सभी अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी पढ़ने वालों को मेरा प्रणाम. इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल की है … मैं शादीशुदा हूँ. मैं 5 फुट 4 इंच लंबी यौवन से मालामाल एक खूबसूरत औरत हूँ. मैं बहुत सालों से अन्तर्वासना के साथ जुड़ी हूँ …. और इसमें प्रकाशित होने वाली हर कहानी का पूरा लुत्फ उठाती हूँ.
मेरे पति का स्पेयर पार्ट्स का और साथ प्रोपेर्टी डीलिंग का काम है. मैं भी अपना पार्लर चलाती हूँ. मैंने सोचा क्यों न अपनी ज़िंदगी के कुछ हसीन पलों को आपके सामने लाऊं.
यह स्कूल के समय की ही घटना है. उस वक्त मुझपे जवानी समय से पहले ही चढ़ने लगी थी. उसका एक बड़ा कारण था मेरी संगत. स्कूल से ही उन लड़कियों के साथ मेरी दोस्ती थी, जो मुझसे बड़े घर से थीं.
अक्सर स्कूल में वो अपने आशिकों के ज़रिए गंदी मैगज़ीन लातीं और देखती रहतीं. जब मैं बारहवीं में थी, तब बोर्ड की क्लास थी. अपनी सहेली पिंकी के घर हम तीनों सहेलियां में पिंकी और रिचा पढ़ाई के लिए एक रात रुकीं. वो दोनों उन दिनों अपने आशिकों के साथ चुदाई का सुख भोग चुकी थीं. मैं घर वालों के डर से लड़कों के चक्कर में पड़ने से डरती थी. हालांकि बहुत लड़के मुझ पर लट्टू थे और मेरी शोला बन चुकी जवानी के रस को निचोड़ना चाहते थे. मैं अपने घर बाथरूम में अक्सर अपनी नंगी जवानी देख, अपने स्तनों को दबाती सहलाती रोंएदार चूत के गुलाबी होंठों को छेड़ लेती. अपनी उंगली साबुन से चिकनी करके अपनी चूत में हल्के हाथ से डालने की कोशिश करती औऱ दाने को रगड़ कर मजा ले लेती.
उस रात जब पिंकी के घरवाले सो गए, तो उसने दरवाज़ा बंद करके बुक से एक सीडी निकाली. उसे सीडी प्लेयर में लगा कर चलाया. वो सीडी एक ब्लूफिल्म की थी. मैं पहली बार ब्लू फिल्म देख रही थी. मैं नज़र गड़ाए उसको ही देख रही थी. बड़े बड़े लंड और नंगी गोरियां बेशर्म होकर अपनी जवानी का लुत्फ उठा लंड चूस रही थीं.
तभी रिचा ने मुझे बांहों में भर लिया, पिंकी ने अपना टॉप उतार फेंका. हम तीनों एक दूसरे से लिपट गईं. उन दोनों ने मेरे कपड़े उतार दिए और पिंकी ने मेरे स्तन चूसने लगी. रिचा मेरी कुंवारी चूत को चूमने लगी. जब मैंने उनकी चूत देखी तो उनकी फांकें थोड़ी खुल चुकी थीं.
पिंकी बोली- कनिका, तेरी फिगर तो बहुत ज़बरदस्त है.
मैं- कैसे?
उसने मुझसे कहा- तेरी जवानी तो शोला बन चुकी है. तुम यौवन का पौधा बन चुकी हो, तुझे भी अब माली की ज़रूरत है … जो तेरे इस पौधे को पानी दे. इससे तेरे पौधे का फल और रसीला हो जाएगा.
मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.
उसने मुझसे कहा- हम इसी लिए इकठ्ठी हुई हैं ताकि तुझे जवानी के असली सुख और असली मज़े को दिखा सकें.
उसने मुझे एक पत्र दिया. ये एक प्रेम पत्र था. उसने बताया कि यह पत्र +2 के लड़के देवेंद्र ने तेरे लिए लिखा है.
मैंने उसको देखा तो उस पत्र में उसने प्रेम का इज़हार किया था और अपना फोन नंबर लिखा था. मैं देवेंद्र को जानती थी, वो अक्सर मुझे देखा करता था.
उस रात हम तीनों ने एक दूसरे को खूब चूसा. अगले दिन जब वहां से स्कूल गई तो देवेंद्र रास्ते में खड़ा मिला. आज मैंने भी उसको ठीक से देखा. वो बहुत हैंडसम लड़का था. आज मैं उसको देख मुस्कुरा निकल गई. एक खाली पीरियड में मैं, पिंकी और रिचा ग्राउंड के कोने में बैठी थीं, तभी देवेंद्र भी आ गया.
वो दोनों साइड में चली गईं, तो देवेंद्र बोला- फिर क्या सोचा आपने?
मैंने पूछा- किसके बारे में?
वो बोला- मेरे प्यार के बारे में!
उसने मेरे हाथ पे अपना हाथ रख दिया और बोला- आई लव यू!
मैंने कहा- हाथ हटाओ … कोई देख लेगा.
वो बोला- तो जवाब दे दे … मैं जाऊं.
मेरे मुँह से निकल गया- आई लव यू टू.
वो मुस्करा कर बोला- आज कॉल करना.
मुझे भी अन्दर तक सनसनी दौड़ गई थी. जिन्दगी में किसी लड़के से प्यार का इजहार हुआ था.
शाम को घर में कोई नहीं था, मौका देख कर मैंने उसको फ़ोन किया और ऐसे हम रोज़ बात करने लगे.
एक दिन उसने मुझसे कहा- कल स्कूल मत जाना और पिंकी के साथ आ जाना. मुझसे रहा नहीं जाता कनु!
इधर मेरी शोला बन चुकी जवानी में भी आग लगी पड़ी थी, दिल चाहता था कि देवेंद्र मेरी इस आग को ठंडी कर दे. पिंकी का आशिक और देवेंद्र आपस में दोस्त थे. मैंने पिंकी को फोन किया तो वो बोली- हां मुझे मालूम, हमें कहाँ चलना है.
मैं पूछा- बता तो दे ना … क्या होगा?
पिंकी बोली- उधर चल कर सब मालूम हो जाएगा, बस तू अपने नीचे के सब बाल वगैरह साफ कर लेना, पहली बार आशिक से मिलोगी.
मैं समझ गई कि माली पौधे में पानी देगा. उसी रात को ही क्रीम से मैंने अपनी सील पैक चूत को चिकनी किया और अगले दिन स्कूल ड्रेस में ही स्कूल निकली.
पिंकी ने मुझसे कहा था कि मोड़ वाले साइबर कैफे के पास खड़ी मिलना.
पिंकी मुझे वहीं मिली और उसके साथ चलने लगी. आगे बाजार में एक एस्टीम गाड़ी खड़ी थी. पिंकी के साथ उसमें बैठ गई. थोड़ा आगे चलकर बाजार से निकल उसके आशिक ने गाड़ी रोक दी और पिंकी उतर कर आगे की सीट पर चली गई और देवेंद्र पीछे की सीट पर मेरे साथ आ गया.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे गाल पर चूमते हुए बोला- थैंक्स मेरा प्यार कबूल करने के लिए!
गाड़ी चलती गई देवेंद्र ने मेरे गले में बांहें डाल दी और मेरे होंठ चूसने लगा. तभी शीशे से विकी को झाँकते देख मैं शर्मा गई. देवेंद्र ने हाथ मेरी कमीज में घुसा मेरी चूची को दबाया, मस्ती में मैंने आंखें बंद कर लीं और देवेंद्र खुलकर मेरे जिस्म से खेलने लगा. उसने मेरा हाथ पकड़ अपने खड़े लंड पर अचानक से रख दिया. तब मैंने एकदम से आंखें खोलीं … बड़ा कड़क लंड था … बहुत बड़ा लग रहा था.
खैर मैंने तो पहली बार लंड पकड़ा था, तब यह नहीं पता था कि हर मर्द का अलग साइज़ होता है. तभी गाड़ी रुकी. खुले खेतों में एक अकेली हवेली सी बनी थी. बाहर कुछ भैंसें बंधी हुई थीं.
विकी बोला- लो आ गए.
हम चारों उतर गए. आगे चले तो उधर दो कमरे थे.
विकी बोला- चलो भाई … अब अपने रास्ते.
हम दोनों एक कमरे में आ गए. कमरे की एक दीवार के साथ नीचे बिस्तर लगा था. मुझे बांहों में भरते हुए देवेंद्र उसपे लेट गया और मुझे नीचे लिटा दिया. अब देवेंद्र मेरे ऊपर आ गया था. पहली बार अपनी जवानी को किसी मर्द की बांहों में डाला था. दीन दुनिया भूल हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे.
देवेंद्र ने अपनी शर्ट उतारी और फिर मेरी कमीज उतार दी. काले रंग की ब्रा में दूध से सफेद मेरे कोरे चूचे खुले में देख देवेंद्र पागल हो गया. उसने एक पल में मेरी ब्रा खोली और मेरे चूचों को आज़ाद कर दिया. देवेन्द्र ने मेरे छोटे छोटे निप्पलों को मुँह में भर कर चूसा तो मैं मदहोश, पागल सी होने लगी और मैंने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया.
उसने पैंट भी उतार दी. मैंने देखा कि उसका लंड उसके अंडरवियर को फाड़ने पर उतारू था. जब उसने अंडरवियर भी उतारा तो पहली बार हक़ीक़त में लंड सामने देख घबरा गई. उसका तना हुआ सांवला लंड था.
“कनु मेरी जान, यह तुम्हारा है … इससे खेलो, चूमो, चाटो सहलाओ.”
यह कह कर उसने मेरे मुँह में लंड डाल दिया. पहली बार था, इसलिए उसने खुद अलग अलग तरीकों से मुझसे लंड चुसवाया. मुझसे अपने टट्टे भी चुसवाये.
फिर उसने मेरी टांगें फैला बीच में बैठ अपने होंठ मेरी नर्म कुँवारी गुलाबी चूत पर टिका दिए औऱ चूत चूसने लगा. जब उसने मेरी चूत में जीभ घुसा कर घुमाई, तो मैंने उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसके सर को चूत पर दबा लिया. बस कुछ ही पलों में मैं अपने चूतड़ उठा उठा चूत चटवा रही थी. फिर उसने मेरी कच्ची और यौवन से भरी जवानी को लूटने का अगला कदम उठाते हुए मेरी टांगें उठाईं और लंड चूत पर टिका दिया.
मेरा बदन थोड़ा कांप सा उठा. रिचा ने एक बार बताया था कि जब चूत पहली बार फटती है, तो बहुत दर्द होता है.
देवेंद्र ने तरीके से मेरे होंठों को होंठों में भर कर, थूक से गीला करके लंड को झटका दिया. मेरी सांसें मानो रुक गईं … दिल किया कि चीख मारूँ, पर वो खेला हुआ खिलाड़ी था. उसने मुझे जकड़ते हुए एक औऱ झटका मारा औऱ मेरी चूत फट गई. कुछ खून की धार से निकल गई.
पर कहते हैं ना … जंग कोई भी हो … खून खराबा तो होता ही है.
कुछ देर दर्द से मुझे मजा आने लगा और खुद चूतड़ उठा उठा चुदने की इच्छा जाहिर करने लगी. उसको भी मालूम पड़ गया और उसने ज़ोर जोर से मुझे पेला.
चुदाई क्या चीज़ है … आज मुझे पता चला. उसने झटके पे झटके लगाकर मुझे चोदा. कुछ ही देर में मैं झड़ने लगी औऱ मेरे फूटे लावे से उसका लंड भी छूटने लगा.
वो पल ऐसा था, जो कभी नहीं भूल सकती … हालांकि इसके बाद कई तगड़े लंड झेल चुकी हूँ.
उस दिन उसने मुझे दो बार पेला और मेरी अठरह साल की नाज़ुक क़ातिल जवानी में ही मुझे कली से फूल बना दिया.
यह थी मेरी पहली चुदाई. अगली बार अपनी चूत में घुसे दूसरे लंड के बारे लेकर आऊंगी. तब तक नमस्ते.
अपने लंड का ख्याल रखना … मुठ बाद में मारना, पहले मेरी चुदाई की कहानी पर दो शब्द लिख कर मुझे मेल जरूर कर देना.
बाय
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