
मनोज ने कहा- मैं तो डरता था कि कहीं आप कुछ उल्टा ना लें. वरना मैं तो आपको कई बार फोन मिलाने कि सोचकर रुक जाता था.
अनन्या ने कहा- एक बार करके तो देखते.
इस तरह से दोनों की अब फोन पर बातचीत होने लगी.
वो कहां तक पहुंची, मुझे नहीं पता.
दोनों ही अपनी अपनी जगह परेशान थे. एक को लंड चाहिए था और दूसरे को चुत.
दोनों के बीच में मैं ही एक कड़ी थी, जो दोनों को आराम से मिलवा सकती थी.
दो दिनों बाद जब अनन्या जाने लगी, तो वो मुझसे बोली- भाबी, आपकी बहुत याद आएगी.
मैंने कहा- मेरी या किसी और की … खुल कर बोलो न.
अनन्या- भाबी, जब आप समझती हैं तो क्यों मेरे मुँह से ही बुलवाना चाहती हैं?
मैंने कहा- इससे मेरी सोच पर तुम्हारी मोहर लग जाएगी.
वो बोली- ठीक है, मुझे मनोज की बहुत याद आएगी.
मैंने पूछा- बात कहां तक पहुंची?
उसने कहा- बस फोन तक बातचीत करने तक ही.
मैंने कहा- तू कुछ दिन पहले मुझसे बोलती, तो मैं अब तक तुम दोनों का संगम करवा देती. खैर कोई बात नहीं तुम अगले सात दिन और रुक जाओ. फिर यहां से चली जाना अनन्या, मैं तुम्हारा पूरा इलाज करवा दूंगी.
अनन्या- इलाज मतलब?
मैंने कहा- मेरी भोली ननद, तू क्या मुझे बच्ची समझती है. जो काम तुम दिल से करना चाहती हो, वो मैं रोज तुम्हारे भाई के साथ करती हूँ … समझी! अगर अभी भी कुछ रह गया हो तो बता दे. मेरा मतलब है तुम्हारी भूखी चुत का इलाज करवा दूंगी.
ये सब कुछ साफ़ साफ़ सुन कर वो शर्मा गई.
उसके जाने के बाद उसका फोन आया कि वो अगले संडे को आएगी. मतलब साफ़ था कि घर पर उस दिन सिवा मेरे और कोई नहीं होगा.
मैंने कहा कि मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूँगी और तुमको पूरी खुश करके ही वापिस भेजूँगी.
पति के जाने के बाद मैंने मनोज से कहा कि मैदान खाली है, जब चाहो आ जाना. और अगर कहो तो मैं ही आ जाती हूँ.
अब कभी मैं रात में उसके पास और कभी वो मेरे पास. हमारी रातें पूरी रंगीन बनी हुई थीं.
एक दिन जब उसका लंड पूरे शवाब पर था तो मैंने उससे कहा- इसका कोई पक्का इलाज करो.
उन्होंने कहा- क्या करूं … कोई मिले भी तब ना करूं!
तब मैंने उससे पूछा- है कोई ध्यान में?
उसने कहा- हां एक है तो मगर डरता हूँ कि कहीं बात बनते हुए बिगड़ ना जाए.
मैंने कहा- मुझसे बताओ, मैं शायद कुछ काम आ सकूं.
उसने मुझे पूरी नंगी करके रखा हुआ था और गोद में बिठा कर अपने लंड को मेरी चुत में डाल कर बोला- अभी तो इसका इलाज तुम्हारी चुत ही कर देगी.
मैं पूरी गर्मी में थी और उसके हर एक धक्के का जवाब धक्के देकर करती रही.
पूरी तरह से चुदने के बाद मैंने फिर उससे कहा- तुमने बताया नहीं, कौन है … जो तुम्हारे दिमाग में घूम रही है?
उसने कहा- तुम्हारी ननद अनन्या.
मैंने कहा- तो बताया क्यों नहीं. मैं तुम्हारे लंड का उसकी चुत से मिलाप करवा दूंगी, मगर एक वायदा करना पड़ेगा कि तुम उससे शादी करोगे.
उसने कहा- अगर तुम कहो तो मैं शादी के बाद ही उसकी तरफ आंखें उठाऊं!
मैंने कहा- नहीं, मैं इतनी जालिम नहीं कि खड़े लंड को गीली चुत से मिलने से रोकूं. मैं आज ही उसको फोन करके शनिवार और रविवार के लिए बुला लेती हूँ. मैं उसे तुम्हारे घर पर भेज दूंगी, वहां तुम दिल भरके जो करना हो, कर लेना. मगर उससे वायदा कर लेना कि तुम उससे शादी करना चाहते हो. हां मगर मेरी चुत का भी ख्याल रखना और अनन्या को इस बात का पता नहीं लगना चाहिए कि मेरी तुम्हारी सैटिंग है.
मनोज ने कहा- मैं बेवकूफ़ नहीं हूँ जो इस तरह की बातों को अपनी होने वाली बीवी से कह कर बनता हुआ काम भी बिगाड़ लूं.
इसके बाद मनोज ने मेरी जोरदार चुदाई की. मेरे मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिया और अपने दांतों के निशान भी छोड़ दिए. जिसकी मुझे कोई परवाह नहीं थी … क्योंकि मम्मों का असली मालिक सिंगापुर में था और मेरी चूचियां और चुत किसी और से अपना इलाज करवा रही थीं.
उसने अपने मुँह से मेरी चुत के होंठों को खींच खींच कर बुरा हाल कर दिया था. चुत को तो चोद करके इस तरह से चूसा था कि चुत पूरी तरह से खुली हुई दिखने लगी थी.
यह सब फ्राइडे तक चला और शनिवार को मेरी ननद को आना था … इसलिए मैं पूरी सती सावित्री की तरह से बन गई थी.
वो आई और बड़ी खुशी से मेरे गले लग कर मिली.
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उससे पूछा- अनन्या, सही सही बताना. मुझसे अपनी फ्रेंड की तरह से बात करना. मैं तुम्हारी बात सुन कर ही निर्णय लूंगी. और तुम समझ लेना कि मुझे बता कर सब भूल गई हो.
अनन्या- हां पूछो.
मैं- क्या तुम मनोज को पसंद करती हो? मेरा मतलब है कि लाइफ पार्ट्नर के रूप में!
उसने कहा- जी भाभी. अगर सच कहूँ तो पति के गुजर जाने के बाद मैं ही जानती हूँ कि कैसे दिन काट रही हूँ. किसी से कुछ कह नहीं सकती. मेरा शरीर रात को पूरा मचलता है, मगर किसी से कह नहीं सकती. सब मेरे साथ सोना तो चाहते हैं मगर अपना कोई नहीं बना कर रखना चाहता. जितनी भी मेरी नज़रों से गुजरे, जिनको मैंने उस रूप में देखना चाहा, तो सभी के सभी चाहते थे कि उनको फ्रेश लड़की मिले. अब मैं फ्रेश तो हो नहीं सकती. इसलिए दिल पर पत्थर रख कर जी रही हूँ. मनोज को मैंने देखा था. उनकी आंखों में वो बात नहीं थी कि उसे एक ऐसी लड़की की चाह है, जो पूरी तरह से फ्रेश हो.
दोस्तो, मुझे समझ आ गया था कि अनन्या को मनोज पसंद आ गया है. अब अगली बार इस कॉलेज लवर सेक्स कहानी में मैं आपको अनन्या की चुत चुदाई की कहानी का मजा दूंगी.
आपके मेल के इंतजार में आपकी रूपा रानी.
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कॉलेज लवर सेक्स कहानी का अगला भाग: इस चुत की प्यास बुझती नहीं- 5