चाचा की लड़की ने लंड देखकर चूत चुदवाई

चाचा की लड़की ने लंड देखकर चूत चुदवाई

वर्जिन सिस्टर फर्स्ट सेक्स कहानी मेरी चचेरी बहन की पहली चुदाई की है. वह अक्सर मेरा लंड देखा करती थी जिद करके. एक दिन उसने लंड पकड़ लिया और खुद भी नंगी हो गयी.

दोस्तो, मेरा नाम अरशद (बदला हुआ नाम) है और मैं भोपाल से हूं.
मेरी उम्र अभी 19 साल की है.
मैं अभी बी.टेक. कर रहा हूँ.

यह वर्जिन सिस्टर फर्स्ट सेक्स कहानी मेरी और मेरे चाचा की लड़की की है.

मेरी कजिन बहन का नाम नाजिया है.
वह एक खूबसूरत हुस्न की मलिका है.

हम बचपन से ही साथ साथ खेले हैं.
वह मुझसे 3 साल बड़ी है. फिर भी हम दोनों साथ साथ खेला करते थे.

मैंने इससे पहले कभी भी नहीं सोचा था कि मैं उसके साथ सेक्स करूंगा.

एक दिन की बात है, मैं अपने घर के मैदान में खेल रहा था और वह भी मेरे साथ खेल रही थी.

खेलते खेलते मुझे पेशाब लगने लगी तो मैं वहीं पर लोअर नीचे करके पेशाब करने लगा.
उसी समय वह भी मेरे बगल में आकर खड़ी हो गई.

वह मेरे लंड की तरफ इशारा करती हुई पूछने लगी कि ये क्या है?
तो मैंने कहा- ये मेरी नुन्नू है.

उस समय मुझे यही पता था.
वह बोली- यह मेरे पास क्यों नहीं है?

मैंने कहा- तुम्हारे पास भी है लेकिन तुम्हारी सुसु मेरे जैसी नहीं है.

वह कुछ नहीं बोली लेकिन उसको इस बात का बड़ा कौतूहल हुआ कि उसके पास नुन्नू क्यों नहीं है.

हम दोनों जवान होने लगे.
जब मैं 12 वीं में आ गया था तो मैं एक होनहार छात्र हो गया था.

मैं गणित का छात्र था और आपको तो पता ही होगा कि एक गणित के छात्र को कितना ज्यादा पढ़ना पड़ता है.

उस दिन मैं दिन में अपनी छत पर पढ़ रहा था.
वह दिसंबर का महीना था तो छत पर ठंडी हवा चल रही थी.

मैं जानबूझ कर छत पर पढ़ रहा था ताकि नींद न आए.
पर कुछ देर बाद मैं पढ़ते पढ़ते थक गया था, हल्की नींद सी भी आने लगी थी.

मैं खुद को ताजगी देने के लिए गर्म पानी से नहाने चला गया.

नहा कर मैं वापस छत पर आ गया.
वहां मैंने अपने कपड़े सूखने को डाले और तौलिया बांध कर कुर्सी पर बैठ गया.

मैंने तौलिया के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी.
चूंकि छत पर किसी को आना नहीं था तो मैं अपनी ही मस्ती में कुर्सी पर बैठ कर पढ़ने लगा था.

मेरा और मेरी कजिन बहन का घर बगल बगल में है.
एक दूसरे की छत मिली हुई हैं.

छत की पट्टी को लांघ कर दूसरी तरफ आसानी से जाया जा सकता था.

मैं धूप में बैठा पढ़ रहा था.

तभी मेरे चाचा की छत का दरवाजा खुलने की आवाज आई.
मैंने सोचा चाची आई होंगी.

लेकिन चाची नहीं आई थीं.
दरवाजा मेरी कजिन बहन ने खोला था.

मैं कुर्सी पर बैठा रहा और उसे एक नजर देख कर वापस पढ़ने लगा.

वह अपने कपड़े सुखाने डालने आई थी.

मेरा मुँह सूरज की तरफ था क्योंकि मुझे ठंड लग रही थी.

वह आई और कपड़े पट्टी पर सुखाने के लिए डालने लगी.

कपड़े डालते डालते वह मुझे देखने लगी.
शायद वह मुझे बहुत देर से देख रही थी.

मैं तौलिया में बैठा था और नीचे चड्डी नहीं पहनी थी.
इस वजह से उसको मेरा 6 इंच का लंड दिख रहा था.

वह मेरे लंड को बहुत देर से घूर रही थी.
कुछ समय बाद मेरा ध्यान उसकी नजरों पर गया तो वह मेरे तौलिए की झिरी को देख रही थी.

मैंने अपनी तौलिया को देखा तो उसमें से मेरा लंड बाहर को निकल रहा था.

मैं शर्मा गया और लंड को छुपाने लगा.
ये सब देख कर वह बहुत हंस रही थी.

मैं उठ कर वहां से चला गया.

कुछ दिन यूं ही गुजर गए.

मैं हमेशा की तरह छत पर पढ़ रहा था.
तो चाचा की छत का फिर से गेट खुला.

मैंने देखा तो वहां मेरी कजिन बहन खड़ी थी.
वह पट्टी के पास आकर खड़ी हो गई और मेरी तरफ देखने लगी.

मेरी तो गांड फटी पड़ी थी.
उसने मुझसे कहा- क्यों अरशद अब तो तुम्हारी छोटी नुन्नू बड़ी हो गई है!

मैं सोचने लगा कि इसे तो बचपन का सब कुछ अभी भी याद है.
पर मैं कुछ नहीं बोला और अपनी किताब को सही से पकड़ कर पढ़ने लगा.

तभी वह पट्टी लांघ कर मेरी छत पर आ गई और मेरे पास बैठ गई.

वह एकदम से बोली- दिखा अपना लंड!
मैंने उससे कहा- पागल हो गई हो क्या?

वह हंसने लगी और बोली- आज तुझे अपना लंड दिखाना ही पड़ेगा.
मैंने कहा- क्यों दिखाना पड़ेगा … कोई जबरदस्ती है क्या?
वह बोली- दिखा दो वरना मैं अपने अब्बा से कहूंगी कि अरशद ने जानबूझ कर अपना लंड मुझे दिखाया है.

यह सुन कर मेरी गांड और ज्यादा फट गई.
मैंने मन में सोचा कि दिखा देता हूँ. अभी तो थोड़ी फटी है, बाद में ज्यादा फटेगी.

पहले मैंने उससे कहा- नाजिया, यह सब गलत होता है.
वह बोली- अच्छा … तुझे कैसे मालूम है कि यह सब गलत होता है?

मैं समझ गया कि नाजिया बिना लंड देखे मानने वाली नहीं है.
वैसे भी वह बड़ी जिद्दी लड़की है तो मुझे उसकी हर बात मालूम थी कि यह लड़की जो ठान लेती है, करवा के ही मानती है.

अब मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है तुम खुद देख लो.
यह सुनते ही उसने मेरा लोअर नीचे किया और चड्डी खींच दी.

मेरा सोता हुआ शेर बाहर निकल आया.

वह बोली- उस दिन तो ये बहुत बड़ा दिख रहा था! आज इसे क्या हुआ, यह तो छुआरा सा हो गया है.

मैंने हंस कर कहा- यह ऐसे बड़ा नहीं होता है.
वह बोली- तो कैसे होता है?

मैंने कहा- इसे अपने हाथों से खिलाओ और अपने मुँह में लो तो बड़ा हो जाएगा.

उसने मेरी तरफ देखा और लंड को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी.

बस देखते ही देखते मेरा लंड 6 इंच का हो गया.

मैं तो अब तक सब कुछ जानने लगा था और शायद वह भी सब कुछ जानती थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे, जैसे कुछ जानते ही न हों.

उसने लंड दबाते हुए कहा- चलो रूम के अन्दर चलते हैं, यहां कोई देख लेगा.

मुझे लगने लगा था कि इसे लंड की बहुत जरूरत है.
लेकिन मुझे ये पता नहीं था कि ये मेरा लंड अपनी चूत में ही ले लेगी.

मैं उसके साथ कमरे में चला गया और कमरे को अन्दर से बंद कर लिया.
कमरे का दरवाजा बंद होते ही उसने अपने बूब्स खुले कर दिए.

आह क्या मस्त नजारा था … कसम से मैंने पहले कभी भी सामने से किसी जवान लड़की के नंगे दूध नहीं देखे थे.
उसके निप्पल एकदम गुलाबी रंग के थे. वह साली कांटा माल लग रही थी.

मैं सोचने लगा कि अगर इसके दूध इतने सेक्सी हैं तो बुर कैसी होगी.

मैंने उससे कहा- अपनी पैंटी भी उतारो.
उसने जब अपनी पैंटी को नीचे किया तो ऐसा लगा जैसे पका हुआ एप्पल मिल गया हो.

उसने अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा- अब क्या करना पड़ता है?
मैंने कहा- मुझे क्या पता?

मैं उसके सामने पहले से ही नंगा खड़ा था और वह मेरे टनटनाते हुए लंड को देखी जा रही थी.

ऐसा ही कुछ मेरा हाल था.
उधर हालत भी कुछ ऐसी बन गई थी कि करना सब कुछ है और पता कुछ नहीं.

मैंने कुछ ही सेक्स स्टोरी पढ़ी थीं तो सोचा जैसे उसमें करते हैं, वैसे ही हम लोग करेंगे.
मैंने उससे कहा- नीचे लेटो.

वह चित लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
हम दोनों के बीच चुम्मा चाटी चालू हो गई.

मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं था, बस इतना पता था कि चूत में डालने से पहले उसको गर्म करते हैं.
अब चूत गर्म करने के लिए सही सही क्या करना पड़ता था, वह नहीं मालूम था.

जैसा समझ आया, मैंने वैसा ही करना शुरू कर दिया.
उसके बूब्स इतने सेक्सी थे कि मैंने सबसे पहला हमला उसके मम्मों पर ही किया.
उसके एक दूध को पकड़ कर इतनी जोर से दबा दिया कि वह सिसकारियां भरने लगी.

उसकी तेज तेज सांसें चलने लगीं.
कुछ देर दूध मसलने और चूसने के बाद मैं समझ गया कि इसकी दोनों टांगों के बीच की भट्टी गर्म हो गई है. अब अपने सामान को इसमें डाल देना चाहिए.

मैंने वैसा ही किया और उसकी टांगों को ऊपर उठा कर अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया.
नाजिया की टांगें खुल गईं और मैंने उसकी चूत पर अपना लवड़ा सैट कर दिया.

उसकी चूत की फांक से पानी निकल रहा था.
सुनहली झांटें लंड के सुपारे के स्पर्श से अलग होने लगी थीं.

चूत की फांक में मैंने लंड के सुपारे से रगड़ लगाई तो वह कमर उठा कर लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

मैंने जोर लगाया और सुपारे को चूत में पेल दिया.
वह आह आह करने लगी और छटपटाई, तो लंड निकल गया.

अब वह लंड को अन्दर लेने से डरने सी लगी.
डरती भी क्यों नहीं, मेरा 6 इंच का लंड भी उसके लिए बहुत बड़ा लंड था.
उसकी चूत बिल्कुल सील पैक थी.

अब मैंने सोचा कि पहले इसकी चूत को थोड़ा चाटा जाए. हालांकि मेरा मन तो नहीं था, पर करना तो पड़ेगा ही.

मैंने जैसे तैसे अपनी सांस रोक कर दम साधी और जीभ को बुर पर रख दिया.
जीभ लगाई तो नाक ने भी चूत की महक को लेना शुरू किया.

जैसे ही सांस ली, तो मुझे एक अलग ही महक आई और साथ ही जीभ से चूत का स्वाद भी खट्टा कसैला सा लगा.
मुझे बहुत बुरा स्वाद लगा. लेकिन मैंने फिर भी अपनी जीभ को लगे रखा और उसकी चूत के ऊपर ही फेरता रहा.

वह भी कसमसाने लगी.
मैंने भी महसूस किया कि नाजिया थोड़ी अकड़ती जा रही है. उसकी चूत छटपटाने लगी थी.

मैं डर गया कि यह क्या होने लगा है.
मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि नाजिया को क्या हो रहा है.

इतने में नाजिया बोली- आह भाई … बहुत मजा आ रहा है.
उसकी आवाज सुनकर मेरी जान में जान आई.
मैंने अपना काम चालू रखा.

अब वह काफी गीली हो गई थी.
इससे मुझे लगने लगा कि अब काम हो जाएगा.

मैंने फिर से अपने लंड को चूत पर सैट किया और थोड़ा सा अन्दर धकेला, तो इस बार लंड सट से घुसने लगा और अन्दर ही घुसा जा रहा था.

नाजिया फिर से अकड़ने लगी थी.
मैं समझ गया था कि नाजिया को मजा आ रहा है वर्जिन सिस्टर फर्स्ट सेक्स में!

मैंने अपना लंड थोड़ा और अन्दर डाला तो नाजिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- बस इतना ही रहने दो.
मैं रुक गया.

मैं भी समझ रहा था क्योंकि उसका पहली बार है और मेरा भी.
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने फिर से अन्दर को पेला, तो उसने कोई भी हरकत नहीं की.

मैं समझ गया कि अब सब ठीक है.
तब मैं अपने लौड़े को धीरे धीरे चूत में अन्दर बाहर करता रहा.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

तकरीबन 5 मिनट बाद मेरा काम हो गया और हम दोनों वहीं लेटे रहे.

फिर वह उठी और अपने कपड़े सही करने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ?

वह मुस्कुरा दी और बोली- अब नीचे जाना है.
और वह चली गई.

अब हम दोनों को चुदाई का चस्का लग गया था.

जब भी सेक्स करने का मन होता है, तो हम दोनों छत पर बने कमरे में आ जाते हैं और चुदाई कर लेते हैं.

आपको मेरी वर्जिन सिस्टर फर्स्ट सेक्स कहानी कैसी लगी?
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