सेक्स विद फ्रेंड कहानी मेरे ऑफिस के एक लड़के के साथ चुदाई की है. हम दोनों दोस्त बन गए थे. एक बार मैं उसके रूम पर गयी तो उसने मुझे बांहों में ले लिया.
यह सेक्स कहानी मेरी गर्लफ्रेंड राजसी ने मुझे भेजी है, जो मैं पोस्ट कर रहा हूँ.
यह कहानी सुनें.
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तो राजसी के शब्दों में पढ़ें:
मेरा नाम राजसी है.
मेरा रंग हल्का सांवला है और कद 5 फुट से थोड़ा सा कम है. मेरे स्तन उभरे हुए हैं और चूतड़ों का उभार काफी बाहर की तरफ है … मतलब मेरे हिप्स काफी बड़े हैं.
यह सेक्स विद फ्रेंड कहानी मेरी अपनी एक सच्ची कहानी है.
मैं गुड़गांव में एक कंपनी में जॉब करती हूँ.
मूलत: मैं पंजाब की रहने वाली हूँ.
अपनी इंजीनियरिंग के बाद नौकरी के लिए गुड़गांव आ गयी और यहां एक पीजी में रहती हूँ.
हमारी कंपनी एक बड़ी एमएनसी कम्पनी है और इसमें सैकड़ों लड़के लड़कियां काम करते हैं.
मेरी टीम के साथ में एक दूसरी टीम बैठती थी, उसमें एक लड़का था, जो मुझे आते जाते हमेशा घूरा करता था.
मैंने भी कई बार नोटिस किया पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया.
कई बार काम के सिलसिले में मुझे उस लड़के के पास जाना पड़ा तो धीरे धीरे उस लड़के से बातचीत शुरू हो गयी.
उसके साथ बातचीत में मालूम हुआ कि उसका नाम मोहित है.
उसके बात करने का लहजा बहुत ही अच्छा और सभ्य था.
उसकी हाइट करीब 5 फुट 9 इंच थी और रंग भी गोरा था.
धीरे धीरे हमारी बातचीत होने लगी.
एक बार उसने मुझसे कहा- राजसी चलो आज डिनर करने साथ चलते हैं.
मैं राजी हो गई.
हम दोनों एक कैफेटेरिया में साथ डिनर करने लगे.
वो बातों बातों में मजाक कर रहा था, ये उसकी आदत थी.
उसकी हंसी मजाक की बातों से माहौल हमेशा खुशनुमा ही रहता था.
उस दिन मैंने ख़ास नोटिस किया कि वो बार बार मेरी चूचियों की तरफ देख रहा था.
पहले मैंने ध्यान दिया पर बाद में मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि लड़कों की ये आदत होती है कि वे लड़कियों की चूचियों को देखते ही हैं.
फिर जब तक कोई लड़का ऐसा न करे तो लड़कियों को भी मजा नहीं आता है.
मोहित दिखने में काफी स्मार्ट लड़का था, वो काम मैं भी मेरी हेल्प करता था इसलिए उस दिन के डिनर के बाद हम दोनों कुछ ज्यादा क्लोज होने लगे थे.
फिर एक बार हम दोनों दोनों पार्क में घूम रहे थे तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मुझे उसका हाथ पकड़ना अच्छा लगा तो मैंने कोई वोरोध नहीं किया.
उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने हल्की सी स्माइल दे दी.
अब धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर घूमने लगे.
मुझे भी वो हॉट लगने लगा था और मेरा मन उसके साथ कुछ ज्यादा ही लगने लगा था.
एक बार ऑफिस में काम के सिलसिले में मुझे कुछ प्रॉब्लम आयी तो मैं मोहित के पास गयी.
उसने मुझसे कहा- तुम वीकेंड पर मेरे रूम पर आ जाओ, मैं तुमको ये सब समझा दूंगा.
पहली बार तो मुझे कुछ हिचकिचाहट हुई, पर काम भी जरूरी था तो मैंने हां कह दी.
वो 3 जनवरी 2021 को संडे का दिन था.
मैंने अपना लैपटॉप पैक किया और टैक्सी करके उसके रूम पर पहुंच गयी.
मैं अक्सर जींस और टॉप ही पहनती हूँ. उस दिन भी मैंने वही ड्रेस पहनी थी पर सर्दी की वजह से ऊपर स्वेटर पहना हुआ था.
उसका रूम डीएलएफ में था, जहां से सारी साइबर सिटी और साइबर हब नजर आता था.
ये गुड़गांव का सबसे खूबसूरत इलाका है.
उसका रूम एक फ्लैट में था, जिसकी एंट्री भी अलग थी और फ्लैट में एक बाल्कनी भी थी.
उसका रूम काफी बड़ा था और अच्छे से मैनेज्ड भी था.
हाय हैलो के बाद हम दोनों बेड पर बैठ गए और मोहित मुझे मेरे काम में मदद करने लगा.
उसने अच्छे से मुझे मेरे काम के बारे में समझाया.
धीरे धीरे बातें इधर-उधर की होने लगीं.
मोहित आदतन मजाक करने लगा और मैं भी हंसने लगी.
तभी अचानक मोहित ने अपने हाथ मेरे चेहरे पर रख दिया और मुझे टच करने लगा.
पहली बार किसी लड़के का यूं मुझे मेरे चेहरे पर छूना मुझे अजीब सा लगा.
लेकिन मुझे वो अच्छा लगता था तो मैंने कुछ नहीं कहा.
फिर मजाक का सिलसिला यूं ही चलता रहा और मैं भी जोर जोर से उसकी बातों पर हंसने लगी.
तभी उसने अपने दोनों हाथों से मेरी छाती के ऊपर मेरे चूचुकों को मसल दिया.
हालांकि स्वेटर की वजह से ज्यादा फील नहीं हुआ … पर फिर भी सारे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई.
यूं अचानक किसी लड़के का मेरे चूचुकों को मसलना … और जिसके लिए मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी, मुझे बड़ा अजीब सा लगा.
मैंने अब भी उससे कुछ नहीं बोला.
इसके कुछ सेकण्ड्स के बाद अचानक से मेरे शरीर में अजीब सी आग लग गयी.
वो शाम का समय था. उसने मुझसे कहा- राजसी देखो, यहां बाल्कनी से पूरा साइबर एरिया नजर आता है. ये इलाका गुड़गांव का सबसे डेवलप्ड इलाका है, जहां सारी बड़ी बड़ी कम्पनीज के ऑफिसेज हैं. मैं बाल्कनी में खड़ी होकर बाहर का नजारा देखने में मशगूल हो गयी.
तभी मोहित मेरे पीछे से आकर बिल्कुल मेरे पीछे सट कर खड़ा हो गया.
उसने मेरे दोनों हाथ अपने हाथ में ले लिए.
पता नहीं क्यों, उसका यूं छूना मुझे अच्छा सा लग रहा था.
मुझे टाइटैनिक का वो सीन याद आ रहा था जिसमें हीरो हीरोइन के पीछे समुद्री जहाज पर खड़ा हो जाता है और हीरोइन उसे किस करती है.
फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे हाथ से हटा लिए और पीछे जींस के ऊपर से ही मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा और मेरे चूतड़ों के उभार को महसूस करने लगा.
मैं विरोध में अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसके दोनों हाथों को हटाने लगी.
उसने अपने हाथ मेरे चूतड़ों से हटा लिए और तुरंत मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में जकड़ लिया.
मैं तो उसकी इस हरकत के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकती थी.
उसने दबाव बढ़ाना शुरू किया. मैंने विरोध करने की कोशिश की पर आगे बाल्कनी की ग्रिल थी और पीछे मोहित … तो कोई फायदा नहीं था.
अभी मेरी दोनों चूचियां मोहित के हाथों में आए हुए करीब 20 सेकंड ही हुए होंगे कि मैंने मोहित से कहा- मोहित हम बाल्कनी में खड़े हैं, कोई देख लेगा.
वो जैसे नींद से जागा और तुरंत पीछे हट गया.
उसने कहा- सॉरी राजसी, चलो अन्दर चलते हैं.
अब हम दोनों अन्दर रूम में आ गए. पर उसका यूं मेरी चूचियों को दबाना अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
मैंने महसूस किया कि मेरे चूचुक कड़े हो रहे हैं और अपनी दोनों टांगों के बीच में कुछ गीलापन भी महसूस हुआ पर अब भी मेरी उससे कुछ कहने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.
फिर मैंने उससे कहा- मैं जा रही हूँ.
मैं अपना लैपटॉप पैक करके बाहर की तरफ जाने लगी कि तभी अचानक वो पीछे से आ गया और अचानक से उसने मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में ले लिया.
मैंने महसूस किया कि मेरी दोनों चूचियों में एक मीठा सा दर्द होने लगा.
उसने कहा- राजसी प्लीज स्वेटर उतार दो.
पता नहीं किस भावना के वशीभूत होकर मैंने स्वेटर निकाल दिया.
अब मैं सिर्फ टी-शर्ट और जींस में थी.
लड़कियां का टॉप पतला सा होता है और उसमें उनकी छाती भी निखर कर सामने आती है.
मोहित ने मेरी गर्दन पर किस किया और फिर मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में जकड़ लिया.
इस बार मैं उसके मजबूत हाथों का दबाव अपनी चूचियों पर अच्छे से महसूस कर सकती थी.
उसने मेरी दोनों चूचियों को जोर से मसलना शुरू कर दिया और बीच बीच में वो मेरे चूचुकों को भी मसल देता था.
जैसे जैसे वो मेरे चूचुकों को मसलता, मेरे शरीर में करंट की लहर सी दौड़ जाती.
करीब दस मिनट तक वो मेरी चूचियों को मसलता रहा या ये कहूँ कि मैं मसलवाती रही, तो ज्यादा बेहतर होगा.
उसके बाद उसने मुझे घुमा दिया और कहा- राजसी तुम बेहद खूबसूरत हो.
ये कहते हुए वो अपने होंठ मेरे मुँह के पास ले आया और मेरे दोनों होंठों को अपने मुँह में भर लिया.
इस दौरान मुझे पता भी नहीं चला कि कब उसने अपने दोनों हाथ मेरी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिए और मेरी दोनों नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों में समेट लिया.
हाथों के ठंडेपन से मुझे अहसास हुआ कि उसके दोनों हाथ मेरी टी-शर्ट के अन्दर हैं.
पर पता नहीं क्यों मुझे उसकी इस हरकत पर कोई ऐतराज़ नहीं हुआ बल्कि मेरी दोनों चूचियों ने तो उसके हाथों में समर्पण सा कर दिया था.
मेरी हाइट छोटी होने के कारण हमारा किस सही से नहीं हो पा रहा था.
हालात मेरे भी कण्ट्रोल से बाहर होने लगे थे. अब तो जैसे मेरी चूचियां ही मुझसे कह रही थीं कि और जोर से दबवाओ.
किसी लड़के से चूचियों का दबवाना, मसलवाना, किसी लड़की के लिए ऐसा सुखद अनुभव है … जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है.
मोहित मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने बेड पर ले गया.
मैं वहीं बेड के सिरहाने बैठ गयी.
वो भी मेरे पास बेड पर आ गया.
अब तो मेरी हालत ऐसी थी कि काटो तो खून नहीं.
वो मेरी आंखों में देख रहा था और मैं नजरें चोरी कर रही थी.
करीब दो मिनट तक आंखों की लुका-छिपी के बाद उसने अचानक मेरे दोनों होंठ अपने मुँह में ले लिए.
पहले शायद खड़े होने पर हाइट डिफरेंस के कारण वो अच्छे से किस नहीं कर पाया था इसलिए वो मुझे बिस्तर पर ले आया था.
अब उसने मुँह के अन्दर अपनी जीभ से मेरी जीभ को छूना शुरू किया वो मुँह के अन्दर मेरी जीभ का टेस्ट करने लगा.
करीब 3 मिनट तक मेरी जीभ से खेलने के बाद उसने मेरा नीचे वाला होंठ अपने मुँह में दबा कर चूसने लगा और फिर ऊपर वाला होंठ.
करीब 6-7 मिनट तक होंठ चूसने के बाद हम दोनों अलग हुए.
मुझे लगा कि इससे ज्यादा ठीक नहीं है और अब मुझे चलना चाहिए.
मैंने उससे कहा- मोहित मुझे चलना चाहिए.
पर इस बार उसने अपने दोनों हाथ मेरी टी-शर्ट के नीचे ले जाकर मेरी टी-शर्ट उतार दी और फिर ब्रा को नीचे सरका दिया.
अब मेरी दोनों चूचियां नंगी होकर उसके सामने भी थीं और उसके दोनों हाथों में थीं.
इस बार छाती पर दबाव डालने की जगह उसने मेरे चूचुकों को मसलना शुरू किया.
मैं मस्त होने लगी और खुद ही आंह आंह करके उसे उकसाना शुरू कर दिया.
एक मिनट भी नहीं हुआ होगा कि मेरे दोनों चूचुक उसकी दोनों उंगलियों के बीच में फंसे थे और वो मेरे दोनों निप्पलों को मींज रहा था.
मेरी तो हालत ज्यादा ख़राब होने लगी थी.
फिर उसने मेरे पीछे हाथ डालकर ब्रा खोल दी और बड़े आराम से एक जगह रख दी.
क्या करें फ्रेंड्स, लड़कियों की चूचियां होती ही ऐसी चीज हैं … जिसे भगवान ने इसी स्ट्रक्चर में बनाई है कि कोई लड़का अगर इनको दबा दे … या चूचुकों को मसल दे तो उसके बाद तो खुद लड़की भी लड़के को मना नहीं कर पाती.
करीब दस मिनट वो मेरे चूचुक को मसलता रहा.
जैसे जैसे वो चूचुक को मसलता, वैसे वैसे मेरे चूचुक और कड़े हो जाते और अच्छे से उसकी उंगलियों के बीच मसलने लगते.
मोहित भी उन्हें और जोर से मसलता तो चूचुक और कड़े हो जाते.
मोहित की उंगलियों और मेरी चूचियों के बीच करीब पांच मिनट तक ये खेल चलता रहा.
वो भी मेरी चूचियों रगड़ने का मजा लेता रहा और मैं भी अपने दूध रगड़वाती रही.
दोस्तो, जब कोई लड़का किसी लड़की के चूचुक दबाता या मसलता है तो लड़कों को लगता है कि उन्हें मजा आ रहा है.
जबकि सच्चाई ये है कि उससे 100 गुना ज्यादा मजा लड़की को आता है.
अब उसने मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली.
मुझे उसकी जीभ का स्पर्श मेरे चूचुक पर बड़ा अच्छा लग रहा था.
थोड़ी देर बाद उसने मेरी दूसरी चूची को चूसना शुरू किया.
जब कोई लड़का किसी लड़की की चूची या चूचुक दबाता है, तो उसके बाद लड़की यही चाहती है कि वो लड़का अब उसकी दोनों चूचियों को चूसे … पर शर्म के कारण वो कह नहीं पाती है.
बिना निप्पल चुसवाए चूची का दबवाना आधा-अधूरा ही रहता है.
मेरी दोनों चूचियों को चूसने के बाद हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे.
अब मेरी अन्तर्वासना बढ़ चुकी थी, तब भी मैं उससे साफ़ शब्दों में नहीं कह पा रही थी कि मेरी चूत चोदो.
मेरी सेक्स विद फ्रेंड कहानी के अगले भाग में आपको मैं बताऊंगी कि कैसे मोहित ने मुझे चोदने की पोजीशन में लिया और … उसके बाद …
मुझे आपकी मेल का इन्तजार रहेगा.
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सेक्स विद फ्रेंड कहानी का अगला भाग: सहकर्मी ने मुझे गर्म करके चोद दिया- 2